Pallavi Thakur
657 अंक
Motivator
अपने मन के भावों को काग़ज़ पर उकेर कर संजो लीजिए!
नमस्कार! मैं आकाशवाणी की युवा कलाकार हूँ। लेखन एवं हिंदी भाषा में मेरा अत्यधिक रुझान है। इस रुचि को एक ब्लॉगर के रूप में साकार करने के की कोशिश है।
सचिन रमेश तेंदुलकर एक ऐसा नाम है, जिससे न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में बच्चों से लेकर बूढ़े तक वाक़िफ़ हैं। जब-जब क्रिकेट की बात आती है, तब - तब सचिन तेंदुलकर का नाम जरूर लिया जाता है।
क्रिकेट की चर्चा सचिन तेंदुलकर के नाम के बिना हमेशा अधूरी रहेगी। या फिर यह कहें कि सचिन के बिना क्रिकेट अधूरा है, तो यह भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
भारतीय क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर का योगदान अतुलनीय एवं अद्वितीय है। अपने बेहतरीन प्रदर्शन से उन्होंने न सिर्फ पूरी दुनिया में भारतीय क्रिकेट टीम का लोहा मनवाया, बल्कि कई ऐसे रिकॉर्ड स्थापित किए हैं, जिसे आज तक कोई तोड़ नहीं पाया है।
इसीलिए उन्हें क्रिकेट के भगवान की उपाधि दी गई है। चाहे बात सबसे ज्यादा रन बनाने की हो, या सबसे ज्यादा शतक या चौका लगाने की हो, सचिन का नाम सबसे आगे है। पूरी दुनिया में उन्हें मास्टर ब्लास्टर कह कर संबोधित एवं सम्मानित किया जाता है।
महज़ 16 साल की उम्र में पेशेवर क्रिकेट की दुनिया में कदम रखने वाले सचिन तेंदुलकर आज करोड़ों दिल की धड़कन हैं। उन्होंने सफलता के नए - नए आयाम बनाकर भारत का नाम पूरी दुनिया में ऊंचा किया है।
यही नहीं, वह भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित होने वाले पहले खिलाड़ी हैं। जब बात सचिन की आती है, तो हमारे दिमाग में एक और नाम आता है, और वह है रमाकांत आचरेकर का, जो कि सचिन के कोच थे।
रमाकांत आचरेकर ने सचिन को क्रिकेट का कौशल सिखाया और इसके साथ ही असल जिंदगी के भी कई ऐसे पाठ पढ़ाएं जिनके कारण सचिन को पूरी दुनिया ना सिर्फ एक महान क्रिकेटर के रूप में, बल्कि एक बेहद उम्दा शख्सियत के रूप में जानती है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि सचिन आज सफलता के जिस शिखर पर खड़े हैं, वहां तक पहुंच पाना हजारों लोगों का सपना होता है। आज का यह लेख बहुत खास होने वाला है। क्योंकि आज हम आपके सामने सचिन की सफलता के कुछ नियम पेश करने वाले हैं, जिन्होंने उन्हें एक आम इंसान से क्रिकेट का भगवान बना दिया।
निश्चय ही सचिन की यह रणनीतियां आज के युवाओं के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत हैं। तो आइए जानते हैं वह सब कारक जिन्होंने सचिन को आज इतना सफल बनाया है :
✴ सपनों का पीछा करो :
सपने सभी देखते हैं। जीवन में कुछ पाने के, कुछ बनने के, और कुछ कर दिखाने के सपने हम सभी देखते हैं। लेकिन क्या हमारे सभी सपने पूरे हो पाते हैं?असफलता और सफलता के बीच इस सपने के फासले के बारे में सचिन ने बहुत अच्छी बात कही थी। उनकी अद्भुत सफलता के पीछे यह कारण है कि उन्होंने न सिर्फ सपने देखे, बल्कि अपने सपनों का पीछा किया, तब तक, जब तक वह पूरे नहीं हो गए।
उन्होंने अपने सपनों को साकार करने के लिए दिन-रात ही नहीं, बल्कि कई सालों तक मेहनत की। सचिन सपनों का पीछा करने पर विश्वास रखते हैं। इंडिया के लिए एक वर्ल्ड कप लाना सचिन का सपना था और इस सपने को पूरा करने के लिए सचिन ने 1 या 2 वर्ष नहीं बल्कि पूरे 21 वर्ष तक इंतज़ार किया। जी हां! पूरे 21 वर्ष। यह काफी लंबा समय है, लेकिन सचिन ने इस सपने को नहीं छोड़ा।
वर्ल्ड कप के इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने परिश्रम जारी रखा और आखिरकार 21 वर्षों के बाद भारत वर्ल्ड कप के खिताब से नवाजा गया। सचिन का मानना है कि सपने जरूर पूरे होते हैं। उन्हें पूरे होने में कुछ ज्यादा समय लग सकता है, लेकिन एक दिन वह जरूर पूरे होते हैं।
कई बार ऐसा होता है कि हम परिश्रम तो करते हैं, लेकिन एक समय आने के बाद हम सफलता की उम्मीद छोड़ देने लगते हैं, हम बहाने बनाने लग जाते हैं और हार मान लेते हैं।
लेकिन हमें यह नहीं पता होता है कि हो सकता है लक्ष्य प्राप्ति की ओर बढे हमारे एक और कदम के बाद सफलता हमारा इंतजार कर रही हो।
हम अथक प्रयास करने के बाद यह सोचने लग जाते हैं कि यह मुझसे नहीं हो पाएगा, लेकिन यदि वहीं हम हिम्मत दिखाएं और परिश्रम कर आगे बढे तो हमारे सपने जरूर पूरे होंगे। उनका पीछा करते रहें।
✴ खुद पर विश्वास :
