Pallavi Thakur
657 अंक
Motivator

अपने मन के भावों को काग़ज़ पर उकेर कर संजो लीजिए!

नमस्कार! मैं आकाशवाणी की युवा कलाकार हूँ। लेखन एवं हिंदी भाषा में मेरा अत्यधिक रुझान है। इस रुचि को एक ब्लॉगर के रूप में साकार करने के की कोशिश है।

युवाओं को सफल होने से क्या रोक रहा है

नमस्कार मित्रों ! आज का लेख हमारे युवा मित्रों के लिए बहुत खास होने वाला है। युवावस्था की बात आते ही मन में जोश, उत्साह व कुछ नया कर दिखाने के विचार भर जाते हैं। यह उम्र ही ऐसी है जब व्यक्ति कुछ करने के लिए प्रेरित रहता है।

युवावस्था के बारे में बात करें, तो यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि यह चरण जीवन का सबसे सुंदर और सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है जहां व्यक्ति के आगे की जीवन की पूर्ण रूप रेखा निश्चित होती है। उसका चरित्र, उसकी पहचान, उसका पेशा, इज्जत, इत्यादि सब कुछ इसी युवावस्था मैं निश्चित होते हैं। यह उम्र ऐसी है जहां व्यक्ति चाहे तो अपने आप को किसी भी सांचे में ढाल सकता है। इसलिए कहा जाता है कि यह चरण बहुत नाजुक होता है। यह उम्र नई चीजों एवं नए क्षेत्रों में कदम रखने की होती है जहां जितने आसार बेहतर बनने के होते हैं, उतने ही बिगड़ने की भी।

ऐसे में उन युवाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जो बहुत सारे कारकों की वजह से अपने लक्ष्य से भटकते जा रहे हैं। यह कारक केवल पढ़ाई में मन ना लगना या फिर आलस्य नहीं है, बल्कि कई अन्य ऐसे कारण हैं जो युवाओं को उनके असली मकसद से भटका रहे हैं। इन्हें विकर्षण कहते हैं।

आज की चर्चा उन्हीं कारकों पर है जहाँ हम जानेंगे कि युवाओं के विकर्षण के क्या कारण हैं। यही नहीं, इसके साथ हम यह भी जानेंगे कि किस तरह युवा इनसे अपना ध्यान हटा कर खुद को लक्ष्य की ओर केंद्रित कर सकते हैं, जिससे कि युवावस्था का यह महत्वपूर्ण चरण सार्थक हो और जीवन में सफलता प्राप्त हो।

तो आइये जानें कि आखिर कार युवाओं को सफल होने से क्या रोक रहा है?

✴ दोस्तों का असीमित घेरा :

इस लेख को पढ़ रहे युवाओं से हमारा यह सवाल है कि आपके कितने मित्र हैं?

आप में से हमारे कई ऐसे पाठक होंगे जिन्हें गिनती करने में बहुत समय लग जाएगा। है न? क्योंकि आपके मित्रों का घेरा यानी कि फ्रेंड सर्कल बहुत बड़ा होगा। ज्यादातर युवाओं की यही स्थिति है। दोस्तों का होना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन आवश्यकता से अधिक कुछ भी हानिकारक साबित होता है।

किसी भी चीज़ में आपकी अति भागीदारी आपके विकर्षण का कारण बन सकते हैं। कुछ ऐसा ही मित्रता के साथ भी है, खासकर युवाओं की। जोश और उत्साह से भरे युवावस्था में दोस्ती के रिश्ते सबसे अधिक गहराते हैं। युवा नए लोगों से मिलने, उनसे संपर्क बनाने और दोस्त बनाने में बहुत दिलचस्पी रखते हैं।

कॉलेज में अनजान व्यक्ति भी तुरंत दोस्त बन जाता है। आपका दोस्त, दोस्त के दोस्त और उनके भी दोस्त, सभी आपस में मित्र बन जाते हैं। यही नहीं, आजकल मित्रता केवल परिवार, समाज स्कूल व कॉलेजों तक ही सीमित नहीं है। इंटरनेट के इस डिजिटल युग में कई ऐसे सोशल मीडिया के मंच है जहां लोग घर बैठे सात समंदर पार तक अपना संपर्क स्थापित कर सकते हैं।

ढेरों सोशल मीडिया मंच है जहां नये-नये लोगों से दोस्ती की जाती है। ऐसे में युवा, जो सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा एक्टिव रहते हैं उनकी हजारों की संख्या में मित्र होते हैं। उनमें से कई ऐसे होते हैं जिन्हें वे जानते तक नहीं है, फिर भी उनसे घंटों तक बातें करते रहते हैं। इस तरह दोस्ती का घेरा बहुत बड़ा होने लगता है और आपका संपर्क भी ढेर सारे लोगों से स्थापित हो जाता है।

अब संपर्क होगा तो बातें तो होंगी ही। और जितने दोस्त, उतनी बातें। इस बातचीत और मिलने - जुलने में काफी समय निकल जाता है। मित्रों, यह बात ठीक है कि दोस्त हमारे जीवन का अभिन्न और बहुत जरूरी हिस्सा हैं। लेकिन यदि दोस्तों की संख्या अधिक हो जाए तो यह विकर्षण को जन्म देते हैं।

कभी किसी का जन्मदिन, कभी पार्टियां तो कभी घंटों चलती बातें, इन सब में हमारा कीमती समय कैसे बीत जाता है पता भी नहीं चलता । ऐसे में उन्हें पढ़ाई करने का वक्त नहीं मिलता और इसका सीधा असर उनकी शिक्षा पर पड़ता है।

अब आप यह सोचेंगे कि यही तो उम्र है मस्ती मज़ाक की। तो दोस्तों, बेशक युवावस्था वह समय है जब हम मस्ती मजाक करना चाहते हैं, दोस्तों के संग वक्त बिताना चाहते हैं। लेकिन यही वह समय है जो आपके करियर के लिए निर्णायक साबित होगा। युवावस्था में की गई मेहनत और पढ़ाई ही आपकी आने वाली जिंदगी की रूपरेखा तय करेगी।

आप आज मेहनत करेंगे तब ही कल सफल हो पाएंगे। इसीलिए इस समय सबसे अधिक अपने करियर पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है। ऐसे में दोस्तों के लिए अपनी पढ़ाई से समझौता करना कभी अच्छा सौदा साबित नहीं होगा।

शुरुआत में भले ही आपको एहसास नहीं होगा, लेकिन एक बार समय के निकल जाने के बाद आपको पता चलेगा कि आपने अपना कीमती वक्त बर्बाद कर दिया और फिर आपके पास पछताने के अलावा और कुछ नहीं बचेगा। इसीलिए बहुत आवश्यक है कि हम अपने फ्रेंड सर्कल को सीमित रखें।

फ्रेंड सर्कल सीमित करने का तात्पर्य दोस्तों से पूरी तरह कट जाना नहीं है, बल्कि इसका तात्पर्य है मित्रों की संख्या को नियंत्रित रखना। तभी जाकर हम मित्रों और पढ़ाई के बीच संतुलन स्थापित कर पाएंगे जिससे हम मित्रता का भी आनंद ले पाएंगे और अपने करियर में भी बेहतरीन प्रदर्शन करने के योग्य बनेंगे।

संगति :

