Pallavi Thakur
657 अंक
Motivator
अपने मन के भावों को काग़ज़ पर उकेर कर संजो लीजिए!
नमस्कार! मैं आकाशवाणी की युवा कलाकार हूँ। लेखन एवं हिंदी भाषा में मेरा अत्यधिक रुझान है। इस रुचि को एक ब्लॉगर के रूप में साकार करने के की कोशिश है।
नमस्कार पाठकों !
आशा है कि आप सब ठीक होंगे और अपने कामों में व्यस्त होंगे। यूँ तो हमारी कोशिश हमेशा यही होती है कि अपने प्रत्येक लेख से हम पाठकों की सभी श्रेणी को संतुष्ट एवं आनंदित करें, किंतु आज का लेख खास तौर पर हमारे कुछ मित्रों के लिए है।
हमारे पाठकों की सूची में जितने युवा मित्र हैं, आज का यह लेख उन सभी के लिए बहुत खास होने वाला है क्योंकि आज की चर्चा खास तौर पर युवाओं एवं उनके करियर से जुड़े एक महत्वपूर्ण विषय पर समर्पित है।
मित्रों, आजकल युवा पढ़ाई एवं करियर को लेकर बहुत जागरूक हैं । हर कोई अपने क्षेत्र में बेहतर से बेहतर प्रदर्शन करना चाहता है। इसके लिए युवा कॉलेज के दिनों में जमकर पढ़ाई करते हैं और अपनी शैक्षणिक योग्यता के अनुसार बेहतरीन जॉब पानी की तलाश में होते हैं।
लेकिन नौकरी मिलना इतना आसान भी नहीं है। आज के जमाने में अधिक युवाओं का इस क्षेत्र में संलग्न होना और नौकरी में सीमित पदों पर असीमित दावेदारी के कारण प्रतियोगिता बहुत अधिक बढ़ गई है।
एक तरफ आप की शैक्षणिक योग्यता बेहतरीन होनी चाहिए, तो दूसरी तरफ आपकी पर्सनालिटी, आपका व्यवहार, आत्मविश्वास इत्यादि जैसे कई सारी गुण भी आप में विद्यमान होने चाहिए।
किसी जॉब को पाने के लिए आप में बेहतर कौशल एवं योग्यता होना जरूरी है तभी जाकर आप खुद को दूसरों से श्रेष्ठ साबित कर पाते हैं और नौकरी पर अपनी दावेदारी सिद्ध कर पाते हैं। नौकरी पाने के क्रम में भी सबसे कठिन चरण जो होता है वह है साक्षात्कार का चरण। यही वह समय है जहां कई सारे युवा योग्यता होने के बावजूद भी नौकरी पाने में असफल रह जाते हैं।
इसका कारण यह है कि साक्षात्कार केवल आपकी शिक्षा की परीक्षा नहीं लेता, बल्कि वह आपके संपूर्ण व्यक्तित्व का परीक्षण करता है। चाहे वह आपके बोलने का ढंग हो, भाषा से जुड़े कौशल हो, चलने, बैठने का तरीका, रहन सहन, पहनावा, आत्मविश्वास, इन सभी चीजों की जांच परख की जाती है और तब जाकर नौकरी के लिए एक योग्य उम्मीदवार का चुनाव किया जाता है।
ऐसी स्थिति में कई सारे युवा साक्षात्कार को लेकर संशय में रहते हैं और मार्गदर्शन की अपेक्षा करते हैं। यदि आप भी उन लोगों में से एक हैं जो अपने आने वाले साक्षात्कार के लिए मार्गदर्शन चाहते हैं और ऐसे परामर्श चाहते हैं जो निश्चित ही आपको साक्षात्कार में सफल बनाएंगे, तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं।
जी हां मित्रों!
आज की चर्चा में हम केवल साक्षात्कार और इससे जुड़े पहलुओं की बात करेंगे ताकि आप इस क्षेत्र में खुद को बेहतर बना सके और अपने आगामी साक्षात्कार में सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार सिद्ध हो सके।
तो देर किस बात की?
अभी के अभी अपने मन से सभी संशयों को निकाल दें और हमारे साथ इस लेख में आगे बढ़ कर अपनी सभी शंकाओं का समाधान पाएं । तो आइए जानते हैं कि वह क्या खूबियां है जिनकी साक्षात कर्ताओं को तलाश होती है और अपने आगामी साक्षात्कारों के लिए आपको किस प्रकार की तैयारी करनी पड़ेगी:
सबसे पहला कदम : एक प्रभावशाली सीवी
किसी भी मुकाम तक पहुंचने के लिए परिश्रम अति आवश्यक है। लेकिन केवल परिश्रम से काम चलने वाला नहीं है। आजकल का जमाना स्मार्ट वर्क का है और इसी स्मार्ट वर्क का हिस्सा है एक ऐसी सीवी, जिसे देखते ही साक्षात कर्ता प्रभावित हो जाएं।
मित्रों, किसी भी साक्षात्कार में आपके अन्य गुणों से पहले आप की शैक्षणिक योग्यता की जांच की जाएगी। सबसे पहले यह देखा जाता है कि आपने जिस पद पर अपनी दावेदारी दी है, क्या आप उस पद के योग्य है भी या नहीं?
ऐसे में आपको साक्षात कर्ताओं को बताना होगा कि आप इस नौकरी के लिए सबसे अच्छे उम्मीदवार हैं। पर आप ऐसा करेंगे कैसे?