मित्रों, सचिन आज इतने सफल इसीलिए है क्योंकि उन्होंने हर परिस्थिति में अपने ऊपर सबसे ज्यादा विश्वास रखा। उन्होंने अपनी काबिलियत को ना सिर्फ समझा बल्कि उस पर भरोसा किया और मैदान में आत्मविश्वास का अभूतपूर्व प्रदर्शन किया।सचिन की सफलता में उनके आत्मविश्वास का योगदान इतना बड़ा है कि उनके करियर की शुरुआत ही इसी आत्मविश्वास के बल पर लिए गए एक बड़े फैसले से हुई। 16 साल के सचिन को जब भारत के लिए खेलने का मौका मिला तब मैदान में तेज गेंदबाज की बॉल लगने के कारण उनके नाक में चोट लग गई और उनकी नाक से बेतहाशा खून बहने लगा।
इसे देखकर अन्य खिलाड़ियों एवं सभी दर्शकों को लगने लगा था कि इतनी छोटी उम्र के सचिन इस मैच को नहीं खेल सकते । लेकिन 16 साल के इंसान की सोच ने हजारों लोगों की सोच को गलत साबित कर दिया। जब सचिन को मैदान छोड़कर जाने की सलाह दी गई तब उन्होंने कहा, "मैं खेलेगा" और अगले ही बॉल पर उन्होंने चौका लगा डाला।
यह देखकर पूरी दुनिया दंग रह गई। सचिन ऐसा इसीलिए कर पाए क्योंकि उन्हें किसी और से अधिक खुद पर सबसे ज्यादा विश्वास था। उन्हें अपनी मेहनत, अपनी क्षमता और अपनी तैयारी पर पूरा भरोसा था इसीलिए हजारों लोगों के हताश हो जाने के बाद भी उनका स्वयं पर से विश्वास नहीं डगमगाया और उन्होंने शानदार बल्लेबाजी की।
यदि उस दिन सचिन सब की बात मानकर मैदान छोड़ कर चले जाते तो शायद उनके करियर की शुरुआत इतनी बेहतरीन नहीं हो पाती। यह बड़ा फैसला उनके अटूट आत्मविश्वास का ही परिणाम था जिसने उन्हें मान-सम्मान, सफ़लता, पैसा, सब कुछ दिलाया।
जब परिस्थितियां उनके खिलाफ थी तब उन्होंने अपने आत्मविश्वास का सहारा लिया और अपने प्रदर्शन से सबका दिल जीत लिया। सचिन का मानना है कि यदि आपको अपनी प्रतिभा पर विश्वास है, यदि आप अपनी तैयारी से आश्वस्त हैं तो आप कुछ भी कर सकते हैं।
सचिन कहते हैं कि वह जो भी करते हैं पूरे आत्मविश्वास के साथ करते हैं। यदि वह इसमें असफल भी हो जाए तो कोई बात नहीं क्योंकि सफलता और असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। चाहे वह असफल हो या सफल, वह अपनी क्षमताओं पर पूरा विश्वास रखते हैं।
✴ जीत से पहले की तैयारी :
मित्रों सफलता 1 दिन में नहीं मिल जाती। रातों-रात सफल होने वाले व्यक्ति की सफलता के पीछे कई सालों की मेहनत छुपी होती है। सचिन की सफलता का यह नियम हर उस व्यक्ति पर लागू होता है जो कुछ कर दिखाने की इच्छा रखता है। किसी भी क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए आपको उस चीज़ के लिए पहले से तैयार होना होगा।यदि कोई परीक्षा है तो उसके लिए आपको कई दिनों पहले से पढ़ाई करनी होगी। परीक्षा से एक रात पहले पढ़ कर आप सबसे अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकते।
इसी तरह बिना तैयारी के खेल के मैदान में उतर जाने वाला खिलाड़ी कभी महान नहीं बन सकता। सचिन कहते हैं कि : "पहले की तैयारी बहुत महत्वपूर्ण है। उनका कहना है कि जब मैं मैदान में जाऊं तो मुझे यह पता होना चाहिए कि मैंने अपनी क्षमता की पराकाष्ठा तक मेहनत की है।
इससे बेहतर मैं नहीं कर सकता था क्योंकि यह मेरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। तब मैं खेलने के लिए स्वयं को पूरी तरह तैयार मानता हूं। दुनिया में ऐसा कोई खिलाड़ी नहीं है जो यह बता सकता है कि आज वह 100 या 500 रन बनाने वाला है।
कभी-कभी परिणाम अच्छे होते हैं तो कभी-कभी प्रदर्शन अच्छा नहीं हो पाता। हमारी उम्मीदें साकार नहीं हो पाती। परिणाम हमारे हाथों में नहीं है लेकिन वह कारक जिन पर परिणाम निर्भर करता है, मैं उन्हें नियंत्रण में रखने पर विश्वास रखता हूं।
कर्म का फल आपके हाथ में नहीं है लेकिन तैयारी पूरी तरह से आपके हाथों में है, प्रयास करना, अपना शत-प्रतिशत देना आपके नियंत्रण के अंदर है। इसीलिए हर अवसर के लिए के लिए खुद को तैयार रखें।"
✴ हार ना मानना :
सचिन का कहना है कि हर इंसान में कुछ न कुछ विशिष्ट प्रतिभा होती है। आवश्यकता है उस प्रतिभा को पहचानने की। एक बार जब आप अपनी प्रतिभा को पहचान लेते हैं तब आप सफलता प्राप्ति के रास्ते पर चल सकते हैं।यह रास्ता आसान नहीं होगा। आपके लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग में कई सारी रुकावटें आ सकती हैं। पर आप हार ना मानें। या फिर शॉर्टकट ना ढूंढे। सही रास्ते पर चलना सबसे जरूरी है। यह रास्ता मुश्किलों से भरा हुआ हो सकता है जहां आपको इसे पार करने में बहुत सारी कठिनाइयों को उठाना पड़ सकता है।
लेकिन याद रखें कठिन परिस्थितियों में मजबूत व्यक्ति ही टिक पाते हैं। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। इसीलिए आसान रास्ते को चुनकर सफलता प्राप्त कर पाने का विचार सही नहीं है। चाहे सफलता का रास्ता कितना भी जटिल क्यों न हो, चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों ना आए, आपको हार नहीं माननी चाहिए। तभी आप अपनी मंजिल को पाने में सफल हो पाएंगे।