अभी हमने बात की फ्रेंड सर्कल को सीमित करने के बारे में। अब हम यह देखेंगे कि हमारे इस फ्रेंड सर्कल में जो लोग हैं, उनके व्यक्तित्व का हमारी सफलता पर क्या और कितना प्रभाव पड़ता है।

मित्रों, यदि हमारे दोस्त, अर्थात हमारी संगति अच्छी नहीं हुई तो वह हमारे विकर्षण का कारण बन सकते हैं और इसके साथ-साथ हमारे सभी अच्छे गुणों को नष्ट भी कर सकते हैं। संगति के महत्व को समझने के लिए आइए महा कवि रहीम द्वारा रचा गया यह दोहा पढ़ते हैं :

"कदली सीप भुजंग मुख स्वाति एक गुण तीन। जैसी संगति बैठिये तैसोई फल दीन।। "

अर्थात्, स्वाति नक्षत्र की बूंद आसमान से गिरकर कदली में मिलकर कीचड़ बन जाती है, सीपी में मिल कर मोती बन जाती है। वही पानी सांप के मूँह में जा कर विष बन जाता है। पानी की सभी बूंदे तो एक जैसी ही हैं, लेकिन अलग-अलग जगह गिरने से उनका स्वभाव अलग-अलग हो जाता है। अर्थात जैसी संगति होगी, वैसा ही गुण बन जाता है।

इस दोहे से आप संगति के प्रभाव को जरूर समझ गए होंगे। मित्रों, अच्छी संगति से ही गुण आते हैं और खराब संगति से ही अच्छे गुण भी चले जाते हैं। कई बार ऐसा होता है कि स्कूल के वक्त में मेधावी रहे छात्र भी असफल रह जाते हैं, वही कभी-कभी ऐसा भी होता है कि वह लोग जो स्कूल के समय पढ़ाई में कुछ खास अच्छे नहीं थे, वह आगे जाकर बहुत सफल हो जाते हैं।

ऐसा होने का एक बहुत बड़ा कारण संगति होती है। ऐसे बच्चे जो बहुत मेधावी होते हैं, कक्षा में टॉप करते हैं, वह भी बुरी संगत में पड़कर पूरी तरह से बिगड़ जाते हैं। कल तक जो छात्र किताबों में लगा रहता था, जो शिक्षक का चहेता था वह आज गलत संगति में पड़ कर पढ़ाई लिखाई भूल गया है और अपना सारा समय नष्ट कर रहा है।

ऐसे युवा स्वयं ही अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं । वह खुद बिगड़े हुए नहीं होते हैं लेकिन खराब लोगों की संगति के कारण वह दूसरों के दुर्गुणों को अपने अंदर समाविष्ट करते जाते हैं और अपने चरित्र को भूलते जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ यदि संगति अच्छी हो, तो एक बदमाश बच्चा भी मेधावी छात्रों के बीच रहकर कुछ समय बाद पढ़ाई की तरफ आकर्षित होने लग जाता है।

संगति में इतनी ताकत होती है कि वह आपके चरित्र को पूरी तरह से बदल कर रख सकती है। इसीलिए बहुत जरूरी है कि आप इस बात का गहराई से अवलोकन करें कि आपकी संगति कैसी है।

यदि आप ऐसे लोगों के बीच रहते हैं जो इधर-उधर समय नष्ट करते रहते हैं, जिन्हें अपने करियर की कोई चिंता नहीं है और जो आपको अपने जीवन में कुछ अच्छा करने की प्रेरणा नहीं देते हैं, तो तुरंत सावधान हो जाएं।

यह संगति आपकी सफलता में बहुत बड़ा रोड़ा बन सकती है। उन लोगों से तुरंत दूरी बना ले जो आप पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। इसके बजाय ऐसे लोगों से मित्रता कीजिए जो खुद भी सदैव कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित रहते हैं और साथ ही आपको भी प्रेरित करते हैं।

यदि आप स्कूल या कॉलेज में पढ़ रहे हैं तो उन छात्रों के साथ समय व्यतीत करें जो जिनका ध्यान पढ़ाई और कैरियर पर है। ऐसे दोस्तों के बीच रहने से आप भी पढ़ाई करने के लिए प्रेरित होंगे और आपको सदैव मार्गदर्शन मिलता रहेगा। इस बात को कभी ना भूले की संगति से आपका चरित्र बेहतर बनना चाहिए। इसीलिए सदैव स्वयं से श्रेष्ठ लोगों से मित्रता करनी चाहिए।

✴ बढ़ती डिजिटल पहुंच :

मित्रों, इस लेख में हमने सोशल मीडिया के मंचों के बारे में बात की थी जहां युवा कई सारे मित्र बना कर घंटो तक अपना समय नष्ट करते रहते हैं। अब हम चाहते हैं कि आप कुछ प्रश्नों का उत्तर दें। आप दिन के कितने घंटे मोबाइल, कंप्यूटर और लैपटॉप पर बिताते हैं ?

क्या आप भी दिन भर चैटिंग करना पसंद करते हैं? क्या आप भी उन लोगों में से हैं जो एक पल भी अपने मोबाइल से दूरी बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं?

ज्यादातर युवाओं का जवाब "हां" में होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं आपकी यह आदत आपके लिए कितनी नुकसानदेह साबित हो सकती है?

हर वक्त आपके हाथ में रहता आपका मोबाइल फोन आपके विकर्षन का सबसे बड़ा कारण है। मोबाइल, कंप्यूटर और लैपटॉप जैसे उपकरणों ने हमारी सुविधाओं को तो बहुत बढ़ा दिया है, लेकिन यह मुश्किल का सबब बनते जा रहे हैं।

खासकर उन युवाओं के लिए जो नहीं जानते कि इन सभी उपकरणों का असीमित इस्तेमाल सिर्फ हमारे समय को नष्ट करता है। यह बात बिल्कुल सच है कि काम की चीजों से ज्यादा युवा फालतू की चीजों में मोबाइल पर अपना समय नष्ट करते हैं।

मोबाइल का बुद्धिमानीपूर्वक इस्तेमाल करने से यह हमारे लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है लेकिन वहीं यदि इसका दुरुपयोग करना शुरू कर दिया जाए तो यह हमें पूरी तरह से बर्बाद कर सकता है।

सोशल मीडिया पर घंटों बिताना, बिना काम के वीडियो को लगातार देखते रहना और मोबाइल पर आती बार-बार नोटिफिकेशन, यह सब हमारे ध्यान को इस कदर भटकाती है कि पढ़ाई में मन लगा पाना फिर बहुत मुश्किल हो जाता है

हममें से कई लोग मोबाइल की इस गंदी आदत से पूरी तरह ग्रस्त हैं लेकिन फिर भी कुछ नहीं कर पा रहे जैसे कि किसी जाल में उलझ गए हो। तो अब प्रश्न यह उठता है कि क्या किया जाए। तो मित्रों, आपको मोबाइल का इस्तेमाल बुद्धिमानी पूर्वक करना होगा। जितनी जरूरत हो उतना ही इस्तेमाल करें ।

फालतू की चीजों में अपना समय नष्ट न करें। आप कुछ और उपाय भी कर सकते हैं। अपने फोन का पासवर्ड इतना जटिल रखें कि हर बार उसे खोलने के लिए आपको बहुत मेहनत करनी पड़े, इससे आप बार-बार फोन लेने की आदत छोड़ पाएंगे।

