दोहा-संग्रह
1) रहीम के दोहे
2) कबीर के दोहे
3) सूरदास के दोहे
4) बिहारी के दोहे
5 ) तुलसीदास के दोहे
नमस्कार मित्रों! आज के लेख में हम "विद्यार्थी जीवन" पर चर्चा कर रहे हैं। विद्यार्थी जीवन हमारे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण चरणों में से एक है। यही वह चरण है, जहां व्यक्ति के जीवन की दिशा एवं दशा तय होती है। अतः विद्यार्थी जीवन में ज्ञान अर्जित करने एवं जीवन के आवश्यक मूल्यों को सीखने पर ज़ोर दिया जाता है। ज्ञान प्राप्ति, रीति का ज्ञान, नैतिक मूल्य इत्यादि विद्यार्थी जीवन की प्राथमिकता होते हैं। क्योंकि यही ज्ञान एवं यही मूल्य आगे जाकर व्यक्ति के चरित्र का निर्माण करते हैं और उन्हें सफल बनाते हैं। इसीलिए यह अत्यंत आवश्यक हो जाता...View more
नमस्कार पाठकों! आज हम क्रोध पर चर्चा कर रहे हैं। हम सभी जानते हैं कि क्रोध एक ऐसा भाव है, जिसमें व्यक्ति के सोचने एवं विचार करने की शक्ति क्षीण हो जाती है एवं वह इस वेग में कई अनुचित कार्य कर जाता है। क्रोध में आने पर मनुष्य सामान्य स्थिति में नहीं रहता और इसी कारण वह बहुत कुछ ऐसा बोल अथवा कर देता है जो उसे नहीं करना चाहिए। क्रोध के कारण हमारी मानसिक शांति तो भंग होती ही है, साथ ही हमारे संबंधों के ऊपर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसा नहीं है कि क्रोध के इन...View more
नमस्कार मित्रों! आप तो यह जानते ही हैं कि समय-समय पर दुनिया के हर कोने में रचनाकार विभिन्न रचनाएं करते रहते हैं, जिससे मानव जाति को मानव धर्म का पालन करने का ज्ञान मिलता है । साहित्य की बात करें, तो हमारा साहित्य बहुत विस्तृत एवं बहुत विविध है। साहित्य के इसी अथाह खजाने में से हम आज आपके लिए कुछ ऐसे चुनिंदा श्लोक लेकर आए हैं, जो कि हमें रीति एवं नीति का ज्ञान देते हैं।इन श्लोकों में यह बताया गया है कि मनुष्य को कैसा आचरण करना चाहिए। तो आइए इन श्लोकों को पढ़ें और जीवन की अमूल्य...View more
मित्रों, इस लेख को पढ़ने वाले हमारे कई सारे पाठकों में से कुछ विद्यार्थी होंगे, कुछ अपनी शिक्षा पूरी कर चुके होंगे, अथवा कुछ नए कौशलों को सीखना चाहते होंगे। मित्रों, विद्या का हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। जीवन यापन के लिए मनुष्य को कुछ कौशलों की आवश्यकता होती है, जिनका उपयोग कर वह अपनी आजीविका की व्यवस्था कर सके। यह कौशल विद्या से ही प्राप्त होते हैं। विद्या द्वारा अर्जित किए गए ज्ञान का उपयोग कर ही व्यक्ति अपनी जीविकोपार्जन करता है। एक अशिक्षित व्यक्ति को अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उसे...View more
नमष्कार मित्रों, आज की चर्चा का विषय है "आलस्य" या आलस।क्या है यह आलस्य?आलस्य अपनी सुविधा क्षेत्र में रहने की अवस्था है, जहाँ व्यक्ति उद्यम - श्रम आदि के प्रति अनिच्छा व्यक्त करता है। आलस्य करने वाले व्यक्ति आवश्यक कार्यों को करने के प्रति उदासीन बन जाते हैं एवं उन कार्यों को अधूरा ही छोड़ देते हैं।ऐसे व्यक्ति केवल विभिन्न इच्छाएं एवं आकांक्षाएं रखते हैं, किंतु उन्हें पूर्ण करने के लिए कोई प्रयास नहीं करते। इस आलस्य का परिणाम यह होता है कि वह अपने मनोरथों को कभी पूर्ण नहीं कर पाते एवं जीवन में असफल रह जाते हैं। आलस्य...View more
