सकरात्मक लोगों का दृष्टिकोण

सकरात्मक लोगों का दृष्टिकोण

  

मित्रों, हर व्यक्ति के जीवन में सुख और दुख आते रहते हैं। यह जीवन का केवल हिस्सा ही नहीं, बल्कि जीवन का यथार्थ, अर्थात जीवन की सच्चाई है।

ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जिसके जीवन में कभी दुख, मुश्किल, तकलीफ या कठिनाइयां ना आई हो। केवल सुख की चाह कभी पूरी नहीं हो सकती क्योंकि सुख और दुख एक ही गाड़ी के दो पहियों के समान है। एक के भी बिना गाड़ी नहीं चल सकती। सुख और दुख के यह दो पहिए जीवन की गाड़ी में संतुलन बनाए रखते हैं।

सुख के क्षण हमें बहुत अच्छे लगते हैं लेकिन जब हमारे जीवन में दुःख आता है तब हमें वह समय बहुत कठिन लगने लगता है, जहां उत्तरजीविता बहुत मुश्किल लगने लगती है और उसके लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। संकट पूर्ण परिस्तिथियों का सामना करना सब के लिए मुश्किल होता है लेकिन अलग-अलग व्यक्ति इन परिस्थितियों से अलग अलग तरीके से निपटते हैं।

मूल रूप से दो प्रकार के लोग हैं, एक वह जो परिस्थितियों से हार मान कर उनके सामने घुटने टेक देते हैं और दूसरे वह जो अद्भुत ऊर्जा और उम्मीद के साथ डटे रहते हैं। ऐसे लोग अपने जीवन में आ रही मुश्किलों को लेकर हमेशा सकारात्मक रहते हैं। ऐसे लोगों के अंदर कोई अद्भुत शक्ति नहीं होती या फिर उनमें सामान्य लोगों की तुलना में कुछ खास नहीं होता।

यह सारा खेल केवल मानसिकता का और दृष्टिकोण का है। इन दो तरह के लोगों में फर्क बस इतना ही है कि इनकी मानसिकता भिन्न होती है। मोटे तौर पर देखे तो यह दो प्रकार की मानसिकताएं हैं, जो लोगों के व्यक्तित्व को अलग बनाती हैं। वह है नकारात्मक व सकारात्मक मानसिकता।

सकारात्मक मानसिकता वाले लोग जीवन की परिस्थितियों को अलग नजरिए से देखते हैं और अलग प्रतिक्रिया करते हैं। आज की चर्चा सकारात्मक लोगों पर है जहां हम जानेंगे कि सकारात्मक लोगों का दृष्टिकोण कैसा होता है। जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण रखने वालों की जिंदगी अन्य लोगों से अलग और बेहतर कैसे होती है।

मित्रों, यह देखा जाता है कि कुछ लोग अपने जीवन में आ रही परेशानियों को बहुत अच्छी तरह से संभाल लेते हैं। वह खराब से खराब परिस्तिथियों में भी खुश, ऊर्जावान, आशावादी व सकारात्मक रहते हैं। कई लोगों के लिए यह आश्चर्य का विषय होता है कि लोग अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में भी खुश कैसे रहते हैं जहां सब कुछ आपके विरुद्ध हो रहा हो।

तो आज हम इसी सवाल का जवाब जानेंगे । मित्रों चर्चा शुरू करने से पहले आइए जानते हैं कि सकारात्मकता क्या होती है।

सकारात्मकता वह भाव है जो हमें जीवन में घटने वाली घटनाओं के प्रति आशावादी बनाता है ताकि हर परिस्थिति में हम कुछ अच्छा देख सके और आपदा को अवसर में परिवर्तित कर सके। वह लोग जो इस प्रकार का नजरिया रखते हैं वह सकारात्मक कहलाते हैं।

अब सवाल यह उठता है कि हम सकारात्मक क्यों बने। आखिर सकारात्मकता किस तरह से हमारे लिए अच्छी साबित हो सकती है। तो आइये इसे एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं। यह उदाहरण असल जिंदगी का है। इस उदाहरण में वास्तविक जीवन की एक स्थिति लेते हैं और उस स्थिति में दोनों दृष्टिकोनों को लागू कर के देखते हैं।