साथ ही अपने फोन में बार-बार आ रही नोटिफिकेशंस को ऑफ करके रखें ताकि हर बार जब नई नोटिफिकेशन आए तब आपका ध्यान उस तरफ ना खींच जाए। इसके साथ ही दिन के कुछ ऐसे घंटे तय करें, जहां आप मोबाइल से पूरी तरह दूर रहेंगे। यह सभी उपाय आपको मोबाइल और इंटरनेट का दुरूपयोग करने से बचाएंगे। इस बचे हुए समय को आप अपनी पढ़ाई में लगाएं या उन चीजों को करने में लगाएं जो आपके करियर के लिए अच्छा साबित हो।

✴ एक साथ कई चीजें करना :

आज के इस मॉडर्न जमाने में हर कोई बहुमुखी प्रतिभा का धनी बनना चाहता है। हम कई चीजों में बेहतर होना चाहते हैं। इसलिए युवाओं की और उनके अभिभावकों की यह कोशिश रहती है कि बच्चा अधिक से अधिक कौशल सीखे। आजकल के जमाने में केवल पढ़ाई ही नहीं बल्कि व्यक्ति को कई सारे कौशल आने चाहिए।

इसीलिए पढ़ाई के अलावा लोग कई कौशल सीखना चाहते हैं। बेशक ऐसा करना अच्छा है। मल्टीटास्किंग और मल्टी टैलेंटेड होना हमारे लिए अच्छा साबित हो सकता है। लेकिन कई सारे कौशल सीखने की इस होड़ में कहीं ऐसा भी हो जाता है कि हम इतने सारे चीजों के बीच किसी को भी सही से समय नहीं दे पाते हैं।

मित्रों, हर नए कौशल को सीखने और उसे निखारने में वक्त देना पड़ता है। ऐसे में आजकल यह देखने को मिलता है कि बच्चे एक तरफ स्कूल भी जा रहे हैं और दूसरी तरफ उन्होंने डांस या गाने की क्लास ज्वाइन कर ली है। साथ ही वह कोई खेल भी खेल रहे होते हैं।

एक साथ इतनी सारी चीजें कर पाना मुश्किल हो जाता है, जिसके कारण न पढ़ाई पर सही तरह से ध्यान केंद्रित हो पाता है, न ही गाने पर और न ही खेलकूद पर क्योंकि हर एक कौशल समय मांगता है। यदि हम एक साथ कई सारी चीजों को करने की कोशिश करेंगे तो परिणाम होगा कि हम किसी भी चीज में बेहतरीन प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे।

इसीलिए अपना ध्यान एक समय में एक चीज पर ही केंद्रित करें। यदि आप पढ़ाई के अलावा कोई और कौशल सीखना चाहते हैं तो जरूर सीखें, लेकिन ध्यान रखें कि आप हर चीज को पर्याप्त समय दे रहे हो। सबके बीच संतुलन बनाना अति आवश्यक है। तभी जाकर आप अपने क्षेत्र में माहिर बन पाएंगे और उस क्षेत्र में अपना करियर बना पाएंगे।

सबसे अच्छा उपाय है अपनी रुचि को पहचानना। बस लोगों की देखा देखी कर कई सारी चीजें एक साथ सीखना कोई समझदारी नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण है कि आपकी रुचि किसमें है। निर्णय करें कि आप क्या करना चाहते हैं, वह कौन सा कौशल है, जो आपको सबसे ज्यादा रोमांचित करता है।

उसके बाद निर्णय ले कि आप किस दिशा में अपना करियर बनाना चाहते हैं। उसके बाद ही आप उस कौशल को सीखने के लिए कदम बढ़ाए और अपना ध्यान सिर्फ और सिर्फ उसी पर केंद्रित करें।

निष्कर्ष :

तो मित्रों, देखा आपने कि एक नहीं बल्कि कई ऐसी चीजें हैं जिसके कारण युवाओं का ध्यान भटक रहा है और वह सफलता का मार्ग भूलते जा रहे हैं। इनमें से कई ऐसे कारण हैं जिनका हमें आभास भी नहीं होता किंतु वह हमें पूरी तरह भ्रमित कर देते हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम इन सभी कारणों को पहचाने और इन्हें जड़ से खत्म करें, ताकि युवावस्था का यह अति महत्वपूर्ण समय हमारे हाथों से ना निकल जाए।

यदि आपने भी अपनी युवावस्था में इस प्रकार के अनुभव किए हैं तो हमारे साथ जरूर साझा करें। इसके साथ ही यदि इस पोस्ट से जुड़े आपके मन में कोई राय हो तो उन्हें भी हमारे साथ साझा करना ना भूले।

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सुबह का समय क्यों है मुल्यवान

सुबह मिलेगा समय चुराने का अवसर !

जी हां, बिल्कुल सही पढ़ा आपने !

समय चुराने का तात्पर्य किसी और के समय को चुराना नहीं है, बल्कि दिन के 24 घंटों में से उस समय का उपयोग करना है जिसे आप यूं ही गवा रहे हैं। यदि आपने बेकार हो रहे समय का इस प्रकार उपयोग कर लिया तो ऐसी स्थिति में आपके पास उस व्यक्ति की तुलना में अधिक समय होता है जो देर तक सोते रहता है।

यदि आप सुबह 8:00 बजे के स्थान पर 5:00 बजे ही उठ जाते हैं, तो सामान्य दिनों की तुलना में आपके पास उस दिन 3 घंटे अधिक होंगे। अब सोचिए कि इन तीन घंटों में आप कितने कार्यों को निपटा सकते हैं।

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➤ यदि आप किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो यह 3 घंटे आपके लिए अमूल्य होंगे। आप इस समय में अपनी पढ़ाई का बड़ा हिस्सा कवर कर सकते हैं।

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➤ कामकाजी लोग इन 3 घंटों में उन कामों को निपटा सकते हैं, जो दिन में व्यस्तता के कारण वह नहीं कर पाते।

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➤ यह अतिरिक्त समय उन लोगों के लिए कोहिनूर हीरे समान है जो पूरे दिन में अपने लिए कुछ खास वक्त नहीं निकाल पाते। इस समय को खुद को समर्पित कर के आप अपना मानसिक, भावनात्मक विकास कर सकते हैं।

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➤ यदि आप कोई नया कौशल सीखना चाहते हैं, और समय के अभाव के कारण ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो सुबह के यह कुछ घंटे आपके लिए अत्यंत उपयोगी हैं।

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➤ इसके साथ ही यदि आप योग व्यायाम आदि नहीं कर पाते हैं तो आप इस समय को ध्यान, योग - व्यायाम आदि के लिए निकाल सकते हैं।

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यदि आप दिन में कुछ अधिक समय की अपेक्षा करते हैं तो भला सुबह के समय से अच्छा और क्या हो सकता है।

सुबह उठने के स्वास्थ्य संबधी लाभ

मित्रों, जब कभी भी आप सुबह बहुत जल्दी उठते हो तो आपने महसूस किया होगा कि उस दिन आप पूरे दिन तरोताज़ा, चुस्त व सक्रिय महसूस करते हैं। वहीं दूसरी तरफ देर तक सोते रहने से बाकी के समय भी आप सुस्त महसूस करते हैं।

