युवाओं को सफल होने से क्या रोक रहा है

युवाओं को सफल होने से क्या रोक रहा है

  

नमस्कार मित्रों ! आज का लेख हमारे युवा मित्रों के लिए बहुत खास होने वाला है। युवावस्था की बात आते ही मन में जोश, उत्साह व कुछ नया कर दिखाने के विचार भर जाते हैं। यह उम्र ही ऐसी है जब व्यक्ति कुछ करने के लिए प्रेरित रहता है।

युवावस्था के बारे में बात करें, तो यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि यह चरण जीवन का सबसे सुंदर और सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है जहां व्यक्ति के आगे की जीवन की पूर्ण रूप रेखा निश्चित होती है। उसका चरित्र, उसकी पहचान, उसका पेशा, इज्जत, इत्यादि सब कुछ इसी युवावस्था मैं निश्चित होते हैं। यह उम्र ऐसी है जहां व्यक्ति चाहे तो अपने आप को किसी भी सांचे में ढाल सकता है। इसलिए कहा जाता है कि यह चरण बहुत नाजुक होता है। यह उम्र नई चीजों एवं नए क्षेत्रों में कदम रखने की होती है जहां जितने आसार बेहतर बनने के होते हैं, उतने ही बिगड़ने की भी।

ऐसे में उन युवाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जो बहुत सारे कारकों की वजह से अपने लक्ष्य से भटकते जा रहे हैं। यह कारक केवल पढ़ाई में मन ना लगना या फिर आलस्य नहीं है, बल्कि कई अन्य ऐसे कारण हैं जो युवाओं को उनके असली मकसद से भटका रहे हैं। इन्हें विकर्षण कहते हैं।

आज की चर्चा उन्हीं कारकों पर है जहाँ हम जानेंगे कि युवाओं के विकर्षण के क्या कारण हैं। यही नहीं, इसके साथ हम यह भी जानेंगे कि किस तरह युवा इनसे अपना ध्यान हटा कर खुद को लक्ष्य की ओर केंद्रित कर सकते हैं, जिससे कि युवावस्था का यह महत्वपूर्ण चरण सार्थक हो और जीवन में सफलता प्राप्त हो।

तो आइये जानें कि आखिर कार युवाओं को सफल होने से क्या रोक रहा है?

✴ दोस्तों का असीमित घेरा :

इस लेख को पढ़ रहे युवाओं से हमारा यह सवाल है कि आपके कितने मित्र हैं?

आप में से हमारे कई ऐसे पाठक होंगे जिन्हें गिनती करने में बहुत समय लग जाएगा। है न? क्योंकि आपके मित्रों का घेरा यानी कि फ्रेंड सर्कल बहुत बड़ा होगा। ज्यादातर युवाओं की यही स्थिति है। दोस्तों का होना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन आवश्यकता से अधिक कुछ भी हानिकारक साबित होता है।

किसी भी चीज़ में आपकी अति भागीदारी आपके विकर्षण का कारण बन सकते हैं। कुछ ऐसा ही मित्रता के साथ भी है, खासकर युवाओं की। जोश और उत्साह से भरे युवावस्था में दोस्ती के रिश्ते सबसे अधिक गहराते हैं। युवा नए लोगों से मिलने, उनसे संपर्क बनाने और दोस्त बनाने में बहुत दिलचस्पी रखते हैं।

कॉलेज में अनजान व्यक्ति भी तुरंत दोस्त बन जाता है। आपका दोस्त, दोस्त के दोस्त और उनके भी दोस्त, सभी आपस में मित्र बन जाते हैं। यही नहीं, आजकल मित्रता केवल परिवार, समाज स्कूल व कॉलेजों तक ही सीमित नहीं है। इंटरनेट के इस डिजिटल युग में कई ऐसे सोशल मीडिया के मंच है जहां लोग घर बैठे सात समंदर पार तक अपना संपर्क स्थापित कर सकते हैं।

ढेरों सोशल मीडिया मंच है जहां नये-नये लोगों से दोस्ती की जाती है। ऐसे में युवा, जो सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा एक्टिव रहते हैं उनकी हजारों की संख्या में मित्र होते हैं। उनमें से कई ऐसे होते हैं जिन्हें वे जानते तक नहीं है, फिर भी उनसे घंटों तक बातें करते रहते हैं। इस तरह दोस्ती का घेरा बहुत बड़ा होने लगता है और आपका संपर्क भी ढेर सारे लोगों से स्थापित हो जाता है।

अब संपर्क होगा तो बातें तो होंगी ही। और जितने दोस्त, उतनी बातें। इस बातचीत और मिलने - जुलने में काफी समय निकल जाता है। मित्रों, यह बात ठीक है कि दोस्त हमारे जीवन का अभिन्न और बहुत जरूरी हिस्सा हैं। लेकिन यदि दोस्तों की संख्या अधिक हो जाए तो यह विकर्षण को जन्म देते हैं।

