Tanishka Sharma
211 अंक
Quick Learner
बोलना या बातचीत करना अपने आप में एक कला है। बोलते तो सभी है परन्तु प्रभावशाली बोलना एक हुनर है जो सभी में नहीं होता। इसके लिए काफी प्रयास और अभ्यास की आवश्यकता होती है। किसी-किसी व्यक्ति में यह गुण जन्मजात ही होता है। उस व्यक्ति के बात करने का तरीका ही नहीं उसकी बातें इतनी प्रभावशाली होती है कि श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। उनकी बाते सुनने में रस आता है।
बातचीत एक कला है। यह कला कोई चाहे तो सीख सकता है। कोई व्यक्ति कई बार इतना हाजिरजवाबी नहीं होता परन्तु कोशिश करे तो वह सीख सकता है।
इसके लिए जरूरी नहीं कि आप बड़ी बड़ी डींगें हांकें। आप ऐसी भाषा और शब्दों का इस्तेमाल कीजिए की सामने वाला सरलता से आपकी और खींचा चला आए तथा आपके बारे में सोचने पर मजबूर हो जाए।
आपकी भाषा सरल, स्पष्ट और प्रभावी होनी चाहिए। कुछ ऐसा ना बोलें की जो हास्यास्पद लगे, असंभव लगे या घिसा पिटा लगे।
नीरसता लोगों को नहीं सुहाती हैं इसलिए हमेशा आपका बातचीत का तरीका दिलचस्प होना चाहिए। ऊर्जा से परिपूर्ण। हमेशा सामने वाले व्यक्ति ध्यान में रखते हुए अपनी बात शालीनता से करें। ऐसा कुछ भी ना कहे कि सामने वाले को अमर्यादित लगे या बचकाना लगे।
किसी बच्चे से अगर आप बात कर रहे हैं तो उसका तरीका कुछ और होगा और उसे भी आप कुछ मनोरंजक बना सकते है। अगर आप मित्रो से बातचीत कर रहे हैं तो वह थोड़ा अनौपचारिक हो सकता है और सरल हंसी मज़ाक के लहजे में की जा सकती है। परन्तु आप अगर किसी औपचारिक बैठक में हैं या अपने बॉस इत्यादि के साथ है तो आपको हमेशा ताज़ा जानकारियों से अवगत रहना पड़ेगा, कार्य संबंधी सारी जानकारी रखनी पड़ेगी ताकि कुछ भी पूछे जाने पर आप तुरंत जवाब दे सकें। हिचकिचाएं नहीं, आत्मविश्वास बना रहे।
पोस्ट
परीक्षा के नतीजे के समय एक विद्यार्थी के मन के अंदर पैदा हुए तनाव की तुलना भी नहीं की जा सकती है । वह नतीजा साल भर किए गए परिश्रम का फल जो होता है, और यह तो जाहिर सी बात है कि उस नतीजे को लेकर मन मैं चिंता तो होगी ही । मगर कर्म योग हमें हमारे द्वारा की गई मेहनत व परिश्रम के फल की चिंता ना करने की शिक्षा देता है । वह केवल हमें यह सिखाता है कि हमें छोटा बड़ा कठिन या सरल कैसा भी काम मिला हो हम उसे हृदय के समर्पण व श्रम के साथ पूरा करें । अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो कर्म योग होगा बिना किसी फल व अपेक्षाओं चिंता करे, बस निरंतर परिश्रम करते रहना । क्योंकि दरअसल मनुष्य के मन में तनाव का कारण दूसरों की अपेक्षाओं पर खरे ना उतर पाना होता है । इसीलिए एक सच्चा कर्म योगी उसे ही कहा जाता है जो फल की चिंता किए बिना ही कार्यों को मेहनत के साथ करता चला जाता है । अगर उसके मन में नतीजों की व्यथा ही नहीं होगी तो उसके मन में तनाव पैदा होने का तो सवाल ही नहीं उठता ।
नेकी कर और दरिया में डाल
यह बात एक सच्चे कर्म योगी के जीवन का आधार होती है । वह व्यक्ति अपनी जी जान लगाकर श्रम करता है, और उसके द्वारा किए गए श्रम का परिणाम वह भगवान के ऊपर छोड़ देता है । इस कारण उस काम ही उसके लिए योग बन जाता है और वह एक कर्मयोगी कहलाता है । ऐसा करने से मन कुछ इस प्रकार निश्चिंत हो जाता है कि मनुष्य को काम करना ही अत्यंत सुखद लगने लग जाता है ।
आपने इस बात पर गौर किया है कि एक व्यवसाय द्वारा किसी उत्पाद की जानकारी आप तक कैसे पहुंचाई जाती है? जानकारी को खरीददार तक पहुंचाने के लिए व्यवसाय कई मार्ग अपनाते है । उन्हीं सब मार्ग में से सबसे सफल सटीक मार्क होता है विज्ञापन के द्वारा जानकारी पहुंचाना । विज्ञापन कई तरीके के होते हैं, जैसे टीवी पर आने वाले जिन्हें हम देख पाते हैं, रेडियो पर बजने वाले जिन्हें हम केवल सुन पाते हैं, तथा अखबार व अन्य पत्रिकाओं में आने वाले जिन्हें हम पढ़ पाते हैं । जिस प्रकार प्राचीन काल में ढोल नगाड़ों के साथ किसी भी नई ताजी खबर का ऐलान किया जाता था, दरअसल आजकल के समय में विज्ञापन की भी वही भूमिका है ।
एक विज्ञापन बनाते समय व्यवस्थाओं को यह ध्यान में रखना चाहिए की वह कम से कम शब्दों प्रयोग करके उत्पाद की ज्यादा से ज्यादा जानकारी दे पाए । यह ही नहीं बल्कि विशेष ध्यान विज्ञापन के आकर्षक होने पर भी देना चाहिए । अगर कोई विज्ञापन उबाऊ होगा व उसके अंदर रोचकता का अभाव होगा तो वह खरीददार का ध्यान अपनी तरफ खींचने में और असफल रहेगा ।
