क्या पढ़ाई में आपका मन नहीं लगता है?

क्या पढ़ाई में आपका मन नहीं लगता है?

  

नमस्कार मित्रों !

शायद आपका मन कुछ नया पढ़ने का कर रहा है और शायद आपके मन की बात हम तक पहुंच गई है। इसीलिए हम आपके सामने हाजिर हैं एक और बेहतरीन लेख लेकर जो न केवल शिक्षाप्रद है, बल्कि हजारों युवाओं के लिए मार्गदर्शन प्रदान करने में सक्षम है।

मित्रों, जीवन में कुछ करने के लिए, एक अच्छा मुकाम हासिल करने के लिए और सफलता पाने के लिए पढ़ाई से जरूरी और कुछ भी नहीं है। यह विषय चिंताजनक है कि आज की युवा पीढ़ी इस बात के महत्व को भूलती जा रही है और पढ़ाई करना उनकी प्राथमिकता की सूची में से गायब होता जा रहा है।

समय रहते यदि इस विषय की गंभीरता पर विचार नहीं गया तो इसके परिणाम भयानक हो सकते हैं। समय निकल जाने के बाद आपके पास हाथ मलने के अलावा और कुछ भी नहीं बचेगा। तब आप केवल अफसोस करते रह जाएंगे कि आपने अपनी पढ़ाई को प्राथमिकता क्यों नहीं दी और यदि पढ़ाई करने के क्रम में आपके सामने कुछ समस्याएं आई, तो आपने उनका निवारण क्यों नहीं किया?

इसी कड़ी में पढ़ाई से जुड़ा यह लेख हम आपके सामने लेकर आए हैं। यह लेख आपके लिए कितना उपयोगी है इस बात की पड़ताल करने के लिए हमें आपसे कुछ प्रश्न करने होंगे, इन प्रश्नों पर एक नजर डालें :

आप भी किताबों से दूर भागते हैं?

क्या आप पढ़ने तो बैठते हैं, लेकिन ज्यादा देर तक ध्यान नहीं लगा पाते?

क्या आप पढ़ने के समय बहाने बनाते हैं, या फिर जैसे ही आप पढ़ने बैठते हैं आपको दुनिया भर की चीजें याद आने लग जाती हैं?

यदि आपका जवाब इन सभी प्रश्नों के लिए हाँ हैं तो इसका तात्पर्य यह है कि आपका पढ़ाई में मन नहीं लगता है। यह समस्या केवल आपकी ही नहीं, बल्कि हजारों लोगों की है। आज का यह लेख उन सभी लोगों के लिए बहुत फायदेमंद होने जा रहा है जो इस समस्या से जूझ रहे हैं।

मित्रों, अब यह बात करें कि पढ़ाई में मन ना लगा पाने वाले लोग आखिर हैं कौन?

क्या यह वह लोग हैं जो पढ़ाई में कमजोर होते हैं ?

तो इसका जवाब है नहीं !

पढ़ाई में मन न लगने का अर्थ यह नहीं है कि आप पढ़ाई में अच्छे नहीं है। अर्थात इसका आपकी मानसिक क्षमता से ज्यादा लेना देना नहीं है।

यदि आप पढ़ाई में मन नहीं लगा पाते हैं तो इसके दो कारण हो सकते हैं, या तो आप उन बच्चों में से हैं जो पढ़ाई करना ही नहीं चाहते हैं या फिर आप उनमें से हैं जो पढ़ाई के महत्व को भली भांति जानते हैं और पढ़ना भी चाहते हैं किंतु कुछ कारणों की वजह से ऐसा नहीं कर पा रहे हैं।

वह बच्चे जो पढना ही नहीं चाहते उनके लिए उपाय यह है कि वह अपने जीवन में गंभीर होना सीखें, तभी जाकर उन्हें पढ़ाई के महत्व के बारे में पता चलेगा और जब इस महत्व को जानेंगे तभी जाकर वह पढ़ने के प्रति अपनी इच्छा जागृत कर पाएंगे।

किंतु वह लोग जो पढ़ाई करना चाहते हैं पर फिर भी इतने मन नहीं लगा पाते उनकी यह समस्या तुलनात्मक रूप में बड़ी और जटिल है। इस समस्या का समाधान कई चरणों और कई उपायों में छुपा है। इसी समस्या पर बात करने के लिए हम आपके सामने आज का यह लेख लेकर आए हैं, जहां हम विस्तारपूर्वक आपकी इस समस्या का समाधान निकालेंगे।

