बुरी आदतों से छुटकारा कैसे पाएं

बुरी आदतों से छुटकारा कैसे पाएं

  

आदतें हमारे जीवन का एक ऐसा महत्वपूर्ण भाग होती है जो अगर अच्छी हो तो जीवन को नर्क से स्वर्ग बना सकती है और यदि बुरी हो तो स्वर्ग जैसे जीवन को भी नर्क बना देती हैं। आदतें कभी-कभी हमारी रुचि के ऊपर निर्भर होती है और कभी-कभी कुछ नया करने की चाह कोई नई आदत बना देती है। हमारा व्यवहार जो हम प्रतिदिन दोहराते हैं, आदत कहलाती है।

जब हम किसी कार्य को करना चाहते हैं और बार-बार उसी कार्य को दोहराते हैं तो कार्य स्वैच्छिक रूप से नियमित होने लगता है इसे आदत कहते हैं।

आदतें दो प्रकार की होती है -अच्छी आदतें, बुरी आदतें। अच्छी आदतें जैसे किताब पढ़ना, खेलना, संगीत सुनना आदि। और बुरी आदतें जैसे-धूम्रपान करना, नशा करना, चोरी करना आदि।

मनोवैज्ञानिक जेम्स ने आदत को मनुष्य का दूसरा स्वभाव बताया है।

बुरी आदत क्या है

जब कोई व्यक्ति किसी वस्तु, पदार्थ या व्यक्ति को ना पाने के कारण अमानवीय व्यवहार करने लगता है तो यह उस व्यक्ति की बुरी आदत या लत कहलाती है। कुछ व्यक्तियों को नाखून चबाने या पैर हिलाने जैसी आदतें भी होती है परंतु यह आदतें व्यक्ति के स्वास्थ्य पर उतना नकारात्मक प्रभाव नहीं डालती है जितना कि किसी चीज की लत लग जाने पर व्यक्ति के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति को तंबाकू खाने या धूम्रपान करने की आदत है और वह व्यक्ति उस आदत को छोड़ना चाहता है परंतु वह चाह कर भी इसे नहीं छोड़ पाता, इसे लत कहते हैं। और यह सब बुरी आदतें हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।

बुरी आदतें किसी व्यक्ति के जीवन में उस महामारी की तरह होती है जो धीरे-धीरे उस व्यक्ति के संपूर्ण शरीर को अपने चपेट में ले लेती हैं और अंततः इन्हीं बुरी आदतों की वजह से व्यक्ति की मृत्यु तक हो जाती है। जो व्यक्ति इस प्रकार की बुरी आदतों में फस जाता है वह अपने भविष्य की चिंता नहीं कर पाता अर्थात वह अपना वर्तमान तो बर्बाद ही करता है साथ ही साथ उन आदतों को ना छोड़कर अपने भविष्य को भी नष्ट कर देता है।

संक्षेप में कहें तो बुरी आदत या लत एक ऐसी खाई है जिसमें यदि व्यक्ति गिर जाए तो वापस नहीं आ सकता।

एक अमेरिकी लेखक स्वेट मॉर्डन का कथन हैकिसी व्यक्ति में एक बुरी आदत पड़ती है तो फिर वह बीज के रूप में बुरी आदतों के वृक्ष को पनपा देती है। शैतान के बेटे को घर पर आमंत्रित करो तो उसका पूरा कुनबा चला आता है। अर्थात यदि हम एक बुरी आदत को भी अपने शरीर के अंदर विकसित होने देंगे तो अनेक बुरी आदतों का हमारा शरीर शिकार बन जाएगा।

बुरी आदतों के कारण

बुरी आदतों का सबसे प्रमुख कारण बुरे लोगों के साथ रहना व गलत माहौल में रहना है। इसे हम तुलसीदास जी के एक दोहे से भी समझ सकते हैं-

को न कुसंगती पाई नसाई, रहई न नीच मचे चतुराई।

अर्थात खराब संगति से सब बर्बाद हो जाते हैं। नीच लोगों के विचार के अनुसार चलने से चतुराई बुद्धि भी भ्रष्ट हो जाती है।