मित्रों, यदि आप स्वास्थ्य से जुड़ी किसी परेशानी का सामना कर रहे हैं, तो सुबह जल्दी उठना आपको अपनी बीमारी से छुटकारा पाने में बहुत मददगार साबित हो सकता है। इसके पीछे कारण यह है कि प्रकृति ने हमारे शरीर की संरचना इस प्रकार से की है, कि हमें रात को जल्दी सो जाना चाहिए और सुबह जल्दी उठना चाहिए।

यह नियम प्रकृति ने हमारे शरीर के लिए बनाया है, मानव शरीर के लिए रात सोने के लिए और सुबह जागने के लिए बनाई गयी है। यदि हम इसके अनुरूप कार्य करेंगे, तो हमारा शरीर स्वस्थ रहेगा लेकिन यदि हम इसके प्रतिकूल जाएंगे तो हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे।

आइये चलते-चलते जाने सुबह उठने के स्वास्थ्य संबंधी लाभों को :

✴ सुबह का समय व्यायाम करने के लिए बेहतरीन समय है। इस समय किया गया योग - व्यायाम और प्रणायाम सबसे अधिक फायदेमंद है।

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✴ सुबह की प्रदूषण मुक्त ताजी और ठंडी हवा श्वास संबंधी विकारों, जैसे अस्थमा इत्यादि में राहत पाने के लिए बेहद कारगर है।

✴ यदि बात शरीर को विटामिन डी उपलब्ध कराने की आती है तो सुबह की धूप से अच्छा विकल्प और नहीं है। सबह की धूप शरीर पर लगाने से शरीर को प्रचुर मात्रा में विटामिन डी प्राप्त होता है।

✴ सुबह का समय अवसाद, तनाव से ग्रसित लोगों के लिए वरदान से कम नहीं है। जो लोग मानसिक शांति चाहते हैं वह सुबह के समय सैर कर एवं प्रकृति के साथ समय बिता कर अपनी स्थिति में चमत्कारिक परिवर्तन देख सकते हैं।

प्रेरणादायक कहानी - लालच का परिणाम

मित्रों, आपने तेनालीराम की कई कहानियां सुनी होंगी। उनकी हाजिर-जवाबी और बुद्धिमता के किस्से घर-घर में मशहूर हैं। आज हम एक ऐसी ही कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो आपको गुदगुदाएगी भी, और एक महत्वपूर्ण सीख भी देगी।

विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय अति उदार स्वभाव के थे। वह अपनी प्रजा की हर आवश्यकता पूरी करते थे। राजा के इसी उदार स्वभाव के कारण विजयनगर के ब्राम्हण बड़े ही लालची हो गए थे। वह हमेशा किसी ना किसी बहाने से अपने राजा से धन वसूल किया करते थे। एक दिन राजा कृष्ण देव राय ने उनसे कहा - "मरते समय मेरी मां ने आम खाने की इच्छा व्यक्त की थी, जो उस समय पूरी नहीं की जा सकी थी। क्या अब ऐसा कुछ हो सकता है जिससे उनकी आत्मा को शांति मिले? " यह सुनते ही एक ब्राम्हण ने कहा- " यदि आप 108 ब्राह्मणों को सोने का एक-एक आम दान दें तो आपकी मां की आत्मा को शांति अवश्य ही मिल जाएगी। ब्राह्मणों को दिया दान मृत आत्मा तक अपने आप ही पहुंच जाता है।" सभी ब्राह्मणों में ने इस पर हां में हां मिलाई।

राजा कृष्णदेव राय ब्राह्मणों के इस प्रस्ताव से सहमत हुए। उन्होंने ब्राह्मणों को 108 सोने के आम दान कर दिए। इन आमों को पाकर ब्राह्मणों की तो मौज हो गई। जब तेनालीराम को इस घटना की सूचना मिली, तब ब्राह्मणों के इस लालच पर उन्हें बहुत क्रोध आया। उन्होंने इन लालची ब्राह्मणों को सबक सिखाने की ठान ली।

जब तेनालीराम की मां की मृत्यु हुई, तो 1 महीने बाद उन्होंने ब्राह्मणों को अपने घर आने का निमंत्रण दिया। उन्होंने कहा कि वह भी अपनी मां की आत्मा की शांति के लिए कुछ करना चाहते हैं । खाने-पीने और बढ़िया माल पानी के लालच में 108 ब्राह्मण तेनालीराम के घर पर जमा हुए।

क्रोध न करने के लिए प्रेरित करते सुवचन

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✴ जिस प्रकार रोग शरीर का छय करता है, उसी प्रकार क्रोध मनुष्य के पतन का कारण बनता है।

✴ क्रोध से मूढ़ता उत्पन्न होती है, मूढ़ता से स्मृति भ्रांत हो जाता है, स्मृति भ्रांत हो जाने से बुद्धि का नाश हो जाता है, और बुद्धि नष्ट होने से प्राणी स्वयं ही नष्ट हो जाता है।

✴ क्रोधी एवं अहंकारी व्यक्ति को दुनिया में कोई अधिक क्षति नहीं पहुंचा सकता, क्योंकि यह 2 गुण ही उसे बर्बाद करने के लिए पर्याप्त हैं।

✴ एक क्रोधी व्यक्ति में तीन गुण गौंण होते हैं - धैर्य, बुद्धि, एवं संवेदनशीलता। इन तीन गुणों के नाश के कारण उसकी सफलता, प्रतिष्ठा, एवं संबंधों का नाश हो जाता है।

✴ जब ज्ञान की वर्षा होती है, तब क्रोध की अग्नि धुआं बनकर उड़ जाती हैं। अतः ज्ञान अर्जित करें।

सफलता के लिए सुबह की पांच अच्छी आदतें

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क्या आपने गौर किया है कि जिस दिन आप बहुत सुबह उठ जाते हैं, उस दिन आप तरोताजा और अधिक ऊर्जावान महसूस करते हैं?

साथ ही सुबह के वातावरण में घूमने से एक अजीब सी ख़ुशी का एहसास होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सुबह का समय बहुत अद्भुत होता है। यदि आप जल्दी उठते हैं, तो अन्य दिनों के मुकाबले आपके पास दिन के कुछ घंटे और बढ़ जाते हैं, जिसे आप सफलता पाने के लिए निवेश कर सकते हैं।

जी हां दोस्तों ऐसा बहुत कुछ है जो सुबह के समय करने से आप लाभान्वित हो सकते हैं। इसी कड़ी में हम आपके लिए लेकर आए हैं सुबह की वह पांच आदतें जो सफलता पाने में आपकी मदद कर सकते हैं :

अत्यधिक सोचनें की आदत से कैसे छुटकारा पाएँ

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कई बार ऐसा होता है कि कुछ चीजों या घटनाओं को लेकर हम इतना अधिक चिंतन मनन करने लगते हैं, कि वह विचार हमें परेशान करने लग जाते हैं। कभी कभार ऐसा होना कोई बड़ी बात नहीं है, किंतु यदि आप हर छोटी-बड़ी घटनाओं पर देर तक सोचनें लगे, तो यह आपके लिए समस्या बन जाएगी।

