Pallavi Thakur
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Motivator

अपने मन के भावों को काग़ज़ पर उकेर कर संजो लीजिए!

नमस्कार! मैं आकाशवाणी की युवा कलाकार हूँ। लेखन एवं हिंदी भाषा में मेरा अत्यधिक रुझान है। इस रुचि को एक ब्लॉगर के रूप में साकार करने के की कोशिश है।

कवि रहीम के बहुमुल्य दोहे अर्थ सहित

पाठकों, आज हम आपके लिए जन-जन के बीच प्रसिद्ध महा कवि रहीम जी द्वारा रचित दोहे लेकर आए हैं। हिंदी साहित्य में रहीम द्वारा रचित दोहों को बहुत प्रसिद्धि प्राप्त हुई है। इनके दोहे धर्म, भक्ति, नीति - रीति पर आधारित है ।

इनका पूरा नाम अब्दुर्रहीम खान - ए - खाना था जो धर्म से मुसलमान एवं मुगल सल्तनत से संबंध रखते थे। इनके पिता का नाम बैरम खां एवं इनकी मां का नाम सुल्ताना बेगम था। पिता बैरम खां की मृत्यु के बाद रहीम मुगल सुल्तान बादशाह अकबर के संरक्षण में रहे, जहां उन्होंनें उनके गुरु मोहम्मद अमीन से तुर्की, अरबी, एवं फारसी जैसी भाषाओं की शिक्षा प्राप्त की। रहीम का काव्य, कविता एवं कला में भी अत्यंत रुझान था।

रहीम ने दोहों के रूप में मानव जीवन के हर पहलू को छूते हुए अद्भुत रचनाएं की है। उन्होंने भक्ति में धर्मनिरपेक्षता का अद्भुत उदाहरण भी प्रस्तुत किया है क्योंकि वह धर्म से तो मुसलमान थे किंतु वह भगवान कृष्ण के परम भक्त थे। उन्होंने अपनी रचनाओं में रामायण, महाभारत जैसे ग्रंथों की सीख का भी जिक्र किया है।

उनकी प्रसिद्ध रचनाएं हैं रहीम सतसई, फुटकर बरवै, राग पंचाध्यायि, सवैये, नायिका भेद , मदनाष्ट, नगर शोभा, संस्कृत काव्य इत्यादि। आइये अब जानें रहीम जी द्वारा रचित कुछ उत्कृष्ट दोहों को :

1 ) तरुवर फल नहीं खात हैं, सरवर पियहि व पान।
कही रहीम पर काज हित, संपत्ति संचही सुजान।।

दुनिया में तरह-तरह के लोग हैं। कुछ व्यक्ति अपनी संपत्ति, धन एवं संपदा का उपयोग परमार्थ एवं परोपकार के लिए करते हैं। वहीं कुछ लोग धन की एक कौड़ी भी किसी को देने से कतराते हैं। ऐसे लोगों के लिए उनका धन केवल उनके सुख एवं ऐश्वर्य का साधन होता है। प्रस्तुत दोहे में रहीम ने उस श्रेणी के व्यक्तियों की बात की है जो अपनी संपत्ति को परोपकार में लगाते हैं।

दोहे की पहली पंक्ति में कविवर कहते हैं कि तरु, अर्थात वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते। वृक्ष में लगे फल मानव एवं पशुओं द्वारा उपभोग किए जाते हैं। वृक्ष फलों को प्राणियों की क्षुधा शांत करने के लिए दान कर देती है। इसी प्रकार सरोवर, यानी कि तालाब अपने अंदर भरे हुए जल को स्वयं नहीं पीता। तालाब अपने जल को उदारता से प्राणियों की प्यास बुझाने में लगा देता है। रहीम कहते हैं कि सज्जन व्यक्ति का आचरण भी ऐसा ही होता है।

जिस प्रकार वृक्ष एवं तालाब अपने फलों एवं जल से दूसरों का भला करता है, उसी प्रकार सज्जन व्यक्ति अपने द्वारा संचय की गई संपत्ति को दूसरों के हित में लगा देते हैं। वह इस धन से स्वयं भोग विलास का आनंद नहीं उठाते, बल्कि परोपकार करते हैं।

प्रस्तुत दोहे से हमें यह शिक्षा मिलती है कि असली उदारता वह है जो वृक्ष एवं तालाब द्वारा की जाती है। हमें भी इनका अनुसरण करते हुए लोभ एवं स्वार्थ को त्याग कर अपने हित से पहले जनहित को प्राथमिकता देनी चाहिए।

2 ) धनि रहीम जल पंक को, लघु जिय पिअत अघाय।
उदधि बड़ाई कौन है, जगत पिआसो जाय।।


उपर्युक्त दोहे में यह संदेश प्रतिपादित किया गया है कि बड़े होने का कोई लाभ नहीं है यदि आपके बड़प्पन से दूसरों का हित ना हो। यही समझाते हुए कविवर दोहे की प्रथम पंक्ति में कहते हैं कि पंक, अर्थात कीचड़ का पानी धन्य है, जिसे पीकर असंख्य छोटे-छोटे कीड़े मकोड़े, जीव-जंतु आदि अपनी प्यास बुझा कर स्वयं को तृप्त करते हैं।

कीचड़ का पानी इन छोटे छोटे जीव जंतुओं को जीवन प्रदान करता है । अतः रहीम इस पानी की प्रशंसा करते हैं। किंतु उस समुद्र की प्रशंसा कौन करेगा? रहीम समुद्र की प्रशंसा में कोई शब्द नहीं कहते। क्योंकि वह किसी की प्यास बुझाने में सक्षम नहीं है। समुद्र अथाह एवं अनंत जल का भंडार है, किंतु इस भंडार का क्या लाभ ? क्या उपयोग ? जो संसार में किसी की भी प्यास नहीं बुझा सकता।

भावार्थ यह है कि ऐसे गरीब मनुष्य अधिक उदार है, जिनके पास कुछ ना होने पर भी वह दूसरों का हित करते हैं। किंतु ऐसे धनी व्यक्ति के धनी होने का क्या लाभ जब उसके द्वारा किसी का हित न होता हो । अतः बड़प्पन पद एवं प्रतिष्ठा से नहीं, अपितु कर्मों से निश्चित होती है।

3 ) रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये न उबरे, मोती मानुष चून।


प्रस्तुत दोहे में रहीम ने पानी की विभिन्न अर्थों में व्याख्या की है। उन्होंने कहा है कि पानी के बिना सब कुछ व्यर्थ है। यहां पानी शब्द का तीन संदर्भ में एवं तीन अर्थों में प्रयोग किया गया है। पहला प्रयोग मनुष्य के लिए किया गया है जहां पानी का अर्थ विनम्रता से है। रहीम कहते हैं कि मनुष्य में पानी, अर्थात विनम्रता सदैव विद्यमान होनी चाहिए। विनम्रता के बिना मनुष्य का कोई मूल्य नहीं है।

