समस्या का समाधान

समस्या हल करने के टिप्स और ट्रिक्स

झगड़े से बचने के लिए सुझाव

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दोस्तों, कई बार ऐसा होता है कि क्रोध के आवेश में आकर हम लड़ाई - झगड़े में कूद पड़ते हैं, लेकिन जब शांत दिमाग से इस बारे में सोचते हैं, तब हमें अपने कृत्य का पछतावा होता है।

केवल यही नहीं दोस्तों, झगड़े के परिणाम हमेशा बुरे ही होते हैं। बाद में पछताने से अच्छा है कि हम यह स्थिति आने ही ना दें। अक्सर ऐसी स्थितियों में हम समझ नहीं पाते की क्या उचित है, इसीलिए अंततः हम झगड़े में कूद पड़ते हैं। लेकिन आपको कोशिश करनी चाहिए कि जितना हो सके आप झगड़े को टाल सके, क्योंकि यह किसी के लिए भी अच्छी नहीं है।

खेल में बेहतर प्रदर्शन कैसे करें

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पेश है खेलकूद में अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के उपाय:

☸ सही पोषण

खेलकूद में शारीरिक श्रम होता है। आप खेल के मैदान में अधिक देर तक टिके रहें, इसके लिए आपके शरीर में पर्याप्त ऊर्जा होनी चाहिए। यह ऊर्जा वसा एवं कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन से प्राप्त होती है। यदि आप स्वस्थ नहीं होंगे, तो खेल में बेहतर प्रदर्शन करना संभव नहीं है। इसीलिए आपको अपने खान-पान पर खास ध्यान देने की जरूरत है। खाने में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों जैसे दूध, अंडे, पनीर, अंकुरित बीज इत्यादि शामिल करें। पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें ताकि आपका शारीरिक विकास सही ढंग से हो, और खेल में अधिक ऊर्जा की खपत को आप पूरा कर पाए।

☸ अभ्यास एवं प्रशिक्षण

हीरा जितना घिसा जाता है, उसकी चमक उतनी ही बढ़ती जाती है। ठीक उसी प्रकार आप जितना अभ्यास करेंगे, उतना ही अपने खेल में अच्छे होते जाएंगे । केवल 1 दिन खेल लेने से आप बेहतर खिलाड़ी नहीं बन सकते। आपको निरंतर खेल के कौशल को निखारने की जरूरत है। खेल के मैदान में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए आपको कड़ी मेहनत और अभ्यास करना होगा। जिन जगहों पर आप कमजोर हैं, अभ्यास करके उसे अच्छा करें। रोज कुछ घंटे अभ्यास के लिए निकालें। साथ ही एक अच्छे शिक्षक से बकायदा प्रशिक्षण प्राप्त करें, ताकि आपको अपने खेल के सभी नियम, सभी बारीकियाँ समझ में आए और आपके अभ्यास को सही दिशा मिले।

☸ अनुशासन

खिलाड़ी का अनुशासित होना अत्यावश्यक है। बिना अनुशासित जीवन शैली के आप बेहतर खिलाड़ी नहीं बन सकते। अनुशासन आपको हर चीज में स्थापित करना होगा। कड़ी दिनचर्या का पालन करें, अभ्यास प्रतिदिन एवं समय पर करें, 1 दिन भी अभ्यास छूटने नहीं पाए, समय के पाबंद बनें, आज का काम खत्म करें, भोजन में अनुशासन रखें। तभी जाकर आप अपने खेल में बेहतरीन प्रदर्शन कर पाएंगे ।

स्वस्थ रहने के लिए खुद को प्रकृति से जोड़ें

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आजकल हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी रोग का शिकार है। पहले की तुलना में अब लोग ज्यादा बीमार पड़ने लगे हैं। यहां तक कि नवजात शिशु भी जन्म के साथ ही जॉन्डिस, निमोनिया जैसे रोगों से ग्रसित हो जाते हैं। यदि आज से कुछ दशक पहले की तस्वीर देखी जाए, तो लोग अधिक स्वस्थ हुआ करते थे, और कहीं अधिक लंबा जीवन जिया करते थे। स्वास्थ्य के स्तर में इतनी गिरावट का सबसे मुख्य कारण है बदलती जीवनशैली।