नमस्कार मित्रों ! आज के लेख में आप ऐसे दोहों का आनंद ले सकते हैं, जो पढ़ने में तो अत्यंत सुंदर हैं ही, किंतु साथ ही यह बहुत बड़ी सीख भी दे जाते हैं। हमने इस लेख में महा कवि वृंद, महान रहस्यवादी कवि कबीर दास जी, एवं विख्यात कवि व दार्शनिक रहीम जी के दोहों को सम्मिलित किया है।इन दोहों में उन परिस्थितियों एवं उदाहरणों का प्रयोग किया गया है, जिनसे हम और आप अक्सर दो-चार होते रहते हैं। इसीलिए यह दोहे हमारे लिए अत्यंत लाभप्रद एवं सहायक सिद्ध होते हैं, जिनसे हमें रोजमर्रा की परेशानियों को हल करने...View more
मित्रों, आज के लेख की शुरुआत हम इस पंक्ति से करने जा रहे हैं - "तीन चीजें ज्यादा देर तक नहीं छुप सकतीं, सूर्य, चंद्रमा और सत्य !" जी हां ! यह पंक्ति उस महापुरुष द्वारा कही गई है, जिनके वचनों का विश्व भर में अनुसरण किया जाता है। वह और कोई नहीं, बल्कि महात्मा बुद्ध हैं। उन्होंने कहा था कि - जिस प्रकार सूरज और चांद छुपाए नहीं जा सकते, क्योंकि उनका उदय होना निश्चित है, उसी तरह सच को छुपाने की चाहे कितनी भी कोशिश क्यों न कर ली जाए, किंतु वह दमकते सूर्य और चंद्रमा की तरह...View more
मित्रों, हमें बचपन से अच्छा व्यवहार करने की शिक्षा दी जाती है। माता पिता, गुरु जन, एवं बड़े हमारी भाषा, आचरण, वेश भूषा, आदतों, विचार, शारीरिक हावभाव इत्यादि को लेकर सदैव हमारा मार्गदर्शन करते रहते हैं। ऐसा इसीलिए क्योंकि बाल्यकाल में मनुष्य का व्यवहार ही उसके चरित्र का निर्माण करता है और आगे जाकर यही व्यवहार उसके चरित्र का आईना बन जाता है।व्यवहार का तात्पर्य केवल बोलचाल के तरीके या रोज़ मर्रा की आदतों से ही नहीं है। मित्रों, व्यवहार शब्द का अर्थ बहुत ही व्यापक एवं विस्तृत है। आइए इसे समझने का प्रयास करें। मनुष्य जो नियमित रूप से...View more
संसार में ऐसा कौन है जो धन पाने की इच्छा नहीं रखता? कौन धनवान नहीं बनना चाहता ? धन ऐश्वर्य से भरी जिंदगी हर कोई जीना चाहता है। अतः धन पाने के लिए जीवन भर व्यक्ति प्रयास करता है। यह सत्य है कि जीवन यापन के लिए आवश्यक संसाधनों को धन द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। किंतू आजकल के समय में धन हर चीज़ से बड़ा हो गया है। मनुष्य धन पाने की लालसा में इतना अंधा हो गया है, कि उसे और कुछ भी नहीं दिखता। इस धन के लिए हमने अपनी भावनाओं, आधारों, सिद्धांतों संबंधों, सबको...View more
मित्रों, आज की चर्चा का विषय है - "विद्या"। हमारे जीवन में विद्या का कितना महत्व है, इस बात का अनुमान एक पंक्ति से लगाया जा सकता है। शास्त्रों में कहा गया है कि - "विद्या विहीन मनुष्य पशु के समान होता है।" जी हाँ मित्रों, विद्या के बिना मानव जीवन का अस्तित्व नहीं है। विद्या द्वारा ही मनुष्य स्वयं को, अपने उद्देश्य, अपने कर्तव्यों, अपने दायित्वों को जान पाता है। विद्या से ही मनुष्य को अपने समाज का ज्ञान होता है। रीति - नीति, धर्म - अधर्म, कर्म, आचार - व्यवहार, गुण - अवगुण, अच्छा - बुरा, विज्ञान, आध्यात्म...View more
मित्रों, आज के लेख में आप "अभिमान" पर आधारित दोहे पढ़ेंगे, जो हमें अहंकार न करने की सीख देते हैं। अभिमान खुद को सर्वश्रेष्ठ एवं अन्य व्यक्तियों को नीचा समझने की भावना है। इससे अहम, अहंकार, अभिमान, घमंड, गर्व इत्यादि जैसे कई और नामों से जाना जाता है। मनुष्य की यह प्रवृत्ति है कि धनवान हो जाने पर, अथवा कुछ पा लेने पर, अथवा किसी ऊंचे पद पर पहुंच जाने के बाद वह अहंकार करने लग जाता है। अहंकारी व्यक्ति को अपना यहां हम बहुत प्रिय होता है, किंतु यह अहंकार इतना घातक है कि इससे व्यक्ति दिन प्रतिदिन पतन...View more
