क्या आप सेल्फ स्टडी करते हैं : जानें क्यों है ज़रूरी सेल्फ स्टडी

क्या आप सेल्फ स्टडी करते हैं : जानें क्यों है ज़रूरी सेल्फ स्टडी

  

नमस्कार मित्रों!

आज हम आपके सामने हाजिर है एक नए लेख को लेकर जो एक ऐसे विषय पर चर्चा करता है जिसकी लोकप्रियता शायद कम होती जा रही है। इस विषय को आज की चर्चा का विषय चुनने का कारण यह है कि हम आजकल इस बारे में कम बात करने लग गए हैं और इसके महत्व को भूलते जा रहे हैं। इसीलिए यह चर्चा न सिर्फ महत्वपूर्ण है बल्कि आवश्यक भी है। तो मित्रों, आज हम बात कर रहे हैं स्वाध्याय या सेल्फ स्टडी के महत्व पर।

मित्रों, इससे पहले कि हम इस लेख को शुरू करें हमारे पास आपके लिए कुछ सवाल है जिनके उत्तर अपेक्षित है।

क्या आप स्कूल या कॉलेज में पढ़ाई कर रहे विद्यार्थी हैं?

यदि हां, तो आप खुद पढ़ाई करना पसंद करते हैं या फिर आपने कोई कोचिंग अथवा ट्यूशन संस्थान ज्वाइन किया है?

संभवतः आप में से अधिक संख्या उनलोगों की होगी, जो किसी न किसी ट्यूशन से जुड़े होंगे।

मित्रों, वर्तमान समय में शिक्षा बहुआयामी विकल्पों के साथ हमारे पास मौजूद है। आज कल हजारों की तादाद में शिक्षक संस्थान मौजूद है जहां लाखों की तादाद में विद्यार्थी अपनी - अपनी पढ़ाई कर रहे हैं।
यदि यह कहे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आज का दौर कोचिंग संस्थानों का दौर है।

खुद की पढ़ाई के अलावा ट्यूशन लेने को पढ़ाई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया गया है। यही नहीं आजकल ज्यादातर बच्चे अपनी पढ़ाई के लिए दूसरों पर ही निर्भर नजर आते हैं। यह एक धारणा बन गई है कि बिना ट्यूशन के अच्छे अंक नहीं लाए जा सकते हैं। पढ़ाई में बेहतर करने के लिए ट्यूशन या कोचिंग अत्यंत आवश्यक है। यही कारण है कि छोटे से छोटे बच्चे भी स्कूल के अलावा ट्यूशन लिया करते हैं।

अब सवाल यह उठता है कि ऐसे में स्वाध्याय की प्रासंगिकता क्या है?

कहा जाता है कि सेल्फ स्टडी पढ़ने का सबसे बेहतरीन तरीका है। यह विद्यार्थी को अध्यन करने के उन तरीकों को जानने में मदद करता है, जो उसके लिए सबसे अच्छे हैं। हमारे पाठकों को स्वाध्याय के इन्ही लाभों से परिचित कराने के लिए आइये जानें सेल्फ स्टडी के क्या महत्व हैं :

स्वाध्याय से होता है अपनी क्षमता का विस्तार :

मित्रों, ऐसे तो स्वाध्याय के अनेकों फायदे हैं लेकिन उनमें से सबसे जरूरी पहलू है कि स्वाध्याय आपको अपने अंदर की क्षमता जानने में मदद करता है। जब हम किसी और की सहायता से पढ़ाई करते हैं अर्थात जब शिक्षक मार्गदर्शन करते हैं तब विद्यार्थी उनके बताए गए तरीकों एवं निर्देशों का ही पालन करता है।

इसके साथ ही समस्या आने पर उसका हल तलाशने के लिए विद्यार्थी शिक्षक की ही सहायता लेता है। किंतु जब विद्यार्थी पाठ्यक्रम को स्वयं पढता है तब वह पढ़ने का अपना तरीका बनाता है। स्वाध्याय के क्रम में किसी समस्या के आने पर विद्यार्थी स्वयं उसका हल निकालने की कोशिश करता है जिससे वह इस बात को जान पाता है कि उसके अंदर कितनी क्षमता है।

इस क्षमता का विस्तार तब ही होता है जब हम खुद से चीजें करना शुरू कर देते हैं। शिक्षक के मार्गदर्शन में रहकर इस क्षमता का विस्तार नहीं हो पाता क्योंकि हमारी हर समस्या का हल करने के लिए शिक्षक उपस्थित होते हैं।

स्वाध्याय आपके लिए एक चुनौती के रूप में होता है जहां आपको अपनी परेशानियों से स्वयं निपटना होता है। साथ ही आप जो पढ़ते हैं उसे किस प्रकार समझना है इसके लिए आप नए तरीके ईजाद करते हैं। यही से शुरुआत होती है आपकी क्षमता के विस्तार की।

स्वाध्याय बनाता है आपको जिम्मेदार :

मित्रों, स्व शिक्षा के जिन महत्व की हम बात कर रहे हैं, उनमें से एक यह भी है कि सेल्फ स्टडी करने वाला व्यक्ति अधिक जिम्मेदार और सजग होता है।