पढ़ाई में पूरी तरह मन लगाने के उपाय

तो आइए जानते हैं कि बेहतर ढंग से पढ़ाई करने और पढ़ाई में पूरी तरह मन लगाने के लिए आपको कौन-कौन से उपाय करने चाहिए :

पढ़ाई के लिए शांति युक्त वातावरण का चुनाव करना :

मित्रों, पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आवश्यक है कि आपका मस्तिष्क केवल विद्या ग्रहण करें। जिस जगह आप पढ़ाई करने के लिए बैठे हैं यदि वहां अलग-अलग तरह की आवाजें, शोर - शराबा, बातें हो रही हैं तो एक तरफ आप अपनी किताब पढ़ रहे होंगे और दूसरी तरफ आपकी कानों में आवाज़ जा रही होंगी। स्वाभाविक सी बात है इससे आपका ध्यान एक जगह केंद्रित नहीं रहेगा।

बार-बार आपका ध्यान अपने आसपास हो रही हलचल पर जाता रहेगा। ऐसे में यदि आप सोच रहे हैं कि पढ़ाई पर आपका मन लग जाएगा तो ऐसा नहीं होने वाला है। कई सारे लोग यह गलती करते हैं और यह सोचते हैं कि आखिर वह पढ़ क्यों नहीं पा रहे हैं, उन्हें इस बात का एहसास नहीं होता कि आसपास के वातावरण में जो अशांति फैली हुई है उसके कारण वह ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं और अंततः वह बहुत चिढ़ जाते हैं और पढ़ाई छोड़ देते हैं।

ऐसे में यह समझना बहुत आवश्यक है कि आप विषय वस्तू को बेहतर तरीके से पढ़ और समझ पाए इसके लिए आपको अपने मस्तिष्क को वह माहौल उपलब्ध कराने की आवश्यकता है जिसमें वह केवल पढ़ाई को ग्रहण कर सके। इसीलिए यह कहा जाता है कि बेहद शांत जगह पर आपको पढ़ाई करनी चाहिए। इसका शत प्रति शत फल प्राप्त होता है।

तो आइए जानते हैं कि यदि आप पढ़ाई करने जा रहे हैं तो किस माहौल से आपको बचना चाहिए और किस प्रकार शांत वातावरण का चुनाव करना चाहिए :

➤ घर में सब के बीच बैठकर पढ़ाई ना करें। सबके बीच बैठने से आपके कानों तक वह सभी बातें जाएंगी जो आपके परिवार के सदस्य आपस में कर रहे हैं और इस तरह आपकी जिज्ञासा उन बातों की तरफ अधिक होगी।

आप भी जानना चाहते होंगे कि लोग किस बारे में बात कर रहे हैं और शायद आप इस वार्तालाप का हिस्सा बनने में भी दिलचस्पी जताने लगे। ऐसे में धीरे-धीरे आप पढ़ाई को भूलकर पूरी तरह बातों में लग जाएंगे और आप की पढ़ाई नहीं हो पाएगी।

इसलिए पढ़ाई करते वक्त परिवार के सदस्यों के बीच नहीं बल्कि एक अलग कमरे में बैठे जहां कोई और आपको डिस्टर्ब ना करें और ना ही सबकी बातें आपके कानों तक जाए। इसके लिए आप कमरे का दरवाजा बंद करके पढ़ाई कर सकते हैं।

➤ बातचीत के अलावा ऐसी जगह को पढ़ाई के लिए ना चुनें जहां अत्यधिक शोर हो रहा हो। उदाहरण स्वरूप यदि जहां आप बैठे हैं वहां से सड़क काफी निकट है और यातायात, गाड़ियों में बजता लगातार हॉर्न, गाड़ियों की तेज़ आवाज़ एवं सड़क पर चल रहे लोगों द्वारा अत्यधिक शोर उत्पन्न किया जा रहा है वहां आपकी पढ़ाई अच्छी तरह से नहीं हो सकती। इससे एक तरफ तो आपका ध्यान भटकता है वहीं दूसरी तरफ अत्यधिक शोर के बीच में रहने से मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

इससे मन अशांत और चिड़चिड़ा हो जाता है और पढ़ाई करने के लिए जो मानासिक अवस्था चाहिए होती है वह भी नहीं रह जाती। ऐसे में आप जो पढ़ रहे हैं उसे भली-भांति समझने में कठिनाई हो सकती है। इसीलिए इस प्रकार के माहौल से बचे और शांत जगह को अपनी पढ़ाई के लिए चुने।

➤ ऊपर के यह दो बिंदु उन विषयों की बात करते हैं जो दूसरों द्वारा उत्पन्न किए जा रहे हैं जैसे कि परिवार जनों द्वारा बातचीत करना और आसपास लोगों द्वारा उत्पन्न किया जा रहा अत्यधिक शोर। किंतु इसके अलावा भी एक ऐसा शोर है जिसे कई सारे युवा आजकल खुद ही उत्पन्न कर रहे हैं। आप जानना चाहते हैं वह क्या है?