मित्रों, आपने अनुभव किया होगा कि यदि आप किसी के साथ लंबे समय तक रहते हैं, तो आप दोनों के कुछ गुण, आदतें, व्यवहार, एवं विचार भी एक दूसरे से मिलने लगते हैं। क्या आपने कभी सोचा है ऐसा क्यों होता है? इसी को संगति कहते हैं। जब हम किसी के साथ अधिक समय व्यतीत करते हैं, तब उनके गुण एवं हमारे गुण एक दूसरे को परस्पर प्रभावित करते हैं। यदि सामने वाला व्यक्ति उच्च चरित्र एवं श्रेष्ठ गुणों वाला हो, तो हमारे गुण उसी के अनुरूप ढल जाते हैं एवं हमारे दुर्गुण भी सद्गुणों में बदल जाते हैं। परंतु...View more
मित्रों, आज की चर्चा का विषय है मन। मन विचारों एवं भावनाओं का निवास स्थान है। वह मन ही है, जो हमारे द्वारा किए गए कार्यों को निर्धारित करता है। जिस काम में हमारा मन लगता है हम उसे करना चाहते हैं और जिस कार्य के लिए हमारा मन सहमति नहीं देता हम वह नहीं करना चाहते हैं। अर्थात, हमारी सभी क्रियाएं मन पर आधारित है। किंतु यह भी सत्य है कि मन के मुताबिक सदैव नहीं चलना चाहिए। मन ना होने पर कार्य ना करना एवं आलस्य का आलिंगन करना मनुष्य की सफलता के मार्ग में बाधा बनता है।...View more
शास्त्रों में कहा गया है - "संतोषम परम सुखम" अर्थात संतोष ही सबसे बड़ा सुख है। संतोष का तात्पर्य है स्वयं के पास जितने संसाधन है उनसे तृप्त रहना I दोस्तों, आजकल सभी अधिक से अधिक धन कमाने पर ध्यान देते हैं। सबको अधिक चाहिए। अधिक पाने की चाह में व्यक्ति दिन रात का सुख चैन गवा देता है, क्योंकि उसके पास जितना होता है वह उससे कभी संतुष्ट नहीं होता। यहीं पर आवश्यकता आती है संतोष की। मनुष्य धन से धनी नहीं बनता, अपितु मन से धनी बनता है। संतोषी व्यक्ति सदा सुखी रहता है क्योंकि वह किसी के...View more
रैदास को भला कौन नहीं जानता ? रैदास के नाम से प्रसिद्ध संत रविदास भारत के उन महापुरुषों में से एक हैं जिन्होंने अपने ज्ञान से पूरी मानव जाति को प्रकाशित किया। संत रविदास को भारत के अलग-अलग कोनों में अनगिनत नामों से जाना जाता है। कुछ लोग इन्हें रोहिदास कहते हैं, तो कुछ रैदास, कोई रूईदास कहता है, तो कोई रोहिदास कह कर संबोधित करता है। हर वर्ष हम भारतीय माघ पूर्णिमा को रविदास जी की जयंती मनाते हैं। कहा जाता है कि इनका जन्म काशी में संवत 1433 में हुआ था। पिता का नाम रघु दास एवं माता...View more
आज की चर्चा का विषय है अहंकार, जिसे अभिमान, घमंड, गर्व एवं अहम जैसे नामों से जाना जाता है। अहंकार वह भावना है जहां व्यक्ति अपनी धन, संपत्ति , प्रतिष्ठा एवं अपने द्वारा संचय की गई विषय वस्तुओं पर मद करने लगता है। अहंकारी व्यक्ति खुद को सबसे श्रेष्ठ एवं अन्य व्यक्तियों को नीची दृष्टि से देखता है। इससे वह केवल अपने अपनों को ही अपमानित नहीं करता, अपितु वह खुद भी विनाश के मार्ग पर अग्रसर होता रहता है। अतः हमें आवश्यकता है कि अहंकार रूपी इस शत्रु से सदैव बचकर रहें। यही सीख महापुरुषों ने भी दी है।...View more
“जल्दी जागना हमेशा ही फायदेमंद होता हैं, फिर चाहे वो “नींद” से हो, या “अहम्” से या फिर “वहम” से हो!”