पानी का दूसरा अर्थ आभा अथवा चमक है जिसे मोती के संदर्भ में प्रयोग किया गया है। रहीम कहते हैं कि मोदी में यदि चमक ना हो, तो उसका कोई मूल्य नहीं रह जाता। जितनी अधिक चमक, उतनी ही अधिक मोती की कीमत होती है।

पानी शब्द का तीसरा अर्थ है, जल जिसे रहीम जी ने चून, अर्थात आटे के लिए प्रयोग किया है। वह कहते हैं कि आटे में पानी मिलाए जाने के बाद ही वह कोमल, अर्थात नम्र बनता है। यदि आटे में पानी कम हो जाए, तो आटे की गुणवत्ता एवं मूल्य दोनों कम हो जाते हैं। जिस प्रकार मोती एवं आटे का मूल्य पानी बिना नहीं हो सकता, उसी प्रकार पानी अर्थात मनुष्य का कोई मूल्य नहीं है।

तो देखा आपने मित्रों, किस प्रकार कविवर ने प्रस्तुत दोहे में विनम्रता की महत्व को समझाया है। शास्त्रों में विनम्रता को मनुष्य का आभूषण कहा गया है। विनम्र स्वभाव वाला व्यक्ति हर स्थान पर आदर पाता है। वहीं जिस व्यक्ति के व्यवहार में विनम्रता गौंण एवं अहंकार का बोलबाला हो, वह व्यक्ति अपने बाकी गुणों का भी मूल्य खो देता है। अतः हमें अपने मन, कर्म एवं वचन से विनम्र बनने का प्रयास करना चाहिए का प्रयास करना चाहिए।

4 ) रहिमन निज मन की व्यथा, मन ही राखो गोय ।
सुनि इठलेहैं लोग सब, बाटी लेहैं न कोय।।


कहा जाता है कि अपना दुख दूसरों के साथ बांटने से मनुष्य का कष्ट कम हो जाता है। ऐसा तभी संभव है जब सुनने वाला व्यक्ति वास्तव में आपका हितेषी हो, तथा आपके कष्ट को समझे। परंतु कटु वास्तविकता यह है कि लोग सामने वाले व्यक्ति की पीड़ा को समझने का दिखावा करते हैं, किंतु बाद में उनका उपहास करते हैं।

यही संदेश देने के लिए रहीम जी ने अपनी इस दोहे में कहा है कि हे मनुष्य ! अपने मन की व्यथा, कष्ट को अपने मन में ही रखनी चाहिए। चाहे आप कितने भी कष्ट में क्यों न हो, किंतु अपनी पीड़ा को अपने मन में ही गोपनीय रखो, उसे किसी के सामने प्रकट ना करो, क्योंकि व्यक्ति जिन पर विश्वास कर अपने दुख को साझा करता है, वही व्यक्ति उनके पीठ पीछे उनकी स्थिति का हास परिहास करते हैं।

सभी आपके कष्ट को समझने का दिखावा करते हैं, किंतु वास्तव में आपके दुख को बांटने वाला कोई नहीं होता । अतः अपने कष्ट का परिहास होता देख और अधिक पीड़ा उठाने से अच्छा है कि स्वयं अपने कष्ट को सहा जाए एवं उसे केवल अपने मन तक ही सीमित रखा जाए।

5 ) राम ना जाते हरिन संग से न रावण साथ।
जो रहीम भावी कतहु, होत आपने हाथ ।।


प्रस्तुत दोहे में कविवर ने रामायण के एक प्रसंग की चर्चा करते हुए यह संदेश दिया है कि होनी को कोई नहीं टाल सकता। अतः भविष्य के बारे में चिंतित होना व्यर्थ है। यह प्रसंग तब का है जब माता सीता पंचवटी के प्रांगण में स्वर्ण चर्म वाले मृग को विचरण करता देख उसकी अद्भुत सुंदरता पर मोहित हो गई थी। तब उन्होंने श्रीराम से उस मृग को ले आने की इच्छा व्यक्त की।

माता सीता की इच्छा पूर्ति हेतु भगवान राम मृग का आखेट करने उसके पीछे चले गए। वह मृग वास्तव में मारीच था, जिसने माया से मृग का वेश बना लिया था। श्री राम के उसके पीछे जाने के बाद ही माता सीता रावण द्वारा अपहरण कर ली गई थी।

इसी पर रहीम जी कहते हैं कि यदि होनी अपने हाथों में होती, तो राम कभी हिरण के साथ वन में ना जाते और माता सीता रावण द्वारा ना हरी गई होती।
भगवान होते हुए भी श्रीराम एवं माता सीता के जीवन में यह घटना घटी, क्योंकि जो होना होता है उस पर किसी का भी वश नहीं चलता।

प्रस्तुत दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि भविष्य में जो होना है, वह होकर ही रहेगा । नियति को टालने या बदलने की क्षमता किसी में भी नहीं है । अतः जो हो चुका है, जो होने वाला है, उस पर चिंतित होकर कोई लाभ नहीं है। हमें वर्तमान में जीना चाहिए।

6 ) रहिमन जिह्वा बाबरी, कह गई सरग-पताल।
आपु तु कहि भीतर गई, जूती खात कपाल।


प्रस्तुत दोहे में कवि ने वाणी के महत्व को समझाया है। यह मनुष्य की वाणी ही है, जो उससे प्रतिष्ठा दिलाती है, या तो उसकी प्रतिष्ठा को धूल में मिला देती है। बिना परिणाम की चिंता किए कुछ भी बोल देने से मनुष्य को विनाशकारी परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। अतः वाणी पर नियंत्रण आवश्यक है ।

यही समझाने के लिए दोहे की प्रथम पंक्ति में रहीम जी ने कहा है कि हे मनुष्य यह जिह्वा बावरी, अर्थात पागल है जो वेग में आकर ना जाने क्या-क्या भली बुरी बातें बोल जाती है। यह पागल जीभ स्वर्ग से पाताल तक की बातें बोल जाती है। इसके द्वारा कही गई बातों से इसका तो कुछ भी नहीं बिगड़ता, क्योंकि सब कुछ कहने के बाद यह स्वयं तो मुंह के भीतर चली जाती है। किंतु इसका हर्जाना सिर को भुगतना पड़ता है जो जीव के कर्मों के फल स्वरूप जूतियां खाता है।

दोहे का भाव यह है कि हमारे द्वारा बोले गए वचनों का परिणाम बाद में हमें भुगतना पड़ सकता है। अतः सदैव नाप - तौल कर, सोच-समझकर ही बोलना चाहिए एवं जितनी आवश्यकता हो कि केवल इतना ही बोलना चाहिए।