कभी किसी का जन्मदिन, कभी पार्टियां तो कभी घंटों चलती बातें, इन सब में हमारा कीमती समय कैसे बीत जाता है पता भी नहीं चलता । ऐसे में उन्हें पढ़ाई करने का वक्त नहीं मिलता और इसका सीधा असर उनकी शिक्षा पर पड़ता है।

अब आप यह सोचेंगे कि यही तो उम्र है मस्ती मज़ाक की। तो दोस्तों, बेशक युवावस्था वह समय है जब हम मस्ती मजाक करना चाहते हैं, दोस्तों के संग वक्त बिताना चाहते हैं। लेकिन यही वह समय है जो आपके करियर के लिए निर्णायक साबित होगा। युवावस्था में की गई मेहनत और पढ़ाई ही आपकी आने वाली जिंदगी की रूपरेखा तय करेगी।

आप आज मेहनत करेंगे तब ही कल सफल हो पाएंगे। इसीलिए इस समय सबसे अधिक अपने करियर पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है। ऐसे में दोस्तों के लिए अपनी पढ़ाई से समझौता करना कभी अच्छा सौदा साबित नहीं होगा।

शुरुआत में भले ही आपको एहसास नहीं होगा, लेकिन एक बार समय के निकल जाने के बाद आपको पता चलेगा कि आपने अपना कीमती वक्त बर्बाद कर दिया और फिर आपके पास पछताने के अलावा और कुछ नहीं बचेगा। इसीलिए बहुत आवश्यक है कि हम अपने फ्रेंड सर्कल को सीमित रखें।

फ्रेंड सर्कल सीमित करने का तात्पर्य दोस्तों से पूरी तरह कट जाना नहीं है, बल्कि इसका तात्पर्य है मित्रों की संख्या को नियंत्रित रखना। तभी जाकर हम मित्रों और पढ़ाई के बीच संतुलन स्थापित कर पाएंगे जिससे हम मित्रता का भी आनंद ले पाएंगे और अपने करियर में भी बेहतरीन प्रदर्शन करने के योग्य बनेंगे।

संगति :

अभी हमने बात की फ्रेंड सर्कल को सीमित करने के बारे में। अब हम यह देखेंगे कि हमारे इस फ्रेंड सर्कल में जो लोग हैं, उनके व्यक्तित्व का हमारी सफलता पर क्या और कितना प्रभाव पड़ता है।

मित्रों, यदि हमारे दोस्त, अर्थात हमारी संगति अच्छी नहीं हुई तो वह हमारे विकर्षण का कारण बन सकते हैं और इसके साथ-साथ हमारे सभी अच्छे गुणों को नष्ट भी कर सकते हैं। संगति के महत्व को समझने के लिए आइए महा कवि रहीम द्वारा रचा गया यह दोहा पढ़ते हैं :

"कदली सीप भुजंग मुख स्वाति एक गुण तीन। जैसी संगति बैठिये तैसोई फल दीन।। "

अर्थात्, स्वाति नक्षत्र की बूंद आसमान से गिरकर कदली में मिलकर कीचड़ बन जाती है, सीपी में मिल कर मोती बन जाती है। वही पानी सांप के मूँह में जा कर विष बन जाता है। पानी की सभी बूंदे तो एक जैसी ही हैं, लेकिन अलग-अलग जगह गिरने से उनका स्वभाव अलग-अलग हो जाता है। अर्थात जैसी संगति होगी, वैसा ही गुण बन जाता है।

इस दोहे से आप संगति के प्रभाव को जरूर समझ गए होंगे। मित्रों, अच्छी संगति से ही गुण आते हैं और खराब संगति से ही अच्छे गुण भी चले जाते हैं। कई बार ऐसा होता है कि स्कूल के वक्त में मेधावी रहे छात्र भी असफल रह जाते हैं, वही कभी-कभी ऐसा भी होता है कि वह लोग जो स्कूल के समय पढ़ाई में कुछ खास अच्छे नहीं थे, वह आगे जाकर बहुत सफल हो जाते हैं।

ऐसा होने का एक बहुत बड़ा कारण संगति होती है। ऐसे बच्चे जो बहुत मेधावी होते हैं, कक्षा में टॉप करते हैं, वह भी बुरी संगत में पड़कर पूरी तरह से बिगड़ जाते हैं। कल तक जो छात्र किताबों में लगा रहता था, जो शिक्षक का चहेता था वह आज गलत संगति में पड़ कर पढ़ाई लिखाई भूल गया है और अपना सारा समय नष्ट कर रहा है।