इसका जवाब बहुत सरल है। अपने बारे में जानकारियां प्रदान करने के लिए आपको अपनी सीवी जिससे रिज़्यूमे अथवा बायोडाटा भी कहते हैं, उसे बहुत प्रभावी ढंग से तैयार करना होगा।
यह वह पहला तरीका है जिससे आप साक्षात कर्ताओं को प्रसन्न और प्रभावित कर सकते हैं। कई लोग सीवी बनाने में भूल कर जाते हैं जिसके कारण योग्यता होने के बावजूद भी उनका बायोडाटा साक्षात कर्ताओं को संतुष्ट नहीं कर पाता है।
आपको यहां बुद्धिमता से काम लेना होगा और अपने बायोडाटा में अपनी योग्यता का सर्वश्रेष्ठ है प्रमाण देना होगा। इसके लिए आप कुछ सुझावों को अपना सकते हैं, जो कि निम्नलिखित हैं :
● अपने सीवी को अत्यधिक लंबा ना करें, बातें टू द प्वाइंट होनी चाहिए और आसानी से पढ़ने योग्य होनी चाहिए।
● आपकी सीवी में जो भी अत्यंत महत्वपूर्ण बिंदु है, उन्हें हाईलाइट करना ना भूलें, ताकि साक्षात कर्ताओं की नजर से वह बिंदु किसी प्रकार छूट ना पाए। यह बिंदु आपके द्वारा की गई कोई इंटर्नशिप हो सकती है या फिर कोई सर्टिफिकेट हो सकता है।
● अपनी सीवी को प्रभावशाली बनाने के लिए उसमें अपने पूर्व के अनुभवों को जरूर लिखें। आपने पहले कहां-कहां कार्य किया है और आपको कितना अनुभव है, यह सभी चीज़ें अत्यंत महत्व रखती है क्योंकि यह साक्षात कर्ताओं को आश्वासन देता है कि आप जिस काम के लिए चुने जा रहे हैं, उस काम को आप अच्छे ढंग से जानते हैं।
● स्कूल एवं कॉलेज में प्राप्त अंकों को लिखने का सबसे बढ़िया तरीका है उन्हें टेबल के रूप में लिखना। इसीलिए एक टेबल बनाएं और उसमें अपने स्कूल एवं कॉलेज का नाम, प्राप्तांक, पास करने का साल इत्यादि सभी लिखे। यह पढ़ने में आसान और देखने में सुंदर होता है।
इस प्रकार से यदि आप अपनी सीवी तैयार करते हैं तो निश्चय ही आप किसी पर भी अधिक प्रभाव छोड़ने में सफल होंगे।
आत्मविश्वास है सबसे बड़ी कुंजी :
"सफलता की महत्वपूर्ण कुंजी आत्मविश्वास का होना है, और आत्मविश्वास की एक महत्वपूर्ण कुंजी तैयारी का होना है।”
मित्रों, आत्मविश्वास वह गुण है जो सिर्फ साक्षात्कार में ही नहीं, बल्कि आपके जीवन के हर पहलू के लिए सबसे आवश्यक है। यदि बात साक्षात्कार की करें तो हर कंपनी और हर साक्षात कर्ता सबसे पहले उम्मीदवार के आत्मविश्वास का परीक्षण करता है क्योंकि आत्मविश्वास से ही आप कंपनी एवं उपभोक्ताओं पर गहरा प्रभाव छोड़ने में सक्षम हो सकते हैं।
इसके साथ ही आत्मविश्वास के बल पर ही आप मुश्किलों का समाधान भी आसानी से ढूंढ सकते हैं। यह आपकी योग्यता और उपलब्धियों का आईना होता है। इसके महत्व को इस बात से समझ सकते हैं कि सभी योग्यता होने के बाद भी आत्मविश्वास की कमी के कारण लोग छांट दिए जाते हैं।
यहां तक कि यदि आप कुछ प्रश्नों के जवाब नहीं जानते हैं, किंतु पूरे आत्मविश्वास से "नहीं" शब्द कहते हैं, तो यह भी आपके लिए एक सकारात्मक बिंदु बन जाता है।
जी हां मित्रों, यह है आत्मविश्वास की शक्ति।
तो आइए जाने की साक्षात्कार के दौरान या इससे पहले किस प्रकार आप अपने आत्मविश्वास को बुलंद कर सकते हैं :
● स्वयं पर विश्वास रखें।
यह आत्मविश्वास विकसित करने की सबसे जरूरी शर्त है। एक ऐसा व्यक्ति जो स्वयं की योग्यताओं पर शंकित रहता है उसके अंदर आत्मविश्वास कभी नहीं आ सकता। आत्मविश्वास का अर्थ ही है स्वयं पर विश्वास। इसीलिए सर्वप्रथम अपनी योग्यताओं पर भरोसा करें और खुद से कहें कि " मैं यह कर सकता हूं"। याद रखें :
"योग्यता का मतलब है आत्मविश्वास ! आपको दूसरों द्वारा स्वीकार किए जाने की आवश्यकता नहीं है। आपको खुद को स्वीकार करने की आवश्यकता है।”
● आत्मविश्वास और डर दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, या फिर यह कहे कि यह दोनों ही एक दूसरे के शत्रु हैं।
जहां डर होता है, वहां आत्मविश्वास नहीं होता और जहां आत्मविश्वास है, वहां डर हो ही नहीं सकता। इसीलिए अपने मन के अंदर से साक्षात्कार के इस डर को बाहर निकाले। याद रखें मित्रों, आपने इस साक्षात्कार में बैठने के लिए कई सालों तक पढ़ाई की है और उपयुक्त योग्यता हासिल की है। आप में योग्यता है तभी आप यहां तक पहुंच पाए हैं। यह अवसर आपको किसी की अनुकंपा पर प्राप्त नहीं हुआ है।
इसीलिए आप साक्षात्कार में बैठने और नौकरी पाने के सही हकदार हैं। अतः यहां तक पहुंच पानी के अपने सफर की इज्जत करें । आपको किसी का डर नहीं होना चाहिए और इसी भावना के साथ निश्चिंत और निर्भीक होकर आत्मविश्वास से साक्षात्कार दे। आप देखेंगे कि आप काफी बेहतर प्रदर्शन कर पाए हैं।
● यदि आपको किसी प्रश्न का उत्तर मालूम नहीं हो तो इस कारण से अपने आत्मविश्वास को नीचे ना जाने दें।
आवश्यक नहीं है कि साक्षात कर्ताओं द्वारा पूछे गए हर प्रश्न का जवाब आपको मालूम हो। कुछ ना कुछ कमी हर व्यक्ति में होती है। इसका तात्पर्य यह नहीं है कि आप साक्षात्कार में उत्तीर्ण नहीं हो पाएंगे।इसीलिए यदि आप किसी प्रश्न का जवाब नहीं जानते हैं तो निर्भीक होकर नहीं बोलना सीखे।