वह स्थिति है आपकी कमज़ोर आर्थिक हालत। मतलब कि आपके पास आवश्यक संसाधनों की कमी हो जाना। स्वाभाविक है इस स्थिति में तनाव, निराशा, दुःख, असंतोष, और क्रोध उत्पन्न होगा। अब इस स्थिति से निपटने के आपके पास दो रास्ते हैं। या तो आप अपनी हालत को ले कर दिन रात चिंतित रहेंगे, या फिर दूसरा रास्ता है सकारात्मक रहने का, इस स्थिति के सुधरने की उम्मीद रखना।

ऐसे में आपकी स्थिति वही होगी, लेकिन आपका नज़रिया बदल जाएगा। आप आशावादी होंगे कि आप कुछ अच्छा करने में सक्षम हैं जिससे आपको कुछ करने की प्रेरणा मिलेगी। नकारात्मक व्यक्ति रोज़ सुबह इस विचार के साथ जागेगा कि उसकी ज़िंदगी में कुछ ठीक नहीं चल रहा है और वह बहुत दुखी है।

वहीं सकारात्मक व्यक्ति के मन में यह विचार होंगे कि उसकी स्थिति भले ही आज खराब है लेकिन वह उसे बदलने की क्षमता रखता है। अब आप ही बताएं कि दोनों में से कौन सा व्यक्ति अपनी स्थिति को सुधारने में सफल हो पाएगा । जवाब आपके सामने है। सकारात्मकता वह शक्ति है जो है जो आपके दिमाग के अंदर विकसित होती है लेकिन उसके चमत्कार बाहर, असल जिंदगी में दिखते हैं।

✴ करने पर अधिक ध्यान :

सकारात्मक व्यक्ति का ध्यान कहने या सोचने से अधिक करने पर होता है। यही कारण है कि ऐसा व्यक्ति दिन रात अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए कार्य करता रहता है। परंतु सामान्यतः लोग अपनी योजना पर चिंतन ही करते रह जाते हैं। उन्होंने जो लक्ष्य निर्धारित किया है वह उस तक पहुंच पाने में संभव होंगे या नहीं, इस प्रक्रिया में कितना समय लगेगा और कौन-कौन सी कठिनाइयां आएंगी इत्यादि यह सभी विचार मन को घेरे रहते हैं, जिस कारण से व्यक्ति अपनी सोच में ही उलझ कर रह जाता है।

परंतु वहीं दूसरी तरफ सकारात्मक व्यक्ति को अपनी योजनाओं एवं अपनी क्षमताओं पर पूरा विश्वास होता है और वह अपने लक्ष्य को पूर्ण करने की दिशा में कार्य प्रारंभ कर देता है। हमें इसे अपने जीवन में जरूर शामिल करना चाहिए कि हमारा ध्यान सबसे ज्यादा इस बात पर हो कि हम अपने लक्ष्य को साधने के लिए क्या और कितना प्रयास कर रहे हैं। यही गुण एक सकारात्मक व्यक्ति को सामान्य व्यक्ति से अलग, अधिक सफल और अधिक खुशहाल बनाते हैं।

✴ स्वयं पर विश्वास :

सकारात्मक व्यक्ति स्वयं पर विश्वास रखता है। मित्रों, जीवन का नियम विश्वास का नियम है। हम जिस चीज पर विश्वास करते हैं हम वैसा ही पाते हैं, यह शत प्रतिशत सत्य है। इस सत्य को जानने के बाद भी हम अपने मन में शंकाओं, डर एवं अविश्वास को भरे रहते हैं जिसके कारण से हमें असल जिंदगी में भी इसी प्रकार के परिणाम देखने को मिलते हैं।

किंतु एक सकारात्मक व्यक्ति विश्वास के नियम का इस्तेमाल करना बहुत अच्छी तरह से जानता है। सकारात्मक व्यक्ति को अपनी सोच, अपनी क्षमताओं और अपने विचारों पर पूरा विश्वास होता है। इसीलिए वह जो भी सोचता है उस पर पूरी तरह दृढ़ होता है।

भले ही उसने जो सोच रखा है उसकी राह में हजारों कठिनाइयां क्यों ना आए, फिर भी उसका विश्वास अडिग होता है। आपने अपने जीवन में कभी ना कभी किसी ऐसे व्यक्ति को जरूर देखा होगा जो हर समय सकारात्मक रहता है। तब आपने यह भी देखा होगा कि ऐसा व्यक्ति अपने द्वारा कही गई बातों पर इतना विश्वास रखता है कि उसका विश्वास किसी भी कठिनाई के आने पर डगमगाता नहीं है।