✴ अच्छे व्यक्ति बनें :
सफलता की सार्थकता तब सिद्ध होती है जब आपका व्यक्तित्व अच्छा हो। आप चाहे किसी भी क्षेत्र में सफल होना चाहते होंं, चाहे वह खेल, व्यवसाय, विज्ञान इत्यादि कुछ भी हो, हर क्षेत्र में सफलता के सही मायने अच्छे व्यक्तित्व से तय होते हैं।सचिन कहते हैं कि जीवन में सब कुछ अस्थाई होता है । सफलता, नाम, शोहरत, सब कुछ एक दिन खत्म हो जाएगा। बस एक चीज है जो आपके साथ हमेशा, आपकी आखरी सांस तक रहेगी, और वह है आपका व्यक्तित्व। आपकी प्रकृति अच्छी होनी चाहिए क्योंकि आपकी सफलता, पैसे इत्यादि से कहीं ज्यादा लोग आपको आपके अच्छे व्यक्तित्व के कारण याद रखेंगे।
एक इंटरव्यू में सचिन ने अपने पिता द्वारा कही बात का जिक्र किया था। वह कहते हैं कि भारत के लिए मैच खेलने के बाद उनके पिता ने उनसे कहा था कि : क्रिकेट खेलने के कारण लोग तुम्हारी प्रशंसा करेंगे, तुम्हारी प्रतिभा, क्षमता को सराहेंगे, लेकिन मैं तब अधिक खुश होऊंगा जब लोग क्रिकेटर से अधिक एक अच्छे इंसान के रूप में तुम्हारी सराहना करेंगे। इसीलिए सचिन भी सभी युवाओं को यही संदेश देते हैं कि हमें सबसे पहले अच्छा इंसान बनना चाहिए ।
✴ हमेशा तैयार रहें :
दोस्तों, हम नहीं जानते कि जीवन में कब हमें अपनी प्रतिभा, अपने कौशल का जलवा बिखेरने का अवसर प्राप्त हो जाए। ऐसे में हमें आने वाले अवसर के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। सचिन का मानना है कि हमें हमेशा अपनी पूरी तैयारी में रहना चाहिए ।आपको पता नहीं कि कब अवसर आपके दरवाजे पर आकर खड़ी हो जाए, ऐसे में आप इस अवसर का लाभ तभी उठा पाएंगे, जब आप उसके लिए पूरी तरह से तैयार होंगे।
अवसर आने के बाद तैयारी करने का कोई मतलब नहीं रह जाता और ना ही यह समझदारी है। वह कहते हैं कि जब वो खेलने जाए तो उन्हें ऐसा लगना चाहिए कि यह उनका सर्वश्रेष्ठ प्रयास था।
सचिन की इस सोंच ने उनकी सफलता में चार चांद लगा दिए हैं। लगातार चौके - छक्के, आसमान को छूती उनकी गेंद, उनकी इसी तैयारी का नतीजा है जिसके कारण वह हर अवसर पर अपना शत-प्रतिशत दे जाते हैं।
निष्कर्ष :
मित्रों, आशा है कि यह लेख आपके लिए बहुत रोमांचक रहा होगा। क्योंकि इस लेख में सचिन के जिंदगी के ऐसे वाक्यों का जिक्र है, जो शायद आप आज से पहले नहीं जानते होंगे। मित्रों, यह लेख अपने आप में प्रेरणा का स्रोत है उन सभी युवाओं के लिए जो अपनी जिंदगी में सफलता की ऊंचाइयों को छूना चाहते हैं।
यह वह नियम, वह रणनीतियां है जिन्होंने सचिन को इतना सफल और इतना लोकप्रिय बनाया है। इन रणनीतियों का पालन करके आप भी अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। यदि आपके मन में इस लेख से संबंधित कोई भी राय हो, तो उसे हमारे साथ साझा करना न भूले।
यदि आपको सचिन की कोई और रणनीति पता है, तो उसे टिप्पणी के रूप में ज़रूर पोस्ट करें, जिन्हें पढ़कर हमारे पाठकों के ज्ञान की वृद्धि होगी और उन्हें प्रेरणा मिलेगी।
पोस्ट
सुबह मिलेगा समय चुराने का अवसर !
जी हां, बिल्कुल सही पढ़ा आपने !
समय चुराने का तात्पर्य किसी और के समय को चुराना नहीं है, बल्कि दिन के 24 घंटों में से उस समय का उपयोग करना है जिसे आप यूं ही गवा रहे हैं। यदि आपने बेकार हो रहे समय का इस प्रकार उपयोग कर लिया तो ऐसी स्थिति में आपके पास उस व्यक्ति की तुलना में अधिक समय होता है जो देर तक सोते रहता है।
यदि आप सुबह 8:00 बजे के स्थान पर 5:00 बजे ही उठ जाते हैं, तो सामान्य दिनों की तुलना में आपके पास उस दिन 3 घंटे अधिक होंगे। अब सोचिए कि इन तीन घंटों में आप कितने कार्यों को निपटा सकते हैं।
➤ यदि आप किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो यह 3 घंटे आपके लिए अमूल्य होंगे। आप इस समय में अपनी पढ़ाई का बड़ा हिस्सा कवर कर सकते हैं।
➤ कामकाजी लोग इन 3 घंटों में उन कामों को निपटा सकते हैं, जो दिन में व्यस्तता के कारण वह नहीं कर पाते।
➤ यह अतिरिक्त समय उन लोगों के लिए कोहिनूर हीरे समान है जो पूरे दिन में अपने लिए कुछ खास वक्त नहीं निकाल पाते। इस समय को खुद को समर्पित कर के आप अपना मानसिक, भावनात्मक विकास कर सकते हैं।
➤ यदि आप कोई नया कौशल सीखना चाहते हैं, और समय के अभाव के कारण ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो सुबह के यह कुछ घंटे आपके लिए अत्यंत उपयोगी हैं।
➤ इसके साथ ही यदि आप योग व्यायाम आदि नहीं कर पाते हैं तो आप इस समय को ध्यान, योग - व्यायाम आदि के लिए निकाल सकते हैं।