“यदि आपके पास आत्मविश्वास हैं तो आपने आधी बाज़ी खेलने से पहले ही जीत ली।”
● आई कांटेक्ट करना सीखें
जब आप बात कर रहे हो तब आप अपने सामने बैठे व्यक्ति से आई कांटेक्ट कर बेहतर संचार स्थापित कर सकें। ऐसा करने से ना सिर्फ आपकी झिझक दूर होगी, बल्कि साक्षात कर्ताओं को भी यह आश्वासन मिलेगा कि आप एक आत्मविश्वासी उम्मीदवार हैं।
● आत्मविश्वास का गुण व्यक्ति में ऊर्जा और सकारात्मकता के प्रवाह को बढ़ाता है।
एक आत्मविश्वासी व्यक्ति के माथे पर तेज और होठों पर मुस्कान होती है। साक्षात्कार के दौरान अत्यधिक गंभीर ना हो, बल्कि अपने होठों पर थोड़ी सी मुस्कुराहट रखें ताकि ऐसा लगे कि आप घबराए हुए नहीं है। किंतु इसका अर्थ यह भी नहीं है कि आप हर समय मुस्कुराते ही रहे।
गंभीरता और मुस्कुराहट दोनों के बीच समन्वय एवं संतुलन होना चाहिए। इसके साथ ही ऐसा करने से साक्षातकर्ताओं तक यह संदेश पहुंचेगा की आप विनम्र स्वभाव एवं हंसमुख व्यवहार के व्यक्ति हैं, एक ऐसा व्यक्ति जो हर किसी की पसंद होता है।
इन सभी उपायों को अपनाकर निश्चित है आप अपने आत्मविश्वास में एक अभूतपूर्व वृद्धि महसूस करेंगे।
वेशभूषा का रखें खास ख्याल
मित्रों, साक्षात्कार कक्ष में अंदर जाते ही सबसे पहली चीज जिस का अवलोकन किया जाएगा वह है आप की वेशभूषा। आपने किस प्रकार के कपड़े पहने हैं, वह इस मौके के लिए उपयुक्त है अथवा नहीं, आप साफ-सुथरे नजर आ रहे हैं या नहीं, आपके बाल - नाखून इत्यादि साफ है या नहीं, यहां तक कि आपके जूतों तक भी उनकी नजर जाने वाली है।जाहिर सी बात है कि किसी भी कंपनी में काम करने के लिए यह अति आवश्यक है कि आप की वेशभूषा सुंदर और साफ होनी चाहिए। अपनी वेशभूषा से साक्षात कर्ताओं को प्रभावित करने के लिए आप इन बातों का ध्यान रखें :
● क्योंकि साक्षात्कार एक औपचारिक भेंट है , इसीलिए आप मौके के हिसाब से कपड़ों का चयन करें। कुछ औपचारिक पहन कर जाना ही सही है, जैसे लड़कियां साड़ी अथवा कोट और पैंट पहन सकती हैं, लड़के भी शर्ट अथवा कोट पहन सकते हैं।
आपके कपड़ों पर अच्छी तरह से स्त्री होनी चाहिए, अर्थात वह कहीं से मुड़े हुए या सिकुड़े हुए नहीं लगने चाहिए। कपड़े साफ और खुशबूदार होने चाहिए और सबसे जरूरी बात की आप जो भी पहन रहे हैं, आप उस में खुद को सहज महसूस करें। अत्यधिक टाइट या अत्यधिक ढीले कपड़े ना पहनें।
● साक्षात्कार में जाने से पहले अपने बालों एवं नाखूनों को अच्छी तरह से साफ करें। अपने बालों को अच्छी तरह से बांध ले ताकि वह आपके चेहरे पर ना आए जिससे आपका ध्यान दूसरी तरफ केंद्रित ना हो।
● अपने जूतों को अच्छी तरह से पॉलिश करें और उन पर धूल ना लगने दे।
● अपनी सभी जरूरी कागजात को बकायदा फाइल्स में अच्छी तरह से लगा कर रखें ताकि जरूरत पड़ने पर आप एक ही बार में उन्हें बिना बिखेरे निकाल सकें।
निष्कर्ष :
हां तो पाठकों, यह था आज का लेख जो बहुत रोचक और ज्ञानवर्धक था। इस लेख के माध्यम से हमने उन सभी पहलुओं के महत्व को उजागर करने की कोशिश की है जिसे अक्सर लोग अनदेखा कर देते हैं।मित्रों, पहले की तुलना में आज स्थिति काफी बदल चुकी है। वर्तमान समय में हर स्थान पर आपके संपूर्ण व्यक्तित्व का कड़ा परीक्षण किया जाता हैं। ऐसे में आपकी शैक्षणिक योग्यता के अलावा अन्य कौशलों का महत्व भी उतना ही अधिक है।
ऐसा न हो कि जिन चीजों को आपने गैरजरूरी समझकर अनदेखा कर दिया हो, साक्षात कर्ताओं ने उसी चीज पर सबसे अधिक ध्यान दिया हो। ऐसे में आप संकट में फंस सकते हैं और आपकी उत्तीर्णता पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
ऐसे में जरूरी है कि आप हर छोटी से छोटी चीज़ पर भी बहुत ध्यान दें। तभी जाकर आप सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार सिद्ध हो सकते हैं। मित्रों, आज की चर्चा का उद्देश्य एक तरफ आपको साक्षात्कार से जुड़ी जानकारियों से अवगत कराना था, तो वहीं दूसरी तरफ इसका उद्देश्य आपके मन से साक्षात्कार के डर को भगाना भी था।
अब जब आप छोटी से छोटी पहलुओं को भी समझ चुके हैं, तो हम आशा करते हैं कि आप में इतना आत्मविश्वास आ चुका होगा कि आप के अंदर से डर भाग गया होगा।
अतः अपने आगामी साक्षात्कार के लिए कमर कस लें और लेख में बताए गए सुझावों के अनुरूप अपनी तैयारी प्रारंभ कर दें, ताकि इस बार आप का चयन पक्का हो। आगामी साक्षात्कारों के लिए हमारी ढेर सारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। यदि इस लेख से जुड़े कोई राय आपके मन में हो अथवा साक्षात्कार से जुड़े कुछ प्रश्न या टिप्पणीयां आप हमारे साथ बांटना चाहे तो अपनी राय को खुलकर हमारे साथ साझा करें।
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सुबह मिलेगा समय चुराने का अवसर !