अगर वह विज्ञापन टीवी या अखबार पत्रिका आदि के लिए बनाया गया है तो उसमें उचित रंगों का प्रयोग करना आवश्यक है । जो रंग व्यवसाय के लोगो से मिलते जुलते हो तथा उत्पाद की प्रवृत्ति के संग जाएं ऐसे रंगों का प्रयोग करना लाभदाई रहता है । और यदि वह विज्ञापन रेडियो के लिए हो तो उसके अंदर प्रयोग में लाए जाने वाली ध्वनियों पर खास ध्यान देना जरूरी है । व्यवसाय की टैगलाइन का विज्ञापन में प्रयोग करना खरीददार के मन में अपनी छाप छोड़ जाता है, जिससे उत्पाद की एक छवि उसके मन में पड़ जाती है ।
तकनीक के द्वारा जहां एक और मैं सोचा गया था की लोगों के बीच की दूरियां कम की जाएंगी वहीं दूसरी ओर तकनीक के क्षेत्र में होने वाले विकास के कारण यह दूरियां और भी बढ़ गई हैं । भले ही कोई व्यक्ति बैठे-बैठे ही किसी से बातचीत कर पाता है, मगर उसने इस विकास को अपनी सहूलियत बना लिया है । ज्यादातर लोग अब अपने परिजनों से जाकर मिलने की जगह व्हाट्सएप पर ही हाल-चाल पूछ लिया करते हैं इसी कारण लोगों के बीच की दूरियां बढ़ती ही जा रही हैं ।
बातचीत का कौशल आना करियर और व्यवसाय के लिए ही आवश्यक नहीं है बल्कि रिश्तो की मधुरता बनाए रखने के लिए भी जरूरी है । ऐसे में मनुष्य को ना केवल अपनी बात लोगों के समक्ष रखना आना चाहिए बल्कि अन्य व्यक्तियों के मन में चल रहे विचारों को भी समझना आना चाहिए । इस तरह ताली एक हाथ से नहीं बजाई जा सकती और बातचीत भी एकतरफा नहीं हो सकती । वास्तव में खयालों का आदान-प्रदान ही बातचीत कहलाता है । अगर यह आदान-प्रदान जीवन में कभी भी होने लगता है तो लोगों के बीच आपसी दूरियां जन्म लेने लगती हैं ।
हम अपनों से बात करते हैं, या किसी अनजान व्यक्ति से भी बात करते हैं दो हमें विनम्र रहकर बात करनी चाहिए । ऐसा करने से रिश्तो की मिठास बनी रहती है नए रिश्तो की एक मधुर शुरुआत हो सकती है । हमारे शब्द ही हैं जो हमारा सम्मान समाज के समक्ष बना एवं बिगाड़ सकता है तथा वह पूरी तरह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह अपनी छवि समाज में किस प्रकार प्रदर्शित करना चाहता है । इसलिए अच्छी बातें दूसरों के साथ करना ही निजी तथा सामाजिक रिश्तो की नींव है ।
मित्र हमारे जीवन मैं वह व्यक्ति होते हैं, जो हमारे जीवन को जीने योग्य बनाएं । जीवन में सच्चे मित्र होना जरूरी है जितना हमारे खाने में नमक होना । जिस प्रकार नमक ना होने के कारण खाना एकदम बिना स्वाद का हो जाता है, ठीक उसी प्रकार मित्रों के बिना भी जीवन बेस्वाद लगने लगता है । एक सच्चा मित्र वे नहीं है जो आपके जीवन मैं घटित सारी घटनाओं को सुनें, एक सच्चा मित्र वह है जिसने आपके जीवन की घटनाएं आपके साथ जी हो । दुनिया में बहुत कम ऐसे लोग हैं जिनको उनके जीवन में शिक्षा मित्रों का साथ मिला हो । इसलिए क्योंकि जैसे-जैसे समय आगे बढ़ रहा है ऐसे ही धीरे-धीरे मनुष्य का हृदय कई अन्य पीड़ा दई आदतों से दूषित हो रहा है ।
लोगों को मनुष्य को परखने में अवश्य ही समय लेना चाहिए और यह पता लगाना चाहिए कि वह व्यक्ति वास्तव में मित्रता के योग्य है या नहीं । और जब मनुष्य को कोई ऐसा व्यक्ति मिले जो सदैव ही उसके साथ खड़ा रहे तो उसे अपने हृदय में एक खास स्थान अवश्य देना चाहिए ।
सुख में सुमिरन सब करें, दुख में करे न कोए
जो दुख में सुमिरन करें, दुख काहे को होय
संत कबीर का यह दोहा इस बात का उचित उदाहरण होगा l सुख की घड़ी में मनुष्य को सब याद रखते हैं मगर दुख के समय उसकी सहायता करने के लिए कोई नहीं होता । वास्तव में अगर लोग दुख के समय में भी साथ रहेंगे एक दूसरे की सहायता करेंगे तो वह मुश्किल समय बहुत ही आसानी से कट जाएगा तथा मनुष्य को पीड़ा का एहसास ही नहीं होगा । और जो व्यक्ति ऐसे दुख के समय में हमारा साथ देते हैं वही सच्चे मित्र होते हैं ।