तो मित्रों, आपको बता दें कि आजकल कई सारे लोगों की आदत हो गई है कि वह गाने सुनते सुनते काम करना पसंद करते हैं। पर कई सारे लोग पढ़ाई करते वक्त भी कान में ईयरफोन लगाकर गाने का आनंद लेते रहते हैं। उनका कहना है कि इस प्रकार पढ़ाई करने में मजा आता है । पर क्या पढाई का वास्तविक ध्येय मज़ा है?

सच में यहां पढ़ाई करने का एक अच्छा तरीका है?

पढाई का लक्ष्य मज़ा नहीं, बल्कि ज्ञान प्राप्ति, ज्ञान संचय और ज्ञान वर्धन है।

इसे वैज्ञानिक रूप से समझते हैं। जब आप पढ़ाई कर रहे होते तब आपका मस्तिष्क उस पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करता है, तभी जाकर आप पढ़ा हुआ समझ पाते हैं। पर उसी समय यदि आपके कान में संगीत की आवाज आने लगे तब मस्तिष्क का ध्यान उस संगीत की तरफ चला जाता है। अब मस्तिष्क के पास दो काम हैं, एक आप जो पढ़ रहे हैं उसे ग्रहण करना और दूसरा बज रहे संगीत को ग्रहण करना।

एक ही समय में यह दोनों कार्य करने से मस्तिष्क की कार्य क्षमता पर प्रभाव पड़ता है और आधा ध्यान पढ़ाई पर और आधा ध्यान संगीत पर होता है। अब आप ही बताइए क्या इस प्रकार की गई पढ़ाई का फल आपको पूरी तरह मिल पाएगा?

जी नहीं !

यह पढ़ने का एक गलत तरीका है। भले ही आप शांत माहौल में बैठे हो लेकिन इस प्रकार कानों में ईयरफोन लगाकर संगीत सुनने से आप खुद को अशांति प्रदान कर रहे हैं जिससे उसका ध्यान दूसरी तरफ भटक रहा है।

याद रखें, एक समय में एक काम ही किया जाना चाहिए। यदि आप पढ़ाई कर रहे हैं, तो पूरी तरह अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगाएं ताकि आपका मस्तिष्क 100% चीजों को ग्रहण कर सकें।

अतः हमारा उन सभी युवाओं से आग्रह है इस आदत को जल्दी छोड़ दें ताकि आप जो पढ़ रहे हैं उसका पूरा - पूरा फल आपको मिल सके।

पढ़ाई के लिए बनाए एक टाइम टेबल :

टाइम टेबल का अभाव बेहतर पढ़ाई ना कर पाने के सबसे बड़े कारणों में से एक है। कभी भी किसी भी समय पढ़ने बैठ जाना अच्छा विकल्प नहीं है। इसके साथ ही कब और कितनी देर के लिए आपको कौन सा विषय पढ़ना है यह भी निर्धारित होना चाहिए, तभी जाकर आप मन लगाकर पढ़ाई करें पाएंगे।

एक दिन 4 घंटे पढ़ लेना और अगले ही दिन कुछ भी ना पढ़ना, एक दिन तीन विषय पर लेने और अगले दिन केवल एक ही विषय पढ़ते रहना, यह सब धीरे-धीरे पढ़ाई के प्रति आपकी उदासीनता को बढ़ावा देता रहता है।

आपने यह खुद भी महसूस किया होगा कि जब चीज़ें व्यवस्थित होती हैं और जब आपकी दिनचर्या निर्धारित होती है तो आप अपने आपको पहले से कहीं अधिक व्यवस्थित और सुलझा हुआ पाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपको पता होता है कि आपको कब क्या करना है और आपका मस्तिष्क भी आगे आने वाले कामों के हिसाब से खुद को तैयार करता रहता है।