जी हां, बिल्कुल सही पढ़ा आपने !
समय चुराने का तात्पर्य किसी और के समय को चुराना नहीं है, बल्कि दिन के 24 घंटों में से उस समय का उपयोग करना है जिसे आप यूं ही गवा रहे हैं। यदि आपने बेकार हो रहे समय का इस प्रकार उपयोग कर लिया तो ऐसी स्थिति में आपके पास उस व्यक्ति की तुलना में अधिक समय होता है जो देर तक सोते रहता है।
यदि आप सुबह 8:00 बजे के स्थान पर 5:00 बजे ही उठ जाते हैं, तो सामान्य दिनों की तुलना में आपके पास उस दिन 3 घंटे अधिक होंगे। अब सोचिए कि इन तीन घंटों में आप कितने कार्यों को निपटा सकते हैं।
➤ यदि आप किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो यह 3 घंटे आपके लिए अमूल्य होंगे। आप इस समय में अपनी पढ़ाई का बड़ा हिस्सा कवर कर सकते हैं।
➤ कामकाजी लोग इन 3 घंटों में उन कामों को निपटा सकते हैं, जो दिन में व्यस्तता के कारण वह नहीं कर पाते।
➤ यह अतिरिक्त समय उन लोगों के लिए कोहिनूर हीरे समान है जो पूरे दिन में अपने लिए कुछ खास वक्त नहीं निकाल पाते। इस समय को खुद को समर्पित कर के आप अपना मानसिक, भावनात्मक विकास कर सकते हैं।
➤ यदि आप कोई नया कौशल सीखना चाहते हैं, और समय के अभाव के कारण ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो सुबह के यह कुछ घंटे आपके लिए अत्यंत उपयोगी हैं।
➤ इसके साथ ही यदि आप योग व्यायाम आदि नहीं कर पाते हैं तो आप इस समय को ध्यान, योग - व्यायाम आदि के लिए निकाल सकते हैं।
यदि आप दिन में कुछ अधिक समय की अपेक्षा करते हैं तो भला सुबह के समय से अच्छा और क्या हो सकता है।
मित्रों, जब कभी भी आप सुबह बहुत जल्दी उठते हो तो आपने महसूस किया होगा कि उस दिन आप पूरे दिन तरोताज़ा, चुस्त व सक्रिय महसूस करते हैं। वहीं दूसरी तरफ देर तक सोते रहने से बाकी के समय भी आप सुस्त महसूस करते हैं।
मित्रों, यदि आप स्वास्थ्य से जुड़ी किसी परेशानी का सामना कर रहे हैं, तो सुबह जल्दी उठना आपको अपनी बीमारी से छुटकारा पाने में बहुत मददगार साबित हो सकता है। इसके पीछे कारण यह है कि प्रकृति ने हमारे शरीर की संरचना इस प्रकार से की है, कि हमें रात को जल्दी सो जाना चाहिए और सुबह जल्दी उठना चाहिए।
यह नियम प्रकृति ने हमारे शरीर के लिए बनाया है, मानव शरीर के लिए रात सोने के लिए और सुबह जागने के लिए बनाई गयी है। यदि हम इसके अनुरूप कार्य करेंगे, तो हमारा शरीर स्वस्थ रहेगा लेकिन यदि हम इसके प्रतिकूल जाएंगे तो हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे।
आइये चलते-चलते जाने सुबह उठने के स्वास्थ्य संबंधी लाभों को :
✴ सुबह का समय व्यायाम करने के लिए बेहतरीन समय है। इस समय किया गया योग - व्यायाम और प्रणायाम सबसे अधिक फायदेमंद है।
✴ सुबह की प्रदूषण मुक्त ताजी और ठंडी हवा श्वास संबंधी विकारों, जैसे अस्थमा इत्यादि में राहत पाने के लिए बेहद कारगर है।
✴ यदि बात शरीर को विटामिन डी उपलब्ध कराने की आती है तो सुबह की धूप से अच्छा विकल्प और नहीं है। सबह की धूप शरीर पर लगाने से शरीर को प्रचुर मात्रा में विटामिन डी प्राप्त होता है।
✴ सुबह का समय अवसाद, तनाव से ग्रसित लोगों के लिए वरदान से कम नहीं है। जो लोग मानसिक शांति चाहते हैं वह सुबह के समय सैर कर एवं प्रकृति के साथ समय बिता कर अपनी स्थिति में चमत्कारिक परिवर्तन देख सकते हैं।
मित्रों, आपने तेनालीराम की कई कहानियां सुनी होंगी। उनकी हाजिर-जवाबी और बुद्धिमता के किस्से घर-घर में मशहूर हैं। आज हम एक ऐसी ही कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो आपको गुदगुदाएगी भी, और एक महत्वपूर्ण सीख भी देगी।
विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय अति उदार स्वभाव के थे। वह अपनी प्रजा की हर आवश्यकता पूरी करते थे। राजा के इसी उदार स्वभाव के कारण विजयनगर के ब्राम्हण बड़े ही लालची हो गए थे। वह हमेशा किसी ना किसी बहाने से अपने राजा से धन वसूल किया करते थे। एक दिन राजा कृष्ण देव राय ने उनसे कहा - "मरते समय मेरी मां ने आम खाने की इच्छा व्यक्त की थी, जो उस समय पूरी नहीं की जा सकी थी। क्या अब ऐसा कुछ हो सकता है जिससे उनकी आत्मा को शांति मिले? " यह सुनते ही एक ब्राम्हण ने कहा- " यदि आप 108 ब्राह्मणों को सोने का एक-एक आम दान दें तो आपकी मां की आत्मा को शांति अवश्य ही मिल जाएगी। ब्राह्मणों को दिया दान मृत आत्मा तक अपने आप ही पहुंच जाता है।" सभी ब्राह्मणों में ने इस पर हां में हां मिलाई।