जीवन में खुशियां हासिल करने के लिए एक बेहतरीन करियर का होना आवश्यक है। कल्पना करें कि अगर पढ़ाई पूरी हो जाए और फिर भी एक भी करियर विकल्प हाथ में ना हो, क्योंंकि उसकी शुरुआत पढ़ाई के साथ साथ ही की जाती है। जब हम अपने करियर को लेकर बहुत लापरवाह या असमंजस में रहते हैं, तो सफलता भी हमसे कोसों दूर ही रहती है। बिना करियर के हम अपना और अपने परिवार का भरण पोषण नहीं कर सकते। एक अच्छा करियर ही हमें और हमारे परिवार को खुशियां और सुख सुविधाएं दे सकता है।
विद्यार्थी के जीवन में पढ़ाई के दौरान यह पल आता है जब करियर का विकल्प चुनना होता है, या हमारे लिए क्या बेहतर विकल्प रहेगा। इसी दुविधा में कई बार छात्र ऐसा करियर चुन लेते है जिसमें उनकी कोई रुचि ही नहीं होती। ऐसा कई बार दोस्तों तथा घरवालों के प्रभाव में आकर कर बैठते हैं।
अपने लिए करियर चुनना है तो हमे स्वयं का आकलन करते हुए स्वयं ही चुनना चाहिए। हमारी योग्यता, हमारा ज्ञान और हमारी रुचि को ध्यान में रखते हुए करियर का चुनाव बेहतर कर पाएंगे। ताकि भविष्य में उस पर कार्य करते हुए हमे बोरियत और आलस ना महसूस हो। और अपने मनपसंद कार्य को करने में आनंद और ऊर्जा का अहसास हो तथा उसमें बेहतरीन मुकाम हासिल कर पाएं।
यदि हमारी रुचि डॉक्टर बनने में है तो उससे संबंधित हर ज्ञान को अर्जित करना होगा यदि सेना में जाना चाहते हैं तो पढ़ाई के साथ-साथ मानसिक तथा शारीरिक योग्यता पर भी साथ-साथ काम करना पड़ेगा। इसी प्रकार अपने मनपसंद करियर को चुनें उसके बारे में जानकारी हासिल करें तथा उसी को अपना लक्ष्य मानते हुए उसे हासिल करने में जुट जाएं। एकाग्र हो किया गया कार्य अवश्य सफल होता है ।
इस बात में कोई दो राय नहीं कि मार्केटिंग खरीददार एवं व्यवसाय दोनों के लिए फायदेमंद होती है । मार्केटिंग के ज़रिये उपभोक्ता अपनी सारी ज़रूरतों को पूरा कर सकता है वह भी सही कीमत देकर। मार्केटिंग व्यवसाय के लिए उनकी बिक्री की क्षमता बढ़ाती है वहीं दूसरी ओर खरीदारों का जीवन आरामदायी होता है। यही नहीं बल्कि मार्केटिंग निम्नलिखित कई और रूपों से खरीददार के लिए सहायक होती है ।
1. उत्पाद की जानकारी:
मार्केटिंग द्वारा खरीददार को बाजार में आने वाले नए-नए उत्पादों के बारे में जानकारी निरंतर मिलती रहती है । इस जानकारी के द्वारा खरीदार अलग-अलग उत्पादों को इस्तेमाल कर उनमें से अपना मनपसंद उत्पाद का चुनाव कर सकते हैं ।
2. उत्पाद की पहचान:
मार्केटिंग का एक भाग होता है ब्रांडिंग । ब्रांडिंग उस उत्पाद को एक अलग पहचान देती है । उस उत्पाद के रंग आकार वजन अथवा का निर्णय ब्रांडिंग के अंतर्गत ही किया जाता है । इसी भिन्नता के कारण कई उत्पादों के बीच खरीददार अपना मनपसंद उत्पाद आसानी से ढूंढ सकते हैंl
3. जरूरतों की पूर्ति
मार्केटिंग के अंतर्गत उत्पाद का निर्माण खरीदारों की जरूरतों को मध्य नजर रखकर किया जाता है । ऐसे में जो भी नया उत्पाद बाजार में लाया जाता है वह खरीददारों की जरूरत को अवश्य ही पूरा करता है । अतः जो भी उत्पाद ज्यादा से ज्यादा खरीदारों की ज्यादा से ज्यादा जरूरतों को पूरा कर पाता है वह बाजार का सर्वश्रेष्ठ उत्पाद साबित हो जाता है ।
4. उचित कीमत:
मार्केटिंग ऐसा यंत्र है जो व्यवसाय उनको उत्पाद के लिए उचित कीमत करने पर मजबूर कर देता है । इसी कारण वह अपने फायदे के लिए खरीददार से सीमा के ऊपर कीमत नहीं मांग सकते । अवश्य ही मार्केटिंग कीमत के मामले में खरीदार के लिए फायदेमंद साबित होती है ।
1. बिक्री में बढ़ोतरी:
मार्केटिंग के अंतर्गत बनने वाले उत्पाद खरीदारों की जरूरतों को जानकर बनाए जाते हैं । ऐसे में वह खरीदारों की उम्मीदों पर खरे उतरते हैं । इसी कारण व्यवसाय अपनी बिक्री में बढ़ोतरी देख पाते हैं । यह तो जाहिर सी बात है, अगर कोई उत्पाद खरीददार की जरूरत के मुताबिक नहीं होगा तो खरीददार द्वारा वह उत्पाद इस्तेमाल किए जाने का सवाल ही नहीं उठता ।
2. अधिक मुनाफा:
यह बात प्राकृतिक है कि यदि उत्पाद को बनाने की पर यूनिट लागत एक समान रहे तथा बिक्री में बढ़ोतरी हो तो कोई भी व्यवसाय अधिक मुनाफा कमाने से नहीं चूकेगा । मार्केटिंग द्वारा बढ़ी हुई बिक्री का लाभ व्यवस्थाओं को फायदे के रूप में अवश्य ही प्राप्त होता है l
3. अन्य व्यवसाय से प्रतिस्पर्धा