यही उसकी सकारात्मकता का सबसे बड़ा कारण है। सकारात्मक व्यक्ति के मन के अंदर का विश्वास बाहरी जीवन में उसे जीवन में कार्य करने की प्रेरणा देता है और इसी विश्वास के बलबूते वह अपने कार्य को सिद्ध कर दिखाता है।

तो आशा है कि आप विश्वास के नियम को समझ गए होंगे। इसका अत्यधिक लाभ उठाने के लिए अपने मन से सभी नकारात्मक विचारों को मिटा दें और सकारात्मक विचारों को अपने मन में जगह दे। आपके मन में यदि कोई शंका आए तो अपने मन की सकारात्मक विचारों पर पूरी तरह विश्वास करें और आगे बढ़े। फिर देखें आप अपने कार्य को सफलतापूर्वक सिद्ध करने में सक्षम हो पाएंगे।

✴ असफलताओं को गले लगाना

मित्रों एक सकारात्मक व्यक्ति वह नहीं होता जो जीवन में कभी असफल नहीं होता, बल्कि एक सकारात्मक व्यक्ति वह होता है जो अपने जीवन में आ रही असफलताओं को भी सकारात्मक दृष्टिकोण से देखता है। हमें अक्सर ऐसा लगता है कि जो लोग जीवन में हमेशा सकारात्मक रहते हैं उन्होंने कभी कठिनाइयों को देखा ही नहीं है, उनके जीवन में कभी असफलताएं आई ही नहीं हैं।

परंतु हमारा ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है। क्योंकि सकारात्मकता वह नहीं है जो मुश्किल परिस्थितियों आने से गायब हो जाए। एक सकारात्मक व्यक्ति भी जीवन में कई बार असफल होता है। बिलकुल वैसे ही जैसे कोई आम व्यक्ति। लेकिन वह बात जो उसे आम व्यक्ति से अलग बनाती है वह है कि वह असफलताओं से नहीं डरता है और न ही उनके सामने घुटने टेकता है। एक सकारात्मक व्यक्ति बार-बार असफल होने के बाद भी अपने लक्ष्य को लेकर उत्साहित रहता है और उसके मन में विश्वास होता है कि उसका लक्ष्य जरूर सिद्ध होगा।

वह असफलताओं में भी अच्छी बात ढूंढ निकालता है और उनसे सीख लेता है कि उससे क्या गलती हो गई और अगली बार वह उस गलती को नहीं दोहराएगा। यही कारण है कि सकारात्मक व्यक्ति कोई काम करने से पीछे नहीं हटते, इस डर से कि वह असफल हो जाएंगे क्योंकि उन्हें पता है कि असफलताओं में ही l सफलता की जड़े छिपी होती है।

आपको भी आवश्यकता है कि आप अपनी असफलताओं को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखना शुरू करें। क्योंकि दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो कभी असफल नहीं हुआ है। असफलता से दो-चार हुए बिना सफलता आपके कदम नहीं चूम सकती। यदि असफलता का सामना होते है आपने घुटने टेक दिए और अपने लक्ष्य से कदम पीछे खींच लिए तो आप कभी सफल नहीं हो सकते। इसीलिए सकारात्मक व्यक्तियों की इस आदत को आपको अवश्य अपनाना चाहिए और असफलताओं को गले लगाना सीखना चाहिए।

✴ आपदा को अवसर में बदलना :

मित्रों यह सकारात्मक लोगों का बहुत बड़ा गुण है।संकट आ जाने पर सामान्यतः लोग घबरा जाते हैं और मुश्किल हालात उन्हें नकारात्मक रूप से प्रभावित करने लगते हैं जिससे लोग दुख, तनाव, पीड़ा, इत्यादि अनुभव करते हैं। एक सामान्य व्यक्ति संकट से खुद को पूरी तरह से घिरा हुआ पाता है जिससे निकलना उसे असंभव लगने लगता है।