ऐसे युवा स्वयं ही अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं । वह खुद बिगड़े हुए नहीं होते हैं लेकिन खराब लोगों की संगति के कारण वह दूसरों के दुर्गुणों को अपने अंदर समाविष्ट करते जाते हैं और अपने चरित्र को भूलते जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ यदि संगति अच्छी हो, तो एक बदमाश बच्चा भी मेधावी छात्रों के बीच रहकर कुछ समय बाद पढ़ाई की तरफ आकर्षित होने लग जाता है।

संगति में इतनी ताकत होती है कि वह आपके चरित्र को पूरी तरह से बदल कर रख सकती है। इसीलिए बहुत जरूरी है कि आप इस बात का गहराई से अवलोकन करें कि आपकी संगति कैसी है।

यदि आप ऐसे लोगों के बीच रहते हैं जो इधर-उधर समय नष्ट करते रहते हैं, जिन्हें अपने करियर की कोई चिंता नहीं है और जो आपको अपने जीवन में कुछ अच्छा करने की प्रेरणा नहीं देते हैं, तो तुरंत सावधान हो जाएं।

यह संगति आपकी सफलता में बहुत बड़ा रोड़ा बन सकती है। उन लोगों से तुरंत दूरी बना ले जो आप पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। इसके बजाय ऐसे लोगों से मित्रता कीजिए जो खुद भी सदैव कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित रहते हैं और साथ ही आपको भी प्रेरित करते हैं।

यदि आप स्कूल या कॉलेज में पढ़ रहे हैं तो उन छात्रों के साथ समय व्यतीत करें जो जिनका ध्यान पढ़ाई और कैरियर पर है। ऐसे दोस्तों के बीच रहने से आप भी पढ़ाई करने के लिए प्रेरित होंगे और आपको सदैव मार्गदर्शन मिलता रहेगा। इस बात को कभी ना भूले की संगति से आपका चरित्र बेहतर बनना चाहिए। इसीलिए सदैव स्वयं से श्रेष्ठ लोगों से मित्रता करनी चाहिए।

✴ बढ़ती डिजिटल पहुंच :

मित्रों, इस लेख में हमने सोशल मीडिया के मंचों के बारे में बात की थी जहां युवा कई सारे मित्र बना कर घंटो तक अपना समय नष्ट करते रहते हैं। अब हम चाहते हैं कि आप कुछ प्रश्नों का उत्तर दें। आप दिन के कितने घंटे मोबाइल, कंप्यूटर और लैपटॉप पर बिताते हैं ?

क्या आप भी दिन भर चैटिंग करना पसंद करते हैं? क्या आप भी उन लोगों में से हैं जो एक पल भी अपने मोबाइल से दूरी बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं?

ज्यादातर युवाओं का जवाब "हां" में होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं आपकी यह आदत आपके लिए कितनी नुकसानदेह साबित हो सकती है?

हर वक्त आपके हाथ में रहता आपका मोबाइल फोन आपके विकर्षन का सबसे बड़ा कारण है। मोबाइल, कंप्यूटर और लैपटॉप जैसे उपकरणों ने हमारी सुविधाओं को तो बहुत बढ़ा दिया है, लेकिन यह मुश्किल का सबब बनते जा रहे हैं।

खासकर उन युवाओं के लिए जो नहीं जानते कि इन सभी उपकरणों का असीमित इस्तेमाल सिर्फ हमारे समय को नष्ट करता है। यह बात बिल्कुल सच है कि काम की चीजों से ज्यादा युवा फालतू की चीजों में मोबाइल पर अपना समय नष्ट करते हैं।

मोबाइल का बुद्धिमानीपूर्वक इस्तेमाल करने से यह हमारे लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है लेकिन वहीं यदि इसका दुरुपयोग करना शुरू कर दिया जाए तो यह हमें पूरी तरह से बर्बाद कर सकता है।

सोशल मीडिया पर घंटों बिताना, बिना काम के वीडियो को लगातार देखते रहना और मोबाइल पर आती बार-बार नोटिफिकेशन, यह सब हमारे ध्यान को इस कदर भटकाती है कि पढ़ाई में मन लगा पाना फिर बहुत मुश्किल हो जाता है

हममें से कई लोग मोबाइल की इस गंदी आदत से पूरी तरह ग्रस्त हैं लेकिन फिर भी कुछ नहीं कर पा रहे जैसे कि किसी जाल में उलझ गए हो। तो अब प्रश्न यह उठता है कि क्या किया जाए। तो मित्रों, आपको मोबाइल का इस्तेमाल बुद्धिमानी पूर्वक करना होगा। जितनी जरूरत हो उतना ही इस्तेमाल करें ।

फालतू की चीजों में अपना समय नष्ट न करें। आप कुछ और उपाय भी कर सकते हैं। अपने फोन का पासवर्ड इतना जटिल रखें कि हर बार उसे खोलने के लिए आपको बहुत मेहनत करनी पड़े, इससे आप बार-बार फोन लेने की आदत छोड़ पाएंगे।

