क्या आप खुश हैं : आइये चलें एक बेहतर जीवन की ओर

क्या आप खुश हैं : आइये चलें एक बेहतर जीवन की ओर

  

मित्रों, यदि आपसे यह सवाल पूछा जाए कि क्या आप अपने जीवन में खुश हैं तो आपका जवाब क्या होगा?

कई लोगों के लिए यह प्रश्न काफी जटिल साबित होता है क्योंकि हर व्यक्ति के मन में अधूरी इच्छाएं और आकांक्षाएं होती हैं, और उन्हें नजरअंदाज करके यह कहना कि "हम खुश हैं" उनके लिए काफी मुश्किल बन जाता है।

गौरतलब है कि ज्यादातर लोगों का जवाब हमेशा "ना" में होता है। भला ऐसा क्यों है ?

जब हम से यह सवाल पूछा जाता है कि हम अपने जीवन में खुश हैं या नहीं, तब हम इस प्रश्न का अवलोकन करते हैं, और फिर एक निष्कर्ष पर पहुंचते हैं।

इस प्रश्न का जवाब ढूंढने के क्रम में जब हम उन चीजों के बारे में सोचते हैं जिसके कारण हम खुश हैं, तभी हमारे मन में उन चीजों का ख्याल आने लग जाता है जिनकी कमी होने के कारण हम खुश नहीं है। इसी कारण अक्सर हमारा जवाब "ना" होता है। अतः हम अपनी जिंदगी में खुश नहीं हैं।

पर अब यहां सवाल यह उठता है कि क्या जीवन में कुछ चीजों की कमी होने के कारण हम इससे इतना नाखुश रहें?

बिल्कुल नहीं।

जीवन में खुश होने का तात्पर्य यह नहीं है कि आपके पास वह सब कुछ मौजूद हो जिसकी आप ख्वाहिश रखते हैं क्योंकि किसी को भी सब कुछ नहीं मिलता।

किसी के पास अच्छी नौकरी है किंतु अच्छा स्वास्थ्य नहीं, किसी के पास अच्छा स्वास्थ्य है तो पैसे नहीं, किसी के पास पैसे हैं लेकिन प्यार करने वाला कोई नहीं, किसी के पास घर है लेकिन परिवार नहीं और किसी के पास सब कुछ तो है लेकिन मन की शांति नहीं।

मित्रों, यही जिंदगी का दस्तूर है। सब को सब कुछ नहीं मिलता। हमारे पास बहुत कुछ हो सकता है लेकिन सब कुछ नहीं हो सकता है। इसीलिए शायद हम हर वक्त बेहतर कल और बेहतर जीवन की तलाश में रहते हैं।

अतः हमारे पास जितना है उसमें ही हमें जीवन की खुशियां तलाशनी होंगे और साथ ही यह देखना होगा कि हमारे पास जो है क्या हम उसका बुद्धिमता पूर्वक उपयोग कर पा रहे हैं?

जीवन के असली खुशी इसी में है और यही हममें से कई लोग असफल रह जाते हैं। आज का यह लेख कई मायनों में खास है क्योंकि आज हम बात करने जा रहे हैं कि जीवन में आप किस प्रकार खुशियों को तलाश सकते हैं।

यदि आप हताश अथवा उदास है तो यह लेख आपको उदासी के अंधेरे से आशा, उम्मीद और खुशी के प्रकाश में प्रवेश करने में मदद कर सकता है।

मित्रों, यदि हम अपने जीवन में सुखी नहीं है तो इसके कई कारण हो सकते हैं। यह कारण हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ चीजें ऐसी है जिस पर हमारा बस नहीं चलता है । किंतु कुछ चीजें ऐसी हैं, जिन्हें हम ठीक कर सकते हैं। आज के लेख में हम उन्हीं चीजों पर ध्यान केंद्रित करेंगे जिन्हें ठीक करना हमारे हाथों में है।

कई बार हम स्वयं ही अपने दुख का कारण बन जाते हैं। ऐसे में यदि हम एक बेहतर जीवन की तलाश में है तो सबसे पहले हमें खुद में कुछ परिवर्तन करने होंगे।

इस लेख में हम किसी प्रश्न का उत्तर जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर क्या है वह परिवर्तन जो हमारे जीवन को अधिक खुशहाल बना सकते हैं?

