Pallavi Thakur
657 अंक
Motivator
अपने मन के भावों को काग़ज़ पर उकेर कर संजो लीजिए!
नमस्कार! मैं आकाशवाणी की युवा कलाकार हूँ। लेखन एवं हिंदी भाषा में मेरा अत्यधिक रुझान है। इस रुचि को एक ब्लॉगर के रूप में साकार करने के की कोशिश है।
सुबह की नींद किसे प्यारी नहीं होती ? सुबह की नींद का मजा ही कुछ और होता है। खिड़की से आती ताजा ठंडी हवाएं और शांति , मानो हमें सोते रहने को कहती हैं और इस वातावरण में हमारा मन चादर ओढ़ कर चैन की नींद लेने का करता है ।
यदि हम सुबह उठना चाह रहे हो, या फिर हमारे कोई जरूरी काम हो, तब भी हम देर तक सोना ही पसंद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यदि आप देर तक सोने के विचार को त्याग कर कोशिश करें और सुबह जल्दी उठे तो इससे आपको एक नहीं बल्कि अनेक फायदे मिलेंगे!
मित्रों, हमारे बड़े - बुजुर्ग हमेशा सुबह जल्दी उठने की सलाह देते हैं। वह हमें सुबह उठकर सैर करने, व्यायाम एवं ध्यान करने को कहते हैं। क्या आपने सोचा है कि सभी सुबह जल्दी उठने की बात पर इतना जोर क्यों देते हैं ? ऐसा इसीलिए क्योंकि सुबह जल्दी उठना हमारे लिए बहुत फायदेमंद है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि सुबह का समय दिन का सबसे सुंदर और अद्भुत समय होता है। इस समय वातावरण में एक ऐसी दिव्यता होती है जो मन को सुख एवं शांति प्रदान करती है।
सुबह का उगता सुंदर सूरज, पक्षियों का घोसलों से निकलना और मधुर कलरव, ताजा हवा, घास पर गिरी निर्मल ओस की बूंदे, यह सब सुबह को दिन का सबसे सुंदर वक़्त बना देती हैं।
सुबह का समय केवल देखने में ही सुंदर नहीं होता है, बल्कि इस समय की कई सारी खासियतें हैं। यदि रोज सुबह जल्दी उठा जाए, तो मन, मस्तिष्क व शरीर, सभी स्वस्थ रहते हैं।
मित्रों, सुबह के समय का वातावरण हमारे जीवन पर बेहतरीन सकारात्मक प्रभाव डालता है। इससे व्यक्ति का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य दोनों अच्छा होता है।
यही नहीं, सुबह जल्दी उठने से और भी अनेक फायदे हैं या फिर यह कहे कि अनगिनत फायदे हैं। आज के लेख में हम इसी बात की चर्चा करेंगे कि सुबह उठना हमारे लिए कितना फायदेमंद साबित हो सकता है। आइये एक एक कर सभी लाभों की चर्चा करें :
1 ) बेहतर मानसिक स्वास्थ्य :
जल्दी उठने की आदत आपको मानसिक रूप से तंदुरुस्त करने में बहुत कारगर साबित हो सकती है। किसी भी प्रकार की मानसिक यातना, मानसिक असंतुलन या अवसाद से ग्रसित लोगों के लिए सुबह का समय प्राकृतिक उपचार की तरह काम करता है। यह एक ऐसा उपचार है जो प्रतिदिन आपको मिलता है, वह भी मुफ्त में।
सुबह के समय वातावरण बिल्कुल शांत और निर्मल रहता है। ऐसे में अवसाद से पीड़ित व्यक्ति को मानसिक रूप से किसी उपद्रव का सामना नहीं करना पड़ता है।
सुबह की स्वच्छ ताज़ा हवा, खुला आसमान, सूर्य उदय , वनस्पति, पक्षियों का मधुर कलरव, शांति और सुंदरता व्यक्ति के मन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है।
अंधकार से रोशनी का निकलना, पक्षियों का भोजन की तलाश में अपने घोसले को छोड़ कर बाहर उड़ान भरना, दिनचर्या का पुनः शुरू होना, एवं सूरज का निकलना, यह सब प्रक्रियाएं जीवन के सृजन एवं जीवन की नई शुरुआत के विचार को विकसित करते हैं।
यह सब चीजें अवसाद से पीड़ित व्यक्ति को सकारात्मक बनने के लिए प्रेरित करता है और उन्हें जीवन की ओर जाने की आशा देता है। इस प्रकार रोज सुबह उठकर प्रकृति के साथ वक्त बिताने से धीरे-धीरे आप नकारात्मकता से सकारात्मकता, दुख से सुख एवं विनाश से विकास की ओर बढ़ने लगेंगे और आपका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होने लगता है।
2 ) खुद के लिए वक्त :
यूं तो सुबह जल्दी उठने के हजारों फायदे हैं, उनमें से एक फायदा है अपने लिए समय निकाल पाना। मित्रों, जब आप सुबह जल्दी उठते हैं तब आपके पास दिनचर्या शुरू होने से पहले कुछ घंटे होते हैं। इन घंटों को आप खुद को दे सकते हैं।
21वीं सदी का यह जीवन बहुत फास्ट हो गया है। प्रगति और विकास की दौड़ इतनी तेज़ है कि हम सभी इस दौर में भाग रहे हैं। परिणाम यह है कि इस रेस में आगे निकलने की होड़ में हम सभी इतने व्यस्त हो गए हैं कि हमारे पास अपने लिए वक्त ही नहीं बचा है।
आजकल हर व्यक्ति अपने जीवन में बहुत व्यस्त है। घर, परिवार, दफ्तर इत्यादि की जिम्मेदारियाँ उठाते उठाते ही पूरा दिन निकल जाया करता है। सुबह से शाम तक कभी यह काम, तो कभी वह काम लगे रहते हैं। परिणाम स्वरूप हमारे पास खुद के लिए समय कभी नहीं बच पाता।
इस स्थिति में जल्दी उठना आपके लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। सुबह जल्दी उठने से आपके पास एक या दो घंटे होंगे जिस समय को आप खुद के लिए निकाल सकते हैं। सुबह अपने जीवन की आगे की योजनाओं के बारे में सोचें, व्यायाम या सैर करें, उन कामों को निपटाएं जो आप दिन भर में नहीं कर पाएँ।
यदि आप कोई नया कौशल सीखने की इच्छा रखते हों तो यह समय आपके लिए बहुत अच्छा साबित हो सकता है। इस तरह आप अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के साथ-साथ खुद को भी विशेष समय दे पाएंगे।
3 ) बेहतर एकाग्रता :
मित्रों, अक्सर कई लोगों की यह शिकायत होती है कि वह फोकस नहीं कर पाते। यदि आप में भी एकाग्रता की कमी है तो सुबह जल्दी उठना आपको इस दिक्कत से मुक्त करा सकता है। सुबह जल्दी उठने से आपकी दिमागी सेहत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
सुबह के शांत और स्वच्छ वातावरण में मस्तिष्क की कोशिकाएँ सक्रिय होते हैं। शरीर में स्वच्छ हवा के संचार से मस्तिष्क अधिक उत्पादकता के साथ काम करता है।
जिस प्रकार सुबह की ताजी हवा से आपका मन तरोताज़ा हो जाता है उसी प्रकार सुबह के समय मस्तिष्क भी अधिक सक्रियता से काम करता है। इस प्रकार आप सुबह के समय उन कामों को कर सकते हैं जिनमें आपको एकाग्रता की कमी नजर आती है। इसके अलावा सुबह के समय ध्यान करने से भी आपकी एकाग्रता बहुत बेहतरीन हो सकती है।
4 ) शांति :
क्या आप भी उनमें से हैं जो किसी ऐसी जगह जाना बहुत पसंद करते हैं जहां शांति और सुकून मिले?