राजा कृष्णदेव राय ब्राह्मणों के इस प्रस्ताव से सहमत हुए। उन्होंने ब्राह्मणों को 108 सोने के आम दान कर दिए। इन आमों को पाकर ब्राह्मणों की तो मौज हो गई। जब तेनालीराम को इस घटना की सूचना मिली, तब ब्राह्मणों के इस लालच पर उन्हें बहुत क्रोध आया। उन्होंने इन लालची ब्राह्मणों को सबक सिखाने की ठान ली।
जब तेनालीराम की मां की मृत्यु हुई, तो 1 महीने बाद उन्होंने ब्राह्मणों को अपने घर आने का निमंत्रण दिया। उन्होंने कहा कि वह भी अपनी मां की आत्मा की शांति के लिए कुछ करना चाहते हैं । खाने-पीने और बढ़िया माल पानी के लालच में 108 ब्राह्मण तेनालीराम के घर पर जमा हुए।
✴ जिस प्रकार रोग शरीर का छय करता है, उसी प्रकार क्रोध मनुष्य के पतन का कारण बनता है।
✴ क्रोध से मूढ़ता उत्पन्न होती है, मूढ़ता से स्मृति भ्रांत हो जाता है, स्मृति भ्रांत हो जाने से बुद्धि का नाश हो जाता है, और बुद्धि नष्ट होने से प्राणी स्वयं ही नष्ट हो जाता है।
✴ क्रोधी एवं अहंकारी व्यक्ति को दुनिया में कोई अधिक क्षति नहीं पहुंचा सकता, क्योंकि यह 2 गुण ही उसे बर्बाद करने के लिए पर्याप्त हैं।
✴ एक क्रोधी व्यक्ति में तीन गुण गौंण होते हैं - धैर्य, बुद्धि, एवं संवेदनशीलता। इन तीन गुणों के नाश के कारण उसकी सफलता, प्रतिष्ठा, एवं संबंधों का नाश हो जाता है।
✴ जब ज्ञान की वर्षा होती है, तब क्रोध की अग्नि धुआं बनकर उड़ जाती हैं। अतः ज्ञान अर्जित करें।
क्या आपने गौर किया है कि जिस दिन आप बहुत सुबह उठ जाते हैं, उस दिन आप तरोताजा और अधिक ऊर्जावान महसूस करते हैं?
साथ ही सुबह के वातावरण में घूमने से एक अजीब सी ख़ुशी का एहसास होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सुबह का समय बहुत अद्भुत होता है। यदि आप जल्दी उठते हैं, तो अन्य दिनों के मुकाबले आपके पास दिन के कुछ घंटे और बढ़ जाते हैं, जिसे आप सफलता पाने के लिए निवेश कर सकते हैं।
जी हां दोस्तों ऐसा बहुत कुछ है जो सुबह के समय करने से आप लाभान्वित हो सकते हैं। इसी कड़ी में हम आपके लिए लेकर आए हैं सुबह की वह पांच आदतें जो सफलता पाने में आपकी मदद कर सकते हैं :
कई बार ऐसा होता है कि कुछ चीजों या घटनाओं को लेकर हम इतना अधिक चिंतन मनन करने लगते हैं, कि वह विचार हमें परेशान करने लग जाते हैं। कभी कभार ऐसा होना कोई बड़ी बात नहीं है, किंतु यदि आप हर छोटी-बड़ी घटनाओं पर देर तक सोचनें लगे, तो यह आपके लिए समस्या बन जाएगी।
कुछ लोग तो इस आदत से इस तरह प्रभावित होते हैं, कि छोटी से छोटी चीज़ करने से पहले अनावश्यक ही हजारों बार सोचते हैं, और कुछ कर देने के बाद भी उस पर घंटों तक विचार करते रह जाते हैं। इस तरह अति अधिक सोचने से न जाने कौन-कौन से विचार मन में आने लगते हैं, और व्यक्ति पूरी तरह व्याकुल हो जाता है। साथ ही, आपका आत्मविश्वास भी धीरे-धीरे कम होने लगता है, क्योंकि आप हर कार्य को लेकर संशय में रहने लग जाते हैं।
इस आदत को छोड़ देना ही बेहतर होगा। लेकिन लोग ऐसा नहीं कर पाते। वे अपने ही विचारों में उलझ कर रह जाते हैं। इसीलिए हम आपके लिए कुछ ऐसे बिंदु लेकर आए हैं, जिन पर गौर करने पर आप अपनी इस आदत से छुटकारा पा सकते हैं :
दोस्तों, कई बार ऐसा होता है कि क्रोध के आवेश में आकर हम लड़ाई - झगड़े में कूद पड़ते हैं, लेकिन जब शांत दिमाग से इस बारे में सोचते हैं, तब हमें अपने कृत्य का पछतावा होता है।
केवल यही नहीं दोस्तों, झगड़े के परिणाम हमेशा बुरे ही होते हैं। बाद में पछताने से अच्छा है कि हम यह स्थिति आने ही ना दें। अक्सर ऐसी स्थितियों में हम समझ नहीं पाते की क्या उचित है, इसीलिए अंततः हम झगड़े में कूद पड़ते हैं। लेकिन आपको कोशिश करनी चाहिए कि जितना हो सके आप झगड़े को टाल सके, क्योंकि यह किसी के लिए भी अच्छी नहीं है।
दोस्तों आज हम आपको एक बहुत ही रोचक कहानी सुनाने वाले हैं। यह कहानी है दो बहनों, हल्दी और सोंठ की। हल्दी स्वभाव से परोपकारी और दयालु थी लेकिन सौंठ घमंडी और स्वार्थी स्वभाव की थी। वह हमेशा अपनी बड़ी बहन हल्दी पर हुक्म जमाया करती थी। दिन यूं ही बीते रहे।