आइए जाने उन उपायों को जिन्हें अपनाकर जीवन में बड़े बदलाव कर सकते हैं -

खुद से प्यार करना सीखें :

मित्रों, खुशी की शुरुआत सबसे पहले हमारे अंदर से ही होती है। अपने जीवन से प्यार करने के लिए सबसे पहले हमें खुद से प्यार करना सीखना होगा। हम अक्सर अपने शरीर, अपने रंग, वेशभूषा इत्यादि को लेकर हीन भावना का शिकार होते रहते हैं और खुद से बेहतर लोगों को देखकर यह भावना और प्रबल होती जाती है।

कोई यदि हम से अधिक सुंदर, हम से अधिक बुद्धिमान हो या किसी की हम से अधिक प्रशंसा हो रही हो तो हम ईर्ष्या की भावना से ग्रसित हो जाते हैं और स्वयं को कमतर आंकने लग जाते हैं। इसका परिणाम असंतोष, द्वेष अशांति और दुख होता है।

भला ऐसे में हम कैसे खुश रह सकते हैं ?

ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि हम इस बात से जानबूझकर अनजान बनते रहते हैं कि कोई ना कोई हमसे किसी न किसी मामले में बेहतर होता ही है।

इस दुनिया में कोई भी परफेक्ट नहीं है। हमारे अंदर कुछ कमियाँ होती है तो कुछ गुण होते हैं। किंतु हमारा ध्यान केवल कमियों पर ही जाता है और हम अपने गुणों को गिनना भूल जाते हैं।

शायद इसीलिए हम खुद से प्यार नहीं कर पाते और जिंदगी से भी प्यार नहीं कर पाते। इससे बचने के लिए हमें इस बात को स्वीकार करना होगा कि ईश्वर ने हर इंसान को अलग और अनोखा बनाया है। हम सबके अंदर कुछ न कुछ ऐसी खूबी है जो हमें सबसे अलग और सबसे सुंदर बनाती है।

कोई किसी से कमतर नहीं होता बल्कि सब में अलग-अलग गुण होते हैं। इसीलिए आपको अपने अंदर छुपे इन गुणों को पहचानना है और इन्हें ही अपने जीवन की खुशी का आधार बनाना है।
कोई व्यक्ति अपने रंग को लेकर खुश नहीं होता है। यदि वह काला है तो वह गोरा होना चाहता है। किंतु कुछ लोग जो गोरे हैं वह सांवले रंग को अत्यंत सुंदर मानते हैं। ऐसे में काला व्यक्ति और गोरा व्यक्ति दोनों ही अपने रंग से खुश नहीं है। फिर आप किस रंग को बेहतर कहेंगे?

अर्थात तात्पर्य यह है कि दोष रंग में नहीं बल्कि हमारी नजरों में है। ईश्वर ने हमें जो दिया है हम उस में खूबसूरती तलाशने की बजाए दूसरों में उसे ढूंढने की कोशिश करते हैं। यही कारण है कि हम खुश नहीं है। इसीलिए आप जो हैं, जैसे हैं, खुद को उसी रूप में स्वीकार करें और केवल स्वीकार ही ना करें बल्कि खुद से ढेर सारा प्यार करें।

जब आप ऐसा करने लगेंगे तो आपके मन से ईर्ष्या, द्वेष, झिझक जैसी सारी भावनाएं दूर हो जाएंगी। सच्चा प्यार करने के लिए आप इन तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

बेहतर स्वास्थ्य में छुपी है खुशियों की चाबी :

अपनी सेहत का ध्यान रखें। स्वास्थ्य सबसे बड़ा खजाना है। इसीलिए तो कहते हैं हेल्थ इज वेल्थ।

अर्थात स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। जीवन में अच्छे स्वास्थ्य के बिना खुशियों की सौगात नहीं मिल सकती। स्वस्थ शरीर स्वस्थ मन का निवास स्थान होता है और स्वस्थ मन में ही सुंदर विचारों के बीच पनपते हैं। सुंदर विचार ही हैं जिनसे आप प्रसन्न, और अच्छा महसूस करते हैं और आप खुश रखते हैं।