ऐसे में यदि आप यही नियम पढ़ाई पर भी लागू करें तो यह आपको कई सारे फायदे दिला सकता है। जब आप यह जानते होंगे कि दिन के कौन से समय में आपको केवल और केवल पढ़ाई करनी है और कौन सा विषय पढ़ना है आपका मस्तिष्क भी अपने आप को उसी प्रकार से तैयार करेगा।

मित्रों, पढ़ाई एक साधना है इसीलिए आपको इसे गंभीरता पूर्वक लेना ही होगा तभी जाकर आप ना केवल बेहतर ढंग से पढ़ पाएंगे, बल्कि पढ़ाई आपको मजेदार लगने लगेगी। तब आपको पढ़ने के लिए घंटों तक मन बनाने की जरूरत नहीं होगी। आप खुद ज्यादा से ज्यादा पढ़ने की इच्छा जाहिर करने लगेंगे।

➤ अपनी पढ़ाई के लिए समय तय करें और टाइम टेबल बनाकर दीवार पर चिपका दें।

➤ दिनचर्या में हर काम आप इसी टाइम टेबल के हिसाब से करें और जब भी पढ़ने का वक्त आए तो बाकी सारे काम छोड़ कर पढ़ने के लिए बैठ जाएं।

➤ एक और आदत है जिसे आप को छोड़ देना चाहिए और वह है बनाए हुए टाइम टेबल की अनदेखी करना। यदि आपने आज का समय गणित के लिए निर्धारित किया है लेकिन आपका मन कोई और विषय पढ़ने का कर रहा है तो अपने मन को बढ़ावा ना दें। याद रखें आपने जो टाइम टेबल से किया है आपको उसका पूरी अनुशासन के साथ पालन करना है।

बार-बार पढ़ाई पर से उठने से बचें :

यह भी पढ़ाई में मन न लगने का बहुत बड़ा कारण है। कई बार ऐसा होता है कि हम किताब लेकर पढ़ने बैठते हैं और कुछ समय बाद ही हमें कॉपी की आवश्यकता महसूस होती है, और हम उठकर कॉपी ले आते हैं। ठीक कुछ समय बाद हम में कलम की आवश्यकता महसूस होती है और इसीलिए हम दोबारा उठकर कलम लेने जाते हैं।

पर यह सिलसिला यहीं नहीं रुकता है, फिर कुछ समय बाद हमें किसी दूसरी किताब की आवश्यकता पड़ जाती है या किसी और कॉपी की आवश्यकता पड़ जाती है। इस तरह जब हम पढ़ने बैठते हैं तो बाकी के सामान लाने के लिए कई बार उठते हैं।

पढ़ाई में आ रही है बार-बार की रुकावटें आपका ध्यान भटकाने का काम करती है और अंततः आपका ध्यान पढ़ाई में नहीं लग पाता है। अतः पढ़ने के लिए आपको जो कुछ भी सामान चाहिए उसे पहले से ही अपने पास रखें ताकि आपको बार-बार पढ़ाई पर से उठना ना पड़े।

पढ़ने से पहले ही देख ले कि आपको आगे किन-किन चीजों की आवश्यकता पड़ने वाली है और एक - एक करके उन सभी चीजों को एक जगह इकट्ठा कर ले। ऐसा करने से आप कोई भी चीज नहीं भूलेंगे और आराम से पढ़ाई कर पाएंगे।

लें शिक्षक की सहायता :

मित्रों, पढ़ाई करने के क्रम में कई सारी ऐसी चीजें होती है जो हम खुद नहीं समझ पाते हैं। हम बार-बार एक ही चीज को पढ़ते हैं लेकिन जब हमें वह कई बार पढ़ने के बाद भी नहीं समझ में आता है तो हम चिढ़ जाया करते हैं। ऐसा एक बार हो तो कोई बात नहीं किंतु यदि पढ़ाई के क्रम में बार-बार आपके साथ ऐसा हो रहा है तो स्वाभाविक सी बात है कि आप का पढ़ने में मन नहीं लगेगा।

ऐसे में क्या किया जाए?