एक व्यवसाय की मार्केटिंग स्ट्रेटजी उसे अन्य व्यवस्थाओं के उत्पाद को टक्कर देने की क्षमता प्रदान करती है । जब बाजार में चल रहे बदलावों को समझ कर एक मार्केटिंग स्ट्रेटजी बनाई जाती है तो वह उत्पाद को एक अलग पहचान देने में काबिल रहती है । ऐसा इसलिए क्योंकि सूझबूझ द्वारा निर्मित स्ट्रेटजी अन्य उत्पादों की कमियों की पूर्ति अपने उत्पाद मैं पूर्ण करती है जिससे एक व्यवसाय के उत्पाद को प्रतिस्पर्धा में बढ़त का मौका देती है ।
4. नए उत्पादों की रचना:
मनुष्य की जरूरत है अनंत होती हैं तथा उन पर रोक लगाना नामुमकिन होता है । अगर व्यवसाय इन्हीं बदलती जरूरतों को समझते जाएं तो वह आसानी से बाजार में नए-नए उत्पादों को ला सकते हैं । ऐसा करने से एक व्यवसाय सबसे पहले मनुष्य की जरूरत को पूरा करने की और प्रथम चरण उठा सकता है । इसे फर्सट मूवर एडवांटेज कहा जाता है, यानी बाजार में होने वाले बदलावों को सबसे पहले पहचान कर, सबसे पहले उसका फायदा उठाना ।
करियर का अर्थ है आजीविका का वह साधन जिसके द्वारा भविष्य में आप अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। सफल व्यक्ति वहीं है जिसके पास एक सफल करियर है। करियर चुनाव पर ही यह निर्भर होगा कि हमारा आगे आने वाला व्यवसायिक, एवं आर्थिक भविष्य कैसा होगा। इतना महत्वपूर्ण विषय होने के कारण, बेहतरीन करियर के लिए क्या-क्या आएश्यक बातें हैं यह जानना आश्यक है।
स्वयं की रुचि:
एक बेहतरीन करियर चुनाव के लिए स्वयं की रुचि उसमे है या नहीं ये जानना अत्यंत आवश्यक है। क्योंंकि उस विषय में रुचि होने पर ही उसका चुनाव सुयोग्य निर्णय होगा। जिस प्रकार अर्जुन को बचपन में ही पता चल गया था कि उन्हें धनुर्विद्या ही सीखनी है। धनुष में रुचि होने के कारण ही अर्जुन एक महान धनुर्धर बने। यह आवश्यक नहीं कि आप पढ़ाई में सर्वप्रथम ही आते हों या आप हमेशा डॉक्टर इंजिनियर बनने का ही सोचें, यह हर किसी की काबिलियत पर भी निर्भर करता है। हो सकता है आप पढ़ाई में उतने प्रतिभाशाली ना हो जितना की खेल में या अभिनय में या नृत्य में या गायन में हो। आप करियर कुछ भी चुन सकते है जैसे चिकित्सक, इंजिनियर, अंतरिक्ष वैज्ञानिक, खगोलशास्त्री, अभिनेता, अध्यापन, नृत्य और गायन इत्यादि।
कड़ी मेहनत:
एक बार पहले यह ज्ञात हो जाए कि आपकी रुचि और काबिलियत किस विषय में है, फिर उसी को अपना लक्ष्य मानकर, उसके बारे में सारी जानकारी हासिल करें। उस करियर से जुड़े हर अच्छे बुरे पहलुओं कि जानकारी एकत्रित करें। कड़ी मेहनत करें।
यह आवश्यक नहीं की आप कोई नौकरी ही करें, आप कोई निजी व्यवसाय भी कर सकते है। आप अपनी योग्यता और अपने अद्भुत योजनाओं को रूप दे सकते हैं। जरूरत है तो बस दृढ़ इच्छाशक्ति तथा लगन की।
मनुष्य अच्छा वक्ता तभी कहला सकता है जब वह एक अच्छा श्रोता हो । आजकल लोग केवल अपने ही गीत गाने में विश्वास रखते हैं तथा उनके सुनने की क्षमता दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है । हर कोई अपनी बात को केहने की हद बड़ी में उलझ कर रेह गया है, व औरो के खयालो को सुनने का धैर्य खोता ही जा रहा है।और इसी कारण मनुष्यों के बीच आपसी बैर बढ़ता ही जा रहा है।
अगर आप औरो की बातों को समझना ही नहीं चाहेंगे तो आपकी बात सिर्फ आपके ही नज़रिये का बखान करेगि। एक सच्चे वक्त की पहचान है की वह हर पक्ष की बात को सुनकर ही सूझ बूझ के साथ अपने तर्क सबके समक्ष रखे। ऐसा करने से उसके मन में हर प्रकार के विचारों का स्वागत कर, समझ कर निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। यही ही नहीं बल्कि एक अच्छा वक्ता एक प्रभावशाली व्यक्ति ही बन सकता है जिसमे गलत को गलत और सही को सही सिद्ध करने की समझ व् सहस हो। देश भर में होने वाले बदलावों व, विश्वभर के चलनों आदि से जो व्यक्ति अपने आपको परिचित रख पाए वाही व्यक्ति अपने तर्कों को एक सही ढंग से प्रस्तुत करने की क्षमता रखता है अर्थात एक अच्छा वक्ता बनने की काबिलियत रखता है।
जीस प्रकार महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने एक उत्तम धनुर्धारी होने के बावजूद भी श्री कृष्णा के मार्ग दर्शन पर चलने के मार्ग को अपनया, उसी प्रकार मनुष्य को कभी-कभी अपनी कुशलता सिद्ध करने के लिए अपनी प्रतिभाओं का प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं होती। वह केवल उचित व्यवहार व आदर से भी अपनी छाप छोड़ने में सफल रहते है। ज़रूरत होती है तो बस एक धीरज से परिपुर्ण मन की!