तो देखा आपने कितना जरूरी है सेहत का ध्यान रखना। आपने गौर किया होगा कि जब आप स्वस्थ नहीं होते हैं तब आपका मन उदास रहता है। बीमार होने पर कुछ करने का मन नहीं करता, किसी से बात करने का मन नहीं करता, हम चिड़चिड़ा महसूस करने लगते हैं और कुछ भी चीज हमें अच्छी नहीं लगती है।

ठीक इसी प्रकार बेहतर स्वास्थ्य न होने से हमारा मन भी नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है और मन में नकारात्मक विचार पैदा होने लग जाते हैं। आप खुद ही सोचिए एक ऐसा व्यक्ति जो बीमारी और दवाइयों से घिरा हुआ है क्या वह खुश रह सकता है?

बिल्कुल नहीं!

वहीं दूसरी तरफ एक ऐसा व्यक्ति जो स्वस्थ है और पूरे दिन ऊर्जावान और सक्रिय रहता है। स्वास्थ्य ही जीवन में आशावाद, उत्साह और उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है।

आज से ही आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग हो जाना चाहिए। जीवन का आनंद आप तभी ले सकते हैं जब आपका तन और मन निरोगी हो। बेहतर स्वास्थ्य वह सीढ़ी है जो आपको खुशहाल जिंदगी की तरफ ले जाती है। अतः स्वस्थ रहने के लिए निम्नलिखित उपाय करें :

1. खानपान का विशेष ध्यान रखें।

शरीर को हर प्रकार के क्रियाकलाप करने के लिए ऊर्जा भोजन से ही प्राप्त होती है। यदि शरीर गाड़ी है तो भोजन इंधन है। इंधन की गुणवत्ता श्रेष्ठ होनी चाहिए तभी शरीर रूपी यह गाड़ी लंबे समय तक चल सकेगी। कहते हैं ना, जैसा अन्न वैसा मन। इसलिए पौष्टिक भोजन करें और समय पर करें। आजकल बाजार डब्बे बंद जंक फूड से भरा हुआ है जिसे लोग धड़ल्ले से बिना कुछ सोचे समझे खाते हैं। यह भोजन आपके शरीर में कूड़े के समान है जिससे ना तो कोई पोषण मिलता है और ना ही ऊर्जा।

2. प्रकृति से सीधा मिला भोजन ग्रहण करें।

अनाज, फल-सब्जियां, दूध-दही, अंडा इत्यादि यह सब प्रचुर मात्रा में खाएं और बाहर के डब्बे बंद भोजन से परहेज करें।

3. साथ ही कभी भी अपने भोजन के साथ समझौता ना करें।

अक्सर हम जल्दबाजी में सुबह का नाश्ता छोड़ दिया करते हैं। यह आदतें बिल्कुल भी ठीक नहीं है। भोजन व पोषण को सबसे बड़ी प्राथमिकता बनाएं और सदैव पेट भर कर खाना खाए।

4. रुखा-सुखा कुछ भी खा लेने की आदत को बदले

अपनी थाली में हर पोषक तत्व से युक्त भोजन रखें ताकि आपको भरपूर पोषक तत्व मिल सके।

5. भोजन को कब खा रहे हैं।

केवल अच्छा भोजन ही आवश्यक नहीं है, बल्कि आप भोजन को कब खा रहे हैं यह भी अति आवश्यक है। खाने-पीने का एक निश्चित समय निर्धारित करें और कोशिश करें कि आप रोज उसी नियत समय पर भोजन करें। यह आपके स्वास्थ्य के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।


कभी समय नष्ट ना करें :

मित्रों, यदि आप से यह सवाल किया जाए कि संसार में सबसे मूल्यवान वस्तु क्या है, तो आपका जवाब क्या होगा?

क्या आप सोने, चांदी अथवा हीरे को सबसे मूल्यवान वस्तु बताएंगे ?