7) रहिमन निज सम्पति बिना, कोउ न विपति-सहाय।
बिनु पानी ज्यों जलज को, नहिं रवि सकै बचाय ॥

जीवन यापन के लिए मनुष्य के पास आजीविका का होना अत्यंत आवश्यक है। किंतु व्यक्ति के लिए कमाना जितना आवश्यक है, उतना ही आवश्यक है धन को बचा कर रखना, अर्थात उसका संचय करना।

यही सीख देते हुए रहीम जी ने अपने इस दोहे में कहा है कि मनुष्य पर विपत्ति पड़ने पर उसके द्वारा संचय की गई धन-संपत्ति ही केवल उसकी सहायक होती है। विकट परिस्थितियों में अपने धन के सिवा कोई भी सहायता नहीं करता। जिस प्रकार तालाब के जल के सूख जाने पर जलज, अर्थात कमल भी सूख जाता है।

जल के अभाव में कमल को सूखने से स्वयं सूर्य भी नहीं बचा सकता क्योंकि कमल का जीवन का आधार ही जल है। उसी प्रकार मनुष्य के जीवन यापन का आधार धन है । यदि विपत्ति पड़ी, तो धन के अभाव में उसे किसी की सहायता नहीं प्राप्त होगी। अतः मनुष्य को चाहिए कि वह सदैव धन का संचय करके रखें जो उसे विकट परिस्थितियों से निकालने में सहायक सिद्ध हो।

निष्कर्ष :
तो मित्रों आपने देखा कि किस प्रकार रहीम जी का प्रत्येक दोहा अंत में एक शिक्षा प्रदान करता है। कविवर के हर दोहे में उन्होंने जन सामान्य के लिए एक संदेश प्रतिपादित किया है, जो प्रत्येक मनुष्य को नीति के मार्ग पर चलने के लिए सदैव मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

यह दोहे अत्यंत सरल सहज एवं स्वभाविक भाषा में लिखे गए हैं, ताकि इन दोनों में छुपी शिक्षा को हर कोई आसानी से समझ सके एवं इसे अपने जीवन में लागू कर सके। इन दोहों की यही तो खासियत है, यह देखने में बहुत सामान्य होते हैं किंतु इनमें बहुत बड़ी सीख छुपी होती है। आशा है कविवर की यह दोहे पढ़कर आप इनकी सीख को जीवन के हर कदम पर याद करते रहेंगे एवं खुद को गलत मार्ग पर जाने से रोकेंगे।

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सुबह का समय क्यों है मुल्यवान

सुबह मिलेगा समय चुराने का अवसर !

जी हां, बिल्कुल सही पढ़ा आपने !

समय चुराने का तात्पर्य किसी और के समय को चुराना नहीं है, बल्कि दिन के 24 घंटों में से उस समय का उपयोग करना है जिसे आप यूं ही गवा रहे हैं। यदि आपने बेकार हो रहे समय का इस प्रकार उपयोग कर लिया तो ऐसी स्थिति में आपके पास उस व्यक्ति की तुलना में अधिक समय होता है जो देर तक सोते रहता है।

यदि आप सुबह 8:00 बजे के स्थान पर 5:00 बजे ही उठ जाते हैं, तो सामान्य दिनों की तुलना में आपके पास उस दिन 3 घंटे अधिक होंगे। अब सोचिए कि इन तीन घंटों में आप कितने कार्यों को निपटा सकते हैं।

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➤ यदि आप किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो यह 3 घंटे आपके लिए अमूल्य होंगे। आप इस समय में अपनी पढ़ाई का बड़ा हिस्सा कवर कर सकते हैं।

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➤ कामकाजी लोग इन 3 घंटों में उन कामों को निपटा सकते हैं, जो दिन में व्यस्तता के कारण वह नहीं कर पाते।

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➤ यह अतिरिक्त समय उन लोगों के लिए कोहिनूर हीरे समान है जो पूरे दिन में अपने लिए कुछ खास वक्त नहीं निकाल पाते। इस समय को खुद को समर्पित कर के आप अपना मानसिक, भावनात्मक विकास कर सकते हैं।

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➤ यदि आप कोई नया कौशल सीखना चाहते हैं, और समय के अभाव के कारण ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो सुबह के यह कुछ घंटे आपके लिए अत्यंत उपयोगी हैं।

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➤ इसके साथ ही यदि आप योग व्यायाम आदि नहीं कर पाते हैं तो आप इस समय को ध्यान, योग - व्यायाम आदि के लिए निकाल सकते हैं।

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यदि आप दिन में कुछ अधिक समय की अपेक्षा करते हैं तो भला सुबह के समय से अच्छा और क्या हो सकता है।

सुबह उठने के स्वास्थ्य संबधी लाभ

मित्रों, जब कभी भी आप सुबह बहुत जल्दी उठते हो तो आपने महसूस किया होगा कि उस दिन आप पूरे दिन तरोताज़ा, चुस्त व सक्रिय महसूस करते हैं। वहीं दूसरी तरफ देर तक सोते रहने से बाकी के समय भी आप सुस्त महसूस करते हैं।

मित्रों, यदि आप स्वास्थ्य से जुड़ी किसी परेशानी का सामना कर रहे हैं, तो सुबह जल्दी उठना आपको अपनी बीमारी से छुटकारा पाने में बहुत मददगार साबित हो सकता है। इसके पीछे कारण यह है कि प्रकृति ने हमारे शरीर की संरचना इस प्रकार से की है, कि हमें रात को जल्दी सो जाना चाहिए और सुबह जल्दी उठना चाहिए।

यह नियम प्रकृति ने हमारे शरीर के लिए बनाया है, मानव शरीर के लिए रात सोने के लिए और सुबह जागने के लिए बनाई गयी है। यदि हम इसके अनुरूप कार्य करेंगे, तो हमारा शरीर स्वस्थ रहेगा लेकिन यदि हम इसके प्रतिकूल जाएंगे तो हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे।

आइये चलते-चलते जाने सुबह उठने के स्वास्थ्य संबंधी लाभों को :

✴ सुबह का समय व्यायाम करने के लिए बेहतरीन समय है। इस समय किया गया योग - व्यायाम और प्रणायाम सबसे अधिक फायदेमंद है।

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✴ सुबह की प्रदूषण मुक्त ताजी और ठंडी हवा श्वास संबंधी विकारों, जैसे अस्थमा इत्यादि में राहत पाने के लिए बेहद कारगर है।

✴ यदि बात शरीर को विटामिन डी उपलब्ध कराने की आती है तो सुबह की धूप से अच्छा विकल्प और नहीं है। सबह की धूप शरीर पर लगाने से शरीर को प्रचुर मात्रा में विटामिन डी प्राप्त होता है।