आप में से कई ऐसे होंगे जो ऐसी जगह जाना बहुत पसंद करते होंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम जिस परिवेश में रहते हैं, वहां से शांति बिल्कुल गायब सी हो गई है।
हर वक्त हमारे आसपास इतना शोर होता रहता है कि हमें एक पल भी शांति नहीं मिल पाती है। फैक्ट्रियों में चलती मशीनों की आवाज, गाड़ियों के हॉर्न से आती तेज आवाज, हर कुछ दिन पर शादी त्योहार के बहाने बजते तेज लाउडस्पीकर, लोगों द्वारा बाजार में उत्पन्न शोर, इन सबके बीच मन विचलित और अशांत हो जाता है।
इस शोर से केवल मानसिक ही नहीं, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य को भी बहुत हानि पहुंचती है। अब सवाल उठता है कि शांति मिले कैसे ?
शांति पाने के लिए आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है। बस सुबह - सवेरे उठकर देखिए। अपने बगीचे, छत, या बालकनी में सैर करें। आप किसी पार्क में भी जा सकते हैं।
सुबह के समय न ही गाड़ियों का शोर होता है, ना ही मशीनों की आवाज होती है। पूरा माहौल शांतिपूर्ण होता है। इस तरह आप सुबह के समय अपार शांति का अनुभव कर अपने मन को शांत और प्रसन्न कर सकते हैं।
5 ) प्राकृतिक विटामिन डी :
सुबह जल्दी उठकर आप अपनी हड्डियों को मजबूत कर सकते हैं। जी हां ! यह शत प्रतिशत सत्य है। यदि आपके शरीर में भी विटामिन डी की कमी है तो सुबह की यह धूप आपके लिए उत्तम दवा साबित हो सकती है।
सुबह-सुबह सूरज की रोशनी प्राकृतिक विटामिन डी का बेहतरीन स्रोत होती है जो ना सिर्फ आपकी हड्डियों को मजबूत करता है, बल्कि इसके साथ ही आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतरीन बनाता है।
सुबह की धूप से आपकी हड्डियां, दांत मजबूत होते हैं, आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिसके कारण आप विभिन्न रोगों से बेहतर रूप से लड़ पाते पाते हैं । साथ ही त्वचा के कीटाणुओं को समाप्त कर सूरज की किरनें संक्रमण को खत्म करती है। अर्थात सुबह की धूप त्वचा से संबंधित सभी विकारों को ठीक करने में फायदेमंद है ।
यह जठराग्नि को और अधिक सक्रिय करती है और सूरज की गर्मी से सिकुड़ गयी नारियां खुलती है जिससे उनमें बेहतर रक्त का संचार होता है। बेहतर रक्त का संचार आपको कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय की तमाम बीमारियों से बचाता है।
केवल इतना ही नहीं, सुबह सूर्य की रोशनी में स्नान करने से टीबी और कैंसर जैसी समस्याओं में भी बहुत लाभ मिलता है। इसके लिए दिन के किसी और समय से अधिक सुबह की धूप ही फायदेमंद होती है । इसीलिए सुबह उठकर उगते हुए सूर्य की रोशनी में अधिक से अधिक अंगों को रोशनी के संपर्क में लाकर कम से कम 5 से 10 मिनट बिताएं।
6 ) निश्चित दिनचर्या का पालन :
मित्रों, एक निश्चित दिनचर्या कितनी जरूरी है यह बात आप सभी जरुर जानते होंगे। निश्चित दिनचर्या का पालन करने वाले लोग अधिक उत्पादक, सफल, स्वस्थ व समृद्ध होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि दिनचर्या का हमारे जीवन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है।
ऐसे में पूरे दिन की दिनचर्या तब ही ठीक चलती है जब इसकी शुरुआत ठीक समय पर हो। और ऐसा करने के लिए सुबह जल्दी उठना अत्यंत आवश्यक है। सुबह जल्दी उठने से आपकी दिनचर्या सही तरीके से चलती है अर्थात आप अपने सभी कामों को निश्चित समय पर निपटा पाते हैं।
दूसरी तरफ देर तक सोते रहने से दिनचर्या पूरी तरह गड़बड़ हो जाती है। उदाहरण स्वरूप यदि आपने सुबह 7:00 बजे के लिए कोई काम तय किया हो लेकिन आप सुबह काफी देर से उठे, तो 7:00 बजे के काम आप 8:00 या 9:00 बजे करेंगे और इस तरह 9:00 बजे के काम अपने तय समय से विलंबित हो जाएंगे।
ऐसा करने से हर कार्य के लिए आपका निर्धारित समय पूरी तरह गड़बड़ हो जाएगा और इस अनिश्चित दिनचर्या से आप अपने दिन के लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाएंगे। परिणाम यह होगा कि वह सभी काम अगले दिन पर टाल दिए जाएंगे और अगले दिन आप पर अत्यधिक कार्यभार होगा।
ऐसा कई दिनों तक लगातार चलने से आपके जीवन में अव्यवस्था एवं अनिश्चितता बढ़ेगी। इसलिए सुबह जल्दी उठना आपके लिए बहुत लाभकारी सिद्ध होता है क्योंकि इससे आपकी दिनचर्या नियमित रूप से बनी रहती है।
7 ) दिन भर ताजगी :
मित्रों आपने देखा होगा कि जिस दिन आप सुबह जल्दी उठ जाते हैं उस दिन आप दिनभर तरोताजा महसूस करते हैं। वहीं यदि आप देर तक सोते रहते हैं तो दिन पूरे दिन आलस्य आता रहता है और मन भारी भारी सा लगता रहता है।
सुबह उठकर दोबारा देर तक सोते रहने से पूरे दिन उबासियां ही आती रहती हैं। तरोताजा और हल्का न महसूस करने से काम करने में मन नहीं लगता और उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसीलिए सुबह उठना उत्पादकता बढ़ाने में ना सिर्फ फायदेमंद है, बल्कि जरूरी है।
8 ) सुबह का व्यायाम वरदान से कम नहीं :
मित्रों, व्यायाम से होने वाले फायदों के बारे में तो आप सभी जानते होंगे। पर क्या आप यह जानते हैं कि व्यायाम दिन के किस समय में सबसे अधिक प्रभावशाली होता है?