खुशहाल एवं समृद्ध जीवन हर किसी का सपना होता है। सपने उन्हीं के साकार होते हैं जो उन्हें पूरा करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति, मेहनत और लगन से उन्हें पूर्ण करना चाहते हैं। और यह सब संभव है एक खुशहाल करियर से। अपने लक्ष्य या करियर को पाने के लिए कई बार अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
करियर के मार्ग में आने वाली कुछ बाधाएं:
सबसे पहली चुनौती जो करियर के मार्ग में आती है, वह है आपका परिवार। अक्सर देखा जाता है कि मां बाप अपने बच्चो से कुछ ज्यादा ही उम्मीद लगा लेते हैं और अपने अधूरे सपनों या इच्छाओं को अपने बच्चो पर थोप देते हैं। बच्चो की इच्छाओं और रुचि की तरफ ध्यान ही नहीं देते। अभिभावकों के दबाव में आकर छात्र ऐसा करियर चुन लेते है कि वो उन्हें बोझ लगने लगता है और कई बार तो वह उन्हें बीच में ही छोड़ देते है। करियर का चुनाव स्वयं की रुचि और योग्यता अनुसार ही करना चाहिए।
दूसरी चुनौती है असमंजस की स्तिथि। जब कुछ समझ ही नहीं आ रहा होता की क्या करना है क्या चुनें। अगर कोई मित्र अपनी रुचि अनुसार कुछ करियर चुन रहा है तो हम भी व्यर्थ की होड़ में आकर वहीं विषय या करियर चुन लेते हैं। बाद में पछतावा होता है क्योंंकि आपने रुचि अनुसार नहीं अपितु मित्र की देखा देखी वह करियर चुना था। मित्र तो अपने करियर में सफल हो जाता है परन्तु आप अटक जाते हैं।
तीसरी चुनौती है जानकारी का अभाव।कई बार देखा गया है कि पढ़ाई पूरी हो जाने के बाद हम अपने करियर के बारे में उचित जानकारी नहीं होने के कारण भी सही निर्णय नहीं ले पाते। इसलिए समय रहते अपना करियर चुनें, लोगों से अथवा इंटरनेट की सुविधा से पर्याप्त जानकारी जुटाएं और प्रयत्न करें।
बोलना या बातचीत करना अपने आप में एक कला है। बोलते तो सभी है परन्तु प्रभावशाली बोलना एक हुनर है जो सभी में नहीं होता। इसके लिए काफी प्रयास और अभ्यास की आवश्यकता होती है। किसी-किसी व्यक्ति में यह गुण जन्मजात ही होता है। उस व्यक्ति के बात करने का तरीका ही नहीं उसकी बातें इतनी प्रभावशाली होती है कि श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। उनकी बाते सुनने में रस आता है।
बातचीत एक कला है। यह कला कोई चाहे तो सीख सकता है। कोई व्यक्ति कई बार इतना हाजिरजवाबी नहीं होता परन्तु कोशिश करे तो वह सीख सकता है।
इसके लिए जरूरी नहीं कि आप बड़ी बड़ी डींगें हांकें। आप ऐसी भाषा और शब्दों का इस्तेमाल कीजिए की सामने वाला सरलता से आपकी और खींचा चला आए तथा आपके बारे में सोचने पर मजबूर हो जाए।
आपकी भाषा सरल, स्पष्ट और प्रभावी होनी चाहिए। कुछ ऐसा ना बोलें की जो हास्यास्पद लगे, असंभव लगे या घिसा पिटा लगे।
नीरसता लोगों को नहीं सुहाती हैं इसलिए हमेशा आपका बातचीत का तरीका दिलचस्प होना चाहिए। ऊर्जा से परिपूर्ण। हमेशा सामने वाले व्यक्ति ध्यान में रखते हुए अपनी बात शालीनता से करें। ऐसा कुछ भी ना कहे कि सामने वाले को अमर्यादित लगे या बचकाना लगे।
किसी बच्चे से अगर आप बात कर रहे हैं तो उसका तरीका कुछ और होगा और उसे भी आप कुछ मनोरंजक बना सकते है। अगर आप मित्रो से बातचीत कर रहे हैं तो वह थोड़ा अनौपचारिक हो सकता है और सरल हंसी मज़ाक के लहजे में की जा सकती है। परन्तु आप अगर किसी औपचारिक बैठक में हैं या अपने बॉस इत्यादि के साथ है तो आपको हमेशा ताज़ा जानकारियों से अवगत रहना पड़ेगा, कार्य संबंधी सारी जानकारी रखनी पड़ेगी ताकि कुछ भी पूछे जाने पर आप तुरंत जवाब दे सकें। हिचकिचाएं नहीं, आत्मविश्वास बना रहे।
जीवन में सफलता पाने के लिए कुछ मूल मंत्र कुछ उसूल होने आवश्यक हैं। निम्नलिखित बातों को अपनाकर मनुष्य अपने लक्ष्य तक पहुंचने के मार्ग को आसान और आनंदमयी बना सकता है
जिस प्रकार छत्ते में से शहद को निकलने के लिए मधुमक्खियों का सामना करना ही पढता है उसी प्रकार सफलता को प्राप्त करने के लिए हमें मार्ग में कठिनायों का सामना भी करना ही पढता है ।और इसलिए उन कठिनाइयों निपटने के लिए भी हमेशा योजनाबद्ध तरीके से तैयार रहें और हर परिष्तीत्ती से लड़ने के लिए तत्पर रहना चाहिए।
जैसा कहा जाता है की खाली दिमाग शैतान का घर है , ठीक उसी तरह अगर मनुष्य खाली बैठा रहता है तोह धीरे-धीरे उसके मन के विचार नकरात्मक होने लग जाते हैं जिस कारण वह श्रम के मार्ग को छोड़ आड़े टेढ़े रास्तों पर चलने को अपना लेते हैं ।
जीवन में कोई भी घटना बिना किसी कारण के नहीं होती उसके पीछे कोई ना कोई कारण अवश्य होता है। जीवन में हमेशा सोच समझकर, योजनाबद्ध कार्य करना व उन घटनाओं से सीखकर आगे बढ़ना ही मनुष्य के मन को सशक्त बनता है।
जीवन में कार्य ऐसे करो की लोग आपको आपके कार्यों से जानें। हमारे जीवन में हमे परामर्श देने वाले लोग, अपनी बढ़ाई करने वाले लोग बहुत मिलते हैं मगर लोहा सिर्फ उन लोगो का मानना चाहिए जो न केवल सही सीख दें बल्कि उन सीखों को अपने जीवन में खुद भी अपनाएं, क्यूंकि प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती।