इसी प्रकार यदि हम नीच और बुरे व्यक्तियों की संगति करते हैं तो हमें भी बुरी आदतों का विकास होने लगता है और धीरे-धीरे यह आदतें लत के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं अर्थात हम किसी विशेष व्यक्ति या वस्तु के लिए इतना व्याकुल हो जाते हैं कि कभी-कभी इनके ना मिलने पर अपना मानसिक संतुलन तक खो बैठते हैं। बुरे व्यक्ति, बुरा समाज या बुरा माहौल उसी चक्रवात की तरह होते हैं जो आपको बुरी आदतों के चक्कर में इस प्रकार घुमाते हैं कि आपके लिए वहां से निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।

यदि संक्षेप में कहें तो बुरी आदतें बुरे व्यक्तियों की संगत करने से, बुरे समाज में रहने से और गलत माहौल में रहने से विकसित होती हैं और धीरे धीरे यही आदतें लत का रूप ले लेती हैं और हमारे जीवन को बर्बाद कर देती हैं।

बुरी आदतों को कैसे छोड़ें

बुरी आदतें एक ऐसा कुचक्र है जिनसे बाहर निकलना बहुत ही मुश्किल है परंतु यदि हम प्रयत्न करें तो कुछ भी कर सकते हैं। बुरी आदतों से छुटकारा पाने के कई तरीके हैं-

1. किसी भी बुरी आदत को छोड़ने के लिए हमें सर्वप्रथम उस बुरी आदत के बारे में सोचना होगा। हमें यह समझना होगा कि यह आदत हमारे स्वास्थ्य पर और हमारे भविष्य पर कितना अधिक नकारात्मक प्रभाव डालती है।

2. हमें खुद को सकारात्मक रखने की आवश्यकता है तभी हम खुद को एक बुरी आदत के कुचक्र से बचा सकते हैं। हमें यह सोचना चाहिए कि हां, हम इस आदत का त्याग कर सकते हैं। तभी हम कुछ कर पाएंगे।

3. हमें बुरे व्यक्तियों की संगति का त्याग कर देना चाहिए। गलत जगह पर जाना छोड़ देना चाहिए क्योंकि जब तक हम बुरी संगति का त्याग नहीं करेंगे तब तक हम बुरी आदतों का त्याग भी नहीं कर पाएंगे।

4. हमें खुद के लिए भी समय देना चाहिए, हमें खुद का विश्लेषण करना चाहिए कि हमने दिन भर में क्या-क्या किया। इससे हमें यह बचाने में मदद मिलेगी कि हमारी कौन सी आदत बुरी है और कौन सी अच्छी। इसकी मदद से हम बुरी आदतों को पहचान कर उनका त्याग कर सकते हैं।

5. बुरी आदतों को छोड़ने में हमारी दृढ़ इच्छाशक्ति भी हमारी बहुत मदद करती है। यदि हम अपने निर्णय के प्रति दृढ़ रहते हैं तो अधिकता इसी बात की होगी कि हम उस बुरी आदत को छोड़ देंगे।

6. हमें खुद को इस बुरी आदत को छोड़ने के लिए चुनौती देना चाहिए क्योंकि यदि किसी व्यक्ति को चुनौती दी जाती है तो वह उसे पूरा करने में अपनी पूरी मेहनत लगा देता है।

7. अच्छे लोगों की संगति करनी चाहिए क्योंकि कहते हैं ना जैसी संगति वैसी रंगत अर्थात यदि हम अच्छे लोगों की संगति करेंगे तो हमें भी अच्छी आदतों का विकास होगा और बुरी आदतों को छोड़ने में मदद मिलेगी।

8. बुरी आदतों की जगह में कुछ नई और अच्छी आदतों को विकसित करने की कोशिश करना। ऐसे हमारा ध्यान नई आदत की ओर अधिक जाएगा और हम बुरी आदत की तरफ कम ध्यान देंगे।

9. अच्छी व शांतिपूर्ण जगहों पर जाने से भी हमें सकारात्मकता का अनुभव होता है और शांति मिलती है जो हमारी इच्छा शक्ति को दृढ़ करने में मदद करती है और यह हमारी बुरी आदतों को त्यागने में मदद करती है।