सुबह का व्यायाम आपको सबसे अधिक फायदे दे सकता है। सुबह की हवा बिल्कुल स्वच्छ होती है क्योंकि इस समय वायुमंडल में सबसे कम प्रदूषण होता है। ऐसे में जब आप व्यायाम अथवा प्राणायाम करने के क्रम में श्वास बाहर और अंदर छोड़ते हैं, तब सुबह की स्वच्छ हवा आपके शरीर में जाकर स्वच्छ औक्सिजन प्राप्त कराती है।
इसीलिए सुबह का समय व्यायाम करने के लिए सर्वोत्तम है। रोज सुबह जल्दी उठकर या तो सैर पर निकल जाए, या तो व्यायाम करें। इससे आपका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य बेहतरीन होगा।
निष्कर्ष :
हाँ तो मित्रों यह थे वह फायदे जिनका आप सुबह उठ कर लाभ उठा सकते हैं। चाहे बात आपको मानसिक रूप से शांत करने की हो, या फिर शारीरिक रूप से स्वस्थ करने की, सुबह का समय हर तरह से उत्तम है।
इसलिए सुबह के समय चाहे आपका सोने का कितना ही मन क्यों न करे, आप अपने मन को समझाएँ और सुबह के समय अपनी दिनचर्या शुरू कर अनगिनत लाभ उठाएं। आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी,
जो सोया, वो खोया!
जी हाँ मित्रों, इस कहावत में गहरा अर्थ निहित है क्योंकि सोते रहने से आप सुबह उठने के सभी लाभों से वंचित रह जाएंगे। इसीलिए समय नष्ट करना छोड़ें और आज से ही सुबह जल्दी उठने का दृढ़ निश्चय करें। आशा है कि आपको यह लेख बहुत पसंद आया होगा और इसके साथ यह आपके लिए लाभ दायक भी सिद्ध होगा।
यदि आपके मन में इस लेख से जुड़े कुछ सुझाव या राय हों, तो अपनी राय हमारे साथ साझा करना न भूलें। सुबह जल्दी उठना आपके लिए कितना फायदेमंद साबित हुआ है, आप यह भी पोस्ट कर के हमारे साथ साझा कर सकते हैं।
पोस्ट
सुबह मिलेगा समय चुराने का अवसर !
जी हां, बिल्कुल सही पढ़ा आपने !
समय चुराने का तात्पर्य किसी और के समय को चुराना नहीं है, बल्कि दिन के 24 घंटों में से उस समय का उपयोग करना है जिसे आप यूं ही गवा रहे हैं। यदि आपने बेकार हो रहे समय का इस प्रकार उपयोग कर लिया तो ऐसी स्थिति में आपके पास उस व्यक्ति की तुलना में अधिक समय होता है जो देर तक सोते रहता है।
यदि आप सुबह 8:00 बजे के स्थान पर 5:00 बजे ही उठ जाते हैं, तो सामान्य दिनों की तुलना में आपके पास उस दिन 3 घंटे अधिक होंगे। अब सोचिए कि इन तीन घंटों में आप कितने कार्यों को निपटा सकते हैं।
➤ यदि आप किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो यह 3 घंटे आपके लिए अमूल्य होंगे। आप इस समय में अपनी पढ़ाई का बड़ा हिस्सा कवर कर सकते हैं।
➤ कामकाजी लोग इन 3 घंटों में उन कामों को निपटा सकते हैं, जो दिन में व्यस्तता के कारण वह नहीं कर पाते।
➤ यह अतिरिक्त समय उन लोगों के लिए कोहिनूर हीरे समान है जो पूरे दिन में अपने लिए कुछ खास वक्त नहीं निकाल पाते। इस समय को खुद को समर्पित कर के आप अपना मानसिक, भावनात्मक विकास कर सकते हैं।
➤ यदि आप कोई नया कौशल सीखना चाहते हैं, और समय के अभाव के कारण ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो सुबह के यह कुछ घंटे आपके लिए अत्यंत उपयोगी हैं।
➤ इसके साथ ही यदि आप योग व्यायाम आदि नहीं कर पाते हैं तो आप इस समय को ध्यान, योग - व्यायाम आदि के लिए निकाल सकते हैं।
यदि आप दिन में कुछ अधिक समय की अपेक्षा करते हैं तो भला सुबह के समय से अच्छा और क्या हो सकता है।
मित्रों, जब कभी भी आप सुबह बहुत जल्दी उठते हो तो आपने महसूस किया होगा कि उस दिन आप पूरे दिन तरोताज़ा, चुस्त व सक्रिय महसूस करते हैं। वहीं दूसरी तरफ देर तक सोते रहने से बाकी के समय भी आप सुस्त महसूस करते हैं।
मित्रों, यदि आप स्वास्थ्य से जुड़ी किसी परेशानी का सामना कर रहे हैं, तो सुबह जल्दी उठना आपको अपनी बीमारी से छुटकारा पाने में बहुत मददगार साबित हो सकता है। इसके पीछे कारण यह है कि प्रकृति ने हमारे शरीर की संरचना इस प्रकार से की है, कि हमें रात को जल्दी सो जाना चाहिए और सुबह जल्दी उठना चाहिए।