मित्रों, जब आप सेल्फ स्टडी करते हैं तब आपकी पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी केवल आपके ऊपर होती है। आप क्या पढ़ना चाहते हैं, आपको क्या पढ़ना है, कितना और कब, किस तरह पढ़ना है, यह सब तय करना आपकी जिम्मेदारी होती है। किंतु जब हम किसी ट्यूशन या विद्यालय में पढ़ रहे होते हैं तब इस जिम्मेदारी का बहुत कम हिस्सा आप पर है।

आपके पाठ्यक्रम में आप क्या पढ़ने वाले हैं, यह सब शिक्षक तय करते हैं, कौनसा अध्याय किस दिन करना है, यह भी शिक्षक तय करते हैं। केवल यही नहीं बल्कि आपको प्रश्नोत्तर किस प्रकार याद करने हैं इसकी जिम्मेदारी भी शिक्षक अपने ऊपर ले कर केवल आपको निर्देश देता है।

आपका काम केवल उन निर्देशों का पालन करना होता है। आप रोज विद्यालय जाते हैं शिक्षक के निर्देशानुसार काम करते हैं और आपकी जिम्मेदारी खत्म हो जाती है। किंतु सेल्फ स्टडी इससे काफी अलग है।

जब आप सेल्फ स्टडी करने बैठते हैं तो सब कुछ आपके हाथों में होता है और सब कुछ तय करना आपकी जिम्मेदारी होती है। टाइम टेबल बनाना, पाठ्यक्रम तय करना, अध्याय तय करना इत्यादि यह सब खुद करने से आप पहले से अधिक जिम्मेदार बनते हैं।

स्वाध्याय से आता है अनुशासन :

स्वाध्याय एक बेहतरीन तरीका है स्वयं में अनुशासन लाने का। विद्यालय के दिनों में शिक्षक हमें अनुशासन के महत्व को समझाते हैं परंतु उस समय छात्र इस पर ध्यान नहीं देते हैं। वहीं जब परीक्षा के दिन नजदीक आते हैं तब वे अनुशासन का ठीक ढंग से पालन करते हुए स्वाध्याय करते हैं और उसके परिणाम भी पाते हैं।

मित्रों, स्वाध्याय का अर्थ जैसा आप जानते हैं, स्वाध्याय अर्थात स्वयं अध्ययन करना होता है। जब हम स्वयं अध्ययन करते हैं तब स्वयं में अनुशासन का संचार करते हैं। यह अनुशासन किसी बाहरी कार्य के कारण नहीं अपितु हमारे स्वयं के अंदर विराजमान होता है।

इसका स्रोत हम स्वयं होते हैं। जिस कारण यहां अधिक प्रभावशाली होता है। अतः यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि स्वाध्याय से हम में अनुशासन आता है और यह अनुशासन अभी प्रेरित होने के कारण अधिक सार्थक सिद्ध होता है।

स्वाध्याय है अध्ययन का सर्वश्रेष्ठ तरीका :

मित्रों, यूं तो अध्ययन के कई तरीके हैं। सर्वप्रथम हमारे शिक्षक हमें पढ़ाते हैं। यहीं से हमारे अध्ययन की शुरुआत होती है। तत्पश्चात दूसरा तरीका होता है अपने मित्रों के साथ चर्चा करना ।
यह बहुमुखी अध्ययन होता है क्योंकि इसमें हमारे सुनने - बोलने, समझने और याद रखने, हर प्रकार की क्षमता का विकास होता है साथ ही चर्चा के दौरान हमारे सामाजिक कौशलों का भी विकास होता है।

परंतु स्वाध्याय अध्ययन का सर्वश्रेष्ठ तरीका होता है। मन को एकाग्र चित्त कर अपनी इच्छाशक्ति को बटोर कर हम अपनी सारी शक्ति शिक्षण में लगा देते हैं। यहां हम अपने गति और समाज के अनुसार आगे बढ़ सकते है। चीजों को हम अपने अनुसार समझ सकते हैं। कक्षा में शिक्षक को पूरी कक्षा को पढ़ाना होता है जिस कारण वह व्यक्तिगत रूप से छात्र पर उतना ध्यान नहीं दे पाते।

स्वाध्याय में हम अपनी गति के अनुसार चलने के लिए स्वतंत्र होते हैं। इसका लाभ यह होता है कि चीजों को हम अधिक गहराई से समझ पाते हैं। यहां हमारी और अध्ययन के बीच किसी प्रकार की तीसरी रुकावट नहीं होती। जितनी भी बड़ी हस्तियां है उन सब की अनेक आदतों में स्वाध्याय अवश्य ही शामिल रहती है।

निष्कर्ष :
मित्रों, यह लेख यहीं समाप्त होता है। आशा है कि आप स्वाध्याय के महत्व को भली भाँति समझ चुके हैं और अब इसे अपने जीवन में उतारने के लिए तैयार हैं। इस लेख से जुड़ी आपकी राय हमारे साथ साझा करना बिल्कुल न भूले। साथ ही अपनी टिप्पणी में हमें यह भी बताये कि आपके जीवन में सेल्फ स्टडी कितनी महत्वपूर्ण रही है। लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद!


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