कुछ लोग तो इस आदत से इस तरह प्रभावित होते हैं, कि छोटी से छोटी चीज़ करने से पहले अनावश्यक ही हजारों बार सोचते हैं, और कुछ कर देने के बाद भी उस पर घंटों तक विचार करते रह जाते हैं। इस तरह अति अधिक सोचने से न जाने कौन-कौन से विचार मन में आने लगते हैं, और व्यक्ति पूरी तरह व्याकुल हो जाता है। साथ ही, आपका आत्मविश्वास भी धीरे-धीरे कम होने लगता है, क्योंकि आप हर कार्य को लेकर संशय में रहने लग जाते हैं।

इस आदत को छोड़ देना ही बेहतर होगा। लेकिन लोग ऐसा नहीं कर पाते। वे अपने ही विचारों में उलझ कर रह जाते हैं। इसीलिए हम आपके लिए कुछ ऐसे बिंदु लेकर आए हैं, जिन पर गौर करने पर आप अपनी इस आदत से छुटकारा पा सकते हैं :

झगड़े से बचने के लिए सुझाव

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दोस्तों, कई बार ऐसा होता है कि क्रोध के आवेश में आकर हम लड़ाई - झगड़े में कूद पड़ते हैं, लेकिन जब शांत दिमाग से इस बारे में सोचते हैं, तब हमें अपने कृत्य का पछतावा होता है।

केवल यही नहीं दोस्तों, झगड़े के परिणाम हमेशा बुरे ही होते हैं। बाद में पछताने से अच्छा है कि हम यह स्थिति आने ही ना दें। अक्सर ऐसी स्थितियों में हम समझ नहीं पाते की क्या उचित है, इसीलिए अंततः हम झगड़े में कूद पड़ते हैं। लेकिन आपको कोशिश करनी चाहिए कि जितना हो सके आप झगड़े को टाल सके, क्योंकि यह किसी के लिए भी अच्छी नहीं है।

हल्दी और सौंठ की प्रेरणादायक कहानी

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दोस्तों आज हम आपको एक बहुत ही रोचक कहानी सुनाने वाले हैं। यह कहानी है दो बहनों, हल्दी और सोंठ की। हल्दी स्वभाव से परोपकारी और दयालु थी लेकिन सौंठ घमंडी और स्वार्थी स्वभाव की थी। वह हमेशा अपनी बड़ी बहन हल्दी पर हुक्म जमाया करती थी। दिन यूं ही बीते रहे।

1 दिन दोनों बहनों के घर उनकी बूढ़ी नानी का संदेशा आया। बूढ़ी नानी ने अपनी मदद के लिए एक बहन को बुलाया था। संदेशा पढ़ते ही सौंठ समझ गई कि वहां जाकर उसे ढेरों काम करने पड़ेंगे, इसीलिए उसने तुरंत ही बहाना बनाकर जाने से मना कर दिया। जब हल्दी ने संदेश पढ़ा, वह तुरंत वहां जाकर उनकी सेवा करना चाहती थी। इसीलिए माता पिता की आज्ञा लेकर वहां अपनी नानी के घर के लिए निकल पड़ी।

रास्ते में उससे एक गाय दिखाई दी । हल्दी को देखकर उस गाय ने मदद के लिए उसे पुकारा। हल्दी तुरंत वहां गई और उसने गाय से पूछा कि उसे क्या कष्ट है। इस पर गाय ने कहा कि उसके आस पास बहुत सारा गोबर इकट्ठा हो गया है। तो क्या हल्दी इससे साफ कर देगी। हल्दी अपने परोपकारी स्वभाव के कारण तुरंत गाय की मदद के लिए मान गई और सारा गोबर साफ कर दिया। गाय बहुत प्रसन्न हुई । अब हल्दी ने गाय से विदा ली और आगे चल पड़ी। फिर उसे एक बेर का पेड़ दिखा जिसके आस पास बहुत से पत्ते बिखरे पड़े थे। हल्दी को वहां से गुजरता देख बेर ने भी उस से मदद मांगी, हल्दी ने उसके सभी बिखरे पत्तों को साफ कर दिया और बेर अति प्रसन्न हुआ। फिर कुछ दूर आगे बढ़कर उससे एक पर्वत दिखा जिसके आसपास कई ईट पत्थर थे। हल्दी ने पूरे मन से सभी ईंटों को साफ कर दिया और फिर नानी के घर की ओर चल पड़ी।

कमज़ोर आर्थिक स्थिति का सामना कैसे करें

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जीवन में कभी न कभी हम सबको आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, ऐसे में इनसे घबराने की ज़रूरत नहीं है। कमज़ोर आर्थिक स्तिथि से निपटने के लिए आपको बहुत धैर्य एवं सकारात्मकता के साथ कदम बढ़ाने होंगे। हालातों से हार मान लेने से काम नहीं चलेगा। आपको इनसे उबरने के लिए अपने हौसले को बनाये रखना होगा। दोस्तों, भूले नहीं कि रात के बाद दिन ज़रूर आता है, इसी तरह दुःख के बाद सुख आना भी निश्चित है। तो आइये जानते हैं, कमज़ोर आर्थिक स्थिति से आप किस तरह निपट सकते है :

✴ आवश्यकताओं को सीमित करें

जब आर्थिक स्थिति कमजोर हो, तब आपको पैसे बचाने पर ज्यादा जोर देना चाहिए। आर्थिक हालत चरमरा जाने पर आवश्यकताएं तो उतनी ही रहती हैं, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए पूंजी कम पड़ जाती है। ऐसे में सभी पैसे खर्च कर देना बुद्धिमानी नहीं होगी । अपनी जरूरतों को कम करें, पैसे केवल वहीं लगाएं जहां बहुत जरूरी है। जिसके बिना काम चलाया जा सकता है, उसमें पैसे खर्च ना करें ।

✴ केवल सोंचे नहीं, करें भी

हमारे पास पैसे नहीं है, अब क्या होगा क्या? क्या करना चाहिए? ऐसे सवाल मन में आने स्वभाविक हैं, लेकिन केवल इन पर सोचतें रहने से कुछ बदलने वाला नहीं है।आपको उस दिशा में काम करना होगा। अपनी माली हालत को वापस पटरी पर लाने के लिए आपको मेहनत करनी होगी, या फिर यह कहे कि दोगुना परिश्रम करना होगा। ऐसे में आलस्य का पूर्णतः त्याग कर दें । याद रखें कि आप आज काम करेंगे, तभी कल बेहतर होगा। फिर कभी आप ऐसी स्थिति में ना पहुंचें, इसके लिए कठोर परिश्रम कीजिए और सफल बनिए।

खेल में बेहतर प्रदर्शन कैसे करें

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पेश है खेलकूद में अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के उपाय:

☸ सही पोषण

खेलकूद में शारीरिक श्रम होता है। आप खेल के मैदान में अधिक देर तक टिके रहें, इसके लिए आपके शरीर में पर्याप्त ऊर्जा होनी चाहिए। यह ऊर्जा वसा एवं कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन से प्राप्त होती है। यदि आप स्वस्थ नहीं होंगे, तो खेल में बेहतर प्रदर्शन करना संभव नहीं है। इसीलिए आपको अपने खान-पान पर खास ध्यान देने की जरूरत है। खाने में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों जैसे दूध, अंडे, पनीर, अंकुरित बीज इत्यादि शामिल करें। पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें ताकि आपका शारीरिक विकास सही ढंग से हो, और खेल में अधिक ऊर्जा की खपत को आप पूरा कर पाए।

