Meenal Jain
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बिना सोचे समझे कोई कार्य नहीं करना चाहिए.jpg

किसी नगर में एक ब्राह्मण रहता था। उसने अपना पूरा जीवन पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यो में व्यतीत किया था। समय के साथ ब्राह्मण अब बूढ़ा हो गया था। इस कारण उसकी आमदनी भी कम हो गयी थी। समाज में प्रभाव काम होने से वह निराश रहने लगा था। उसे धनोपार्जन का कोई उपाय नहो सूझ रहा था।

एक रात जब ब्राह्मण सो रहा था तो सपने में भगवान दिखाई दिए। भगवान ब्राह्मण से बोले कि तुमने हमेशा मेरी भक्ति की है इसलिए मैं तुम्हारी गरीबी हमेशा के लिए मिटा दूंगा। कल मैं तुम्हारे द्वार पर भिक्षा मांगने आऊंगा। तुम मेरे सिर पर जोर से डंडा मार देना। तुम्हारे डंडा मारते ही मेरा शरीर स्वर्ण में बदल जायेग। तुम उस स्वर्ण से धनवान हो जाओगे। इतना कहने के बाद ब्राह्मण की नींद खुल गयी।

अगले दिन ब्राह्मण ने वैसा ही किया। जैसे ही भिक्षुक भिक्षा मांगने आया उसने उसके सिर पर डंडे से जोर का प्रहार किया। डंडे मारते ही भिक्षुक का शरीर स्वर्ण में बदल गया। ब्राह्मण और उसका परिवार बहुत खुश हुआ। ब्राह्मण का पड़ोसी ये सब देख रहा था। उसके मन में भी लालच आ गया। जब एक भिक्षुक पड़ोसी के घर भिक्षा मांगने आया तो उसने डंडे से उस पर प्रहार किया। प्रहार करते ही उस भिक्षुक के सिर से रक्त की धारा बहने लगी। उस भिक्षुक को तुरंत बैद्य के पास ले जाया गया। जहाँ काफी उपचार के पश्चात उसकी जान बचाई जा सकी।

इस कहानी से प्रेरणा :-

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कोई भी कार्य करने से पहले उसके परिणाम पर भी विचार कर लेना चाहिए। बिना विचारे कार्य करने के दुष्परिणाम होते है।

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