समय प्रबंधन से स्व-प्रबंधन को आगे बढ़ाना क्यों महत्वपूर्ण है

समय प्रबंधन से स्व-प्रबंधन को आगे बढ़ाना क्यों महत्वपूर्ण है

  

सफलता प्राप्त करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण परिस्थितियों में से एक है सेल्फ-मैनेजमेंट|अपने समय को सही तरीके से वितरित करने का तरीका सीखने के बाद, आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में अधिक प्रभावी ढंग से काम कर पाएंगे। यदि आप स्व-प्रबंधन के लक्ष्य को ध्यान में रखते हैं, तो सभी उपलब्ध संसाधनों के उपयोग को अधिकतम करना है और कुछ कार्यों के निष्पादन पर खर्च किए गए समय को कम करना है। इसलिए समय प्रबंधन में स्व-प्रबंधन का बहुत महत्व है समय के साथ साथ हमें अपने मन, विचार, कर्म पर नियंत्रण रखना चाहिए | सफलता के मार्ग की हर बाधा को स्वयं से दूर करके ही समय प्रबंधन का पालन किया जा सकता है |

प्रस्तावना :-

आत्म-प्रबंधन केवल एक दायित्व नहीं है, बल्कि एक प्रभावी और सफल व्यक्ति की एक स्थापित आदत है। बुद्धि और नैतिक मूल्य सबल हों, तो मन, शरीर, परिवार, समाज और राष्ट्र मजबूत होते हैं। केवल मन से काम लेने वाले लोग आम तौर पर आवेशी और दुर्बल होते हैं, उनमें निर्णय शक्ति तथा आत्मसंयम की कमी होती है उनमें नैतिक मूल्यों की कमी भी होती है और उनकी बुद्धि अविकसित रह जाती है।

स्व-प्रबंधन :-

स्व-प्रबंधन से हमारी बुद्धि को बल मिलता है और वह बौराते मन को लगाम देने में सफल होती है। मन पर विवेक का नियंत्रण ही स्व-प्रबंधन है। यदि हमारा विवेक हमारे मन को दिशा दे तो हमें सफलता और समृद्धि मिलेगी, लेकिन यदि विवेक पर मन हावी हो तो हम में नैरास्य, निग्रह, दमन और विषाद की भावना पनपेगी और हम पतनोन्मुखी हो जाएंगे। मानव जाति को स्व-प्रबंधन के अनुरूप दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है -हठधर्मी और सहनशील। हठधर्मी के पुनः दो भेद किए जा सकते हैं -हठधर्मी नम्र और हठधर्मी आक्रमणशील।

इसी तरह सहनशील के भी पुनः दो भेद किए जा सकते हैं - सहनशील नम्र और सहनशील उग्र। हठधर्मी लोग विवेक का उपयोग करते हैं। हठ अच्छा या बुरा हो सकता है। हठधर्मियों में जो सहनशील होते हैं वे निःस्वार्थी होते हैं। वे अनासक्त होते हैं, उनमें अहं नहीं होता, वे आत्मकेंद्रित नहीं होते, दूसरों की मदद करना उनका स्वभाव होता है। वे सभी के प्रिय होते हैं और उनमें सेवा तथा परोपकार की भावना भरी रहती है। इसके विपरीत उग्र लोग स्वार्थी, आसक्त, अहंकारी, लालची, आत्मकेंद्रित, अंतर्मुखी, उद्धत, प्रतिशोधी, हिंसक, असहिष्णु और ईष्र्यालु होते हैं।

समय प्रबंधन ही एक मात्र युक्ति है हमारे आत्म-प्रबंधन की आज बहुत जरुरी है हमारी दिनचर्या में समय की योजना बना कर सही दिशा देना

समय प्रबंधन :-

समय प्रबंध से तात्पर्य समय को बांध कर सही उपयोग करना समय का कुशलता पूर्वक प्रयोग बहुत जरुरी है |जीवन की सफलता का रहस्य समय के सदुपयोग में ही अंतर्निहित है। चाहे वह निर्धन हो या धनवान, किसान हो या मजदूर, राजा हो या प्रजा, विद्वान हो या मुर्ख, समय पर सभी का समान अधिकार है। समय की उपयोगिता साधारण से साधारण व्यक्ति को भी महान बना देती है। आज तक जितने भी महान पुरुष हुए उनके जीवन की सफलता का रहस्य एकमात्र समय के अमूल्य क्षणों का सदुपयोग ही रहा है। बड़े से बड़े संकटों, भयानक से भयानक संघर्षों में भी सदैव विजय वैजयंती उनका वरण करती है।मानव की सभी सफलताएं, आशाएं इच्छाएं समय पर ही निर्भर करती हैं | बुद्धिमान व्यक्ति अपने विश्राम के समय को भी व्यर्थ नहीं जाने देता, समय प्रबंधन का अर्थ अपने विभिन्न क्रियाकलाप को समय के सापेक्ष योजना अनुसार क्रमबद्ध रूप से सुव्यवस्थित करना |समय प्रबंधन एक विधि स्वयं को प्रबंधित करने की, यह एक कला अपने समय को सही निर्धारित करने की |

समय प्रबंधन से स्व-प्रबंधन पर महत्व :-

हम अगर सिर्फ समय को निर्धारित ही कर रहे है परन्तु उस पर अमल नहीं कर रहे है तो सफलता से दूर होते चले जाएंगे | जैसे कुछ लोग समय निकल कर अपनी समय सरणी बनाते है परन्तु उनका मन नहीं करता है तो वह उसका पालन नहीं करते है |इससे हमारा समय और प्रयास दोनों खराब हो जाते है इसलिए कोशिश करे स्वयं को किसी भी परिस्तिथि के लिए हमेशा तैयार करे और योजना के अनुसार अपने समय का हमेशा प्रयोग करे | हमेशा ध्यान रखे हम समय प्रबंधन के लिए जो भी सरणी बना रहे है या फिर जो भी कार्यो का निर्धारण अपनी सरणी में कर रहे है उन कार्यो में हमारी रूचि और हमारा संकल्प होना चाहिए सफलता का, ताकि समर्पित होकर हम हमारी समय सरणी का पालन करे |

निष्कर्ष:-

हालाँकि हमारा दिमाग हमारे नकारात्मक और सकारात्मक विचारो के बीच उलझा हुआ रहता है हमें मिले कुल समय के 70% समय में, परन्तु सफल व्यक्ति वही है जिसने अपने इन्ही विचारो पर नियंत्रण कर अपने द्वारा निर्धारित कार्य को करके समय को प्रबंधित किया है |


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