आधुनिक जीवनशैली उपकरणों से घिरी हुई है। हम प्रकृति से दिन-ब-दिन दूर होते जा रहे हैं।

घर में पेड़ पौधे नहीं, बल्कि मोबाइल फ्रिज जैसे ढेरों उपकरण हैं। सूर्य एवं चंद्रमा की रोशनी छोड़ हम बनावटी लाइटों के बीच रहते हैं, पैकेट बंद खाद्य पदार्थ हमारा भोजन हैं, कच्चे फल सब्जियों की जगह हम जंक फूड खाना पसंद करते हैं, व्यायाम की जगह स्थूल जीवन शैली के हम आदी हो गए हैं, यहां तक कि जिस हवा में हम सांस लेते हैं, और जिस जल को ग्रहण करते हैं, वह भी शुद्ध नहीं है। ऐसे में कैसे स्वास्थ्य की गुणवत्ता बनाई रखी जा सकती है?

अपने आसपास देखिए। प्रकृति है?

नहीं!

जिस प्रकृति का हम हिस्सा हैं, जिसने हमें बनाया है, उससे दूर होकर हम कैसे ठीक रह सकते हैं ? अपने शरीर की संरचना को समझिये। यह मशीनों के लिए नहीं बनी है। इसीलिए स्वस्थ रहना तब तक पूरी तरह संभव नहीं है, जब तक आप खुद को प्रकृति से नहीं जोड़ेंगे।

यह सच है कि आप पूरी तरह से आधुनिकता के इस मशीनी माहौल से नहीं बच सकते हैं, लेकिन अभी भी ऐसा बहुत कुछ है जो आप कर सकते हैं। आइए जानते हैं प्रकृति की गोद में फिर से लौटने के लिए आप क्या-क्या कर सकते हैं:

अपनी समस्याओं का समाधान खुद करें

अपनी परेशानियों के हल के लिए दूसरों पर निर्भरता होने से अक्सर हमारे हाथ निराशा और दुःख लगते हैं। इसीलिए खुद अपनी समस्याओं का समाधान करें। पेश हैं कुछ उपाय, जो इस दिशा में आपकी मदद करेंगे।

समस्या के कारण को समझें :

समस्याएं बिन बुलाए मेहमान नहीं होते हैं। इनके उत्पन्न होने का कारण हमारी कोई चूक, लापरवाही या अनदेखी होती है। तब तक समस्या सुलझाइ नहीं जा सकती, जब तक उसकी मूल कारण को ना समझा जाए। और यदि समस्या आपके द्वारा उत्पन्न हुई है तो इसके कारण को आपसे बेहतर और कोई नहीं समझ सकता। अतः बीते घटनाक्रमों को मन में ध्यान से दोहराएं। देखें कि कब और किस कारण यह समस्या आपके जीवन में आई है। एक बार जब आप कारण तक पहुंच गए, तो हल तक पहुंचना आसान हो जाएगा।

स्वीकार करें :

अक्सर ऐसा होता है कि कारण पता चल जाने पर हम सोचने लगते हैं कि " काश ऐसा नहीं हुआ होता।" खासकर जब चूक खुद से हुई हो तो हम समस्याओं से भागने लगते हैं। क्योंकि हमारा अहंकार हमें गलती स्वीकार करने नहीं देता। इससे समस्या दिन-ब-दिन और बढ़ती जाती है। खुद किए गए कृत्यों के लिए केवल आप ही उत्तरदाई हैं। अपने कृत्य और उनके परिणामों की जिम्मेदारी खुद लें। इसीलिए कारण और गलती दोनों को स्वीकार करें। तभी आपका मन शांत व स्थिर हो पाएगा और आप समाधान खोज पाएंगे।

कर्म करें :

आपके मन में ही सारे जवाब छिपे हैं। समाधान पाने के लिए आपको दो तरह से मेहनत करनी होगी - शारीरिक एवं मानसिक। समस्या का ठीक तरह अवलोकन करें और स्थिति सुधारने के लिए जो भी करना पड़े, वह करें। दूसरों पर निर्भरता छोड़ दें। किसी भी परिस्थिति में दूसरों से सहायता ना ले। जब "करो या मरो" की स्थिति आएगी, तब स्वतः ही आप समाधान स्वयं निकालेंगे।

इंसान की अक्ल ही उसकी सबसे बड़ी दुश्मन होती है.png