Roshan Jahan Roshan
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मनुष्य स्वयं अपने भाग्य का निर्माता है कैसे -
मनुष्य कुछ इस प्रकार की धातु है कि उसकी शक्ति के आगे कोई भी चीज नहीं टिक सकती I यदि मनुष्य ने कुछ भी ठान लिया तो वह उसे कर सकता है I इस संसार में मनुष्य से ज्यादा शक्तिशाली कोई नहीं होता।
लेकिन यह भी निर्भर करता है मनुष्य के उपर I इसीलिए यह कहा जाता है कि मनुष्य स्वयं अपने जीवन का निर्माता है। उसे क्या करना है ,क्या नही करना है और वह क्या कर सकता है यह सब उसके उपर ही निर्भर है।
दुनिया में मनुष्य के आगे कुछ भी असंभव नही है आदमी के अच्छे और बुरे होने के निर्धारण स्वयं उसके कर्म करते हैं यदि हम जीवन में अच्छा करते है तो अच्छा ही मिलता है उसी प्रकार हम बुरा करते है तो बुरा होता है।
व्यक्ति अपने जीवन का हर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है तो उसके भाग्य का फैसला कोई और कैसे कर सकता है I कई बार हम यही सोच कर बैठ जाते हैं कि हमारा लक हमें बचा लेगा, हमे मेहनत की आश्यकता नहीं है I परन्तु ऐसा नही होता हम अपना लक खुद बनाते है I अगर हमने यह तय कर लिया कि हमे जीवन में कामयाब होना है तो हमसे बड़ा कोई है ही नहीं जो हमे रोक सके I जब तक हम खुद ना चाहे हमे कोई नहीं रोक सकता।
हमारा जीवन हमारे उपर निर्भर करता है I हम किस प्रकार उसे बेहतर बना सकते हैं या उसे बिगाड सकते हैं हम जैसा करेंगे वैसा ही होगा। हम किसी और को दोष नहीं दे सकते अपने असफलता के लिए क्योंकि यदि हम सफल है तो भी खुद की वजह से, असफल है तो भी खुद की ही वजह से। आप अपने जीवन में कितना बेहतर करोगे यह स्वयं आप तय कर सकते हो कोई कॉलेज, कोचिंग, ट्रेनिंग या कोई और नहीं।
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