यदि आप दिन में कुछ अधिक समय की अपेक्षा करते हैं तो भला सुबह के समय से अच्छा और क्या हो सकता है।
मित्रों, जब कभी भी आप सुबह बहुत जल्दी उठते हो तो आपने महसूस किया होगा कि उस दिन आप पूरे दिन तरोताज़ा, चुस्त व सक्रिय महसूस करते हैं। वहीं दूसरी तरफ देर तक सोते रहने से बाकी के समय भी आप सुस्त महसूस करते हैं।
मित्रों, यदि आप स्वास्थ्य से जुड़ी किसी परेशानी का सामना कर रहे हैं, तो सुबह जल्दी उठना आपको अपनी बीमारी से छुटकारा पाने में बहुत मददगार साबित हो सकता है। इसके पीछे कारण यह है कि प्रकृति ने हमारे शरीर की संरचना इस प्रकार से की है, कि हमें रात को जल्दी सो जाना चाहिए और सुबह जल्दी उठना चाहिए।
यह नियम प्रकृति ने हमारे शरीर के लिए बनाया है, मानव शरीर के लिए रात सोने के लिए और सुबह जागने के लिए बनाई गयी है। यदि हम इसके अनुरूप कार्य करेंगे, तो हमारा शरीर स्वस्थ रहेगा लेकिन यदि हम इसके प्रतिकूल जाएंगे तो हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे।
आइये चलते-चलते जाने सुबह उठने के स्वास्थ्य संबंधी लाभों को :
✴ सुबह का समय व्यायाम करने के लिए बेहतरीन समय है। इस समय किया गया योग - व्यायाम और प्रणायाम सबसे अधिक फायदेमंद है।
✴ सुबह की प्रदूषण मुक्त ताजी और ठंडी हवा श्वास संबंधी विकारों, जैसे अस्थमा इत्यादि में राहत पाने के लिए बेहद कारगर है।
✴ यदि बात शरीर को विटामिन डी उपलब्ध कराने की आती है तो सुबह की धूप से अच्छा विकल्प और नहीं है। सबह की धूप शरीर पर लगाने से शरीर को प्रचुर मात्रा में विटामिन डी प्राप्त होता है।
✴ सुबह का समय अवसाद, तनाव से ग्रसित लोगों के लिए वरदान से कम नहीं है। जो लोग मानसिक शांति चाहते हैं वह सुबह के समय सैर कर एवं प्रकृति के साथ समय बिता कर अपनी स्थिति में चमत्कारिक परिवर्तन देख सकते हैं।
मित्रों, आपने तेनालीराम की कई कहानियां सुनी होंगी। उनकी हाजिर-जवाबी और बुद्धिमता के किस्से घर-घर में मशहूर हैं। आज हम एक ऐसी ही कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो आपको गुदगुदाएगी भी, और एक महत्वपूर्ण सीख भी देगी।
विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय अति उदार स्वभाव के थे। वह अपनी प्रजा की हर आवश्यकता पूरी करते थे। राजा के इसी उदार स्वभाव के कारण विजयनगर के ब्राम्हण बड़े ही लालची हो गए थे। वह हमेशा किसी ना किसी बहाने से अपने राजा से धन वसूल किया करते थे। एक दिन राजा कृष्ण देव राय ने उनसे कहा - "मरते समय मेरी मां ने आम खाने की इच्छा व्यक्त की थी, जो उस समय पूरी नहीं की जा सकी थी। क्या अब ऐसा कुछ हो सकता है जिससे उनकी आत्मा को शांति मिले? " यह सुनते ही एक ब्राम्हण ने कहा- " यदि आप 108 ब्राह्मणों को सोने का एक-एक आम दान दें तो आपकी मां की आत्मा को शांति अवश्य ही मिल जाएगी। ब्राह्मणों को दिया दान मृत आत्मा तक अपने आप ही पहुंच जाता है।" सभी ब्राह्मणों में ने इस पर हां में हां मिलाई।
राजा कृष्णदेव राय ब्राह्मणों के इस प्रस्ताव से सहमत हुए। उन्होंने ब्राह्मणों को 108 सोने के आम दान कर दिए। इन आमों को पाकर ब्राह्मणों की तो मौज हो गई। जब तेनालीराम को इस घटना की सूचना मिली, तब ब्राह्मणों के इस लालच पर उन्हें बहुत क्रोध आया। उन्होंने इन लालची ब्राह्मणों को सबक सिखाने की ठान ली।
जब तेनालीराम की मां की मृत्यु हुई, तो 1 महीने बाद उन्होंने ब्राह्मणों को अपने घर आने का निमंत्रण दिया। उन्होंने कहा कि वह भी अपनी मां की आत्मा की शांति के लिए कुछ करना चाहते हैं । खाने-पीने और बढ़िया माल पानी के लालच में 108 ब्राह्मण तेनालीराम के घर पर जमा हुए।
✴ जिस प्रकार रोग शरीर का छय करता है, उसी प्रकार क्रोध मनुष्य के पतन का कारण बनता है।
✴ क्रोध से मूढ़ता उत्पन्न होती है, मूढ़ता से स्मृति भ्रांत हो जाता है, स्मृति भ्रांत हो जाने से बुद्धि का नाश हो जाता है, और बुद्धि नष्ट होने से प्राणी स्वयं ही नष्ट हो जाता है।
✴ क्रोधी एवं अहंकारी व्यक्ति को दुनिया में कोई अधिक क्षति नहीं पहुंचा सकता, क्योंकि यह 2 गुण ही उसे बर्बाद करने के लिए पर्याप्त हैं।
✴ एक क्रोधी व्यक्ति में तीन गुण गौंण होते हैं - धैर्य, बुद्धि, एवं संवेदनशीलता। इन तीन गुणों के नाश के कारण उसकी सफलता, प्रतिष्ठा, एवं संबंधों का नाश हो जाता है।
✴ जब ज्ञान की वर्षा होती है, तब क्रोध की अग्नि धुआं बनकर उड़ जाती हैं। अतः ज्ञान अर्जित करें।
क्या आपने गौर किया है कि जिस दिन आप बहुत सुबह उठ जाते हैं, उस दिन आप तरोताजा और अधिक ऊर्जावान महसूस करते हैं?