यह नियम प्रकृति ने हमारे शरीर के लिए बनाया है, मानव शरीर के लिए रात सोने के लिए और सुबह जागने के लिए बनाई गयी है। यदि हम इसके अनुरूप कार्य करेंगे, तो हमारा शरीर स्वस्थ रहेगा लेकिन यदि हम इसके प्रतिकूल जाएंगे तो हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे।
आइये चलते-चलते जाने सुबह उठने के स्वास्थ्य संबंधी लाभों को :
✴ सुबह का समय व्यायाम करने के लिए बेहतरीन समय है। इस समय किया गया योग - व्यायाम और प्रणायाम सबसे अधिक फायदेमंद है।
✴ सुबह की प्रदूषण मुक्त ताजी और ठंडी हवा श्वास संबंधी विकारों, जैसे अस्थमा इत्यादि में राहत पाने के लिए बेहद कारगर है।
✴ यदि बात शरीर को विटामिन डी उपलब्ध कराने की आती है तो सुबह की धूप से अच्छा विकल्प और नहीं है। सबह की धूप शरीर पर लगाने से शरीर को प्रचुर मात्रा में विटामिन डी प्राप्त होता है।
✴ सुबह का समय अवसाद, तनाव से ग्रसित लोगों के लिए वरदान से कम नहीं है। जो लोग मानसिक शांति चाहते हैं वह सुबह के समय सैर कर एवं प्रकृति के साथ समय बिता कर अपनी स्थिति में चमत्कारिक परिवर्तन देख सकते हैं।
मित्रों, आपने तेनालीराम की कई कहानियां सुनी होंगी। उनकी हाजिर-जवाबी और बुद्धिमता के किस्से घर-घर में मशहूर हैं। आज हम एक ऐसी ही कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो आपको गुदगुदाएगी भी, और एक महत्वपूर्ण सीख भी देगी।
विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय अति उदार स्वभाव के थे। वह अपनी प्रजा की हर आवश्यकता पूरी करते थे। राजा के इसी उदार स्वभाव के कारण विजयनगर के ब्राम्हण बड़े ही लालची हो गए थे। वह हमेशा किसी ना किसी बहाने से अपने राजा से धन वसूल किया करते थे। एक दिन राजा कृष्ण देव राय ने उनसे कहा - "मरते समय मेरी मां ने आम खाने की इच्छा व्यक्त की थी, जो उस समय पूरी नहीं की जा सकी थी। क्या अब ऐसा कुछ हो सकता है जिससे उनकी आत्मा को शांति मिले? " यह सुनते ही एक ब्राम्हण ने कहा- " यदि आप 108 ब्राह्मणों को सोने का एक-एक आम दान दें तो आपकी मां की आत्मा को शांति अवश्य ही मिल जाएगी। ब्राह्मणों को दिया दान मृत आत्मा तक अपने आप ही पहुंच जाता है।" सभी ब्राह्मणों में ने इस पर हां में हां मिलाई।
राजा कृष्णदेव राय ब्राह्मणों के इस प्रस्ताव से सहमत हुए। उन्होंने ब्राह्मणों को 108 सोने के आम दान कर दिए। इन आमों को पाकर ब्राह्मणों की तो मौज हो गई। जब तेनालीराम को इस घटना की सूचना मिली, तब ब्राह्मणों के इस लालच पर उन्हें बहुत क्रोध आया। उन्होंने इन लालची ब्राह्मणों को सबक सिखाने की ठान ली।
जब तेनालीराम की मां की मृत्यु हुई, तो 1 महीने बाद उन्होंने ब्राह्मणों को अपने घर आने का निमंत्रण दिया। उन्होंने कहा कि वह भी अपनी मां की आत्मा की शांति के लिए कुछ करना चाहते हैं । खाने-पीने और बढ़िया माल पानी के लालच में 108 ब्राह्मण तेनालीराम के घर पर जमा हुए।
✴ जिस प्रकार रोग शरीर का छय करता है, उसी प्रकार क्रोध मनुष्य के पतन का कारण बनता है।
✴ क्रोध से मूढ़ता उत्पन्न होती है, मूढ़ता से स्मृति भ्रांत हो जाता है, स्मृति भ्रांत हो जाने से बुद्धि का नाश हो जाता है, और बुद्धि नष्ट होने से प्राणी स्वयं ही नष्ट हो जाता है।
✴ क्रोधी एवं अहंकारी व्यक्ति को दुनिया में कोई अधिक क्षति नहीं पहुंचा सकता, क्योंकि यह 2 गुण ही उसे बर्बाद करने के लिए पर्याप्त हैं।
✴ एक क्रोधी व्यक्ति में तीन गुण गौंण होते हैं - धैर्य, बुद्धि, एवं संवेदनशीलता। इन तीन गुणों के नाश के कारण उसकी सफलता, प्रतिष्ठा, एवं संबंधों का नाश हो जाता है।
✴ जब ज्ञान की वर्षा होती है, तब क्रोध की अग्नि धुआं बनकर उड़ जाती हैं। अतः ज्ञान अर्जित करें।
क्या आपने गौर किया है कि जिस दिन आप बहुत सुबह उठ जाते हैं, उस दिन आप तरोताजा और अधिक ऊर्जावान महसूस करते हैं?