✴ सुबह का समय अवसाद, तनाव से ग्रसित लोगों के लिए वरदान से कम नहीं है। जो लोग मानसिक शांति चाहते हैं वह सुबह के समय सैर कर एवं प्रकृति के साथ समय बिता कर अपनी स्थिति में चमत्कारिक परिवर्तन देख सकते हैं।

प्रेरणादायक कहानी - लालच का परिणाम

मित्रों, आपने तेनालीराम की कई कहानियां सुनी होंगी। उनकी हाजिर-जवाबी और बुद्धिमता के किस्से घर-घर में मशहूर हैं। आज हम एक ऐसी ही कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो आपको गुदगुदाएगी भी, और एक महत्वपूर्ण सीख भी देगी।

विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय अति उदार स्वभाव के थे। वह अपनी प्रजा की हर आवश्यकता पूरी करते थे। राजा के इसी उदार स्वभाव के कारण विजयनगर के ब्राम्हण बड़े ही लालची हो गए थे। वह हमेशा किसी ना किसी बहाने से अपने राजा से धन वसूल किया करते थे। एक दिन राजा कृष्ण देव राय ने उनसे कहा - "मरते समय मेरी मां ने आम खाने की इच्छा व्यक्त की थी, जो उस समय पूरी नहीं की जा सकी थी। क्या अब ऐसा कुछ हो सकता है जिससे उनकी आत्मा को शांति मिले? " यह सुनते ही एक ब्राम्हण ने कहा- " यदि आप 108 ब्राह्मणों को सोने का एक-एक आम दान दें तो आपकी मां की आत्मा को शांति अवश्य ही मिल जाएगी। ब्राह्मणों को दिया दान मृत आत्मा तक अपने आप ही पहुंच जाता है।" सभी ब्राह्मणों में ने इस पर हां में हां मिलाई।

राजा कृष्णदेव राय ब्राह्मणों के इस प्रस्ताव से सहमत हुए। उन्होंने ब्राह्मणों को 108 सोने के आम दान कर दिए। इन आमों को पाकर ब्राह्मणों की तो मौज हो गई। जब तेनालीराम को इस घटना की सूचना मिली, तब ब्राह्मणों के इस लालच पर उन्हें बहुत क्रोध आया। उन्होंने इन लालची ब्राह्मणों को सबक सिखाने की ठान ली।

जब तेनालीराम की मां की मृत्यु हुई, तो 1 महीने बाद उन्होंने ब्राह्मणों को अपने घर आने का निमंत्रण दिया। उन्होंने कहा कि वह भी अपनी मां की आत्मा की शांति के लिए कुछ करना चाहते हैं । खाने-पीने और बढ़िया माल पानी के लालच में 108 ब्राह्मण तेनालीराम के घर पर जमा हुए।

क्रोध न करने के लिए प्रेरित करते सुवचन

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✴ जिस प्रकार रोग शरीर का छय करता है, उसी प्रकार क्रोध मनुष्य के पतन का कारण बनता है।

✴ क्रोध से मूढ़ता उत्पन्न होती है, मूढ़ता से स्मृति भ्रांत हो जाता है, स्मृति भ्रांत हो जाने से बुद्धि का नाश हो जाता है, और बुद्धि नष्ट होने से प्राणी स्वयं ही नष्ट हो जाता है।

✴ क्रोधी एवं अहंकारी व्यक्ति को दुनिया में कोई अधिक क्षति नहीं पहुंचा सकता, क्योंकि यह 2 गुण ही उसे बर्बाद करने के लिए पर्याप्त हैं।

✴ एक क्रोधी व्यक्ति में तीन गुण गौंण होते हैं - धैर्य, बुद्धि, एवं संवेदनशीलता। इन तीन गुणों के नाश के कारण उसकी सफलता, प्रतिष्ठा, एवं संबंधों का नाश हो जाता है।

✴ जब ज्ञान की वर्षा होती है, तब क्रोध की अग्नि धुआं बनकर उड़ जाती हैं। अतः ज्ञान अर्जित करें।

सफलता के लिए सुबह की पांच अच्छी आदतें

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क्या आपने गौर किया है कि जिस दिन आप बहुत सुबह उठ जाते हैं, उस दिन आप तरोताजा और अधिक ऊर्जावान महसूस करते हैं?

साथ ही सुबह के वातावरण में घूमने से एक अजीब सी ख़ुशी का एहसास होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सुबह का समय बहुत अद्भुत होता है। यदि आप जल्दी उठते हैं, तो अन्य दिनों के मुकाबले आपके पास दिन के कुछ घंटे और बढ़ जाते हैं, जिसे आप सफलता पाने के लिए निवेश कर सकते हैं।

जी हां दोस्तों ऐसा बहुत कुछ है जो सुबह के समय करने से आप लाभान्वित हो सकते हैं। इसी कड़ी में हम आपके लिए लेकर आए हैं सुबह की वह पांच आदतें जो सफलता पाने में आपकी मदद कर सकते हैं :

अत्यधिक सोचनें की आदत से कैसे छुटकारा पाएँ

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कई बार ऐसा होता है कि कुछ चीजों या घटनाओं को लेकर हम इतना अधिक चिंतन मनन करने लगते हैं, कि वह विचार हमें परेशान करने लग जाते हैं। कभी कभार ऐसा होना कोई बड़ी बात नहीं है, किंतु यदि आप हर छोटी-बड़ी घटनाओं पर देर तक सोचनें लगे, तो यह आपके लिए समस्या बन जाएगी।

कुछ लोग तो इस आदत से इस तरह प्रभावित होते हैं, कि छोटी से छोटी चीज़ करने से पहले अनावश्यक ही हजारों बार सोचते हैं, और कुछ कर देने के बाद भी उस पर घंटों तक विचार करते रह जाते हैं। इस तरह अति अधिक सोचने से न जाने कौन-कौन से विचार मन में आने लगते हैं, और व्यक्ति पूरी तरह व्याकुल हो जाता है। साथ ही, आपका आत्मविश्वास भी धीरे-धीरे कम होने लगता है, क्योंकि आप हर कार्य को लेकर संशय में रहने लग जाते हैं।

इस आदत को छोड़ देना ही बेहतर होगा। लेकिन लोग ऐसा नहीं कर पाते। वे अपने ही विचारों में उलझ कर रह जाते हैं। इसीलिए हम आपके लिए कुछ ऐसे बिंदु लेकर आए हैं, जिन पर गौर करने पर आप अपनी इस आदत से छुटकारा पा सकते हैं :

झगड़े से बचने के लिए सुझाव

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दोस्तों, कई बार ऐसा होता है कि क्रोध के आवेश में आकर हम लड़ाई - झगड़े में कूद पड़ते हैं, लेकिन जब शांत दिमाग से इस बारे में सोचते हैं, तब हमें अपने कृत्य का पछतावा होता है।