☸ अभ्यास एवं प्रशिक्षण

हीरा जितना घिसा जाता है, उसकी चमक उतनी ही बढ़ती जाती है। ठीक उसी प्रकार आप जितना अभ्यास करेंगे, उतना ही अपने खेल में अच्छे होते जाएंगे । केवल 1 दिन खेल लेने से आप बेहतर खिलाड़ी नहीं बन सकते। आपको निरंतर खेल के कौशल को निखारने की जरूरत है। खेल के मैदान में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए आपको कड़ी मेहनत और अभ्यास करना होगा। जिन जगहों पर आप कमजोर हैं, अभ्यास करके उसे अच्छा करें। रोज कुछ घंटे अभ्यास के लिए निकालें। साथ ही एक अच्छे शिक्षक से बकायदा प्रशिक्षण प्राप्त करें, ताकि आपको अपने खेल के सभी नियम, सभी बारीकियाँ समझ में आए और आपके अभ्यास को सही दिशा मिले।

☸ अनुशासन

खिलाड़ी का अनुशासित होना अत्यावश्यक है। बिना अनुशासित जीवन शैली के आप बेहतर खिलाड़ी नहीं बन सकते। अनुशासन आपको हर चीज में स्थापित करना होगा। कड़ी दिनचर्या का पालन करें, अभ्यास प्रतिदिन एवं समय पर करें, 1 दिन भी अभ्यास छूटने नहीं पाए, समय के पाबंद बनें, आज का काम खत्म करें, भोजन में अनुशासन रखें। तभी जाकर आप अपने खेल में बेहतरीन प्रदर्शन कर पाएंगे ।

विषाक्त सकारात्मकता के लक्षण

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दोस्तों, हम यह तो जानते हैं कि सकारात्मकता जब आवश्यकता से अधिक हो जाए, तब वह विषाक्त सकारात्मकता का रूप ले लेती है, जो कि हानिकारक है। हम कब इसके शिकार हो जाते हैं, पता भी नहीं चल पाता। यही नहीं, हमारे आसपास लोग इस से ग्रसित हैं, यह पहचानना भी मुश्किल है। ऐसी स्थिति में यह जरूरी हो जाता है कि हम विषाक्त सकारात्मकता की उपस्थिति को पहचानें, और उसे खत्म करें । आइये जानते हैं विषाक्त सकारात्मकता के लक्षण :

☸ यदि किसी समस्या के आ जाने पर आप उसका सामना नहीं कर पाते, और समस्या से भागने लगते हैं, लेकिन साथ ही आप खुद को और दूसरों को यह दिखाने की कोशिश करते हैं आप बिल्कुल सकारात्मक हैं, पूरी तरह से ठीक हैं, तो यह विषाक्त सकारात्मकता का लक्षण है। इसीलिए अवलोकन करें कि कोई समस्या आपको अंदर ही अंदर बहुत ज्यादा परेशान तो नहीं कर रही। यदि आप ऐसी स्थिति में भी केवल दिखावे के लिए सकारात्मक रहने की कोशिश कर रहे हैं, तो इसे तुरंत बदलें।

☸ यदि कोई व्यक्ति अधि तनावपूर्ण बातें नहीं सुन पाता, और हमेशा उनसे भागने की कोशिश करता रहता है, तो यह भी विषाक्त सकारात्मकता का ही 1 लक्षण है। ऐसे लोगों में यह डर होता है कि नकारात्मक बात सुनने से उनकी सकारात्मकता पर प्रभाव पड़ेगा, इसीलिए सबसे अच्छी बातें कहने को कहते हैं, और यदि कोई अपनी समस्या लेकर आए, तो वह उससे मुंह मोड़ लेते हैं।

☸ यदि कोई व्यक्ति बहुत ही बुरी परिस्थितियों में, जहां समस्या की गंभीरता पर बात करनी चाहिए, वहां भी "सब अच्छा है" ऐसा कहता रहता है, तो वह भी विषाक्त सकारात्मकता से ग्रसित है। ऐसा व्यक्ति सकारात्मकता से समस्या को हल करने पर जोर नहीं देता, बल्कि सकारात्मकता के नाम पर उस समस्या को दबाने की कोशिश करता रहता है।

बच्चों के विकास के लिए खेलकूद का महत्व

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माता-पिता चाहते हैं कि बच्चे अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगाएं। बच्चे ज्यादा से ज्यादा समय पढ़ाई पर लगाएं, इसलिए माता-पिता अक्सर उनके खेल के समय में कटौती कर देते हैं । कई माता-पिता तो खेलकूद को केवल समय की बर्बादी मात्र मानते हैं। पढ़ाई के लिए बच्चों को प्रेरित करना अच्छी बात है, पर उन्हें खेलकूद से दूर रखना आपकी भूल साबित हो सकती है।

कैसे?

इसका जवाब आपको नीचे लिखे बिंदुओं में मिलेगा। इस लेख में हम बच्चों के जीवन में खेलकूद के महत्व के बारे में बात कर रहे हैं। इन बिंदुओं पर गौर करने के बाद आप की सोच जरूर बदल जाएगी, और आप स्वयं बच्चों को खेल के लिए प्रेरित करेंगे :

शारीरिक मजबूती

खेल बच्चों को मजबूत बनाते हैं। इससे उनकी शारीरिक श्रम करने की क्षमता बढ़ती है, एवं वह अधिक सक्रिय रहते हैं। श्रम करने की आदत आगे जाकर उनके लिए फायदेमंद साबित होगी, जिससे किसी भी काम को करने में शारीरिक कमजोरी उनके लिए बाधा नहीं बनेगी। खेल के दौरान गिरना एवं चोट लगना उनके दर्द सहने की क्षमता को बढ़ाता है, उन्हें अधिक सहनशील बनाता है।

मानसिक विकास

भविष्य में जीवन के संघर्षों के सामने टिक पाने के लिए आवश्यक है कि बच्चे मानसिक रूप से भी मजबूत हो। खेल की रणनीति पर चिंतन - मनन बच्चों में बच्चे मानसिक श्रम करते हैं। खेल से मिली हार उन्हें चुनौतियों का सामना करने, एवं हार स्वीकार करने के लिए मानसिक रूप से तैयार करती है।

अच्छा कैसे लिखें - लेखन कौशल निखारने के सर्वश्रेष्ठ सुझाव

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कभी नया लिखना होता है तो हम 10 बार सोचते हैं, क्या लिखें? कैसे लिखें? शुरू कैसे करें?

