आकर्षण का सिद्धांत

आकर्षण का सिद्धांत

  

सोच बनती है हकीकत

आकर्षण का नियम एक ऐसी जादुई छड़ी की तरह है कि अगर आपने इसका प्रयोग करना समझ लिया तो दुनिया में ऐसी कोई वस्तु नहीं है जिसे आप हासिल न कर सकें।आकर्षण का सिद्धांत ' साधारण शब्दों में कहें तो हम जिस चीज के बारे में सोचते हैं उसे हम आकर्षित करते हैं । आपने ये तो सुना ही होगा कि

हम जैसा सोचते हैं, वैसा ही बन जाते हैंये कुछ और नहीं बल्कि आकर्षण का सिद्धांत ही है । यदि हम किसी वस्तु को चाहते हैं और हम दिन रात उसी के बारे में सोचते हैं तो वह वस्तु भी हमारी ओर आकर्षित होती है। और फिर हमे उसे प्राप्त करने के लिए कर्म करना होता है और अंत में हम उसे प्राप्त कर लेते हैं।

चार्ल्स हुनैल इस नियम के बारे में कहते हैं कि- यह सबसे महान और सबसे अचूक नियम है जिस पर सृजन का समूचा तंत्र निर्भर है।

अर्थात संपूर्ण ब्रह्मांड इसी नियम पर आधारित है यह ब्रह्मांड का सबसे शक्तिशाली नियम है जिसको यदि हमने समझ लिया तो हमारे लिए किसी भी वस्तु को प्राप्त करना असम्भव नहीं है। इसे समझने के बाद हम वो हर चीज प्राप्त कर सकते हैं जिसे हम प्राप्त करना चाहते हैं।

आकर्षण का नियम क्या है-

आकर्षण का नियम कुछ नहीं बल्कि हमारी सोच का प्रतिक्रियात्मक रूप है अर्थात हम जो भी अपने मस्तिष्क में सोचते हैं, जिस चीज का हम अपने दिमाग में सृजन करते हैं तो हमारा मस्तिष्क भी तरंगें ब्रहमांड में निकालता है और ये तरंगें उसी वस्तु को, जिसके बारे में हमने सोचा था, हमारी ओर आकर्षित करती है। इसे तुलसी दास जी के एक दोहे से भी समझा जा सकता है-

जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत तिन देखी तैसी ।

अर्थात कोई भी व्यक्ति भगवान को जिस रूप में देखना चाहता है उसे उसी रूप में भगवान दिखते हैं।इसी प्रकार हम भी जो भी सोचते हैं हमारे साथ भी वैसा ही होता है।

आज दुनिया में केवल 1% लोग ऐसे हैं जो दुनिया का 99% पैसा कमा रहे हैं। कभी आपने सोचा है कैसे? वो ऐसा कर पा रहे हैं क्योंकि वे दिन रात पैसे कमाने के बारे में ही सोचते हैं और उसके लिए काम भी करते हैं तो उन्हें भी वही परिणाम प्राप्त होता है जिसकी उन्होंने कल्पना की थी।

अर्थात आकर्षण का नियम पूरी तरह से हमारी सोच पर निर्भर करता है। आपने ओम शांति ओम फ़िल्म का ये कथन तो सुना ही होगा कि-

अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने में लग जाती है

ये सब आकर्षण के नियम द्वारा ही संभव है। यदि हम किसी वस्तु को सिद्दत से चाहते हैं तो ब्रह्मांड भी उस वस्तु को हमसे मिलाने में पूरी शक्ति लगा देता है।

आकर्षण के सिद्धांत के नियम

आकर्षण का सिद्धांत मुख्यता दो नियमों पर निर्भर करता है

कंपन का सिद्धांत -

जिंस प्रकार हमारा दिल धड़कता है उसी प्रकार हमारे मस्तिष्क में भी कंपन उत्पन्न होते हैं जिससे बाहर की ओर तरंगें प्रसारित होती है। इस प्रकार हम जो भी अपने मस्तिष्क में सोचते हैं उसी संदेश को मस्तिष्क तरंग बाहर ब्रह्माण्ड में ले जाती है और उसके प्रत्युत्तर में हमें वह वस्तु प्राप्त होती है या वो भी हमारी ओर आकर्षित होती है। यदि हम नकारात्मक चीजें सोचते हैं तो हमारे साथ नकारात्मक वस्तुएँ आकर्षित होती है और यदि हम सकारात्मक सोचते हैं तो सकारात्मक चीजें हमारी ओर आकर्षित होती है।

कर्म का नियम -

जब सै मस्तिष्क तरंगें संदेश को किसी वस्तु या व्यक्ति तक पहुंचाती है तो वो भी हमारी और आकर्षित होते हैं परन्तु हमें उस व्यक्ति या वस्तु को प्राप्त करने के लिए कर्म करना होगा तभी हम उसे प्राप्त कर सकते हैं।

किसी ने कहा है कि

यदि आप ब्रह्मांड को समझना चाहते हैं तो इसे मानसिक रूप से देखिए परन्तु यदि आप इसे बनते या पूरा होते देखना चाहते तो इसे शारीरिक रूप से देखिए।

अर्थात यदि आप केवल उस व्यक्ति या वस्तु के बारे में सोचते हैं तो आप उसे केवल अपनी ओर आकर्षित करते हैं परन्तु यदि आप उस वस्तु या व्यक्ति को प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको उसके लिए कर्म करना चाहिए तभी आप उसे प्राप्त कर सकते हैं। परिणामस्वरूप आकर्षण का सिद्धांत कंपन के नियम और कर्म के नियम का संगठित रूप है अर्थात जब हम किसी वस्तु को सोचते हैं तो वो हमारी ओर आकर्षित होती है और उसके बाद हम उसके लिए कर्म करते हैं तो वह पूर्णता हमारी हो जाती है।