साथ ही सुबह के वातावरण में घूमने से एक अजीब सी ख़ुशी का एहसास होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सुबह का समय बहुत अद्भुत होता है। यदि आप जल्दी उठते हैं, तो अन्य दिनों के मुकाबले आपके पास दिन के कुछ घंटे और बढ़ जाते हैं, जिसे आप सफलता पाने के लिए निवेश कर सकते हैं।
जी हां दोस्तों ऐसा बहुत कुछ है जो सुबह के समय करने से आप लाभान्वित हो सकते हैं। इसी कड़ी में हम आपके लिए लेकर आए हैं सुबह की वह पांच आदतें जो सफलता पाने में आपकी मदद कर सकते हैं :
कई बार ऐसा होता है कि कुछ चीजों या घटनाओं को लेकर हम इतना अधिक चिंतन मनन करने लगते हैं, कि वह विचार हमें परेशान करने लग जाते हैं। कभी कभार ऐसा होना कोई बड़ी बात नहीं है, किंतु यदि आप हर छोटी-बड़ी घटनाओं पर देर तक सोचनें लगे, तो यह आपके लिए समस्या बन जाएगी।
कुछ लोग तो इस आदत से इस तरह प्रभावित होते हैं, कि छोटी से छोटी चीज़ करने से पहले अनावश्यक ही हजारों बार सोचते हैं, और कुछ कर देने के बाद भी उस पर घंटों तक विचार करते रह जाते हैं। इस तरह अति अधिक सोचने से न जाने कौन-कौन से विचार मन में आने लगते हैं, और व्यक्ति पूरी तरह व्याकुल हो जाता है। साथ ही, आपका आत्मविश्वास भी धीरे-धीरे कम होने लगता है, क्योंकि आप हर कार्य को लेकर संशय में रहने लग जाते हैं।
इस आदत को छोड़ देना ही बेहतर होगा। लेकिन लोग ऐसा नहीं कर पाते। वे अपने ही विचारों में उलझ कर रह जाते हैं। इसीलिए हम आपके लिए कुछ ऐसे बिंदु लेकर आए हैं, जिन पर गौर करने पर आप अपनी इस आदत से छुटकारा पा सकते हैं :
दोस्तों, कई बार ऐसा होता है कि क्रोध के आवेश में आकर हम लड़ाई - झगड़े में कूद पड़ते हैं, लेकिन जब शांत दिमाग से इस बारे में सोचते हैं, तब हमें अपने कृत्य का पछतावा होता है।
केवल यही नहीं दोस्तों, झगड़े के परिणाम हमेशा बुरे ही होते हैं। बाद में पछताने से अच्छा है कि हम यह स्थिति आने ही ना दें। अक्सर ऐसी स्थितियों में हम समझ नहीं पाते की क्या उचित है, इसीलिए अंततः हम झगड़े में कूद पड़ते हैं। लेकिन आपको कोशिश करनी चाहिए कि जितना हो सके आप झगड़े को टाल सके, क्योंकि यह किसी के लिए भी अच्छी नहीं है।
दोस्तों आज हम आपको एक बहुत ही रोचक कहानी सुनाने वाले हैं। यह कहानी है दो बहनों, हल्दी और सोंठ की। हल्दी स्वभाव से परोपकारी और दयालु थी लेकिन सौंठ घमंडी और स्वार्थी स्वभाव की थी। वह हमेशा अपनी बड़ी बहन हल्दी पर हुक्म जमाया करती थी। दिन यूं ही बीते रहे।
1 दिन दोनों बहनों के घर उनकी बूढ़ी नानी का संदेशा आया। बूढ़ी नानी ने अपनी मदद के लिए एक बहन को बुलाया था। संदेशा पढ़ते ही सौंठ समझ गई कि वहां जाकर उसे ढेरों काम करने पड़ेंगे, इसीलिए उसने तुरंत ही बहाना बनाकर जाने से मना कर दिया। जब हल्दी ने संदेश पढ़ा, वह तुरंत वहां जाकर उनकी सेवा करना चाहती थी। इसीलिए माता पिता की आज्ञा लेकर वहां अपनी नानी के घर के लिए निकल पड़ी।
रास्ते में उससे एक गाय दिखाई दी । हल्दी को देखकर उस गाय ने मदद के लिए उसे पुकारा। हल्दी तुरंत वहां गई और उसने गाय से पूछा कि उसे क्या कष्ट है। इस पर गाय ने कहा कि उसके आस पास बहुत सारा गोबर इकट्ठा हो गया है। तो क्या हल्दी इससे साफ कर देगी। हल्दी अपने परोपकारी स्वभाव के कारण तुरंत गाय की मदद के लिए मान गई और सारा गोबर साफ कर दिया। गाय बहुत प्रसन्न हुई । अब हल्दी ने गाय से विदा ली और आगे चल पड़ी। फिर उसे एक बेर का पेड़ दिखा जिसके आस पास बहुत से पत्ते बिखरे पड़े थे। हल्दी को वहां से गुजरता देख बेर ने भी उस से मदद मांगी, हल्दी ने उसके सभी बिखरे पत्तों को साफ कर दिया और बेर अति प्रसन्न हुआ। फिर कुछ दूर आगे बढ़कर उससे एक पर्वत दिखा जिसके आसपास कई ईट पत्थर थे। हल्दी ने पूरे मन से सभी ईंटों को साफ कर दिया और फिर नानी के घर की ओर चल पड़ी।
जीवन में कभी न कभी हम सबको आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, ऐसे में इनसे घबराने की ज़रूरत नहीं है। कमज़ोर आर्थिक स्तिथि से निपटने के लिए आपको बहुत धैर्य एवं सकारात्मकता के साथ कदम बढ़ाने होंगे। हालातों से हार मान लेने से काम नहीं चलेगा। आपको इनसे उबरने के लिए अपने हौसले को बनाये रखना होगा। दोस्तों, भूले नहीं कि रात के बाद दिन ज़रूर आता है, इसी तरह दुःख के बाद सुख आना भी निश्चित है। तो आइये जानते हैं, कमज़ोर आर्थिक स्थिति से आप किस तरह निपट सकते है :
✴ आवश्यकताओं को सीमित करें
जब आर्थिक स्थिति कमजोर हो, तब आपको पैसे बचाने पर ज्यादा जोर देना चाहिए। आर्थिक हालत चरमरा जाने पर आवश्यकताएं तो उतनी ही रहती हैं, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए पूंजी कम पड़ जाती है। ऐसे में सभी पैसे खर्च कर देना बुद्धिमानी नहीं होगी । अपनी जरूरतों को कम करें, पैसे केवल वहीं लगाएं जहां बहुत जरूरी है। जिसके बिना काम चलाया जा सकता है, उसमें पैसे खर्च ना करें ।
✴ केवल सोंचे नहीं, करें भी
हमारे पास पैसे नहीं है, अब क्या होगा क्या? क्या करना चाहिए? ऐसे सवाल मन में आने स्वभाविक हैं, लेकिन केवल इन पर सोचतें रहने से कुछ बदलने वाला नहीं है।आपको उस दिशा में काम करना होगा। अपनी माली हालत को वापस पटरी पर लाने के लिए आपको मेहनत करनी होगी, या फिर यह कहे कि दोगुना परिश्रम करना होगा। ऐसे में आलस्य का पूर्णतः त्याग कर दें । याद रखें कि आप आज काम करेंगे, तभी कल बेहतर होगा। फिर कभी आप ऐसी स्थिति में ना पहुंचें, इसके लिए कठोर परिश्रम कीजिए और सफल बनिए।