ऐसे लोग अपने मुश्किल हालातों के बारे में सोच कर खुद को असहाय पाते हैं लेकिन सकारात्मक व्यक्ति ऐसी विचारधारा नहीं रखते। वह खुद पर आई आपदा को अवसर में बदलना जानते हैं अर्थात सकारात्मक लोग अवसरों को पहचानना जानते हैं। इसलिए जहाँ एक सामान्य व्यक्ति दुखी रहता है वहीं दूसरी तरफ एक सकारात्मक व्यक्ति शांत सामान्य और धैर्यवान बना रहता है।

वह यह सोचता है कि इस संकट की क्षण में उसके लिए अवसर कहां छिपे हैं। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति की नौकरी अचानक चली जाए और उसकी आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होने लगे तो स्वाभाविक सी बात है कि वह व्यक्ति अपने जीवन यापन को लेकर बहुत ज्यादा चिंतित हो जाएगा।

आखिर नौकरी ही तो धन का स्रोत है। अब वह क्या करेगा, कहां जाएगा, इस तरह के विचार उसे घेरने लगते हैं। किंतु वही एक सकारात्मक व्यक्ति के मन में यह विचार होंगे कि रोजगार के नए अवसरों का सृजन किस प्रकार किया जाए। या नौकरी जाने से वह स्वयं का कोई व्यवसाय के बारे में सोच सकता है, या फिर यह संकट उसके लिए अपनी क्षमता के अनुसार एक बेहतर नौकरी पाने का अवसर बन सकता है।

दोनों ही स्थितियों में हालात एक जैसे हैं किंतु फर्क है विचारों में। एक व्यक्ति ने अपने हालातों से समझौता कर लिया और दूसरे व्यक्ति ने अपने हालातों में छिपे अवसर को ढूंढ कर उन्हें बदलने का निर्णय लिया।

अब यह सोचते हैं कि इन दोनों व्यक्तियों में से कौन सफल होगा। स्वाभाविक सी बात है वह व्यक्ति जिसने सकारात्मक दृष्टिकोण को अपनाया है वह न सिर्फ अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार पाएगा बल्कि पहले से कहीं बेहतर स्थिति में पहुंच पाएगा। इसीलिए निर्णय आपका है कि आप सकारात्मकता को कब और कितनी जल्दी अपनाना चाहते हैं।

निष्कर्ष :

तो मित्रों यह थे वह दृष्टिकोण जो सकारात्मक व्यक्ति अपने जीवन में अपनाते हैं। वह सकारात्मकता ही है जो व्यक्ति को कार्य करने की प्रेरणा देती है, नए विचारों का सृजन करने की प्रेरणा देती है, अपने विचारों पर विश्वास दिलाती है और असफलताओं से लड़ना और उन्हें गले लगाना सिखाती है और अंततः व्यक्ति को सफल बनाती है।

इसीलिए सकारात्मकता केवल एक मात्र गुण नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने का तरीका है या फिर यह कहे कि एक बेहतर जीवन जीने का तरीका है। सकारात्मकता केवल सफलता के लिए आवश्यक नहीं है बल्कि मन की शांति और सुख के लिए भी परम आवश्यक है।

आशा है कि इस लेख को पढ़ने के बाद आप यह भली-भांति समझ गए हैं कि सकारात्मकता का जीवन में होना कितना आवश्यक है और यदि आप सकारात्मक नहीं है तो आप कितनी बड़ी हानि का सामना कर रहे हैं। एक सकारात्मक व्यक्ति के दृष्टिकोण को वैज्ञानिक रूप से समझने के बाद आप इसे बड़ी आसानी से अपनी दिनचर्या और अपने जीवन में अपनाकर इसके ढेरों फायदे उठा सकते हैं।

तो देर किस बात की ? अभी थोड़ा समय निकालिए और सोचिए कि आपको इस दिशा में किस प्रकार कदम बढ़ाने हैं। इस लेख से जुड़े आपके मन में कोई राय या कोई सुझाव हो तो हमारे साथ इसे साझा करना ना भूले। आप पोस्ट के माध्यम से अपनी राय को हमारे साथ साझा कर सकते हैं। यदि आपके मन में कोई प्रश्न हो तो भी पोस्ट करने में झिझक महसूस ना करें। हमें आपके पोस्ट का इंतजार रहेगा। यह लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद!


अपनी राय पोस्ट करें

ज्यादा से ज्यादा 0/500 शब्दों