साथ ही अपने फोन में बार-बार आ रही नोटिफिकेशंस को ऑफ करके रखें ताकि हर बार जब नई नोटिफिकेशन आए तब आपका ध्यान उस तरफ ना खींच जाए। इसके साथ ही दिन के कुछ ऐसे घंटे तय करें, जहां आप मोबाइल से पूरी तरह दूर रहेंगे। यह सभी उपाय आपको मोबाइल और इंटरनेट का दुरूपयोग करने से बचाएंगे। इस बचे हुए समय को आप अपनी पढ़ाई में लगाएं या उन चीजों को करने में लगाएं जो आपके करियर के लिए अच्छा साबित हो।

✴ एक साथ कई चीजें करना :

आज के इस मॉडर्न जमाने में हर कोई बहुमुखी प्रतिभा का धनी बनना चाहता है। हम कई चीजों में बेहतर होना चाहते हैं। इसलिए युवाओं की और उनके अभिभावकों की यह कोशिश रहती है कि बच्चा अधिक से अधिक कौशल सीखे। आजकल के जमाने में केवल पढ़ाई ही नहीं बल्कि व्यक्ति को कई सारे कौशल आने चाहिए।

इसीलिए पढ़ाई के अलावा लोग कई कौशल सीखना चाहते हैं। बेशक ऐसा करना अच्छा है। मल्टीटास्किंग और मल्टी टैलेंटेड होना हमारे लिए अच्छा साबित हो सकता है। लेकिन कई सारे कौशल सीखने की इस होड़ में कहीं ऐसा भी हो जाता है कि हम इतने सारे चीजों के बीच किसी को भी सही से समय नहीं दे पाते हैं।

मित्रों, हर नए कौशल को सीखने और उसे निखारने में वक्त देना पड़ता है। ऐसे में आजकल यह देखने को मिलता है कि बच्चे एक तरफ स्कूल भी जा रहे हैं और दूसरी तरफ उन्होंने डांस या गाने की क्लास ज्वाइन कर ली है। साथ ही वह कोई खेल भी खेल रहे होते हैं।

एक साथ इतनी सारी चीजें कर पाना मुश्किल हो जाता है, जिसके कारण न पढ़ाई पर सही तरह से ध्यान केंद्रित हो पाता है, न ही गाने पर और न ही खेलकूद पर क्योंकि हर एक कौशल समय मांगता है। यदि हम एक साथ कई सारी चीजों को करने की कोशिश करेंगे तो परिणाम होगा कि हम किसी भी चीज में बेहतरीन प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे।

इसीलिए अपना ध्यान एक समय में एक चीज पर ही केंद्रित करें। यदि आप पढ़ाई के अलावा कोई और कौशल सीखना चाहते हैं तो जरूर सीखें, लेकिन ध्यान रखें कि आप हर चीज को पर्याप्त समय दे रहे हो। सबके बीच संतुलन बनाना अति आवश्यक है। तभी जाकर आप अपने क्षेत्र में माहिर बन पाएंगे और उस क्षेत्र में अपना करियर बना पाएंगे।

सबसे अच्छा उपाय है अपनी रुचि को पहचानना। बस लोगों की देखा देखी कर कई सारी चीजें एक साथ सीखना कोई समझदारी नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण है कि आपकी रुचि किसमें है। निर्णय करें कि आप क्या करना चाहते हैं, वह कौन सा कौशल है, जो आपको सबसे ज्यादा रोमांचित करता है।

उसके बाद निर्णय ले कि आप किस दिशा में अपना करियर बनाना चाहते हैं। उसके बाद ही आप उस कौशल को सीखने के लिए कदम बढ़ाए और अपना ध्यान सिर्फ और सिर्फ उसी पर केंद्रित करें।

निष्कर्ष :

तो मित्रों, देखा आपने कि एक नहीं बल्कि कई ऐसी चीजें हैं जिसके कारण युवाओं का ध्यान भटक रहा है और वह सफलता का मार्ग भूलते जा रहे हैं। इनमें से कई ऐसे कारण हैं जिनका हमें आभास भी नहीं होता किंतु वह हमें पूरी तरह भ्रमित कर देते हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम इन सभी कारणों को पहचाने और इन्हें जड़ से खत्म करें, ताकि युवावस्था का यह अति महत्वपूर्ण समय हमारे हाथों से ना निकल जाए।

यदि आपने भी अपनी युवावस्था में इस प्रकार के अनुभव किए हैं तो हमारे साथ जरूर साझा करें। इसके साथ ही यदि इस पोस्ट से जुड़े आपके मन में कोई राय हो तो उन्हें भी हमारे साथ साझा करना ना भूले।


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