1 दिन दोनों बहनों के घर उनकी बूढ़ी नानी का संदेशा आया। बूढ़ी नानी ने अपनी मदद के लिए एक बहन को बुलाया था। संदेशा पढ़ते ही सौंठ समझ गई कि वहां जाकर उसे ढेरों काम करने पड़ेंगे, इसीलिए उसने तुरंत ही बहाना बनाकर जाने से मना कर दिया। जब हल्दी ने संदेश पढ़ा, वह तुरंत वहां जाकर उनकी सेवा करना चाहती थी। इसीलिए माता पिता की आज्ञा लेकर वहां अपनी नानी के घर के लिए निकल पड़ी।
रास्ते में उससे एक गाय दिखाई दी । हल्दी को देखकर उस गाय ने मदद के लिए उसे पुकारा। हल्दी तुरंत वहां गई और उसने गाय से पूछा कि उसे क्या कष्ट है। इस पर गाय ने कहा कि उसके आस पास बहुत सारा गोबर इकट्ठा हो गया है। तो क्या हल्दी इससे साफ कर देगी। हल्दी अपने परोपकारी स्वभाव के कारण तुरंत गाय की मदद के लिए मान गई और सारा गोबर साफ कर दिया। गाय बहुत प्रसन्न हुई । अब हल्दी ने गाय से विदा ली और आगे चल पड़ी। फिर उसे एक बेर का पेड़ दिखा जिसके आस पास बहुत से पत्ते बिखरे पड़े थे। हल्दी को वहां से गुजरता देख बेर ने भी उस से मदद मांगी, हल्दी ने उसके सभी बिखरे पत्तों को साफ कर दिया और बेर अति प्रसन्न हुआ। फिर कुछ दूर आगे बढ़कर उससे एक पर्वत दिखा जिसके आसपास कई ईट पत्थर थे। हल्दी ने पूरे मन से सभी ईंटों को साफ कर दिया और फिर नानी के घर की ओर चल पड़ी।
जीवन में कभी न कभी हम सबको आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, ऐसे में इनसे घबराने की ज़रूरत नहीं है। कमज़ोर आर्थिक स्तिथि से निपटने के लिए आपको बहुत धैर्य एवं सकारात्मकता के साथ कदम बढ़ाने होंगे। हालातों से हार मान लेने से काम नहीं चलेगा। आपको इनसे उबरने के लिए अपने हौसले को बनाये रखना होगा। दोस्तों, भूले नहीं कि रात के बाद दिन ज़रूर आता है, इसी तरह दुःख के बाद सुख आना भी निश्चित है। तो आइये जानते हैं, कमज़ोर आर्थिक स्थिति से आप किस तरह निपट सकते है :
✴ आवश्यकताओं को सीमित करें
जब आर्थिक स्थिति कमजोर हो, तब आपको पैसे बचाने पर ज्यादा जोर देना चाहिए। आर्थिक हालत चरमरा जाने पर आवश्यकताएं तो उतनी ही रहती हैं, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए पूंजी कम पड़ जाती है। ऐसे में सभी पैसे खर्च कर देना बुद्धिमानी नहीं होगी । अपनी जरूरतों को कम करें, पैसे केवल वहीं लगाएं जहां बहुत जरूरी है। जिसके बिना काम चलाया जा सकता है, उसमें पैसे खर्च ना करें ।
✴ केवल सोंचे नहीं, करें भी
हमारे पास पैसे नहीं है, अब क्या होगा क्या? क्या करना चाहिए? ऐसे सवाल मन में आने स्वभाविक हैं, लेकिन केवल इन पर सोचतें रहने से कुछ बदलने वाला नहीं है।आपको उस दिशा में काम करना होगा। अपनी माली हालत को वापस पटरी पर लाने के लिए आपको मेहनत करनी होगी, या फिर यह कहे कि दोगुना परिश्रम करना होगा। ऐसे में आलस्य का पूर्णतः त्याग कर दें । याद रखें कि आप आज काम करेंगे, तभी कल बेहतर होगा। फिर कभी आप ऐसी स्थिति में ना पहुंचें, इसके लिए कठोर परिश्रम कीजिए और सफल बनिए।
पेश है खेलकूद में अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के उपाय:
☸ सही पोषण
खेलकूद में शारीरिक श्रम होता है। आप खेल के मैदान में अधिक देर तक टिके रहें, इसके लिए आपके शरीर में पर्याप्त ऊर्जा होनी चाहिए। यह ऊर्जा वसा एवं कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन से प्राप्त होती है। यदि आप स्वस्थ नहीं होंगे, तो खेल में बेहतर प्रदर्शन करना संभव नहीं है। इसीलिए आपको अपने खान-पान पर खास ध्यान देने की जरूरत है। खाने में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों जैसे दूध, अंडे, पनीर, अंकुरित बीज इत्यादि शामिल करें। पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें ताकि आपका शारीरिक विकास सही ढंग से हो, और खेल में अधिक ऊर्जा की खपत को आप पूरा कर पाए।
☸ अभ्यास एवं प्रशिक्षण