साथ ही सुबह के वातावरण में घूमने से एक अजीब सी ख़ुशी का एहसास होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सुबह का समय बहुत अद्भुत होता है। यदि आप जल्दी उठते हैं, तो अन्य दिनों के मुकाबले आपके पास दिन के कुछ घंटे और बढ़ जाते हैं, जिसे आप सफलता पाने के लिए निवेश कर सकते हैं।
जी हां दोस्तों ऐसा बहुत कुछ है जो सुबह के समय करने से आप लाभान्वित हो सकते हैं। इसी कड़ी में हम आपके लिए लेकर आए हैं सुबह की वह पांच आदतें जो सफलता पाने में आपकी मदद कर सकते हैं :
कई बार ऐसा होता है कि कुछ चीजों या घटनाओं को लेकर हम इतना अधिक चिंतन मनन करने लगते हैं, कि वह विचार हमें परेशान करने लग जाते हैं। कभी कभार ऐसा होना कोई बड़ी बात नहीं है, किंतु यदि आप हर छोटी-बड़ी घटनाओं पर देर तक सोचनें लगे, तो यह आपके लिए समस्या बन जाएगी।
कुछ लोग तो इस आदत से इस तरह प्रभावित होते हैं, कि छोटी से छोटी चीज़ करने से पहले अनावश्यक ही हजारों बार सोचते हैं, और कुछ कर देने के बाद भी उस पर घंटों तक विचार करते रह जाते हैं। इस तरह अति अधिक सोचने से न जाने कौन-कौन से विचार मन में आने लगते हैं, और व्यक्ति पूरी तरह व्याकुल हो जाता है। साथ ही, आपका आत्मविश्वास भी धीरे-धीरे कम होने लगता है, क्योंकि आप हर कार्य को लेकर संशय में रहने लग जाते हैं।
इस आदत को छोड़ देना ही बेहतर होगा। लेकिन लोग ऐसा नहीं कर पाते। वे अपने ही विचारों में उलझ कर रह जाते हैं। इसीलिए हम आपके लिए कुछ ऐसे बिंदु लेकर आए हैं, जिन पर गौर करने पर आप अपनी इस आदत से छुटकारा पा सकते हैं :
दोस्तों, कई बार ऐसा होता है कि क्रोध के आवेश में आकर हम लड़ाई - झगड़े में कूद पड़ते हैं, लेकिन जब शांत दिमाग से इस बारे में सोचते हैं, तब हमें अपने कृत्य का पछतावा होता है।
केवल यही नहीं दोस्तों, झगड़े के परिणाम हमेशा बुरे ही होते हैं। बाद में पछताने से अच्छा है कि हम यह स्थिति आने ही ना दें। अक्सर ऐसी स्थितियों में हम समझ नहीं पाते की क्या उचित है, इसीलिए अंततः हम झगड़े में कूद पड़ते हैं। लेकिन आपको कोशिश करनी चाहिए कि जितना हो सके आप झगड़े को टाल सके, क्योंकि यह किसी के लिए भी अच्छी नहीं है।
दोस्तों आज हम आपको एक बहुत ही रोचक कहानी सुनाने वाले हैं। यह कहानी है दो बहनों, हल्दी और सोंठ की। हल्दी स्वभाव से परोपकारी और दयालु थी लेकिन सौंठ घमंडी और स्वार्थी स्वभाव की थी। वह हमेशा अपनी बड़ी बहन हल्दी पर हुक्म जमाया करती थी। दिन यूं ही बीते रहे।
1 दिन दोनों बहनों के घर उनकी बूढ़ी नानी का संदेशा आया। बूढ़ी नानी ने अपनी मदद के लिए एक बहन को बुलाया था। संदेशा पढ़ते ही सौंठ समझ गई कि वहां जाकर उसे ढेरों काम करने पड़ेंगे, इसीलिए उसने तुरंत ही बहाना बनाकर जाने से मना कर दिया। जब हल्दी ने संदेश पढ़ा, वह तुरंत वहां जाकर उनकी सेवा करना चाहती थी। इसीलिए माता पिता की आज्ञा लेकर वहां अपनी नानी के घर के लिए निकल पड़ी।
रास्ते में उससे एक गाय दिखाई दी । हल्दी को देखकर उस गाय ने मदद के लिए उसे पुकारा। हल्दी तुरंत वहां गई और उसने गाय से पूछा कि उसे क्या कष्ट है। इस पर गाय ने कहा कि उसके आस पास बहुत सारा गोबर इकट्ठा हो गया है। तो क्या हल्दी इससे साफ कर देगी। हल्दी अपने परोपकारी स्वभाव के कारण तुरंत गाय की मदद के लिए मान गई और सारा गोबर साफ कर दिया। गाय बहुत प्रसन्न हुई । अब हल्दी ने गाय से विदा ली और आगे चल पड़ी। फिर उसे एक बेर का पेड़ दिखा जिसके आस पास बहुत से पत्ते बिखरे पड़े थे। हल्दी को वहां से गुजरता देख बेर ने भी उस से मदद मांगी, हल्दी ने उसके सभी बिखरे पत्तों को साफ कर दिया और बेर अति प्रसन्न हुआ। फिर कुछ दूर आगे बढ़कर उससे एक पर्वत दिखा जिसके आसपास कई ईट पत्थर थे। हल्दी ने पूरे मन से सभी ईंटों को साफ कर दिया और फिर नानी के घर की ओर चल पड़ी।
जीवन में कभी न कभी हम सबको आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, ऐसे में इनसे घबराने की ज़रूरत नहीं है। कमज़ोर आर्थिक स्तिथि से निपटने के लिए आपको बहुत धैर्य एवं सकारात्मकता के साथ कदम बढ़ाने होंगे। हालातों से हार मान लेने से काम नहीं चलेगा। आपको इनसे उबरने के लिए अपने हौसले को बनाये रखना होगा। दोस्तों, भूले नहीं कि रात के बाद दिन ज़रूर आता है, इसी तरह दुःख के बाद सुख आना भी निश्चित है। तो आइये जानते हैं, कमज़ोर आर्थिक स्थिति से आप किस तरह निपट सकते है :
✴ आवश्यकताओं को सीमित करें
जब आर्थिक स्थिति कमजोर हो, तब आपको पैसे बचाने पर ज्यादा जोर देना चाहिए। आर्थिक हालत चरमरा जाने पर आवश्यकताएं तो उतनी ही रहती हैं, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए पूंजी कम पड़ जाती है। ऐसे में सभी पैसे खर्च कर देना बुद्धिमानी नहीं होगी । अपनी जरूरतों को कम करें, पैसे केवल वहीं लगाएं जहां बहुत जरूरी है। जिसके बिना काम चलाया जा सकता है, उसमें पैसे खर्च ना करें ।
✴ केवल सोंचे नहीं, करें भी
हमारे पास पैसे नहीं है, अब क्या होगा क्या? क्या करना चाहिए? ऐसे सवाल मन में आने स्वभाविक हैं, लेकिन केवल इन पर सोचतें रहने से कुछ बदलने वाला नहीं है।आपको उस दिशा में काम करना होगा। अपनी माली हालत को वापस पटरी पर लाने के लिए आपको मेहनत करनी होगी, या फिर यह कहे कि दोगुना परिश्रम करना होगा। ऐसे में आलस्य का पूर्णतः त्याग कर दें । याद रखें कि आप आज काम करेंगे, तभी कल बेहतर होगा। फिर कभी आप ऐसी स्थिति में ना पहुंचें, इसके लिए कठोर परिश्रम कीजिए और सफल बनिए।