पेश है खेलकूद में अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के उपाय:
☸ सही पोषण
खेलकूद में शारीरिक श्रम होता है। आप खेल के मैदान में अधिक देर तक टिके रहें, इसके लिए आपके शरीर में पर्याप्त ऊर्जा होनी चाहिए। यह ऊर्जा वसा एवं कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन से प्राप्त होती है। यदि आप स्वस्थ नहीं होंगे, तो खेल में बेहतर प्रदर्शन करना संभव नहीं है। इसीलिए आपको अपने खान-पान पर खास ध्यान देने की जरूरत है। खाने में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों जैसे दूध, अंडे, पनीर, अंकुरित बीज इत्यादि शामिल करें। पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें ताकि आपका शारीरिक विकास सही ढंग से हो, और खेल में अधिक ऊर्जा की खपत को आप पूरा कर पाए।
☸ अभ्यास एवं प्रशिक्षण
हीरा जितना घिसा जाता है, उसकी चमक उतनी ही बढ़ती जाती है। ठीक उसी प्रकार आप जितना अभ्यास करेंगे, उतना ही अपने खेल में अच्छे होते जाएंगे । केवल 1 दिन खेल लेने से आप बेहतर खिलाड़ी नहीं बन सकते। आपको निरंतर खेल के कौशल को निखारने की जरूरत है। खेल के मैदान में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए आपको कड़ी मेहनत और अभ्यास करना होगा। जिन जगहों पर आप कमजोर हैं, अभ्यास करके उसे अच्छा करें। रोज कुछ घंटे अभ्यास के लिए निकालें। साथ ही एक अच्छे शिक्षक से बकायदा प्रशिक्षण प्राप्त करें, ताकि आपको अपने खेल के सभी नियम, सभी बारीकियाँ समझ में आए और आपके अभ्यास को सही दिशा मिले।
☸ अनुशासन
खिलाड़ी का अनुशासित होना अत्यावश्यक है। बिना अनुशासित जीवन शैली के आप बेहतर खिलाड़ी नहीं बन सकते। अनुशासन आपको हर चीज में स्थापित करना होगा। कड़ी दिनचर्या का पालन करें, अभ्यास प्रतिदिन एवं समय पर करें, 1 दिन भी अभ्यास छूटने नहीं पाए, समय के पाबंद बनें, आज का काम खत्म करें, भोजन में अनुशासन रखें। तभी जाकर आप अपने खेल में बेहतरीन प्रदर्शन कर पाएंगे ।
दोस्तों, हम यह तो जानते हैं कि सकारात्मकता जब आवश्यकता से अधिक हो जाए, तब वह विषाक्त सकारात्मकता का रूप ले लेती है, जो कि हानिकारक है। हम कब इसके शिकार हो जाते हैं, पता भी नहीं चल पाता। यही नहीं, हमारे आसपास लोग इस से ग्रसित हैं, यह पहचानना भी मुश्किल है। ऐसी स्थिति में यह जरूरी हो जाता है कि हम विषाक्त सकारात्मकता की उपस्थिति को पहचानें, और उसे खत्म करें । आइये जानते हैं विषाक्त सकारात्मकता के लक्षण :
☸ यदि किसी समस्या के आ जाने पर आप उसका सामना नहीं कर पाते, और समस्या से भागने लगते हैं, लेकिन साथ ही आप खुद को और दूसरों को यह दिखाने की कोशिश करते हैं आप बिल्कुल सकारात्मक हैं, पूरी तरह से ठीक हैं, तो यह विषाक्त सकारात्मकता का लक्षण है। इसीलिए अवलोकन करें कि कोई समस्या आपको अंदर ही अंदर बहुत ज्यादा परेशान तो नहीं कर रही। यदि आप ऐसी स्थिति में भी केवल दिखावे के लिए सकारात्मक रहने की कोशिश कर रहे हैं, तो इसे तुरंत बदलें।
☸ यदि कोई व्यक्ति अधि तनावपूर्ण बातें नहीं सुन पाता, और हमेशा उनसे भागने की कोशिश करता रहता है, तो यह भी विषाक्त सकारात्मकता का ही 1 लक्षण है। ऐसे लोगों में यह डर होता है कि नकारात्मक बात सुनने से उनकी सकारात्मकता पर प्रभाव पड़ेगा, इसीलिए सबसे अच्छी बातें कहने को कहते हैं, और यदि कोई अपनी समस्या लेकर आए, तो वह उससे मुंह मोड़ लेते हैं।
☸ यदि कोई व्यक्ति बहुत ही बुरी परिस्थितियों में, जहां समस्या की गंभीरता पर बात करनी चाहिए, वहां भी "सब अच्छा है" ऐसा कहता रहता है, तो वह भी विषाक्त सकारात्मकता से ग्रसित है। ऐसा व्यक्ति सकारात्मकता से समस्या को हल करने पर जोर नहीं देता, बल्कि सकारात्मकता के नाम पर उस समस्या को दबाने की कोशिश करता रहता है।
माता-पिता चाहते हैं कि बच्चे अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगाएं। बच्चे ज्यादा से ज्यादा समय पढ़ाई पर लगाएं, इसलिए माता-पिता अक्सर उनके खेल के समय में कटौती कर देते हैं । कई माता-पिता तो खेलकूद को केवल समय की बर्बादी मात्र मानते हैं। पढ़ाई के लिए बच्चों को प्रेरित करना अच्छी बात है, पर उन्हें खेलकूद से दूर रखना आपकी भूल साबित हो सकती है।
कैसे?
इसका जवाब आपको नीचे लिखे बिंदुओं में मिलेगा। इस लेख में हम बच्चों के जीवन में खेलकूद के महत्व के बारे में बात कर रहे हैं। इन बिंदुओं पर गौर करने के बाद आप की सोच जरूर बदल जाएगी, और आप स्वयं बच्चों को खेल के लिए प्रेरित करेंगे :
शारीरिक मजबूती
खेल बच्चों को मजबूत बनाते हैं। इससे उनकी शारीरिक श्रम करने की क्षमता बढ़ती है, एवं वह अधिक सक्रिय रहते हैं। श्रम करने की आदत आगे जाकर उनके लिए फायदेमंद साबित होगी, जिससे किसी भी काम को करने में शारीरिक कमजोरी उनके लिए बाधा नहीं बनेगी। खेल के दौरान गिरना एवं चोट लगना उनके दर्द सहने की क्षमता को बढ़ाता है, उन्हें अधिक सहनशील बनाता है।
मानसिक विकास
भविष्य में जीवन के संघर्षों के सामने टिक पाने के लिए आवश्यक है कि बच्चे मानसिक रूप से भी मजबूत हो। खेल की रणनीति पर चिंतन - मनन बच्चों में बच्चे मानसिक श्रम करते हैं। खेल से मिली हार उन्हें चुनौतियों का सामना करने, एवं हार स्वीकार करने के लिए मानसिक रूप से तैयार करती है।
कभी नया लिखना होता है तो हम 10 बार सोचते हैं, क्या लिखें? कैसे लिखें? शुरू कैसे करें?
