Pallavi Thakur
657 pts
Motivator

अपने मन के भावों को काग़ज़ पर उकेर कर संजो लीजिए!

नमस्कार! मैं आकाशवाणी की युवा कलाकार हूँ। लेखन एवं हिंदी भाषा में मेरा अत्यधिक रुझान है। इस रुचि को एक ब्लॉगर के रूप में साकार करने के की कोशिश है।

व्यक्तिगत संबंध हों, या व्यवसायिक, बेहतर संचार की भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण है। क्योंकि यह एक मात्र साधन है जिससे आप विचारों और भावों को साझा करते हैं। यदि संचार का अभाव हुआ तो संबंधों में परस्पर संबंध का आभाव हो जाता है। इसीलिए यह अत्यंत आवश्यक है कि आप संचार कौशलों में सुधार लाते रहें, ताकि आपके जीवन के हर पहलू में सुधार आए।

1 ) अभ्यास

आपने यह तो सुना ही होगा कि "करत करत अभ्यास ते जनमत होत सुजान"। इसका अर्थ है कि अभ्यास से ही पूर्णता मिलती है। रोज़ कुछ देर आईने के सामने खड़े हो कर बोलने की कोशिश करें। साथ ही, अपने शरीर की मुद्रा एवं हाव भाव का भी निरीक्षण करें। लोगों से बात करने को भी अभ्यास का ही हिस्सा समझें और सही सुधारों को लागू करें।

2 ) अशाब्दिक संचार पर खास ध्यान दें।

वार्तालाप के दौरान बोलने के अलावा शरीर द्वारा भी संचार किया जाता है। बात करते वक़्त हाथों का प्रयोग कर के अलग-अलग मुद्राएं बनाएं, चेहरे के हाव भाव का इस्तेमाल करें। कुल मिला कर आपका पूरा शरीर संचार की प्रक्रिया में शामिल होना चाहिए। इससे सामने वाले तक यह संदेश पहुँचता है कि आप पूर्णतः उनकी बातों में तल्लीन हैं। यही नहीं, जब आप पूरे शरीर द्वारा संचार करते हैं, तब आपकी बातें श्रोताओं पर गहरी छाप छोड़ती हैं।

3 ) हँसी मज़ाक के सही अवसर को समझना।

संचार तब तक बेहतर होता है, जब दो पक्ष आपस में सहज हों। वतावरण को अनुकूल बनाने के लिए बीच-बीच में मज़ाक का सहारा लेना चाहिए। इससे दोनों पक्षों में झिझक मिट कर बेहतर संचार प्रवाहित होता है। वहीं अत्यंत औपचारिक या व्यवसायिक मामलों में हँसी मज़ाक आपका काम बिगार सकते हैं। ऐसे मामलों में केवल विषय वस्तु से जुड़ी, अर्थात टू द पॉइंट बातें करनी चाहिए।

Posts

Services

No record found.

Opinions

No record found.

My Topic

My Group

0 comment

No Comments Yet