सफलता को पाने के लिए समय का सम्मान करना भी आवश्यक होता है। हर कार्य को समय से करना, व ढंग से करना ही मनुष्य को अपने लक्ष्य के करीब ले जाता है।
अंततः अगर हम कोई भी कार्य करें तोह उसे पुरे ह्रदय से करना चाहिए क्यूंकि वही कुशलतापूर्वक काम करने की पहली सीढ़ी है।
जो लोग सामूहिक चर्चा के पड़ाव को पार करके आगे बढ़ते हैं उनके लिए अगली चुनौती व्यक्तिगत साक्षात्कार यानी पर्सनल इंटरव्यू होती है । व्यक्तिगत साक्षात्कार वह क्रिया है जिसमें उम्मीदवार सीधा-सीधा अपने उच्च अधिकारी के सामने बैठकर उनसे वार्तालाप करता है । दरअसल यह पड़ाव उनके व्यक्तित्व को परखने के लिए होता है । उम्मीदवार की हर छोटी से छोटी हरकत, बोलने बैठने का तरीका, अभी तक कि उसकी सारी उपलब्धियां आदि सब चीजों को देखा जाता है । और इसी के बदले उनका उस विद्यालय में दाखिला या उस पद के लिए चुनाव का निर्णय किया जाता है ।
विनम्र स्वभाव ही एक उम्मीदवार को साक्षात्कार के पड़ाव में पारित करा सकता है । साक्षात्कार करता द्वार के समक्ष बैठकर उससे कई सारे प्रश्न पूछता है । यह प्रश्न उसके जीवन व्यतीत करने से लेकर के उपलब्धियों तक, उसकी रुचियां से लेकर उसके सोच विचार करने के तरीके तक हर तरा के हो सकते हैं । मगर एक उम्मीदवार को डट कर हर प्रश्न का उत्तर देना चाहिए । यह ही नहीं कभी-कभी साक्षात्कार करता उम्मीदवार को सवालों में उलझाने का भी प्रयास करते हैं । मगर इसका कारण उम्मीदवार को नीचा दिखाना बिल्कुल नहीं होता बल्कि ऐसा करके वह उस उम्मीदवार की प्रतिभा को नापते हैं कि दरअसल वह उस विद्यालय के लिए या पद के लिए उचित व्यक्ति है भी कि नहीं । एक उम्मीदवार को ऐसे में विनम्र रहकर आत्मविश्वास दिखाते हुए प्रश्नों का सामना करना चाहिए । भले ही आपका उत्तर गलत क्यों ना हो मगर अपने अंदर छिपी सीखने की क्षमता व लालसा को दर्शाना चाहिए । क्योंकि इस बात से साक्षात्कार करता भी परिचित होते हैं एक व्यक्ति में भले ही कोई कौशल ना हो मगर कौशल को प्राप्त करने की लालसा अवश्य होनी चाहिए ।
आजकल देश विदेश के महाविद्यालयों में, तथा कई सारे व्यवस्थाओं में दाखिला व नौकरी पाने के लिए सामूहिक चर्चा अर्थात ग्रुप डिस्कशन का चलन शुरू हो गया है । यह सामूहिक चर्चा आगे जाने वाले उम्मीदवारों के लिए छटनी का काम करता है । जो व्यक्ति अपने अंदर बातचीत का कौशल रखता है और आस-पास होने वाली घटनाओं की जानकारी रखता है वह इस चर्चा मैं उत्तम तरीके से भाग ले पाता है । सामूहिक चर्चा के लिए केवल बोलना चालना आना जरूरी नहीं विश्व भर में हो रही किसी भी घटना को लेकर यह चर्चा शुरू की जा सकती है । इसीलिए अपने आपको बदलावों से हमेशा परिचित रखना एक उम्मीदवार के लिए बहुत ही जरूरी है ।
खाली करंट अफेयर्स ही नहीं मगर इस क्रिया में गहन विचार मैं डाल देने वाली शीर्षक पर भी की जा सकती है । यह शीर्षक ऐसे होते हैं जो मनुष्य को उसकी गहराई में जाने के लिए मजबूर कर दे और ऐसे मैं उच्चाधिकारी एकदम अलग सोच रखने वाले व्यक्तियों की ही पकड़ते हैं उन्हें ही अगले पड़ाव पर भेजते हैं । सामूहिक चर्चा में अच्छी तरह से बोलने के लिए आसपास के लोगों की बातें सुनना आवश्यक है । यह ध्यान में रखना चाहिए कि हम औरों की बात सुने और उनकी कही गई बातों को उच्चाधिकारी समक्ष ना दोहराएं । क्योंकि यह हमारी असावधानी को दर्शाता है । इसीलिए सामूहिक चर्चा करते समय हमें यह ध्यान में रखना है की केवल अपनी बात को आगे रखें बल्कि औरों की बात को सोच समझकर अपने तर्क पेश करें क्योंकि हमें अपने द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्कों पर भी सवाल किए जा सकता है । और अगर ऐसे में हम उत्तर ना दे पाए तो वह हमारी सोचने समझने की क्षमता को अवश्य ही बुरा दिखाएगा ।
जीवन में सफल लोगों को हर कोई पसंद करता है। उन्हें आदर्श मानते हैं और उनसे प्रेरणा भी लेते हैं। ऐसे ही सफल महापुरुषों के कुछ सफलता के मूलमंत्र इस प्रकार हैं।
1. मैं कभी समय बर्बाद नहीं करता क्योंंकि मैने समय बर्बाद करने वालो को बर्बाद होते देखा है।
2. समय अनमोल है।
3. मै गरीबी में पैदा हुआ इसमें मेरा कोई दोष नहीं परन्तु यदि मैने सारा जीवन गरीबी में बिताया तो यह मेरा सबसे बड़ा दोष है।
4. हमेशा वर्तमान में जीता हूं क्योंंकि अतीत तो बीत गया और भविष्य कभी किसी ने देखा नहीं। कभी किसी कार्य को टालता नहीं, जब भी कोई कार्य मिलता है तुरंत हो उस कार्य को पूर्ण करने में जुट जाता हूं।
5. आलसी मनुष्य उस व्यक्ति के समान है जिसके हाथ पैर नहीं होते। इसलिए आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है।
6. मै कभी किसी कार्य को लेकर बहाने नहीं बनाता तथा प्रत्येक कार्य को जिम्मेदारी के साथ समय पर पूरा करता हूं।