हीरा जितना घिसा जाता है, उसकी चमक उतनी ही बढ़ती जाती है। ठीक उसी प्रकार आप जितना अभ्यास करेंगे, उतना ही अपने खेल में अच्छे होते जाएंगे । केवल 1 दिन खेल लेने से आप बेहतर खिलाड़ी नहीं बन सकते। आपको निरंतर खेल के कौशल को निखारने की जरूरत है। खेल के मैदान में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए आपको कड़ी मेहनत और अभ्यास करना होगा। जिन जगहों पर आप कमजोर हैं, अभ्यास करके उसे अच्छा करें। रोज कुछ घंटे अभ्यास के लिए निकालें। साथ ही एक अच्छे शिक्षक से बकायदा प्रशिक्षण प्राप्त करें, ताकि आपको अपने खेल के सभी नियम, सभी बारीकियाँ समझ में आए और आपके अभ्यास को सही दिशा मिले।
☸ अनुशासन
खिलाड़ी का अनुशासित होना अत्यावश्यक है। बिना अनुशासित जीवन शैली के आप बेहतर खिलाड़ी नहीं बन सकते। अनुशासन आपको हर चीज में स्थापित करना होगा। कड़ी दिनचर्या का पालन करें, अभ्यास प्रतिदिन एवं समय पर करें, 1 दिन भी अभ्यास छूटने नहीं पाए, समय के पाबंद बनें, आज का काम खत्म करें, भोजन में अनुशासन रखें। तभी जाकर आप अपने खेल में बेहतरीन प्रदर्शन कर पाएंगे ।
दोस्तों, हम यह तो जानते हैं कि सकारात्मकता जब आवश्यकता से अधिक हो जाए, तब वह विषाक्त सकारात्मकता का रूप ले लेती है, जो कि हानिकारक है। हम कब इसके शिकार हो जाते हैं, पता भी नहीं चल पाता। यही नहीं, हमारे आसपास लोग इस से ग्रसित हैं, यह पहचानना भी मुश्किल है। ऐसी स्थिति में यह जरूरी हो जाता है कि हम विषाक्त सकारात्मकता की उपस्थिति को पहचानें, और उसे खत्म करें । आइये जानते हैं विषाक्त सकारात्मकता के लक्षण :
☸ यदि किसी समस्या के आ जाने पर आप उसका सामना नहीं कर पाते, और समस्या से भागने लगते हैं, लेकिन साथ ही आप खुद को और दूसरों को यह दिखाने की कोशिश करते हैं आप बिल्कुल सकारात्मक हैं, पूरी तरह से ठीक हैं, तो यह विषाक्त सकारात्मकता का लक्षण है। इसीलिए अवलोकन करें कि कोई समस्या आपको अंदर ही अंदर बहुत ज्यादा परेशान तो नहीं कर रही। यदि आप ऐसी स्थिति में भी केवल दिखावे के लिए सकारात्मक रहने की कोशिश कर रहे हैं, तो इसे तुरंत बदलें।
☸ यदि कोई व्यक्ति अधि तनावपूर्ण बातें नहीं सुन पाता, और हमेशा उनसे भागने की कोशिश करता रहता है, तो यह भी विषाक्त सकारात्मकता का ही 1 लक्षण है। ऐसे लोगों में यह डर होता है कि नकारात्मक बात सुनने से उनकी सकारात्मकता पर प्रभाव पड़ेगा, इसीलिए सबसे अच्छी बातें कहने को कहते हैं, और यदि कोई अपनी समस्या लेकर आए, तो वह उससे मुंह मोड़ लेते हैं।
☸ यदि कोई व्यक्ति बहुत ही बुरी परिस्थितियों में, जहां समस्या की गंभीरता पर बात करनी चाहिए, वहां भी "सब अच्छा है" ऐसा कहता रहता है, तो वह भी विषाक्त सकारात्मकता से ग्रसित है। ऐसा व्यक्ति सकारात्मकता से समस्या को हल करने पर जोर नहीं देता, बल्कि सकारात्मकता के नाम पर उस समस्या को दबाने की कोशिश करता रहता है।
माता-पिता चाहते हैं कि बच्चे अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगाएं। बच्चे ज्यादा से ज्यादा समय पढ़ाई पर लगाएं, इसलिए माता-पिता अक्सर उनके खेल के समय में कटौती कर देते हैं । कई माता-पिता तो खेलकूद को केवल समय की बर्बादी मात्र मानते हैं। पढ़ाई के लिए बच्चों को प्रेरित करना अच्छी बात है, पर उन्हें खेलकूद से दूर रखना आपकी भूल साबित हो सकती है।
कैसे?
इसका जवाब आपको नीचे लिखे बिंदुओं में मिलेगा। इस लेख में हम बच्चों के जीवन में खेलकूद के महत्व के बारे में बात कर रहे हैं। इन बिंदुओं पर गौर करने के बाद आप की सोच जरूर बदल जाएगी, और आप स्वयं बच्चों को खेल के लिए प्रेरित करेंगे :
शारीरिक मजबूती
खेल बच्चों को मजबूत बनाते हैं। इससे उनकी शारीरिक श्रम करने की क्षमता बढ़ती है, एवं वह अधिक सक्रिय रहते हैं। श्रम करने की आदत आगे जाकर उनके लिए फायदेमंद साबित होगी, जिससे किसी भी काम को करने में शारीरिक कमजोरी उनके लिए बाधा नहीं बनेगी। खेल के दौरान गिरना एवं चोट लगना उनके दर्द सहने की क्षमता को बढ़ाता है, उन्हें अधिक सहनशील बनाता है।
मानसिक विकास
भविष्य में जीवन के संघर्षों के सामने टिक पाने के लिए आवश्यक है कि बच्चे मानसिक रूप से भी मजबूत हो। खेल की रणनीति पर चिंतन - मनन बच्चों में बच्चे मानसिक श्रम करते हैं। खेल से मिली हार उन्हें चुनौतियों का सामना करने, एवं हार स्वीकार करने के लिए मानसिक रूप से तैयार करती है।
कभी नया लिखना होता है तो हम 10 बार सोचते हैं, क्या लिखें? कैसे लिखें? शुरू कैसे करें?