केवल यही नहीं दोस्तों, झगड़े के परिणाम हमेशा बुरे ही होते हैं। बाद में पछताने से अच्छा है कि हम यह स्थिति आने ही ना दें। अक्सर ऐसी स्थितियों में हम समझ नहीं पाते की क्या उचित है, इसीलिए अंततः हम झगड़े में कूद पड़ते हैं। लेकिन आपको कोशिश करनी चाहिए कि जितना हो सके आप झगड़े को टाल सके, क्योंकि यह किसी के लिए भी अच्छी नहीं है।

हल्दी और सौंठ की प्रेरणादायक कहानी

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दोस्तों आज हम आपको एक बहुत ही रोचक कहानी सुनाने वाले हैं। यह कहानी है दो बहनों, हल्दी और सोंठ की। हल्दी स्वभाव से परोपकारी और दयालु थी लेकिन सौंठ घमंडी और स्वार्थी स्वभाव की थी। वह हमेशा अपनी बड़ी बहन हल्दी पर हुक्म जमाया करती थी। दिन यूं ही बीते रहे।

1 दिन दोनों बहनों के घर उनकी बूढ़ी नानी का संदेशा आया। बूढ़ी नानी ने अपनी मदद के लिए एक बहन को बुलाया था। संदेशा पढ़ते ही सौंठ समझ गई कि वहां जाकर उसे ढेरों काम करने पड़ेंगे, इसीलिए उसने तुरंत ही बहाना बनाकर जाने से मना कर दिया। जब हल्दी ने संदेश पढ़ा, वह तुरंत वहां जाकर उनकी सेवा करना चाहती थी। इसीलिए माता पिता की आज्ञा लेकर वहां अपनी नानी के घर के लिए निकल पड़ी।

रास्ते में उससे एक गाय दिखाई दी । हल्दी को देखकर उस गाय ने मदद के लिए उसे पुकारा। हल्दी तुरंत वहां गई और उसने गाय से पूछा कि उसे क्या कष्ट है। इस पर गाय ने कहा कि उसके आस पास बहुत सारा गोबर इकट्ठा हो गया है। तो क्या हल्दी इससे साफ कर देगी। हल्दी अपने परोपकारी स्वभाव के कारण तुरंत गाय की मदद के लिए मान गई और सारा गोबर साफ कर दिया। गाय बहुत प्रसन्न हुई । अब हल्दी ने गाय से विदा ली और आगे चल पड़ी। फिर उसे एक बेर का पेड़ दिखा जिसके आस पास बहुत से पत्ते बिखरे पड़े थे। हल्दी को वहां से गुजरता देख बेर ने भी उस से मदद मांगी, हल्दी ने उसके सभी बिखरे पत्तों को साफ कर दिया और बेर अति प्रसन्न हुआ। फिर कुछ दूर आगे बढ़कर उससे एक पर्वत दिखा जिसके आसपास कई ईट पत्थर थे। हल्दी ने पूरे मन से सभी ईंटों को साफ कर दिया और फिर नानी के घर की ओर चल पड़ी।

कमज़ोर आर्थिक स्थिति का सामना कैसे करें

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जीवन में कभी न कभी हम सबको आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, ऐसे में इनसे घबराने की ज़रूरत नहीं है। कमज़ोर आर्थिक स्तिथि से निपटने के लिए आपको बहुत धैर्य एवं सकारात्मकता के साथ कदम बढ़ाने होंगे। हालातों से हार मान लेने से काम नहीं चलेगा। आपको इनसे उबरने के लिए अपने हौसले को बनाये रखना होगा। दोस्तों, भूले नहीं कि रात के बाद दिन ज़रूर आता है, इसी तरह दुःख के बाद सुख आना भी निश्चित है। तो आइये जानते हैं, कमज़ोर आर्थिक स्थिति से आप किस तरह निपट सकते है :

✴ आवश्यकताओं को सीमित करें

जब आर्थिक स्थिति कमजोर हो, तब आपको पैसे बचाने पर ज्यादा जोर देना चाहिए। आर्थिक हालत चरमरा जाने पर आवश्यकताएं तो उतनी ही रहती हैं, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए पूंजी कम पड़ जाती है। ऐसे में सभी पैसे खर्च कर देना बुद्धिमानी नहीं होगी । अपनी जरूरतों को कम करें, पैसे केवल वहीं लगाएं जहां बहुत जरूरी है। जिसके बिना काम चलाया जा सकता है, उसमें पैसे खर्च ना करें ।

✴ केवल सोंचे नहीं, करें भी

हमारे पास पैसे नहीं है, अब क्या होगा क्या? क्या करना चाहिए? ऐसे सवाल मन में आने स्वभाविक हैं, लेकिन केवल इन पर सोचतें रहने से कुछ बदलने वाला नहीं है।आपको उस दिशा में काम करना होगा। अपनी माली हालत को वापस पटरी पर लाने के लिए आपको मेहनत करनी होगी, या फिर यह कहे कि दोगुना परिश्रम करना होगा। ऐसे में आलस्य का पूर्णतः त्याग कर दें । याद रखें कि आप आज काम करेंगे, तभी कल बेहतर होगा। फिर कभी आप ऐसी स्थिति में ना पहुंचें, इसके लिए कठोर परिश्रम कीजिए और सफल बनिए।

खेल में बेहतर प्रदर्शन कैसे करें

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पेश है खेलकूद में अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के उपाय:

☸ सही पोषण

खेलकूद में शारीरिक श्रम होता है। आप खेल के मैदान में अधिक देर तक टिके रहें, इसके लिए आपके शरीर में पर्याप्त ऊर्जा होनी चाहिए। यह ऊर्जा वसा एवं कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन से प्राप्त होती है। यदि आप स्वस्थ नहीं होंगे, तो खेल में बेहतर प्रदर्शन करना संभव नहीं है। इसीलिए आपको अपने खान-पान पर खास ध्यान देने की जरूरत है। खाने में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों जैसे दूध, अंडे, पनीर, अंकुरित बीज इत्यादि शामिल करें। पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें ताकि आपका शारीरिक विकास सही ढंग से हो, और खेल में अधिक ऊर्जा की खपत को आप पूरा कर पाए।

☸ अभ्यास एवं प्रशिक्षण

हीरा जितना घिसा जाता है, उसकी चमक उतनी ही बढ़ती जाती है। ठीक उसी प्रकार आप जितना अभ्यास करेंगे, उतना ही अपने खेल में अच्छे होते जाएंगे । केवल 1 दिन खेल लेने से आप बेहतर खिलाड़ी नहीं बन सकते। आपको निरंतर खेल के कौशल को निखारने की जरूरत है। खेल के मैदान में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए आपको कड़ी मेहनत और अभ्यास करना होगा। जिन जगहों पर आप कमजोर हैं, अभ्यास करके उसे अच्छा करें। रोज कुछ घंटे अभ्यास के लिए निकालें। साथ ही एक अच्छे शिक्षक से बकायदा प्रशिक्षण प्राप्त करें, ताकि आपको अपने खेल के सभी नियम, सभी बारीकियाँ समझ में आए और आपके अभ्यास को सही दिशा मिले।