पेश है खेलकूद में अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के उपाय:
☸ सही पोषण
खेलकूद में शारीरिक श्रम होता है। आप खेल के मैदान में अधिक देर तक टिके रहें, इसके लिए आपके शरीर में पर्याप्त ऊर्जा होनी चाहिए। यह ऊर्जा वसा एवं कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन से प्राप्त होती है। यदि आप स्वस्थ नहीं होंगे, तो खेल में बेहतर प्रदर्शन करना संभव नहीं है। इसीलिए आपको अपने खान-पान पर खास ध्यान देने की जरूरत है। खाने में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों जैसे दूध, अंडे, पनीर, अंकुरित बीज इत्यादि शामिल करें। पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें ताकि आपका शारीरिक विकास सही ढंग से हो, और खेल में अधिक ऊर्जा की खपत को आप पूरा कर पाए।
☸ अभ्यास एवं प्रशिक्षण
हीरा जितना घिसा जाता है, उसकी चमक उतनी ही बढ़ती जाती है। ठीक उसी प्रकार आप जितना अभ्यास करेंगे, उतना ही अपने खेल में अच्छे होते जाएंगे । केवल 1 दिन खेल लेने से आप बेहतर खिलाड़ी नहीं बन सकते। आपको निरंतर खेल के कौशल को निखारने की जरूरत है। खेल के मैदान में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए आपको कड़ी मेहनत और अभ्यास करना होगा। जिन जगहों पर आप कमजोर हैं, अभ्यास करके उसे अच्छा करें। रोज कुछ घंटे अभ्यास के लिए निकालें। साथ ही एक अच्छे शिक्षक से बकायदा प्रशिक्षण प्राप्त करें, ताकि आपको अपने खेल के सभी नियम, सभी बारीकियाँ समझ में आए और आपके अभ्यास को सही दिशा मिले।
☸ अनुशासन
खिलाड़ी का अनुशासित होना अत्यावश्यक है। बिना अनुशासित जीवन शैली के आप बेहतर खिलाड़ी नहीं बन सकते। अनुशासन आपको हर चीज में स्थापित करना होगा। कड़ी दिनचर्या का पालन करें, अभ्यास प्रतिदिन एवं समय पर करें, 1 दिन भी अभ्यास छूटने नहीं पाए, समय के पाबंद बनें, आज का काम खत्म करें, भोजन में अनुशासन रखें। तभी जाकर आप अपने खेल में बेहतरीन प्रदर्शन कर पाएंगे ।
दोस्तों, हम यह तो जानते हैं कि सकारात्मकता जब आवश्यकता से अधिक हो जाए, तब वह विषाक्त सकारात्मकता का रूप ले लेती है, जो कि हानिकारक है। हम कब इसके शिकार हो जाते हैं, पता भी नहीं चल पाता। यही नहीं, हमारे आसपास लोग इस से ग्रसित हैं, यह पहचानना भी मुश्किल है। ऐसी स्थिति में यह जरूरी हो जाता है कि हम विषाक्त सकारात्मकता की उपस्थिति को पहचानें, और उसे खत्म करें । आइये जानते हैं विषाक्त सकारात्मकता के लक्षण :
☸ यदि किसी समस्या के आ जाने पर आप उसका सामना नहीं कर पाते, और समस्या से भागने लगते हैं, लेकिन साथ ही आप खुद को और दूसरों को यह दिखाने की कोशिश करते हैं आप बिल्कुल सकारात्मक हैं, पूरी तरह से ठीक हैं, तो यह विषाक्त सकारात्मकता का लक्षण है। इसीलिए अवलोकन करें कि कोई समस्या आपको अंदर ही अंदर बहुत ज्यादा परेशान तो नहीं कर रही। यदि आप ऐसी स्थिति में भी केवल दिखावे के लिए सकारात्मक रहने की कोशिश कर रहे हैं, तो इसे तुरंत बदलें।
☸ यदि कोई व्यक्ति अधि तनावपूर्ण बातें नहीं सुन पाता, और हमेशा उनसे भागने की कोशिश करता रहता है, तो यह भी विषाक्त सकारात्मकता का ही 1 लक्षण है। ऐसे लोगों में यह डर होता है कि नकारात्मक बात सुनने से उनकी सकारात्मकता पर प्रभाव पड़ेगा, इसीलिए सबसे अच्छी बातें कहने को कहते हैं, और यदि कोई अपनी समस्या लेकर आए, तो वह उससे मुंह मोड़ लेते हैं।
☸ यदि कोई व्यक्ति बहुत ही बुरी परिस्थितियों में, जहां समस्या की गंभीरता पर बात करनी चाहिए, वहां भी "सब अच्छा है" ऐसा कहता रहता है, तो वह भी विषाक्त सकारात्मकता से ग्रसित है। ऐसा व्यक्ति सकारात्मकता से समस्या को हल करने पर जोर नहीं देता, बल्कि सकारात्मकता के नाम पर उस समस्या को दबाने की कोशिश करता रहता है।
माता-पिता चाहते हैं कि बच्चे अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगाएं। बच्चे ज्यादा से ज्यादा समय पढ़ाई पर लगाएं, इसलिए माता-पिता अक्सर उनके खेल के समय में कटौती कर देते हैं । कई माता-पिता तो खेलकूद को केवल समय की बर्बादी मात्र मानते हैं। पढ़ाई के लिए बच्चों को प्रेरित करना अच्छी बात है, पर उन्हें खेलकूद से दूर रखना आपकी भूल साबित हो सकती है।
कैसे?
इसका जवाब आपको नीचे लिखे बिंदुओं में मिलेगा। इस लेख में हम बच्चों के जीवन में खेलकूद के महत्व के बारे में बात कर रहे हैं। इन बिंदुओं पर गौर करने के बाद आप की सोच जरूर बदल जाएगी, और आप स्वयं बच्चों को खेल के लिए प्रेरित करेंगे :
शारीरिक मजबूती
खेल बच्चों को मजबूत बनाते हैं। इससे उनकी शारीरिक श्रम करने की क्षमता बढ़ती है, एवं वह अधिक सक्रिय रहते हैं। श्रम करने की आदत आगे जाकर उनके लिए फायदेमंद साबित होगी, जिससे किसी भी काम को करने में शारीरिक कमजोरी उनके लिए बाधा नहीं बनेगी। खेल के दौरान गिरना एवं चोट लगना उनके दर्द सहने की क्षमता को बढ़ाता है, उन्हें अधिक सहनशील बनाता है।
मानसिक विकास
भविष्य में जीवन के संघर्षों के सामने टिक पाने के लिए आवश्यक है कि बच्चे मानसिक रूप से भी मजबूत हो। खेल की रणनीति पर चिंतन - मनन बच्चों में बच्चे मानसिक श्रम करते हैं। खेल से मिली हार उन्हें चुनौतियों का सामना करने, एवं हार स्वीकार करने के लिए मानसिक रूप से तैयार करती है।
कभी नया लिखना होता है तो हम 10 बार सोचते हैं, क्या लिखें? कैसे लिखें? शुरू कैसे करें?