कभी-कभी आपके मन में किसी घटना के बारे में लिखने का विचार आता होगा। आप सहमत होंगे कि बोलना जितना आसान है, लिखना उतना नहीं क्योंकि लिखने का प्रभाव बोलने से अधिक स्थाई और प्रभावी होता है, परंतु शर्त यह है कि हमें प्रभावी ढंग से लिखना आए। जी हाँ, क्योंकि लेखन एक कौशल है। इस लेख में हम यही जानेंगे कि प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जा सकता है:

विचारों की अभिव्यक्ति और भाषा

लिखित अभिव्यक्ति में हमें चाहिए कि विचारों को क्रमबद्ध करके अपने भावों के अनुकूल भाषा का प्रयोग करें । स्वाभाविक और स्पष्ट लिखने का प्रयास करें। स्वच्छता, सुंदरता और सुडौल अक्षर का निर्माण, चौथाई छोड़कर लिखना, अक्षर, शब्द और वाक्य से वाक्य के बीच की दूरी को ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। अर्थात्, लेखन सुंदर और शब्दों की वर्तनी शुद्ध हो। वाक्य की बनावट भी ठीक होनी चाहिए। साथ ही उसमें व्याकरण संबंधी कोई त्रुटि ना हो। जो आप कहना चाहते हैं, वही अर्थ निकले और वही दूसरों तक पहुंचे।

अपने अंदर की झिझक को कैसे मिटाएं

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दोस्तों, झिझक या शर्म हम सबों में होती है। किसी में अधिक, तो किसी में कम, लेकिन सब लोग कभी न कभी किसी न किसी स्थिति में शर्माते हैं। किंतु कुछ व्यक्ति तो ज्यादा लोगों के सामने कुछ बोल ही नहीं पाते।

यह झिझक चिंता का कारण तब बनती है, जब यह आपके विकास में बाधा बन जाती है। तब, जब झिझक के कारण आपकी हानि होने लगे, पढ़ाई या नौकरी में आपका प्रदर्शन खराब होने लगे, या रोजमर्रा के कामों में भी परेशानी खड़ी हो जाए, तब आपको सजग हो जाने की आवश्यकता है। इसे इतना न बढ़ने दें कि आप कुछ भी करना चाहें तो शर्म के कारण पीछे हट जाए।

स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब यह शर्म बीमारी का रूप ले लेती है, जिसे ऐरिथ्रोफोबिया कहते हैं। इस अवस्था में व्यक्ति बात-बात पर शर्म आने लग जाता है। तो अपनी शर्म को खत्म करें, ताकि आप हर क्षेत्र में शत-प्रतिशत प्रदर्शन कर पाएं।

आत्मविश्वास को बल दे :

झिझक का मुख्य कारण है खुद पर विश्वास की कमी। हम हमेशा खुद को कम करके आंकते हैं । हमें लगता है कि हम में कुछ भी अच्छा नहीं है, और सामने वाले हम पर हसेंगे। पर यह केवल आपकी सोच है। सच्चाई ऐसी नहीं है। खुद पर विश्वास रखें और हीन भावना मन में ना आने दे। अपनी कमजोरियों को भी आत्मविश्वास के साथ स्वीकार करें, और अपनी क्षमताओं पर भी भरोसा रखें। यह मानें कि आप अपने आप में खास हैं।

लोगों को प्रभावित कैसे करें

हर कोई चाहता है कि वह अपनी अलग पहचान बनाए, लोगों के बीच पसंदीदा बने। जब भी हम किसी से मिलते हैं, तो किसी न किसी रूप में उन्हें प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। लोगों के ऊपर अपनी छाप छोड़ना एक कला है जो सबको नहीं आती। आप सोचते होंगे कि कैसे कुछ लोग भीड़ में इतने अलग दिखते हैं, जो कि सबके आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं।

मित्रों! कुछ लोगों में यह गुण पहले से होता है, उनका व्यक्तित्व ही ऐसा होता है, और कुछ लोग इसे अपने अंदर विकसित करते हैं। आप भी इस कला को सीख सकते हैं और लोगों पर अपना प्रभाव छोड़ सकते हैं। तो आइए जानते हैं कैसे आप खुद को भीर से अलग दिखा सकते हैं I

पहनावे पर ध्यान देना

लोगों की नजर में जो सबसे पहली चीज आती है, वह है आपकी वेशभूषा। अच्छे दिखने वाले व्यक्ति पर स्वतः ही लोगों का ध्यान केंद्रित हो जाता है। किंतु यहाँ अच्छे दिखने का तात्पर्य सुंदर दिखने से नहीं है।

खुद को साफ रखें, वह कपड़े पहने जिन्हें आप पूरे आत्मविश्वास के साथ वहन कर सकें, और जो आपके व्यक्तित्व को निखारे।

बेहतरीन संचार कौशल

अच्छे पहनावे से जितनी जल्दी लोगों का ध्यान आप पर केंद्रित होता है, खराब बातचीत के ढंग से उतनी ही जल्दी लोग आपसे मुंह मोड़ लेते हैं। लोगों को प्रभावित करने के लिए जरूरी है कि आपकी बातें उन्हें आपकी तरफ आकर्षित करें। इसके लिए संचार की बारीकियों पर ध्यान दें। शुद्ध एवं साफ भाषा का प्रयोग करें, आकर्षक शब्दों का प्रयोग करें, आवाज़ के उतार चढ़ाव पर ध्यान दें, शारीरिक हाव-भाव का ख्याल रखें, और बात करते समय आई कांटैक्ट बना कर रखें।

आलस्य पर विजय प्राप्त करें

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दिन भर सोते रहना कितना अच्छा लगता है ना !

हम उन दिनों की कल्पना करते हैं, जब हम सिर्फ आराम करें। न जाने कितने ही कामों को न करने की इच्छा के कारण हम बहाने बना लिया करते हैं। यह अनिच्छा ही आलस्य है, जिसे हमारे शास्त्रों में मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु कहा गया है। आइए इस श्लोक को पढ़ें :

अलसस्य कुतो विद्या, अविद्यस्य कुतो धनम्

आधनस्य कुतो मित्रम्, अमित्रस्य कुतो सुखम्

अर्थात आलस करने वाले को विद्या कहां? जिसके पास विद्या नहीं, उसके पास धन कहां? निर्धन व्यक्ति के पास मित्र कहां? और मित्र के बिना सुख कहां?

इसीलिए आप भी सावधान हो जाएं, और आलस करना छोड़ें।

उपाय :

अनुशासन में रहें और नियम बनाएं

आलस को खत्म करने के लिए आपको स्वयं को अनुशासित करना होगा। खुद के लिए कड़े नियम बनाएं, और उन नियमों को तोड़ने की इजाजत खुद को ना दें। मन के बहकावे में बहकने से खुद को रोकें, और मन ना होने पर भी किसी भी काम को नजरअंदाज ना करें।

नियम टूटने पर सजा के लिए तैयार रहें

खुद के बनाए नियम तोड़ना आसान है, क्योंकि आपको सजा देने वाला कोई नहीं होता। हम बड़ी आसानी से तय किए गए नियमों को नजरअंदाज कर देते हैं इसीलिए नियमों के साथ सजा भी तय करें। जब भी नियम टूटें, तो खुद को कड़ा दंड दें। इससे आपको ना चाहते हुए भी आलस को त्यागना ही होगा।

खुद को सक्रिय बनाएं

ऐसी क्रियाओं में स्वयं को संलग्न करें, जिनमें आपकी सक्रियता बढे। सुबह दौर लगाएं, शारीरिक कार्य करें, खेल खेले इत्यादि। इससे आपकी आलसी प्रवृत्ति बदलेगी और आप सक्रिय हो पाएंगे।

दृढ़ संकल्प

बिना दृढ़ संकल्प के आपके सारे प्रयास निरर्थक रह जाएंगे। इसीलिए मन में ठान लीजिए, कि आपको आलस छोड़ना है। साथ ही बीच-बीच में स्वयं को इस दिशा में बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करें।