☸ अनुशासन

खिलाड़ी का अनुशासित होना अत्यावश्यक है। बिना अनुशासित जीवन शैली के आप बेहतर खिलाड़ी नहीं बन सकते। अनुशासन आपको हर चीज में स्थापित करना होगा। कड़ी दिनचर्या का पालन करें, अभ्यास प्रतिदिन एवं समय पर करें, 1 दिन भी अभ्यास छूटने नहीं पाए, समय के पाबंद बनें, आज का काम खत्म करें, भोजन में अनुशासन रखें। तभी जाकर आप अपने खेल में बेहतरीन प्रदर्शन कर पाएंगे ।

विषाक्त सकारात्मकता के लक्षण

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दोस्तों, हम यह तो जानते हैं कि सकारात्मकता जब आवश्यकता से अधिक हो जाए, तब वह विषाक्त सकारात्मकता का रूप ले लेती है, जो कि हानिकारक है। हम कब इसके शिकार हो जाते हैं, पता भी नहीं चल पाता। यही नहीं, हमारे आसपास लोग इस से ग्रसित हैं, यह पहचानना भी मुश्किल है। ऐसी स्थिति में यह जरूरी हो जाता है कि हम विषाक्त सकारात्मकता की उपस्थिति को पहचानें, और उसे खत्म करें । आइये जानते हैं विषाक्त सकारात्मकता के लक्षण :

☸ यदि किसी समस्या के आ जाने पर आप उसका सामना नहीं कर पाते, और समस्या से भागने लगते हैं, लेकिन साथ ही आप खुद को और दूसरों को यह दिखाने की कोशिश करते हैं आप बिल्कुल सकारात्मक हैं, पूरी तरह से ठीक हैं, तो यह विषाक्त सकारात्मकता का लक्षण है। इसीलिए अवलोकन करें कि कोई समस्या आपको अंदर ही अंदर बहुत ज्यादा परेशान तो नहीं कर रही। यदि आप ऐसी स्थिति में भी केवल दिखावे के लिए सकारात्मक रहने की कोशिश कर रहे हैं, तो इसे तुरंत बदलें।

☸ यदि कोई व्यक्ति अधि तनावपूर्ण बातें नहीं सुन पाता, और हमेशा उनसे भागने की कोशिश करता रहता है, तो यह भी विषाक्त सकारात्मकता का ही 1 लक्षण है। ऐसे लोगों में यह डर होता है कि नकारात्मक बात सुनने से उनकी सकारात्मकता पर प्रभाव पड़ेगा, इसीलिए सबसे अच्छी बातें कहने को कहते हैं, और यदि कोई अपनी समस्या लेकर आए, तो वह उससे मुंह मोड़ लेते हैं।

☸ यदि कोई व्यक्ति बहुत ही बुरी परिस्थितियों में, जहां समस्या की गंभीरता पर बात करनी चाहिए, वहां भी "सब अच्छा है" ऐसा कहता रहता है, तो वह भी विषाक्त सकारात्मकता से ग्रसित है। ऐसा व्यक्ति सकारात्मकता से समस्या को हल करने पर जोर नहीं देता, बल्कि सकारात्मकता के नाम पर उस समस्या को दबाने की कोशिश करता रहता है।

बच्चों के विकास के लिए खेलकूद का महत्व

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माता-पिता चाहते हैं कि बच्चे अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगाएं। बच्चे ज्यादा से ज्यादा समय पढ़ाई पर लगाएं, इसलिए माता-पिता अक्सर उनके खेल के समय में कटौती कर देते हैं । कई माता-पिता तो खेलकूद को केवल समय की बर्बादी मात्र मानते हैं। पढ़ाई के लिए बच्चों को प्रेरित करना अच्छी बात है, पर उन्हें खेलकूद से दूर रखना आपकी भूल साबित हो सकती है।

कैसे?

इसका जवाब आपको नीचे लिखे बिंदुओं में मिलेगा। इस लेख में हम बच्चों के जीवन में खेलकूद के महत्व के बारे में बात कर रहे हैं। इन बिंदुओं पर गौर करने के बाद आप की सोच जरूर बदल जाएगी, और आप स्वयं बच्चों को खेल के लिए प्रेरित करेंगे :

शारीरिक मजबूती

खेल बच्चों को मजबूत बनाते हैं। इससे उनकी शारीरिक श्रम करने की क्षमता बढ़ती है, एवं वह अधिक सक्रिय रहते हैं। श्रम करने की आदत आगे जाकर उनके लिए फायदेमंद साबित होगी, जिससे किसी भी काम को करने में शारीरिक कमजोरी उनके लिए बाधा नहीं बनेगी। खेल के दौरान गिरना एवं चोट लगना उनके दर्द सहने की क्षमता को बढ़ाता है, उन्हें अधिक सहनशील बनाता है।

मानसिक विकास

भविष्य में जीवन के संघर्षों के सामने टिक पाने के लिए आवश्यक है कि बच्चे मानसिक रूप से भी मजबूत हो। खेल की रणनीति पर चिंतन - मनन बच्चों में बच्चे मानसिक श्रम करते हैं। खेल से मिली हार उन्हें चुनौतियों का सामना करने, एवं हार स्वीकार करने के लिए मानसिक रूप से तैयार करती है।

अच्छा कैसे लिखें - लेखन कौशल निखारने के सर्वश्रेष्ठ सुझाव

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कभी नया लिखना होता है तो हम 10 बार सोचते हैं, क्या लिखें? कैसे लिखें? शुरू कैसे करें?