कभी-कभी आपके मन में किसी घटना के बारे में लिखने का विचार आता होगा। आप सहमत होंगे कि बोलना जितना आसान है, लिखना उतना नहीं क्योंकि लिखने का प्रभाव बोलने से अधिक स्थाई और प्रभावी होता है, परंतु शर्त यह है कि हमें प्रभावी ढंग से लिखना आए। जी हाँ, क्योंकि लेखन एक कौशल है। इस लेख में हम यही जानेंगे कि प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जा सकता है:
विचारों की अभिव्यक्ति और भाषा
लिखित अभिव्यक्ति में हमें चाहिए कि विचारों को क्रमबद्ध करके अपने भावों के अनुकूल भाषा का प्रयोग करें । स्वाभाविक और स्पष्ट लिखने का प्रयास करें। स्वच्छता, सुंदरता और सुडौल अक्षर का निर्माण, चौथाई छोड़कर लिखना, अक्षर, शब्द और वाक्य से वाक्य के बीच की दूरी को ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। अर्थात्, लेखन सुंदर और शब्दों की वर्तनी शुद्ध हो। वाक्य की बनावट भी ठीक होनी चाहिए। साथ ही उसमें व्याकरण संबंधी कोई त्रुटि ना हो। जो आप कहना चाहते हैं, वही अर्थ निकले और वही दूसरों तक पहुंचे।
दोस्तों, झिझक या शर्म हम सबों में होती है। किसी में अधिक, तो किसी में कम, लेकिन सब लोग कभी न कभी किसी न किसी स्थिति में शर्माते हैं। किंतु कुछ व्यक्ति तो ज्यादा लोगों के सामने कुछ बोल ही नहीं पाते।
यह झिझक चिंता का कारण तब बनती है, जब यह आपके विकास में बाधा बन जाती है। तब, जब झिझक के कारण आपकी हानि होने लगे, पढ़ाई या नौकरी में आपका प्रदर्शन खराब होने लगे, या रोजमर्रा के कामों में भी परेशानी खड़ी हो जाए, तब आपको सजग हो जाने की आवश्यकता है। इसे इतना न बढ़ने दें कि आप कुछ भी करना चाहें तो शर्म के कारण पीछे हट जाए।
स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब यह शर्म बीमारी का रूप ले लेती है, जिसे ऐरिथ्रोफोबिया कहते हैं। इस अवस्था में व्यक्ति बात-बात पर शर्म आने लग जाता है। तो अपनी शर्म को खत्म करें, ताकि आप हर क्षेत्र में शत-प्रतिशत प्रदर्शन कर पाएं।
आत्मविश्वास को बल दे :
झिझक का मुख्य कारण है खुद पर विश्वास की कमी। हम हमेशा खुद को कम करके आंकते हैं । हमें लगता है कि हम में कुछ भी अच्छा नहीं है, और सामने वाले हम पर हसेंगे। पर यह केवल आपकी सोच है। सच्चाई ऐसी नहीं है। खुद पर विश्वास रखें और हीन भावना मन में ना आने दे। अपनी कमजोरियों को भी आत्मविश्वास के साथ स्वीकार करें, और अपनी क्षमताओं पर भी भरोसा रखें। यह मानें कि आप अपने आप में खास हैं।
हर कोई चाहता है कि वह अपनी अलग पहचान बनाए, लोगों के बीच पसंदीदा बने। जब भी हम किसी से मिलते हैं, तो किसी न किसी रूप में उन्हें प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। लोगों के ऊपर अपनी छाप छोड़ना एक कला है जो सबको नहीं आती। आप सोचते होंगे कि कैसे कुछ लोग भीड़ में इतने अलग दिखते हैं, जो कि सबके आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं।
मित्रों! कुछ लोगों में यह गुण पहले से होता है, उनका व्यक्तित्व ही ऐसा होता है, और कुछ लोग इसे अपने अंदर विकसित करते हैं। आप भी इस कला को सीख सकते हैं और लोगों पर अपना प्रभाव छोड़ सकते हैं। तो आइए जानते हैं कैसे आप खुद को भीर से अलग दिखा सकते हैं I
पहनावे पर ध्यान देना
लोगों की नजर में जो सबसे पहली चीज आती है, वह है आपकी वेशभूषा। अच्छे दिखने वाले व्यक्ति पर स्वतः ही लोगों का ध्यान केंद्रित हो जाता है। किंतु यहाँ अच्छे दिखने का तात्पर्य सुंदर दिखने से नहीं है।
खुद को साफ रखें, वह कपड़े पहने जिन्हें आप पूरे आत्मविश्वास के साथ वहन कर सकें, और जो आपके व्यक्तित्व को निखारे।
बेहतरीन संचार कौशल
अच्छे पहनावे से जितनी जल्दी लोगों का ध्यान आप पर केंद्रित होता है, खराब बातचीत के ढंग से उतनी ही जल्दी लोग आपसे मुंह मोड़ लेते हैं। लोगों को प्रभावित करने के लिए जरूरी है कि आपकी बातें उन्हें आपकी तरफ आकर्षित करें। इसके लिए संचार की बारीकियों पर ध्यान दें। शुद्ध एवं साफ भाषा का प्रयोग करें, आकर्षक शब्दों का प्रयोग करें, आवाज़ के उतार चढ़ाव पर ध्यान दें, शारीरिक हाव-भाव का ख्याल रखें, और बात करते समय आई कांटैक्ट बना कर रखें।
दिन भर सोते रहना कितना अच्छा लगता है ना !