10. हम जिस आदत को त्यागना चाहते हैं उस आदत के नकारात्मक पहलू पर ध्यान देना चाहिए इससे उस आदत के प्रति हमारे मन में नफरत पैदा होगी जो उसका त्याग करने में हमारी सहायता प्रदान करेगी।

11. जिस समय हम उस बुरी आदत को दोहराते हैं उस समय में हमे खुद को कहीं और व्यस्त करना चाहिए जैसे परिवार वालों या दोस्तों के साथ समय बिताना चाहिए इससे हमारा ध्यान उस ओर से हटे गा।

12. हमें आदत का क्या करने के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहना चाहिए । कभी भी हमें अपनी इच्छा शक्ति को कमजोर नहीं होने देना चाहिए तभी हम अपनी इस बुरी आदत का पूरी तरह से त्याग कर सकते हैं।

बुरी आदत को अच्छी आदत मे कैसे परिवर्तित करें

किसी भी बुरी आदत को अच्छी आदत में परिवर्तित करने के लिए हमें सर्वप्रथम उन कारणों का पता लगाना होगा जिन कारणों की वजह से हम इन बुरी आदतों को परिवर्तित करना चाहते हैं। हमें उन कारणों की एक सूची बनानी चाहिए और उसे प्रतिदिन देखना चाहिए ताकि हमें यह एहसास हो सके कि हम कितनी बुरी आदत को अपने साथ विकसित कर रहे हैं और हमें इसे बदलना चाहिए।

इसके उपरांत हमें यह सोचना चाहिए कि हम इस बुरी आदत के स्थान पर किस आदत को विकसित कर सकते हैं जैसे-खेलना, घूमना, पढ़ना या संगीत सुनना आदि। इसके बाद हमें धीरे-धीरे नई आदत को प्रयोग में लाना प्रारंभ करना चाहिए और प्रतिदिन उसका अभ्यास करना चाहिए जब तक की आदत परिपक्व और स्वचालित न हो जाए। एक बार जब बुरी आदत पूरी तरह से नष्ट हो जाए और हम नई आदत को पूरी तरह से ग्रहण कर ले तब तक हमें उस नई आदत का निरंतर अभ्यास करना चाहिए। नई आदत के परिपक्व होने के बाद भी कुछ दिनों तक समय उसका अभ्यास करना चाहिए जिससे कि हमारा ध्यान कहीं और ना जाए।

एक बार यदि हम निश्चय कर ले कि हमें बुरी आदत छोड़ कर नहीं आदत बनाना चाहिए तो हम अवश्य कर सकते हैं क्योंकि ऐसा कोई कार्य नहीं है जो हमारे लिए असंभव हो बस आवश्यकता है तो प्रयास और निरंतरता की।

निष्कर्ष

आदतें मनुष्य का दूसरा व्यवहार होती हैं। आदतें अगर अच्छी हो तो व्यक्ति को नीच से सर्वश्रेष्ठ बना सकती हैं और यदि आदतें बुरी हो तो सर्वश्रेष्ठ बुद्धिमान व्यक्ति को भी नीच बना सकती है।

बुरी आदतों का या अच्छी आदतों का विकास अधिकतर संगति का असर होता है। यदि हम अच्छे लोगों से संगति करते हैं व अच्छे माहौल में रहते हैं तो हमारे अंदर भी अच्छी आदतों का विकास होता है जो हमें सर्वश्रेष्ठ बना सकता है वहीं यदि हम बुरे व्यक्ति की संगति करते हैं या बुरे माहौल में रहते हैं तो हमारे अंदर भी बुरी आदतों का विकास होगा जो हमें नीच बना देगा।

बुरी आदतों को छोड़ना इतना भी मुश्किल नहीं है यदि हम चाहें तो कुछ भी कर सकते हैं बस आवश्यकता है तो शुरुआत करने की। जैसे यदि किसी पत्थर पर भी रस्सी बार-बार आती जाती है तो पत्थर पर भी निशान पड़ जाता है उसी प्रकार यदि हम प्रयास करें तो कुछ भी कर सकते हैं चाहे वह बुरी आदतों को छोड़ना हो या किसी अच्छी आदत को ग्रहण करना।


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