कभी-कभी आपके मन में किसी घटना के बारे में लिखने का विचार आता होगा। आप सहमत होंगे कि बोलना जितना आसान है, लिखना उतना नहीं क्योंकि लिखने का प्रभाव बोलने से अधिक स्थाई और प्रभावी होता है, परंतु शर्त यह है कि हमें प्रभावी ढंग से लिखना आए। जी हाँ, क्योंकि लेखन एक कौशल है। इस लेख में हम यही जानेंगे कि प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जा सकता है:
विचारों की अभिव्यक्ति और भाषा
लिखित अभिव्यक्ति में हमें चाहिए कि विचारों को क्रमबद्ध करके अपने भावों के अनुकूल भाषा का प्रयोग करें । स्वाभाविक और स्पष्ट लिखने का प्रयास करें। स्वच्छता, सुंदरता और सुडौल अक्षर का निर्माण, चौथाई छोड़कर लिखना, अक्षर, शब्द और वाक्य से वाक्य के बीच की दूरी को ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। अर्थात्, लेखन सुंदर और शब्दों की वर्तनी शुद्ध हो। वाक्य की बनावट भी ठीक होनी चाहिए। साथ ही उसमें व्याकरण संबंधी कोई त्रुटि ना हो। जो आप कहना चाहते हैं, वही अर्थ निकले और वही दूसरों तक पहुंचे।
दोस्तों, झिझक या शर्म हम सबों में होती है। किसी में अधिक, तो किसी में कम, लेकिन सब लोग कभी न कभी किसी न किसी स्थिति में शर्माते हैं। किंतु कुछ व्यक्ति तो ज्यादा लोगों के सामने कुछ बोल ही नहीं पाते।
यह झिझक चिंता का कारण तब बनती है, जब यह आपके विकास में बाधा बन जाती है। तब, जब झिझक के कारण आपकी हानि होने लगे, पढ़ाई या नौकरी में आपका प्रदर्शन खराब होने लगे, या रोजमर्रा के कामों में भी परेशानी खड़ी हो जाए, तब आपको सजग हो जाने की आवश्यकता है। इसे इतना न बढ़ने दें कि आप कुछ भी करना चाहें तो शर्म के कारण पीछे हट जाए।
स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब यह शर्म बीमारी का रूप ले लेती है, जिसे ऐरिथ्रोफोबिया कहते हैं। इस अवस्था में व्यक्ति बात-बात पर शर्म आने लग जाता है। तो अपनी शर्म को खत्म करें, ताकि आप हर क्षेत्र में शत-प्रतिशत प्रदर्शन कर पाएं।
आत्मविश्वास को बल दे :
झिझक का मुख्य कारण है खुद पर विश्वास की कमी। हम हमेशा खुद को कम करके आंकते हैं । हमें लगता है कि हम में कुछ भी अच्छा नहीं है, और सामने वाले हम पर हसेंगे। पर यह केवल आपकी सोच है। सच्चाई ऐसी नहीं है। खुद पर विश्वास रखें और हीन भावना मन में ना आने दे। अपनी कमजोरियों को भी आत्मविश्वास के साथ स्वीकार करें, और अपनी क्षमताओं पर भी भरोसा रखें। यह मानें कि आप अपने आप में खास हैं।
हर कोई चाहता है कि वह अपनी अलग पहचान बनाए, लोगों के बीच पसंदीदा बने। जब भी हम किसी से मिलते हैं, तो किसी न किसी रूप में उन्हें प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। लोगों के ऊपर अपनी छाप छोड़ना एक कला है जो सबको नहीं आती। आप सोचते होंगे कि कैसे कुछ लोग भीड़ में इतने अलग दिखते हैं, जो कि सबके आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं।
मित्रों! कुछ लोगों में यह गुण पहले से होता है, उनका व्यक्तित्व ही ऐसा होता है, और कुछ लोग इसे अपने अंदर विकसित करते हैं। आप भी इस कला को सीख सकते हैं और लोगों पर अपना प्रभाव छोड़ सकते हैं। तो आइए जानते हैं कैसे आप खुद को भीर से अलग दिखा सकते हैं I
पहनावे पर ध्यान देना
लोगों की नजर में जो सबसे पहली चीज आती है, वह है आपकी वेशभूषा। अच्छे दिखने वाले व्यक्ति पर स्वतः ही लोगों का ध्यान केंद्रित हो जाता है। किंतु यहाँ अच्छे दिखने का तात्पर्य सुंदर दिखने से नहीं है।
खुद को साफ रखें, वह कपड़े पहने जिन्हें आप पूरे आत्मविश्वास के साथ वहन कर सकें, और जो आपके व्यक्तित्व को निखारे।
बेहतरीन संचार कौशल
अच्छे पहनावे से जितनी जल्दी लोगों का ध्यान आप पर केंद्रित होता है, खराब बातचीत के ढंग से उतनी ही जल्दी लोग आपसे मुंह मोड़ लेते हैं। लोगों को प्रभावित करने के लिए जरूरी है कि आपकी बातें उन्हें आपकी तरफ आकर्षित करें। इसके लिए संचार की बारीकियों पर ध्यान दें। शुद्ध एवं साफ भाषा का प्रयोग करें, आकर्षक शब्दों का प्रयोग करें, आवाज़ के उतार चढ़ाव पर ध्यान दें, शारीरिक हाव-भाव का ख्याल रखें, और बात करते समय आई कांटैक्ट बना कर रखें।
दिन भर सोते रहना कितना अच्छा लगता है ना !