7. जितना संभव हो सके दूसरों कि मदद करता हूं क्योंंकि यही इंसान होने की पहचान है। हमेशा दूसरों की मदद करो।
8. में हमेशा अपनी असफलताओं से सीखता रहता हूं और सफलता की ओर आगे बढ़ता जाता हूं।
9. यह मत सोचो कि अब शाम हो गई। दिन गुजर गया। बल्कि यह सोचो की अभी तो शाम बची है इसमे बहुत कुछ कर सकता हूं।
10. मैं सफल होकर ही दिखाऊंगा। क्योंंकि यही मेरे जीवन का एकमात्र लक्ष्य है। सफल होना मेरा अधिकार है और इसे में पाकर ही रहूंगा।
11. मेहनत का कोई विकल्प नहीं। मेहनत से मैं सर्वश्रेष्ठ पा सकता हूं। शॉर्टकट से उतना ही मिलता है जितना उसमे मेहनत की गई है।
12. मैं हमेशा किसी भी घटना का सकारत्मक पक्ष देखता हूं तथा अन्य चीजों से नजरें चुरा लेता हूं। ऐसा करके देखिए सफलता अवश्य मिलेगी।
व्यक्तिगत साक्षात्कार हमारे व्यक्तित्व को परखने के लिए चुनाव प्रक्रिया में रखा गया है । इसीलिए हमें ज्यादा से ज्यादा यह कोशिश करनी चाहिए कि हम अपने बारे में सत्य बताएं तथा अगर हमें कोई कमी है अभी तो उसे स्वीकार कर उसे बदलने के प्रयास पर ध्यान दें । अच्छे व्यक्तिगत साक्षात्कार के लिए निम्नलिखित कई बातें हैं जिनको ध्यान रखकर हम साक्षात्कार के पड़ाव को पार कर सकते हैं :
1. शारीरिक हाव-भाव पर ध्यान दें:
सारी बातों से ज्यादा हमारे व्यक्तित्व के बारे में हमारा शारीरिक हावभाव बयान कर सकते है । साक्षात्कार कक्ष मैं आने के तरीके से तथा सामने रखी कुर्सी पर बैठने के तरीके तक सब कुछ साक्षात्कार करता द्वारा परखा जाता है । यदि हम एक ढीली चाल के साथ कक्ष में प्रवेश करें तथा कुर्सी पर गलत आसन में बैठे तो इसका बुरा प्रभाव हमारे साक्षात्कार पर जरूर पड़ेगा ।
2. बातचीत का कौशल:
हमारे बोलचाल के तरीके को भी बहुत ही बारीकी से साक्षात्कार करता परखते हैं । हमारा आत्मविश्वास हमारे बातचीत से झलकता है और इसी की पहचान वह हम से वार्तालाप करते वक्त करते हैं । हमें उनके हर प्रश्न का जवाब पूर्ण विश्वास तथा हर जानकारी रखते हुए देना चाहिए ।
3. विनम्र स्वभाव:
व्यक्तिगत साक्षात्कार के समय हमें साक्षात्कार करता के प्रश्नों का जवाब विनम्रता से देना चाहिए । जो व्यक्ति प्रश्नों का उत्तर देते समय अहंकार में आकर बात करते हैं उनका इस पड़ाव से आगे जाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है । ऐसा इसलिए क्योंकि यह उन की उद्दंडता को दर्शाता है ।
4. स्वयं को जानना:
साक्षात्कार के समय सबसे पहला प्रश्न अधिकतर खुद का परिचय देना ही होता है । ऐसे में कई व्यक्ति कुछ बोल नहीं पाते । यह एक उत्तम मनुष्य की पहचान नहीं है इसीलिए एक अच्छे साक्षात्कार के लिए अपने आप को जानना आवश्यक है ।
इंटर्नशिप हमारे करियर में एक एहम भूमिका निभाती हैं । जैसे परीक्षा के समय में बार-बार अपने पाठ्यक्रम का अभ्यास करने से हम परीक्षा के लिए अच्छे से तैयारी कर पाते हैं उसी ठीक प्रकार परीक्षा के लिए किए गए अभ्यास के भांति इंटर्नशिप हमें हमारे भविष्य मैं मिलने वाली नौकरी के लिए तैयार करती है । हमें बड़े होकर जिस कैरियर मार्ग पर चलना है उसके लिए तैयारी हमें छोटी उम्र से ही शुरू कर देनी चाहिए । यदि हम वित्त की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं तो उससे संबंधित किताबें व ऑनलाइन पाठ्यक्रम करना शुरू कर देना चाहिए । ऐसा करने से पहले से ही हम उस विषय में एक पक्की नींव हासिल करने में सफल होते हैं ।
जैसी-जैसी चुनौतियों से हमारा सामना हमारी इंटर्नशिप के दौरान होगा वैसी कठिनाई भरी परिस्थितियों को पार करना हमारे लिए अपनी नौकरी के समय में आसान होगा । इंटर्नशिप हमें वह तजुर्बा प्रदान करती है, वह सीख प्रदान करती है जो हमें किताबों से पढ़ कर कभी नहीं आ सकती । केवल काम ही नहीं इंटर्नशिप के द्वारा एक व्यक्ति अपने उच्च अधिकारी व सहकर्मियों से अच्छे ढंग से वार्तालाप करना भी सीखता है । अनुभव से हमारे अंदर बातचीत करने का कौशल बढ़ जाता है । इसीलिए हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम अपनी इंटर्नशिप के दौरान जितनी सावधानी बरतकर कार्यालय के वातावरण को समझ पाए, व काम करने का तरीका सीख पाएं उतना ही हमारे भविष्य के लिए अच्छा होगा ।
आजकल नौकरी मिलने के लिए कम से कम एक इंटर्नशिप के अनुभव का होना आवश्यक माना गया है । यह इंटर्नशिप कम से कम 2 माह की होनी ही चाहिए । क्योंकि जितना तजुर्बा हम परिस्थिति मैं रहकर पा सकते हैं उतना तजुर्बा हमें कोई किताब नहीं दे सकती ।
अच्छी आदतें हमारे जीवन को सुखद बना देती हैं । और इन आदतों का प्रभाव ना केवल हमारे जीवन पर पड़ता है बल्कि हमारे आसपास के वातावरण पर भी पड़ता है । अच्छी आदतें हमें एक अच्छा मनुष्य बनाती हैं तथा हमारी अच्छाई का प्रभाव अन्य मनुष्यों पर सकारात्मक ही होता है । क्योंकि एक अच्छा और परिश्रमिक मनुष्य ही औरों को अच्छाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर सकता है । मगर अच्छी आदतों को अपने जीवन का एक हिस्सा बनाना आसान बात नहीं है । कई लोग हमें अच्छी आदतों को अपनाने का परामर्श देते तो जरूर है मगर यह बात केवल बोलना आसान होती है करना नहीं ।