स्वस्थ रहने के लिए खुद को प्रकृति से जोड़ें

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आजकल हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी रोग का शिकार है। पहले की तुलना में अब लोग ज्यादा बीमार पड़ने लगे हैं। यहां तक कि नवजात शिशु भी जन्म के साथ ही जॉन्डिस, निमोनिया जैसे रोगों से ग्रसित हो जाते हैं। यदि आज से कुछ दशक पहले की तस्वीर देखी जाए, तो लोग अधिक स्वस्थ हुआ करते थे, और कहीं अधिक लंबा जीवन जिया करते थे। स्वास्थ्य के स्तर में इतनी गिरावट का सबसे मुख्य कारण है बदलती जीवनशैली।

आधुनिक जीवनशैली उपकरणों से घिरी हुई है। हम प्रकृति से दिन-ब-दिन दूर होते जा रहे हैं।

घर में पेड़ पौधे नहीं, बल्कि मोबाइल फ्रिज जैसे ढेरों उपकरण हैं। सूर्य एवं चंद्रमा की रोशनी छोड़ हम बनावटी लाइटों के बीच रहते हैं, पैकेट बंद खाद्य पदार्थ हमारा भोजन हैं, कच्चे फल सब्जियों की जगह हम जंक फूड खाना पसंद करते हैं, व्यायाम की जगह स्थूल जीवन शैली के हम आदी हो गए हैं, यहां तक कि जिस हवा में हम सांस लेते हैं, और जिस जल को ग्रहण करते हैं, वह भी शुद्ध नहीं है। ऐसे में कैसे स्वास्थ्य की गुणवत्ता बनाई रखी जा सकती है?

अपने आसपास देखिए। प्रकृति है?

नहीं!

जिस प्रकृति का हम हिस्सा हैं, जिसने हमें बनाया है, उससे दूर होकर हम कैसे ठीक रह सकते हैं ? अपने शरीर की संरचना को समझिये। यह मशीनों के लिए नहीं बनी है। इसीलिए स्वस्थ रहना तब तक पूरी तरह संभव नहीं है, जब तक आप खुद को प्रकृति से नहीं जोड़ेंगे।

यह सच है कि आप पूरी तरह से आधुनिकता के इस मशीनी माहौल से नहीं बच सकते हैं, लेकिन अभी भी ऐसा बहुत कुछ है जो आप कर सकते हैं। आइए जानते हैं प्रकृति की गोद में फिर से लौटने के लिए आप क्या-क्या कर सकते हैं:

युवा पीढ़ी मोबाइल और सोशल मीडिया की लत से कैसे छुटकारा पा सकते हैं
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आज या आप में से कितने हैं जो फोन के बिना 1 मिनट भी नहीं रह पाते? और ऐसे कितने हैं जो बिना मतलब सोशल मीडिया के पोस्ट को स्क्रॉल करते रहते हैं?

आपने से अधिकांश लोग इनमें से किसी ना किसी आदत के आदी होंगे। आजकल हर दूसरा व्यक्ति इस आदत का शिकार है। सोते, जागते, खाते, पढ़ते, हर वक्त लोग सोशल मीडिया पर जमे रहते हैं, जहां घंटों कब बीत जाते हैं, पता भी नहीं चलता। कुछ खाया, या पिया इसकी भी सुध नहीं रहती। अब तो स्थिति ऐसी हो गई है कि लोग एक दूसरे से बात करने से ज्यादा फोन पर चैटिंग करना पसंद करते हैं।

ऐसा नहीं है कि इस स्थिति से हम अनभिज्ञ हैं, हम सभी सोशल मीडिया की आदत के बुरे प्रभावों से पूरी तरह वंचित हैं, लेकिन फिर भी कुछ नहीं कर पा रहें। मानो जैसे हम इस जाल में बुरी तरह से फंस गए हों। यह लत बिल्कुल नशे की लत की जैसी है, जो बुरी है यह तो हम जानते हैं, पर इसे छोड़ नहीं पा रहे। इस के चक्कर में पढ़ाई, कैरियर, परिवार, संबंध, सब पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

आखिर करें तो क्या करें ?

हम जानते हैं कि आप इस लत से परेशान हैं, लेकिन करना क्या है यह नहीं समझ पा रहे। तो घबराइए नहीं। कहते हैं ना, जहां चाह वहां राह !

यही राह दिखाने के लिए हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ बेहद सरल किंतु प्रभावी उपाय जो आपको इस लत को छोड़ने में मदद कर सकते हैं I
अधिक पढ़ने पर भी अच्छे अंक क्यों नहीं आते - उपाय

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आपके मन में यह प्रश्न जरूर आता होगा, कि कुछ बच्चे कम पढ़कर भी अच्छे अंक कैसे ले आते हैं?

जबकि कुछ बच्चे जी तोड़ मेहनत करते हैं, पर उनके अंक उस मेहनत के अनुरूप नहीं होते। जब बच्चे साल भर पूरी मेहनत से पढ़ाई करते हैं, और तब भी उनके अंक संतोषजनक नहीं होते, तब उनका मनोबल टूट जाता है। वह बहुत निराश हो जाते हैं। ऐसे में बच्चे तनावग्रस्त भी हो सकते हैं। बच्चों के कोमल मन पर निराशा की यह छाया नहीं पड़नी चाहिए, नहीं तो वह नन्हे फूल मुरझा जाएंगे।

इस स्थिति में फंसे बच्चों की मदद करने के लिए आज के लेख में हम बताने जा रहे हैं, कि आपको अच्छे अंक लाने के लिए कहां-कहां बदलाव करने की जरूरत है :

☸ सबसे पहली सीख, रटे नहीं, कंठस्थ करें।

रटंत विद्या बहुत हानिकारक है। बिना भावार्थ समझें केवल शब्दों या वाक्य को याद कर लेने से आपके ज्ञान में कोई वृद्धि नहीं होती। ऐसी चीजें आपको बस कुछ समय तक ही याद रहती है। इस तरह से याद करने वाले बच्चे, तब पूरी तरह ब्लॉक हो जाते हैं, जब सवाल थोड़ा भी घुमा दिया जाता है। क्योंकि आपने जो रट लिया, आपको बस उतना ही आता होता है। इसीलिए याद रखे बच्चों, आप जो भी पढ़ रहे हैं, उससे रटे नहीं, बल्कि समझे कि पाठ में आपको क्या समझाया जा रहा है। एक बार जब विषय वस्तु आपके समझ में आ जाएगी, तब आप उससे संबंधित प्रश्नों को हर तरह से हल कर पाएंगे ।

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राय

क्या पढ़ाई में आपका मन नहीं लगता है?
नमस्कार मित्रों ! शायद आपका मन कुछ नया पढ़ने का कर रहा है और शायद आपके मन की बात हम तक पहुंच गई है। इसीलिए हम आपके सामने हाजिर हैं एक और बेहतरीन लेख लेकर जो न केवल शिक्षाप्रद है, बल्कि हजारों युवाओं के लिए मार्गदर्शन प्रदान करने में सक्षम है। मित्रों, जीवन में कुछ करने के लिए, एक अच्छा मुकाम हासिल करने के लिए और सफलता पाने के लिए पढ़ाई से जरूरी और कुछ भी नहीं है। यह विषय चिंताजनक है कि आज की युवा पीढ़ी इस बात के महत्व को भूलती जा रही है और पढ़ाई करना उनकी...View more
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