हम उन दिनों की कल्पना करते हैं, जब हम सिर्फ आराम करें। न जाने कितने ही कामों को न करने की इच्छा के कारण हम बहाने बना लिया करते हैं। यह अनिच्छा ही आलस्य है, जिसे हमारे शास्त्रों में मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु कहा गया है। आइए इस श्लोक को पढ़ें :
अलसस्य कुतो विद्या, अविद्यस्य कुतो धनम्
आधनस्य कुतो मित्रम्, अमित्रस्य कुतो सुखम्
अर्थात आलस करने वाले को विद्या कहां? जिसके पास विद्या नहीं, उसके पास धन कहां? निर्धन व्यक्ति के पास मित्र कहां? और मित्र के बिना सुख कहां?
इसीलिए आप भी सावधान हो जाएं, और आलस करना छोड़ें।
उपाय :
अनुशासन में रहें और नियम बनाएं
आलस को खत्म करने के लिए आपको स्वयं को अनुशासित करना होगा। खुद के लिए कड़े नियम बनाएं, और उन नियमों को तोड़ने की इजाजत खुद को ना दें। मन के बहकावे में बहकने से खुद को रोकें, और मन ना होने पर भी किसी भी काम को नजरअंदाज ना करें।
नियम टूटने पर सजा के लिए तैयार रहें
खुद के बनाए नियम तोड़ना आसान है, क्योंकि आपको सजा देने वाला कोई नहीं होता। हम बड़ी आसानी से तय किए गए नियमों को नजरअंदाज कर देते हैं इसीलिए नियमों के साथ सजा भी तय करें। जब भी नियम टूटें, तो खुद को कड़ा दंड दें। इससे आपको ना चाहते हुए भी आलस को त्यागना ही होगा।
खुद को सक्रिय बनाएं
ऐसी क्रियाओं में स्वयं को संलग्न करें, जिनमें आपकी सक्रियता बढे। सुबह दौर लगाएं, शारीरिक कार्य करें, खेल खेले इत्यादि। इससे आपकी आलसी प्रवृत्ति बदलेगी और आप सक्रिय हो पाएंगे।
दृढ़ संकल्प
बिना दृढ़ संकल्प के आपके सारे प्रयास निरर्थक रह जाएंगे। इसीलिए मन में ठान लीजिए, कि आपको आलस छोड़ना है। साथ ही बीच-बीच में स्वयं को इस दिशा में बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करें।
आजकल हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी रोग का शिकार है। पहले की तुलना में अब लोग ज्यादा बीमार पड़ने लगे हैं। यहां तक कि नवजात शिशु भी जन्म के साथ ही जॉन्डिस, निमोनिया जैसे रोगों से ग्रसित हो जाते हैं। यदि आज से कुछ दशक पहले की तस्वीर देखी जाए, तो लोग अधिक स्वस्थ हुआ करते थे, और कहीं अधिक लंबा जीवन जिया करते थे। स्वास्थ्य के स्तर में इतनी गिरावट का सबसे मुख्य कारण है बदलती जीवनशैली।
आधुनिक जीवनशैली उपकरणों से घिरी हुई है। हम प्रकृति से दिन-ब-दिन दूर होते जा रहे हैं।
घर में पेड़ पौधे नहीं, बल्कि मोबाइल फ्रिज जैसे ढेरों उपकरण हैं। सूर्य एवं चंद्रमा की रोशनी छोड़ हम बनावटी लाइटों के बीच रहते हैं, पैकेट बंद खाद्य पदार्थ हमारा भोजन हैं, कच्चे फल सब्जियों की जगह हम जंक फूड खाना पसंद करते हैं, व्यायाम की जगह स्थूल जीवन शैली के हम आदी हो गए हैं, यहां तक कि जिस हवा में हम सांस लेते हैं, और जिस जल को ग्रहण करते हैं, वह भी शुद्ध नहीं है। ऐसे में कैसे स्वास्थ्य की गुणवत्ता बनाई रखी जा सकती है?
अपने आसपास देखिए। प्रकृति है?
नहीं!
जिस प्रकृति का हम हिस्सा हैं, जिसने हमें बनाया है, उससे दूर होकर हम कैसे ठीक रह सकते हैं ? अपने शरीर की संरचना को समझिये। यह मशीनों के लिए नहीं बनी है। इसीलिए स्वस्थ रहना तब तक पूरी तरह संभव नहीं है, जब तक आप खुद को प्रकृति से नहीं जोड़ेंगे।
यह सच है कि आप पूरी तरह से आधुनिकता के इस मशीनी माहौल से नहीं बच सकते हैं, लेकिन अभी भी ऐसा बहुत कुछ है जो आप कर सकते हैं। आइए जानते हैं प्रकृति की गोद में फिर से लौटने के लिए आप क्या-क्या कर सकते हैं:
आपके मन में यह प्रश्न जरूर आता होगा, कि कुछ बच्चे कम पढ़कर भी अच्छे अंक कैसे ले आते हैं?
जबकि कुछ बच्चे जी तोड़ मेहनत करते हैं, पर उनके अंक उस मेहनत के अनुरूप नहीं होते। जब बच्चे साल भर पूरी मेहनत से पढ़ाई करते हैं, और तब भी उनके अंक संतोषजनक नहीं होते, तब उनका मनोबल टूट जाता है। वह बहुत निराश हो जाते हैं। ऐसे में बच्चे तनावग्रस्त भी हो सकते हैं। बच्चों के कोमल मन पर निराशा की यह छाया नहीं पड़नी चाहिए, नहीं तो वह नन्हे फूल मुरझा जाएंगे।
इस स्थिति में फंसे बच्चों की मदद करने के लिए आज के लेख में हम बताने जा रहे हैं, कि आपको अच्छे अंक लाने के लिए कहां-कहां बदलाव करने की जरूरत है :
☸ सबसे पहली सीख, रटे नहीं, कंठस्थ करें।
रटंत विद्या बहुत हानिकारक है। बिना भावार्थ समझें केवल शब्दों या वाक्य को याद कर लेने से आपके ज्ञान में कोई वृद्धि नहीं होती। ऐसी चीजें आपको बस कुछ समय तक ही याद रहती है। इस तरह से याद करने वाले बच्चे, तब पूरी तरह ब्लॉक हो जाते हैं, जब सवाल थोड़ा भी घुमा दिया जाता है। क्योंकि आपने जो रट लिया, आपको बस उतना ही आता होता है। इसीलिए याद रखे बच्चों, आप जो भी पढ़ रहे हैं, उससे रटे नहीं, बल्कि समझे कि पाठ में आपको क्या समझाया जा रहा है। एक बार जब विषय वस्तु आपके समझ में आ जाएगी, तब आप उससे संबंधित प्रश्नों को हर तरह से हल कर पाएंगे ।