हम उन दिनों की कल्पना करते हैं, जब हम सिर्फ आराम करें। न जाने कितने ही कामों को न करने की इच्छा के कारण हम बहाने बना लिया करते हैं। यह अनिच्छा ही आलस्य है, जिसे हमारे शास्त्रों में मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु कहा गया है। आइए इस श्लोक को पढ़ें :
अलसस्य कुतो विद्या, अविद्यस्य कुतो धनम्
आधनस्य कुतो मित्रम्, अमित्रस्य कुतो सुखम्
अर्थात आलस करने वाले को विद्या कहां? जिसके पास विद्या नहीं, उसके पास धन कहां? निर्धन व्यक्ति के पास मित्र कहां? और मित्र के बिना सुख कहां?
इसीलिए आप भी सावधान हो जाएं, और आलस करना छोड़ें।
उपाय :
अनुशासन में रहें और नियम बनाएं
आलस को खत्म करने के लिए आपको स्वयं को अनुशासित करना होगा। खुद के लिए कड़े नियम बनाएं, और उन नियमों को तोड़ने की इजाजत खुद को ना दें। मन के बहकावे में बहकने से खुद को रोकें, और मन ना होने पर भी किसी भी काम को नजरअंदाज ना करें।
नियम टूटने पर सजा के लिए तैयार रहें
खुद के बनाए नियम तोड़ना आसान है, क्योंकि आपको सजा देने वाला कोई नहीं होता। हम बड़ी आसानी से तय किए गए नियमों को नजरअंदाज कर देते हैं इसीलिए नियमों के साथ सजा भी तय करें। जब भी नियम टूटें, तो खुद को कड़ा दंड दें। इससे आपको ना चाहते हुए भी आलस को त्यागना ही होगा।
खुद को सक्रिय बनाएं
ऐसी क्रियाओं में स्वयं को संलग्न करें, जिनमें आपकी सक्रियता बढे। सुबह दौर लगाएं, शारीरिक कार्य करें, खेल खेले इत्यादि। इससे आपकी आलसी प्रवृत्ति बदलेगी और आप सक्रिय हो पाएंगे।
दृढ़ संकल्प
बिना दृढ़ संकल्प के आपके सारे प्रयास निरर्थक रह जाएंगे। इसीलिए मन में ठान लीजिए, कि आपको आलस छोड़ना है। साथ ही बीच-बीच में स्वयं को इस दिशा में बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करें।
आजकल हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी रोग का शिकार है। पहले की तुलना में अब लोग ज्यादा बीमार पड़ने लगे हैं। यहां तक कि नवजात शिशु भी जन्म के साथ ही जॉन्डिस, निमोनिया जैसे रोगों से ग्रसित हो जाते हैं। यदि आज से कुछ दशक पहले की तस्वीर देखी जाए, तो लोग अधिक स्वस्थ हुआ करते थे, और कहीं अधिक लंबा जीवन जिया करते थे। स्वास्थ्य के स्तर में इतनी गिरावट का सबसे मुख्य कारण है बदलती जीवनशैली।
आधुनिक जीवनशैली उपकरणों से घिरी हुई है। हम प्रकृति से दिन-ब-दिन दूर होते जा रहे हैं।
घर में पेड़ पौधे नहीं, बल्कि मोबाइल फ्रिज जैसे ढेरों उपकरण हैं। सूर्य एवं चंद्रमा की रोशनी छोड़ हम बनावटी लाइटों के बीच रहते हैं, पैकेट बंद खाद्य पदार्थ हमारा भोजन हैं, कच्चे फल सब्जियों की जगह हम जंक फूड खाना पसंद करते हैं, व्यायाम की जगह स्थूल जीवन शैली के हम आदी हो गए हैं, यहां तक कि जिस हवा में हम सांस लेते हैं, और जिस जल को ग्रहण करते हैं, वह भी शुद्ध नहीं है। ऐसे में कैसे स्वास्थ्य की गुणवत्ता बनाई रखी जा सकती है?
अपने आसपास देखिए। प्रकृति है?
नहीं!
जिस प्रकृति का हम हिस्सा हैं, जिसने हमें बनाया है, उससे दूर होकर हम कैसे ठीक रह सकते हैं ? अपने शरीर की संरचना को समझिये। यह मशीनों के लिए नहीं बनी है। इसीलिए स्वस्थ रहना तब तक पूरी तरह संभव नहीं है, जब तक आप खुद को प्रकृति से नहीं जोड़ेंगे।
यह सच है कि आप पूरी तरह से आधुनिकता के इस मशीनी माहौल से नहीं बच सकते हैं, लेकिन अभी भी ऐसा बहुत कुछ है जो आप कर सकते हैं। आइए जानते हैं प्रकृति की गोद में फिर से लौटने के लिए आप क्या-क्या कर सकते हैं:
आपके मन में यह प्रश्न जरूर आता होगा, कि कुछ बच्चे कम पढ़कर भी अच्छे अंक कैसे ले आते हैं?
जबकि कुछ बच्चे जी तोड़ मेहनत करते हैं, पर उनके अंक उस मेहनत के अनुरूप नहीं होते। जब बच्चे साल भर पूरी मेहनत से पढ़ाई करते हैं, और तब भी उनके अंक संतोषजनक नहीं होते, तब उनका मनोबल टूट जाता है। वह बहुत निराश हो जाते हैं। ऐसे में बच्चे तनावग्रस्त भी हो सकते हैं। बच्चों के कोमल मन पर निराशा की यह छाया नहीं पड़नी चाहिए, नहीं तो वह नन्हे फूल मुरझा जाएंगे।
इस स्थिति में फंसे बच्चों की मदद करने के लिए आज के लेख में हम बताने जा रहे हैं, कि आपको अच्छे अंक लाने के लिए कहां-कहां बदलाव करने की जरूरत है :
☸ सबसे पहली सीख, रटे नहीं, कंठस्थ करें।
रटंत विद्या बहुत हानिकारक है। बिना भावार्थ समझें केवल शब्दों या वाक्य को याद कर लेने से आपके ज्ञान में कोई वृद्धि नहीं होती। ऐसी चीजें आपको बस कुछ समय तक ही याद रहती है। इस तरह से याद करने वाले बच्चे, तब पूरी तरह ब्लॉक हो जाते हैं, जब सवाल थोड़ा भी घुमा दिया जाता है। क्योंकि आपने जो रट लिया, आपको बस उतना ही आता होता है। इसीलिए याद रखे बच्चों, आप जो भी पढ़ रहे हैं, उससे रटे नहीं, बल्कि समझे कि पाठ में आपको क्या समझाया जा रहा है। एक बार जब विषय वस्तु आपके समझ में आ जाएगी, तब आप उससे संबंधित प्रश्नों को हर तरह से हल कर पाएंगे ।