यार, जिगरी, मीत, दोस्त, भाई, साथी, वीर, और न जाने कितने ही नाम हैं मित्र का संबोधन करने के लिए। जी हाँ दोस्तों, आज की चर्चा का विषय "मित्रता" है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि संसार के सबसे सुंदर संबंधों में से एक है मित्रता का संबंध। यह ऐसा नाता है, जो हर औपचारिकता, हर बंधन से ऊपर है। दोस्ती का रिश्ता ऐसा है, कि लोग इसे निभाने के लिए जान तक की बाज़ी लगाने से भी नहीं चूकते। इतिहास में दोस्तों की कई जोड़ियाँ मशहूर हैं, जैसे अकबर - बीरबल, कृष्ण और सुदामा, राणा प्रताप और उनका...View more
पाठकों, आज हम आपके लिए जन-जन के बीच प्रसिद्ध महा कवि रहीम जी द्वारा रचित दोहे लेकर आए हैं। हिंदी साहित्य में रहीम द्वारा रचित दोहों को बहुत प्रसिद्धि प्राप्त हुई है। इनके दोहे धर्म, भक्ति, नीति - रीति पर आधारित है । इनका पूरा नाम अब्दुर्रहीम खान - ए - खाना था जो धर्म से मुसलमान एवं मुगल सल्तनत से संबंध रखते थे। इनके पिता का नाम बैरम खां एवं इनकी मां का नाम सुल्ताना बेगम था। पिता बैरम खां की मृत्यु के बाद रहीम मुगल सुल्तान बादशाह अकबर के संरक्षण में रहे, जहां उन्होंनें उनके गुरु मोहम्मद अमीन...View more
पाठकों, आज की चर्चा का विषय है प्रेम। आज के लेख में हम प्रेम पर लिखे गए दोहों को जानेंगे। इन दोहों में प्रेम के हर पहलू पर प्रकाश डाला गया गया है। मित्रों, प्रेम संसार के हर कण में उपस्थित है । यह प्रेम ही है जिसने इस संसार को गति एवं सुंदरता प्रदान की है। हमारे सभी संबंध प्रेम पर ही टिके हुए हैं। यदि प्रेम ना रहे, तो मनुष्य के जीवन का कोई आधार नहीं होगा। अतः प्रेम रूपी इस सुंदर भावना को हमें सदैव निश्चल होकर निभाना चाहिए।प्रेम का असली स्वरूप क्या है ? सच्चा प्रेम...View more
मित्रों, यदि आप से यह सवाल किया जाए कि इस दुनिया में सबसे मूल्यवान वस्तु क्या है ? तो आपका उत्तर क्या होगा? किसी के अनुसार कोई बहुमूल्य रत्न ही इस संसार की सबसे मूल्यवान वस्तु होगी, तो किसी के अनुसार धन व ऐश्वर्य। किंतु सत्य तो यह है कि इस दुनिया में सबसे मूल्यवान समय है। धन संपदा चली जाने पर वापस हासिल की जा सकती है, किंतु यदि समय बीत गया, तो वह लौट कर कभी वापस नहीं आएगा।जीवन में लक्ष्यों की प्राप्ति करने के लिए समय के महत्व को समझना अत्यंत आवश्यक है। अन्यथा एक बार समय...View more
“यदि आपने वास्तव में खुद से प्यार करना सिख लिया तो फिर यह संभव ही नहीं है की आपको ये दुनिया प्यारी ना लगे।”