यदि हां, तो शायद आप कुछ भूल रहे हैं। इस संसार में किसी भी धन से या किसी भी रत्न से अधिक मूल्यवान है समय। क्योंकि यदि यह एक बार समय गुजर गया तो चाहे कुछ भी कर लिया जाए यह वापस नहीं पाया जा सकता है। इसिलिए समय को सबसे बलवान कहा गया है।

इसीलिए समय का बुद्धिमतापूर्वक उपयोग अति आवश्यक है। यदि हम समय नष्ट कर देते हैं तो हमारे हाथ पछताने के अलावा और कुछ नहीं लगता है और यह पछतावा सालों साल तक हमारे दुख का कारण बना रहता है।

समय पर सही कार्य न करना हमारे जीवन के सबसे बड़े दुखों का प्रमुख कारण है। इसका केवल और केवल एक ही हल है कि जो समय आपके हाथ में है, उसका आप सोच समझकर उपयोग करें । तभी जाकर आप अपने जीवन में खुशियों को ला पाएंगे।

समय की महत्ता और उसकी शक्ति से भी सभी परिचित हैं लेकिन फिर भी लोग समय गवा देते हैं और बाद में पछताते रहते हैं। आखिर ऐसा क्यों होता है कि सब कुछ जानते हुए भी हम मूल्यवान समय को अपने हाथों से जाने देते हैं?

जानबूझकर समय नष्ट करना और फिर बाद में पछताने के कई कारण है, जैसे अनुशासन की कमी, दृढ़ संकल्प का अभाव, विकर्शन इत्यादि। इन सभी दोषों से स्वयं को मुक्त कर समय का अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए आइए कुछ उपायों को जाने :

1. अनुशासन को अपनाएं।

जीवन में अनुशासन अति आवश्यक है। चाहे आप कुछ भी कर रहे हो, यदि आप में अनुशासन की कमी है तो आप अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकते हैं। ठीक ऐसा ही समय के उपयोग के मामले में भी है। यदि आप अनुशासित नहीं रहेंगे तो आप कभी भी समय के महत्व को नहीं समझ पाएंगे और समय रहते कार्य करने की आदत नहीं बना पाएंगे। इसेलिए कड़े अनुशासन में खुद को रखें, हर काम का एक समय निर्धारित करें और उसी समय पर अपने कार्य को अंजाम दे।

2. विकर्शन को कहे ना

बिना मतलब घूमना-फिरना, खासकर मोबाइल पर समय नष्ट करना, यह सब हमारे विकर्शन के प्रमुख कारण है। इन सब को खुद से दूर रखें और अपना ध्यान केवल समय के सदुपयोग पर लगाएं। यदि आप मोबाइल की उपस्थिति से समय का दुरुपयोग कर रहे हैं तो अपने मोबाइल का इस्तेमाल सीमित कर दें।

3. समझें रूटीन का महत्व।

मित्रों , रूटीन और टाइम टेबल समय का बुद्धिमता पूर्वक उपयोग करने के लिए अति आवश्यक है। जब आप अपने लिए एक टाइम टेबल बनाते हैं तो आप अपने द्वारा किए गए सभी कार्यों को एक निश्चित समय प्रदान कर देते हैं। ऐसा करने से आप इस बात को लेकर बिल्कुल स्पष्ट होते हैं कि आपको कितने बजे कौन सा काम करना है। इससे आपका समय भी बचता है और आप इस बात पर समय नष्ट नहीं करते कि मुझे कब क्या करना चाहिए। अतः अपने लिए टाइम टेबल निर्धारित करें और उसके हिसाब से चलें।

4. सीखे समय प्रबंधन की कला।

केवल समय का उपयोग आना ही पर्याप्त नहीं है। आपको समय बचाना भी आना चाहिए। इसी कला को समय प्रबंधन कहते हैं। कम समय में अधिक कार्य निपटाने की कोशिश करें और अपने कार्य को इस प्रकार से बांटे कि सब कुछ करने के बाद भी आपके पास पर्याप्त समय बच सके।

असल दुनिया से नाता जोड़े :