इसे प्रभाव में कैसे लाएं /इसका प्रयोग कैसे करें

आकर्षण का सिद्धांत एक ऐसा रहस्य है कि यदि हम इसके तथ्य को समझ जाएं तो ऐसा कुछ भी नहीं जो हमारे लिए असंभव हो । हमे अनुभव होने वाली सभी घटनाओं का आधार यही है । यदि हम किसी वस्तु को प्राप्त करना चाहते हैं तो हमे आकर्षण के सिद्धांत को समझने की आवश्यकता है।

इसे प्रभाव में लाने के कुछ तरीके हैं जैसे-

1. एक ही दिशा में काम करना -

यदि हम किसी वस्तु को प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें निरंतर उसी वस्तु के प्रति कार्य करना चाहिए, हमें अपने दिमाग में उस वस्तु के प्रति नकारात्मक विचार नहीं रखना चाहिए। हमें उसके प्रति हमेशा सकारात्मक ही रहना चाहिए।

2. अतिशयोक्ति में नहीं सोचना चाहिए -

हमें किसी भी वस्तु के बारे में अतिशयोक्ति में नहीं सोचना चाहिए जैसे यदि हमारी सैलरी ₹10,000 हैं और हम ये सोच रहे हैं कि हम ₹1,000,000 कमा रहे हैं तो ये अतिशयोक्ति होगी जिससे हमारा मस्तिष्क उस वस्तु के लिए कार्य करने को प्रेरित नहीं करेगा क्योंकि उसे पहले से ही ये समझा दिया जाता है की हमारे पास ₹1,00,00,000 है तो इसके लिए कार्य करने की क्या आवश्यकताएँ है इसलिए हमें अतिशयोक्ति नहीं सोचना चाहिए।

3. सकारात्मक सोचना -

हमें किसी भी वस्तु को प्राप्त करने के लिए सकारात्मक सोचना चाहिए जैसे हम किसी पद को प्राप्त करना चाहते है यह सोचना चाहिए कि हाँ, हम अच्छा काम कर रहे हैं और इस पद को प्राप्त कर लेंगे। इस प्रकार सकारात्मक सोच आकर्षण के सिद्धांत को अपनाने में मदद करती है।

4. नकारात्मक विचारों को ना आने दें -

यदि हम किसी वस्तु या व्यक्ति के प्रति नकारात्मक विचारों को अपने मस्तिष्क में जगह देते हैं तो ये आकर्षण के सिद्धांत को तोड़ने का काम करते हैं। इससे हमारा मस्तिष्क उस वस्तु के प्रति सकारात्मक तरंगे प्रेषित नहीं कर पाता जिस कारण हम उस वस्तु को प्राप्त नही कर पाते । अतः हमे नकारात्मक विचारों को अपने मस्तिष्क में नही आने देना चाहिए।

आकर्षण के सिद्धांत के लाभ-

आकर्षण का सिद्धांत एक ऐसा रास्ता है जो हमें उस मंजिल तक पहुंचा सकता है जहाँ तक हम पहुंचना चाहते हैं। और इसकी सहायता से हम वो सब प्राप्त कर सकते हैं जो हम चाहते हैं। बस जरूरत है तो इस गूढ़ रहस्य को समझने की। अगर हम इस रहस्य को समझ लेते हैं तो हम कुछ भी कर सकते हैं। जैसे यदि हम धन,पद या किसी और वस्तु को पाने की इच्छा रखते हैं तो हम इसकी मदद से उस वस्तु को प्राप्त कर सकते हैं। आकर्षण का सिद्धांत हमे अपने लक्ष्य के और निकट लाता है और उसे पाने के मार्ग को आसान बनाता है ।

वस्तुतः आप जिस प्रकार का आनंदपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं उसके लिए इस सिद्धांत को अपनाना नितांत आवश्यक है। हम जो भी अनुभव करते हैं उसके पीछे आकर्षण का नियम ही काम करता है। तो यदि हम इसका प्रयोग करते हैं तो हम अवश्य ही उस लक्ष्य को पाने में सफल होंगे जिसकी कामना हम प्रतिदिन करते हैं।

निष्कर्ष-

परिणामस्वरूप हम यह कह सकते हैं कि आकर्षण का सिद्धांत और कुछ नहीं बल्कि एक चाभी है जो हमारे सपनों के ताले को खोल सकती है अर्थात हम इसके सहारे अपने सपनो को पूरा कर सकते हैं। आकर्षण के सिद्धांत के सहारे बहुत से लोगों ने अपने लक्ष्य को प्राप्त किया है और हम भी यह कर सकते हैं बस जरूरत है तो इसे समझने और इसे अपने जीवन में अपनाने की।

आकर्षण का सिद्धांत मस्तिष्क, ऊर्जा और कर्म के ऊपर निर्भर करता है। हम अपने मस्तिष्क में जो सोचते हैं वही ऊर्जा ब्रह्माण्ड में हमारे मस्तिष्क द्वारा तरंगों के रूप में भेजी जाती है और जो ऊर्जा हम प्रेषित करते हैं वही ऊर्जा हमारे पास लौट कर वापस आती है। और यदि हम उसके लिए कर्म करते तो अवश्य ही हम उसे प्राप्त कर लेते हैं।

निष्कर्ष यह है कि हम इस सिद्धांत की मदद से हर असंभव वस्तु को प्राप्त कर सकते हैं।


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