रिसर्च द्वारा यह पाया गया है हम किसी भी कार्य को मन या बेमन से केवल 21 दिन तक करते हैं तो वह कार्य हमारी आदत बन जाती है । इसको अंग्रेजी में ' द ट्वेंटी वन डे रूल ' कहा जाता है । अगर कोई व्यक्ति किसी आदत को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में लाना चाहता है तो वह केवल इन 21 दिनों तक उसे करें । उसके मस्तिष्क व शरीर पर 21 दिन में की गई क्रिया का असर कुछ इस प्रकार होगा कि 22 वे दिन पर उस कार्य को करने के लिए वह खुद ही प्रोत्साहित महसूस करेगा । ऐसा इसलिए क्योंकि निरंतर 21 दिन तक उस क्रिया को करना से उसे एक आदत में बदल देगा ।
यह एक मानी हुई बात है कि वातावरण में अपने आप को डालने के लिए 21 दिन, चाहे वह कोई नया घर हो, या खुद को नए चश्मा में देखना हो, या फिर किसी आदत को पालना या पीछे छोड़ देना । सरल शब्दों में कहा जाए तो यह 21 दिन किसी भी मनुष्य की जिंदगी को बदलने की क्षमता रखते हैं ।
हमारे शरीर को पूरी तरह स्वस्थ रहने के लिए कई सारे पोषक पदार्थों की जरूरत होती है। ये पोषक तत्व अलग-अलग तरह के भोजन से हमें प्राप्त होते हैं, जैसे ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, मेवे, डेयरी उत्पाद और मीट आदि से। इनमें सभी की अपनी अहमियत है, इसलिए एक संतुलित आहार में ये सब चीजें होनी चाहिए । यदि इन तत्वों की मात्रा हमारे शरीर में ऊंची नीची हो जाती है तो हमारे स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव दिखना शुरू हो जाता है । जैसे कैल्शियम की कमी से हमारे शरीर में कमजोर आने लग जाती हैं तथा विटामिन ए की कमी के कारण हमारी आंखों पर इसका बुरा प्रभाव होने लग जाता है । इसीलिए हमें यह कोशिश करनी चाहिए कि हमारी डाइट यानी खान पान सभी तरह के तत्वों से ओतप्रोत होना चाहिए । यही नहीं इन तत्वों की बढ़ी हुई मात्रा प्रभाव बुरा होता है उदाहरण के लिए अगर शरीर में कैल्शियम व प्रोटीन अधिक हो जाए तो मनुष्य को पथरी की बीमारी हो सकती है । इसीलिए हमारा खान-पान पर नियंत्रण रखना अति आवश्यक है ।
हमारा शरीर अपनी ऊर्जा के लिए भोजन पर निर्भर रहता है। हमें अपनी जरूरी शारीरिक गतिविधियों के लिए तमाम तत्वों की आवश्यकता होती है। ऐसा भोजन जो इन सभी जरूरतों को पूरा कर सके वह संतुलित आहार कहलता है। और यही संतुलित आहार हमारे जीवन का संतुलन बनाने में सहायक होता है । जब तक हमारा शरीर स्वस्थ रहेगा तब तक हम अन्य गतिविधियां भी अच्छे से कर पाएंगे । इसीलिए अच्छा आहार खाना एक अच्छे शरीर के लिए आवश्यक है ।
अतः हमारा भोजन ऐसा होना चाहिए जिसमें हर तत्व की मात्रा हमारे शरीर के जरूरत के मुताबिक हो ना उससे कम ना उससे ज्यादा । अच्छा खान-पान, स्वस्थ शरीर के लिए आवश्यक है ।
शरीर के विकास के लिए दो तरीके के तत्व आवश्यक हैं, पहला मैक्रोन्यूट्रिएंट । माइक्रोन्यूट्रिएंट्स वह न्यूट्रिएंट्स या तत्व होते हैं जिनकी जरूरत हमारे शरीर को अधिक मात्रा में होती है । निम्नलिखित वह माइक्रोन्यूट्रिएंट्स है जो हमारे स्वास्थ के लिए अति आवश्यक है ।
प्रोटीन :
प्रोटीन हमारे शरीर में मैकेनिक का काम करता है अर्थात हमारे शरीर होने वाली टूट-फूट की मरम्मत और शरीर का विकास करता है। मांसपेशियों से लेकर हमारी नर्व सेल भी प्रोटीन पर निर्भर हैं। यदि किसी हादसे द्वारा हमारी मांसपेशियां या हड्डियों को नुकसान पहुंचता है तो उसे ठीक करने का कार्य प्रोटींस का ही होता है । प्रोटीन न मिले तो गठिया, हार्ट डिजीज, गंजापन जैसी तमाम बीमारियां हो जाएं। हमें मीट, अंडों, सी फूड, दूध, दही, दालों, सूखे मेवों से प्रोटीन मिलता है।
कार्बोहाइड्रेट:
शरीर को कार्बोहाइड्रेट से ऊर्जा मिलती है। हमें अपनी हर डाइट में इन्हें शमिल करना चाहिए। हमारी दिन भर की गतिविधियों के लिए हमारे खानपान में कार्बोहाइड्रेट का होना आवश्यक है । हमें ऐसे कार्बोहाइड्रेट खाने चाहिए जो धीरे-धीरे शुगर में टूटें। इनमें साबुत अनाज, ब्राउन राइस, दालें, शामिल हैं। इनमें एंटी ऑक्सिडेंट भी भरपूर मात्रा में होते हैं इसलिए ये कैंसर जैसे रोगों से भी हमारी रक्षा करते हैं।
शुगर और फैट:
एक संतुलित आहार में इनकी भी भूमिका है। बहुत सारे विटमिन ऐसे हैं (ए,डी,ई और के) जो फैट के जरिए ही शरीर में अवशोषित होते हैं। फैट और शुगर शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को भी मजबूत करते हैं। मगर इसका अर्थ यह नहीं है कि हम क्षमता को बढ़ाने के लिए शुगर और फैट की मात्रा अपने खान-पान में बढ़ाते जाएं, क्योंकि ऐसा करना कई रोगों को निमंत्रण देने मैं सफल हो सकता है । फैट को घी, तेल, मक्खन और शुगर को गुड़, शहद वगैरह से हासिल किया जा सकता है।
0 टिप्पणी