मित्रों , आज कल का जमाना स्मार्ट है। इंटरनेट, सोशल मीडिया की उपस्थिति ने मानो क्रांति सी ला दी हो जिससे दुनिया का हर व्यक्ति एक दूसरे से जुड़ चुका है। ऐसे में एक अलग दुनिया बन गई है जो है, वर्चुअल दुनिया। यह दुनिया मोबाइल और लैपटॉप में सिमटी हुई है।

गौरतलब है कि हम असल दुनिया को छोड़कर इस दुनिया का हिस्सा बनने में अधिक दिलचस्पी दिखाने लग गए हैं। यह एक ऐसी दुनिया है, जहां हम एक दूसरे को जानते तक नहीं है लेकिन फिर भी एक दूसरे से घंटों तक बात करना पसंद करते हैं।

भले ही हम अपने परिवार, पड़ोसी और मित्रों से बात ना करें लेकिन हम सोशल मीडिया पर नए लोगों से बात करना बहुत पसंद करते हैं। भले ही हम अपने घर से बाहर निकल कर मित्रों के साथ समय व्यतीत ना करें लेकिन घर के अंदर रहकर हम नए-नए लोगों के साथ घंटों समय बिताना बहुत पसंद करते हैं।

इस दुनिया में हम इस कदर खो गए हैं कि असली दुनिया को जैसे भूल ही गए हैं। अपनी सुंदर तस्वीरें पोस्ट करना, लोगों से वाहवाही लेना, अपनी फोटो पर अधिक से अधिक लाइक और कमेंट की इच्छा रखना, इन सब की दौड़ में हम अपने मन की शांति को कहीं खो देते हैं और यदि हमारी फोटो पर अधिक लाइक या कमेंट नहीं आते तो हम दुखी हो जाते हैं।

किंतु क्या यह असली दुनिया है ?

इसका जवाब है नहीं। यह एक ऐसी दुनिया है जिसकी नीव भावनाओं से नहीं बल्कि तकनीक से बनी है। और यही कारण है कि आजकल लोग खासकर युवा इन सब में उलझ कर अपनी खुशी कहीं खो चुके हैं। सोशल मीडिया पर अपने आपको सबसे अच्छा दिखाने की होड़ आजकल एक दबाव बन गया है। दूसरे व्यक्ति सोशल मीडिया पर कितने एक्टिव है यह देख कर हम भी उन से प्रतिस्पर्धा करने लग जाते हैं और इस प्रतिस्पर्धा का परिणाम शांति का भंग होना है।

ऐसे में हमें क्या करना चाहिए? आइये जानें :

● सोशल मीडिया और इस वर्चुअल दुनिया से थोड़ी दूरी बनाएं और अपने आप को असल दुनिया में अधिक संलग्न करें।

मोबाइल पर घंटों चैट करने की जगह अपने मित्र, परिवार के साथ समय व्यतीत करें और आप पाएंगे कि उसे थोड़े से समय में है आपके अंदर अधिक संतोष और खुशी का प्रसार हुआ है।

● मोबाइल पर हंसी के इमोजी भेजने से की जगह मित्रों के साथ मिलकर खुलकर हंसे, तब आप दोनों के बीच का फर्क समझ पाएंगे। मित्रों, इंसान भावनाओं से निर्मित एक पुतला है जो भावनाओं को ही समझ सकता है। अतः झूठी दुनिया में जीना छोड़े और असली दुनिया से नाता जोड़े। तभी आप सही मायने में जीवन में खुशियों को गले लगा पाएंगे।

माफ करना सीखें :

मित्रों, क्षमा दान सबसे बड़ा दान है। जो क्षमा करता है वह इस संसार में सबसे अधिक बलवान है क्योंकि क्षमा करने के लिए बड़े ह्रदय और अद्वितीय धैर्य की आवश्यकता होती है। जिन लोगों से हम प्रेम करते हैं, उनके साथ हुआ मन मोटाव जिंदगी में ऐसे घाव की तरह रह जाता है जो कभी नहीं भर पाता है।