ऐसे में आपको मार्गदर्शन की आवश्यकता है। घर के किसी बड़े अथवा अपने शिक्षक की सहायता ले और जो भी चीजें आपको नहीं समझ में आ रही है अथवा जो भी समस्या है उनका समाधान उनसे मांगे।

मोबाइल से दूरी सबसे जरूरी :

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि आजकल मोबाइल और इंटरनेट युवाओं के बीच डिस्ट्रक्शन का सबसे बड़ा कारण है। यह इस प्रकार हमारी जिंदगी मैं शामिल हो चुका है कि ऐसा लगता है कि हम मोबाइल और इंटरनेट के गुलाम बन गए हैं। ऐसे में यदि कोई चीज जिसे इसमें सबसे अधिक प्रभावित हुई है तो वह है पढ़ाई।

आजकल हो पढ़ाई करने की जगह घंटों मोबाइल और इंटरनेट पर बिता दिया करते हैं। कई विद्यार्थी बगल में मोबाइल रख कर पढ़ाई करने बैठते हैं और जैसे ही फोन पर कोई नोटिफिकेशन आती है वह तुरंत पढ़ाई छोड़ कर मोबाइल हाथ में ले लेते हैं।

एक बार मोबाइल हाथ में आया तो कब घंटे बीत जाते हैं इसका पता भी नहीं चलता। मोबाइल के अंदर जो मनोरंजन की रंगीन दुनिया है उसमें से निकलकर किताबों की दुनिया में जाने का मन बहुत कम लोगों का ही करता है। यही कारण है कि मोबाइल पर ज्यादा समय बिताने वाले बच्चे पढ़ाई के प्रति बिल्कुल उदासीन बनते जा रहे हैं। उनका पढ़ाई में ना तो मन लगता है और ना वह इसके लिए समय निकालना चाहते हैं।

ऐसे में आपकी पढ़ाई पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा यदि आप मोबाइल की इस आदत को छोड़ दे। जब भी आप पढ़ने बैठे तो मोबाइल को खुद से बहुत दूर रखें ताकि बार-बार आ रहे नोटिफिकेशन आपका ध्यान ना भटका सके। इसके साथ हैं अधिक देर तक मोबाइल का इस्तेमाल बंद करें ।

मोबाइल का इस्तेमाल केवल काम की चीजों के लिए करें ताकि इससे आपका समय भी बचें और प्रधान पढ़ाई के प्रति आपकी जिज्ञासा भी जागृत हो। कई देर तक मोबाइल पर फालतू वीडियोस देखने से अच्छा है कि आप मोबाइल को अपनी पढ़ाई का जरिया बनाएं।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि इंटरनेट पर पढ़ाई से जुड़े हजारों वीडियोस और कंटेंट उपलब्ध है जिनका इस्तेमाल करके आप घर बैठे हैं कई सारी जानकारियां जुटा सकते हैं इस प्रकार सकारात्मक रूप से मोबाइल का उपयोग करने से आपकी पढ़ाई मजेदार भी बनेगी और आपका इसमें बहुत मन लगने लगेगा।

निष्कर्ष :

मित्रों, अर्थ पूर्ण और शिक्षाप्रद लेखों के प्रति आपके लगाव के कारण ही हमें नित्य प्रतिदिन कुछ अच्छा और नया लिखने की प्रेरणा मिलती रहती है और जब आप जैसे पाठक अपनी टिप्पणियों से हमें प्रोत्साहित करते हैं तो हमारी यह प्रेरणा और भी अधिक बढ़ जाती है।

पाठकों, यह था आज का लेख जहां हमने विस्तारपूर्वक बात की है पढ़ाई में मन न लगने की समस्या के बारे में। आज का लेख पढ़ने के बाद आपको यह पता चला होगा कि पढ़ाई में मन न लगने के कौन - कौन से कारण हो सकते हैं।

कई ऐसे भी कारण है जिसका हमें स्वयं पता भी नहीं चलता है। आशा है कि वह सभी जानकारी आज के लेख के माध्यम से आपको प्राप्त हुई होंगी और जिन समाधानों की चर्चा इस लेख में की गई है आप उन्हें जरूर अपनाएंगे।

इस पछतावे से बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप आज से ही अपनी पढ़ाई में जोर-शोर से जुट जाए और यदि आपके सामने कोई भी समस्या आ रही है तो उनका निवारण करें। यह लेख स्वयं में ही एक निवारण है जो आपको इस जोश से भर देगा जिससे आप पढ़ाई के प्रति अधिक सजग हो जाएंगे।

यदि आपको यह लेख अच्छा लगा हो और यदि आपके मन में इस लेख से जुड़ी कोई भी टिप्पणी अथवा राय हो तो उसे हमारे साथ साझा करना बिल्कुल ना भूलें। आपकी राय मूल्यवान है और हमें बेसब्री से इनका इंतजार रहता है। लेख को पढ़ने के लिए आपका बहुत धन्यवाद!


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