कभी-कभी आपके मन में किसी घटना के बारे में लिखने का विचार आता होगा। आप सहमत होंगे कि बोलना जितना आसान है, लिखना उतना नहीं क्योंकि लिखने का प्रभाव बोलने से अधिक स्थाई और प्रभावी होता है, परंतु शर्त यह है कि हमें प्रभावी ढंग से लिखना आए। जी हाँ, क्योंकि लेखन एक कौशल है। इस लेख में हम यही जानेंगे कि प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जा सकता है:

विचारों की अभिव्यक्ति और भाषा

लिखित अभिव्यक्ति में हमें चाहिए कि विचारों को क्रमबद्ध करके अपने भावों के अनुकूल भाषा का प्रयोग करें । स्वाभाविक और स्पष्ट लिखने का प्रयास करें। स्वच्छता, सुंदरता और सुडौल अक्षर का निर्माण, चौथाई छोड़कर लिखना, अक्षर, शब्द और वाक्य से वाक्य के बीच की दूरी को ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। अर्थात्, लेखन सुंदर और शब्दों की वर्तनी शुद्ध हो। वाक्य की बनावट भी ठीक होनी चाहिए। साथ ही उसमें व्याकरण संबंधी कोई त्रुटि ना हो। जो आप कहना चाहते हैं, वही अर्थ निकले और वही दूसरों तक पहुंचे।

अपने अंदर की झिझक को कैसे मिटाएं

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दोस्तों, झिझक या शर्म हम सबों में होती है। किसी में अधिक, तो किसी में कम, लेकिन सब लोग कभी न कभी किसी न किसी स्थिति में शर्माते हैं। किंतु कुछ व्यक्ति तो ज्यादा लोगों के सामने कुछ बोल ही नहीं पाते।

यह झिझक चिंता का कारण तब बनती है, जब यह आपके विकास में बाधा बन जाती है। तब, जब झिझक के कारण आपकी हानि होने लगे, पढ़ाई या नौकरी में आपका प्रदर्शन खराब होने लगे, या रोजमर्रा के कामों में भी परेशानी खड़ी हो जाए, तब आपको सजग हो जाने की आवश्यकता है। इसे इतना न बढ़ने दें कि आप कुछ भी करना चाहें तो शर्म के कारण पीछे हट जाए।

स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब यह शर्म बीमारी का रूप ले लेती है, जिसे ऐरिथ्रोफोबिया कहते हैं। इस अवस्था में व्यक्ति बात-बात पर शर्म आने लग जाता है। तो अपनी शर्म को खत्म करें, ताकि आप हर क्षेत्र में शत-प्रतिशत प्रदर्शन कर पाएं।

आत्मविश्वास को बल दे :

झिझक का मुख्य कारण है खुद पर विश्वास की कमी। हम हमेशा खुद को कम करके आंकते हैं । हमें लगता है कि हम में कुछ भी अच्छा नहीं है, और सामने वाले हम पर हसेंगे। पर यह केवल आपकी सोच है। सच्चाई ऐसी नहीं है। खुद पर विश्वास रखें और हीन भावना मन में ना आने दे। अपनी कमजोरियों को भी आत्मविश्वास के साथ स्वीकार करें, और अपनी क्षमताओं पर भी भरोसा रखें। यह मानें कि आप अपने आप में खास हैं।

लोगों को प्रभावित कैसे करें

हर कोई चाहता है कि वह अपनी अलग पहचान बनाए, लोगों के बीच पसंदीदा बने। जब भी हम किसी से मिलते हैं, तो किसी न किसी रूप में उन्हें प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। लोगों के ऊपर अपनी छाप छोड़ना एक कला है जो सबको नहीं आती। आप सोचते होंगे कि कैसे कुछ लोग भीड़ में इतने अलग दिखते हैं, जो कि सबके आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं।

मित्रों! कुछ लोगों में यह गुण पहले से होता है, उनका व्यक्तित्व ही ऐसा होता है, और कुछ लोग इसे अपने अंदर विकसित करते हैं। आप भी इस कला को सीख सकते हैं और लोगों पर अपना प्रभाव छोड़ सकते हैं। तो आइए जानते हैं कैसे आप खुद को भीर से अलग दिखा सकते हैं I

पहनावे पर ध्यान देना

लोगों की नजर में जो सबसे पहली चीज आती है, वह है आपकी वेशभूषा। अच्छे दिखने वाले व्यक्ति पर स्वतः ही लोगों का ध्यान केंद्रित हो जाता है। किंतु यहाँ अच्छे दिखने का तात्पर्य सुंदर दिखने से नहीं है।

खुद को साफ रखें, वह कपड़े पहने जिन्हें आप पूरे आत्मविश्वास के साथ वहन कर सकें, और जो आपके व्यक्तित्व को निखारे।

बेहतरीन संचार कौशल

अच्छे पहनावे से जितनी जल्दी लोगों का ध्यान आप पर केंद्रित होता है, खराब बातचीत के ढंग से उतनी ही जल्दी लोग आपसे मुंह मोड़ लेते हैं। लोगों को प्रभावित करने के लिए जरूरी है कि आपकी बातें उन्हें आपकी तरफ आकर्षित करें। इसके लिए संचार की बारीकियों पर ध्यान दें। शुद्ध एवं साफ भाषा का प्रयोग करें, आकर्षक शब्दों का प्रयोग करें, आवाज़ के उतार चढ़ाव पर ध्यान दें, शारीरिक हाव-भाव का ख्याल रखें, और बात करते समय आई कांटैक्ट बना कर रखें।

आलस्य पर विजय प्राप्त करें

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दिन भर सोते रहना कितना अच्छा लगता है ना !

हम उन दिनों की कल्पना करते हैं, जब हम सिर्फ आराम करें। न जाने कितने ही कामों को न करने की इच्छा के कारण हम बहाने बना लिया करते हैं। यह अनिच्छा ही आलस्य है, जिसे हमारे शास्त्रों में मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु कहा गया है। आइए इस श्लोक को पढ़ें :

अलसस्य कुतो विद्या, अविद्यस्य कुतो धनम्

आधनस्य कुतो मित्रम्, अमित्रस्य कुतो सुखम्

अर्थात आलस करने वाले को विद्या कहां? जिसके पास विद्या नहीं, उसके पास धन कहां? निर्धन व्यक्ति के पास मित्र कहां? और मित्र के बिना सुख कहां?

इसीलिए आप भी सावधान हो जाएं, और आलस करना छोड़ें।

उपाय :

अनुशासन में रहें और नियम बनाएं

आलस को खत्म करने के लिए आपको स्वयं को अनुशासित करना होगा। खुद के लिए कड़े नियम बनाएं, और उन नियमों को तोड़ने की इजाजत खुद को ना दें। मन के बहकावे में बहकने से खुद को रोकें, और मन ना होने पर भी किसी भी काम को नजरअंदाज ना करें।

नियम टूटने पर सजा के लिए तैयार रहें

खुद के बनाए नियम तोड़ना आसान है, क्योंकि आपको सजा देने वाला कोई नहीं होता। हम बड़ी आसानी से तय किए गए नियमों को नजरअंदाज कर देते हैं इसीलिए नियमों के साथ सजा भी तय करें। जब भी नियम टूटें, तो खुद को कड़ा दंड दें। इससे आपको ना चाहते हुए भी आलस को त्यागना ही होगा।

खुद को सक्रिय बनाएं

ऐसी क्रियाओं में स्वयं को संलग्न करें, जिनमें आपकी सक्रियता बढे। सुबह दौर लगाएं, शारीरिक कार्य करें, खेल खेले इत्यादि। इससे आपकी आलसी प्रवृत्ति बदलेगी और आप सक्रिय हो पाएंगे।

