आप दूसरों को क्या सिखाना चाहते हैं

आप दूसरों को क्या सिखाना चाहते हैं

  

वैसे तो इस संसार में कोई ना कोई चीज हमें कुछ ना कुछ तो सिखाती ही है| बस यह तो सीखने वाले पर निर्भर है कि वह उससे क्या शिक्षा ले रहा है |हर किसी के जीवन में अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण है। बच्चो से लेकर बड़ो तक सभी की जिंदगी में इसका महत्त्व होता है,और सभी को इसका पालन करना चाहिए |बिना अनुशासन के कोई भी इंसान खुशहाल जीवन नहीं जी सकता है|आज के आधुनिक समय में अनुशासन बहुत ही आवश्यक है| क्योंकि इस व्यस्तता भरे समय में यदि हम अनुशासित दिनचर्या का पालन ना करें तो हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो जायेगा।

अनुशासन का अर्थ :- अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है- अनु और शासन। अनु का अर्थ है पालन और शासन का मतलब नियम। हमारे जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व है| यह हमें नियमों का पालन करना सिखाता है।अनुशासन हमारी सफलता की सीढ़ी है, जिसके सहारे हम कोई भी मंजिल हासिल कर सकते है।

अनुशासन का महत्व :- अनुशासन में रहने के बहुत अधिक फायदे होते है ,व्यक्ति विश्वासपात्र होता है, व्यावहारिक होता है, कर्मठ होता है, और सभी कार्यो को आसानी से करने योग्य होता है| हिन्दू धर्म ग्रंथो में भी अनुशासन का महत्व बताया गया है, भगवान राम का जीवन अनुशासन से भरा है, उनके जीवन से मर्यादा के साथ-साथ अनुशासित संस्कारो की छटा देखने को मिलती है| भारत का प्राचीन इतिहास इस बात का साक्षी है की अनुशासन के पथ पर चलने के फलस्वरुप ही भारत ने विश्व में यश तथा गौरव प्राप्त किया था| जीवन में अनुशासन ही एक ऐसा मार्ग है जो हमें जीवन में ऊंचाईयों पर ले जाता है और सफलता दिलाता है|

दैनिक जीवन में अनुशासन :- हर मानव के जीवन में कुछ नियम कुछ कायदे होना ही चाहिए | जिसका पालन कर वह अपने सपनो को पूरा कर सके, अनुशासन वह कार्य है, जो हम सही समय पर सही तरीके से करते है| नियमो से बंधा हुआ जीवन सफल और आदर्श माना गया है | इसलिए नियमो का पालन पूरी तरह से करना ही अनुशासन है| अनुशासन का पालन करना सफलता की कुंजी है, जिस तरह सैनिक देश की रक्षा करते है कर्मचारी अपने उत्तरदायित्व का भली प्रकार निर्वाह करते है | इस प्रकार, जीवन के हर-क्षेत्र में अनुशासन ध्रुव तारे के सामान है|

छात्र जीवन में अनुशासन का महत्व :- बच्चो को बचपन से लड़ प्यार से पाला जाता है| सभी माता-पिता अपने बच्चो को प्रेम करते है, उनके भले की कामना करते है और उन्हें संस्कार की छाँव में बड़ा करते है| बच्चो को प्रेम के साथ-साथ अनुशासन की शिक्षा देना जरुरी होता है| प्यार और अनुशासन की छांव में बच्चे बड़े होकर अपने बड़ो और अपने माता-पिता को अधिक इज्जत देते है| जरुरी है की बच्चो को उनकी बलकावस्था से ही अनुशासन का पालन करने का संस्कार दिया जाए | क्युकि बच्चो की प्रारंभिक शिक्षा घर से ही आरम्भ होती है |उनके प्रारंभिक गुरु उनके माता-पिता ही होते है| हमें कभी भी अपने माता-पिता की बातों का निरादर, नकारना या उन्हें दुखी नहीं करना चाहिये| हमें अपने शिक्षक, अभिभावक और बड़ों की बातों को मानना चाहिये। हमें उनके अनुभवों के बारे में उनसे सुनना चाहिये और उनकी सफलता और असफलता से सीखना चाहिये। जब भी हम किसी चीज को गहराई से देखना और समझना शुरु करते हैं,तो ये हमें जीवन की महत्वपूर्ण सीख दे जाती है।

अनुशासित रहने के तरीके :- अपने जीवन को अनुशासित बनाए रखने के लिए हमें हर सम्भव प्रयास करना चाहिए। क्योंकि अनुशासन ही सफल जीवन की पहली सीड़ी मानी जाती है।

हम अपने जीवन में अनुशासन को अपनाने के लिए निम्नलिखित तरीकों का पालन कर सकते हैं -

  • नियमित दिनचर्या का पालन करना चाहिए |
  • कार्यो को पूर्ण करने का हर संभव प्रयास करना चाहिए |
  • व्यर्थ में समय नहीं गवाना चाहिए और बुरी आदतों से दूर रहना चाहिए |
  • अपने कार्यों के प्रति पूरी लगन रखना चाहिए |

हमें अनुशासन की आवश्यकता क्यों :- अनुशासन हमें अव्यवस्था से मुक्ति दिलाता है और व्यवस्था प्रदान करता है | कहा जाता है कि छोटा बच्चा कच्ची मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा आकार दिया जाए वह वैसा ही बन जाता है। अतः आवश्यक है कि बचपन से ही बच्चों को अनुशासन का महत्त्व बताया जाए और उसका पालन करने के लिए प्रेरित किया जाए। छात्र जीवन में शिक्षक का अनुगमन अर्थात शिक्षक और माता-पिता की आज्ञा का पालन करना ही अनुशासन होता है| हमारे जीवन के कई पड़ावों पर बहुत से रास्तों पर हमें अनुशासन की जरुरत पड़ती है | इसलिए अनुशासन के बिना जीवन निष्क्रिय और बेकार हो जाता है|


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