जब भी यादें ताजा होती हैं, तब-तब मन दुखी हो जाता है। यह बिगड़ चुके रिश्ते हमारे दुख का बहुत बड़ा कारण हैं। हर किसी की जिंदगी में किसी न किसी प्रिय जन से हुआ मतभेद उनके मन की गांठ बन जाती है जो आगे जाकर मनभेद बन कर हमेशा उन्हें दुखी करता रहता हैं।

किंतु हम भूल जाते हैं कि यह गांठे हमने स्वयं ही बनाई हैं और इन्हें यदि कोई खोल सकता है तो वह भी हम ही हैं। कई बार हम अपने झूठे आत्म सम्मान, झूठी शान, अपने स्वार्थ, अपने अहम में आकर छोटे से मन मोटाव को भी संबंध नष्ट करने का कारण बना देते हैं।

यह हमारा अहम ही है जो हमें दूसरों को क्षमा करने से रोकता है। भला ऐसे अहंकार का क्या फायदा जो हमारे लिए दुख का कारण बन जाए?

भला ऐसा अहं किस काम का जो हमें हमारे प्रिय जनों से दूर कर दे ?

क्षमा ना कर पाना हमारी बहुत बड़ी कमजोरी है । यदि हम इससे उबर जाएं तो कई सारे रिश्तो में मिठास वापस आ सकती है और इन रिश्तो की मिठास हमारे जीवन में मिठास घोलने के लिए पर्याप्त है। क्षमा करना सीखें।

सामने वाले से कोई गलती हो भी जाए तो प्यार से उन्हें क्षमा करें और आगे बढ़ना सीखें। संबंध खत्म करना हल नहीं है। क्षमा करने से ना केवल आपके संबंध बेहतर होते हैं बल्कि आप अपने मन के अंदर अद्वितीय संतोष और सुख का आनंद उठा सकते हैं।

कुछ सुझाव इसमे आपकी सहायता कर सकते हैं :

● दूसरों की बात को जल्दी दिल पर ना लगाएं। इस बात को समझे कि गलती इंसान से ही होती है और इसलिए उन्हें माफ करने की क्षमता विकसित करें।

● लोगों से प्यार करें। अपने मन मैं किसी के लिए भी इर्ष्या, द्वेष, क्रोध आदि जैसे भाव ना रखें।

● इस बात को समझें क्रोध करने वाले से क्षमा करने वाला बड़ा होता है। यदि आप सामने वाले को क्षमा कर रहे हैं इसका मतलब यह है कि आप खुद ब खुद उस व्यक्ति से श्रेष्ठ बन गए हैं।

● जब भी आपको किसी पर अत्यधिक क्रोध आए तब इस बात को स्मरण कर ले की उस व्यक्ति पर क्रोध करने से आपके संबंधों में कड़वाहट आ सकती है और यदि केवल उसे क्षमा कर देने से आपके संबंध अच्छे बने रह सकते हैं तो यह कदम उठाने में कोई बुराई नहीं है।

निष्कर्ष :
मित्रों, यह था आज का लेख जिसमें हमने यह जाना है कि जीवन को अधिक खुशहाल और बेहतर किस प्रकार बनाया जा सकता है। आशा है कि आप यह भली-भांति समझ चुके हैं कि जीवन की खुशियां हमारे अंदर ही छिपी हैं। केवल कुछ अधूरी इच्छाओं और आकांक्षाओं के कारण खुद को खुशियों से दूर रखना ईश्वर द्वारा दिए गए सुंदर जीवन की अवमानना होगी।


चाहे आप किसी भी परिस्थिति में हो, याद रखें अपने जीवन को खुशहाल बनाने का रास्ता सदैव आपके पास है और उसकी एक खिड़की आपके अंदर ही खुलती है। अपने जीवन में खुशियों की शुरूआत स्वयं अपने अंदर से ही करें। आशा है आपको आज का लेख बहुत पसंद आया होगा। यह ना सिर्फ आपके लिए लाभदायक होगा बल्कि प्रेरणादायक भी सिद्ध होगा। इस लेख से जुड़ी कोई भी राय आप हमारे साथ बेझिझक साझा कर सकते हैं। आपकी मूल्यवान टिप्पणियों का हमें बेसब्री से इंतजार रहेगा। यह लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद!


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