दृढ़ संकल्प

बिना दृढ़ संकल्प के आपके सारे प्रयास निरर्थक रह जाएंगे। इसीलिए मन में ठान लीजिए, कि आपको आलस छोड़ना है। साथ ही बीच-बीच में स्वयं को इस दिशा में बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करें।

स्वस्थ रहने के लिए खुद को प्रकृति से जोड़ें

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आजकल हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी रोग का शिकार है। पहले की तुलना में अब लोग ज्यादा बीमार पड़ने लगे हैं। यहां तक कि नवजात शिशु भी जन्म के साथ ही जॉन्डिस, निमोनिया जैसे रोगों से ग्रसित हो जाते हैं। यदि आज से कुछ दशक पहले की तस्वीर देखी जाए, तो लोग अधिक स्वस्थ हुआ करते थे, और कहीं अधिक लंबा जीवन जिया करते थे। स्वास्थ्य के स्तर में इतनी गिरावट का सबसे मुख्य कारण है बदलती जीवनशैली।

आधुनिक जीवनशैली उपकरणों से घिरी हुई है। हम प्रकृति से दिन-ब-दिन दूर होते जा रहे हैं।

घर में पेड़ पौधे नहीं, बल्कि मोबाइल फ्रिज जैसे ढेरों उपकरण हैं। सूर्य एवं चंद्रमा की रोशनी छोड़ हम बनावटी लाइटों के बीच रहते हैं, पैकेट बंद खाद्य पदार्थ हमारा भोजन हैं, कच्चे फल सब्जियों की जगह हम जंक फूड खाना पसंद करते हैं, व्यायाम की जगह स्थूल जीवन शैली के हम आदी हो गए हैं, यहां तक कि जिस हवा में हम सांस लेते हैं, और जिस जल को ग्रहण करते हैं, वह भी शुद्ध नहीं है। ऐसे में कैसे स्वास्थ्य की गुणवत्ता बनाई रखी जा सकती है?

अपने आसपास देखिए। प्रकृति है?

नहीं!

जिस प्रकृति का हम हिस्सा हैं, जिसने हमें बनाया है, उससे दूर होकर हम कैसे ठीक रह सकते हैं ? अपने शरीर की संरचना को समझिये। यह मशीनों के लिए नहीं बनी है। इसीलिए स्वस्थ रहना तब तक पूरी तरह संभव नहीं है, जब तक आप खुद को प्रकृति से नहीं जोड़ेंगे।

यह सच है कि आप पूरी तरह से आधुनिकता के इस मशीनी माहौल से नहीं बच सकते हैं, लेकिन अभी भी ऐसा बहुत कुछ है जो आप कर सकते हैं। आइए जानते हैं प्रकृति की गोद में फिर से लौटने के लिए आप क्या-क्या कर सकते हैं:

युवा पीढ़ी मोबाइल और सोशल मीडिया की लत से कैसे छुटकारा पा सकते हैं
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आज या आप में से कितने हैं जो फोन के बिना 1 मिनट भी नहीं रह पाते? और ऐसे कितने हैं जो बिना मतलब सोशल मीडिया के पोस्ट को स्क्रॉल करते रहते हैं?

आपने से अधिकांश लोग इनमें से किसी ना किसी आदत के आदी होंगे। आजकल हर दूसरा व्यक्ति इस आदत का शिकार है। सोते, जागते, खाते, पढ़ते, हर वक्त लोग सोशल मीडिया पर जमे रहते हैं, जहां घंटों कब बीत जाते हैं, पता भी नहीं चलता। कुछ खाया, या पिया इसकी भी सुध नहीं रहती। अब तो स्थिति ऐसी हो गई है कि लोग एक दूसरे से बात करने से ज्यादा फोन पर चैटिंग करना पसंद करते हैं।

ऐसा नहीं है कि इस स्थिति से हम अनभिज्ञ हैं, हम सभी सोशल मीडिया की आदत के बुरे प्रभावों से पूरी तरह वंचित हैं, लेकिन फिर भी कुछ नहीं कर पा रहें। मानो जैसे हम इस जाल में बुरी तरह से फंस गए हों। यह लत बिल्कुल नशे की लत की जैसी है, जो बुरी है यह तो हम जानते हैं, पर इसे छोड़ नहीं पा रहे। इस के चक्कर में पढ़ाई, कैरियर, परिवार, संबंध, सब पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

आखिर करें तो क्या करें ?

हम जानते हैं कि आप इस लत से परेशान हैं, लेकिन करना क्या है यह नहीं समझ पा रहे। तो घबराइए नहीं। कहते हैं ना, जहां चाह वहां राह !

यही राह दिखाने के लिए हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ बेहद सरल किंतु प्रभावी उपाय जो आपको इस लत को छोड़ने में मदद कर सकते हैं I
अधिक पढ़ने पर भी अच्छे अंक क्यों नहीं आते - उपाय

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आपके मन में यह प्रश्न जरूर आता होगा, कि कुछ बच्चे कम पढ़कर भी अच्छे अंक कैसे ले आते हैं?

जबकि कुछ बच्चे जी तोड़ मेहनत करते हैं, पर उनके अंक उस मेहनत के अनुरूप नहीं होते। जब बच्चे साल भर पूरी मेहनत से पढ़ाई करते हैं, और तब भी उनके अंक संतोषजनक नहीं होते, तब उनका मनोबल टूट जाता है। वह बहुत निराश हो जाते हैं। ऐसे में बच्चे तनावग्रस्त भी हो सकते हैं। बच्चों के कोमल मन पर निराशा की यह छाया नहीं पड़नी चाहिए, नहीं तो वह नन्हे फूल मुरझा जाएंगे।

इस स्थिति में फंसे बच्चों की मदद करने के लिए आज के लेख में हम बताने जा रहे हैं, कि आपको अच्छे अंक लाने के लिए कहां-कहां बदलाव करने की जरूरत है :

☸ सबसे पहली सीख, रटे नहीं, कंठस्थ करें।

रटंत विद्या बहुत हानिकारक है। बिना भावार्थ समझें केवल शब्दों या वाक्य को याद कर लेने से आपके ज्ञान में कोई वृद्धि नहीं होती। ऐसी चीजें आपको बस कुछ समय तक ही याद रहती है। इस तरह से याद करने वाले बच्चे, तब पूरी तरह ब्लॉक हो जाते हैं, जब सवाल थोड़ा भी घुमा दिया जाता है। क्योंकि आपने जो रट लिया, आपको बस उतना ही आता होता है। इसीलिए याद रखे बच्चों, आप जो भी पढ़ रहे हैं, उससे रटे नहीं, बल्कि समझे कि पाठ में आपको क्या समझाया जा रहा है। एक बार जब विषय वस्तु आपके समझ में आ जाएगी, तब आप उससे संबंधित प्रश्नों को हर तरह से हल कर पाएंगे ।

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