कभी-कभी आपके मन में किसी घटना के बारे में लिखने का विचार आता होगा। आप सहमत होंगे कि बोलना जितना आसान है, लिखना उतना नहीं क्योंकि लिखने का प्रभाव बोलने से अधिक स्थाई और प्रभावी होता है, परंतु शर्त यह है कि हमें प्रभावी ढंग से लिखना आए। जी हाँ, क्योंकि लेखन एक कौशल है। इस लेख में हम यही जानेंगे कि प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जा सकता है:
विचारों की अभिव्यक्ति और भाषा
लिखित अभिव्यक्ति में हमें चाहिए कि विचारों को क्रमबद्ध करके अपने भावों के अनुकूल भाषा का प्रयोग करें । स्वाभाविक और स्पष्ट लिखने का प्रयास करें। स्वच्छता, सुंदरता और सुडौल अक्षर का निर्माण, चौथाई छोड़कर लिखना, अक्षर, शब्द और वाक्य से वाक्य के बीच की दूरी को ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। अर्थात्, लेखन सुंदर और शब्दों की वर्तनी शुद्ध हो। वाक्य की बनावट भी ठीक होनी चाहिए। साथ ही उसमें व्याकरण संबंधी कोई त्रुटि ना हो। जो आप कहना चाहते हैं, वही अर्थ निकले और वही दूसरों तक पहुंचे।
दोस्तों, झिझक या शर्म हम सबों में होती है। किसी में अधिक, तो किसी में कम, लेकिन सब लोग कभी न कभी किसी न किसी स्थिति में शर्माते हैं। किंतु कुछ व्यक्ति तो ज्यादा लोगों के सामने कुछ बोल ही नहीं पाते।
यह झिझक चिंता का कारण तब बनती है, जब यह आपके विकास में बाधा बन जाती है। तब, जब झिझक के कारण आपकी हानि होने लगे, पढ़ाई या नौकरी में आपका प्रदर्शन खराब होने लगे, या रोजमर्रा के कामों में भी परेशानी खड़ी हो जाए, तब आपको सजग हो जाने की आवश्यकता है। इसे इतना न बढ़ने दें कि आप कुछ भी करना चाहें तो शर्म के कारण पीछे हट जाए।
स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब यह शर्म बीमारी का रूप ले लेती है, जिसे ऐरिथ्रोफोबिया कहते हैं। इस अवस्था में व्यक्ति बात-बात पर शर्म आने लग जाता है। तो अपनी शर्म को खत्म करें, ताकि आप हर क्षेत्र में शत-प्रतिशत प्रदर्शन कर पाएं।
आत्मविश्वास को बल दे :
झिझक का मुख्य कारण है खुद पर विश्वास की कमी। हम हमेशा खुद को कम करके आंकते हैं । हमें लगता है कि हम में कुछ भी अच्छा नहीं है, और सामने वाले हम पर हसेंगे। पर यह केवल आपकी सोच है। सच्चाई ऐसी नहीं है। खुद पर विश्वास रखें और हीन भावना मन में ना आने दे। अपनी कमजोरियों को भी आत्मविश्वास के साथ स्वीकार करें, और अपनी क्षमताओं पर भी भरोसा रखें। यह मानें कि आप अपने आप में खास हैं।
हर कोई चाहता है कि वह अपनी अलग पहचान बनाए, लोगों के बीच पसंदीदा बने। जब भी हम किसी से मिलते हैं, तो किसी न किसी रूप में उन्हें प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। लोगों के ऊपर अपनी छाप छोड़ना एक कला है जो सबको नहीं आती। आप सोचते होंगे कि कैसे कुछ लोग भीड़ में इतने अलग दिखते हैं, जो कि सबके आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं।
मित्रों! कुछ लोगों में यह गुण पहले से होता है, उनका व्यक्तित्व ही ऐसा होता है, और कुछ लोग इसे अपने अंदर विकसित करते हैं। आप भी इस कला को सीख सकते हैं और लोगों पर अपना प्रभाव छोड़ सकते हैं। तो आइए जानते हैं कैसे आप खुद को भीर से अलग दिखा सकते हैं I
पहनावे पर ध्यान देना
लोगों की नजर में जो सबसे पहली चीज आती है, वह है आपकी वेशभूषा। अच्छे दिखने वाले व्यक्ति पर स्वतः ही लोगों का ध्यान केंद्रित हो जाता है। किंतु यहाँ अच्छे दिखने का तात्पर्य सुंदर दिखने से नहीं है।
खुद को साफ रखें, वह कपड़े पहने जिन्हें आप पूरे आत्मविश्वास के साथ वहन कर सकें, और जो आपके व्यक्तित्व को निखारे।
बेहतरीन संचार कौशल
अच्छे पहनावे से जितनी जल्दी लोगों का ध्यान आप पर केंद्रित होता है, खराब बातचीत के ढंग से उतनी ही जल्दी लोग आपसे मुंह मोड़ लेते हैं। लोगों को प्रभावित करने के लिए जरूरी है कि आपकी बातें उन्हें आपकी तरफ आकर्षित करें। इसके लिए संचार की बारीकियों पर ध्यान दें। शुद्ध एवं साफ भाषा का प्रयोग करें, आकर्षक शब्दों का प्रयोग करें, आवाज़ के उतार चढ़ाव पर ध्यान दें, शारीरिक हाव-भाव का ख्याल रखें, और बात करते समय आई कांटैक्ट बना कर रखें।
दिन भर सोते रहना कितना अच्छा लगता है ना !
हम उन दिनों की कल्पना करते हैं, जब हम सिर्फ आराम करें। न जाने कितने ही कामों को न करने की इच्छा के कारण हम बहाने बना लिया करते हैं। यह अनिच्छा ही आलस्य है, जिसे हमारे शास्त्रों में मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु कहा गया है। आइए इस श्लोक को पढ़ें :
अलसस्य कुतो विद्या, अविद्यस्य कुतो धनम्
आधनस्य कुतो मित्रम्, अमित्रस्य कुतो सुखम्
अर्थात आलस करने वाले को विद्या कहां? जिसके पास विद्या नहीं, उसके पास धन कहां? निर्धन व्यक्ति के पास मित्र कहां? और मित्र के बिना सुख कहां?
इसीलिए आप भी सावधान हो जाएं, और आलस करना छोड़ें।
उपाय :
अनुशासन में रहें और नियम बनाएं
आलस को खत्म करने के लिए आपको स्वयं को अनुशासित करना होगा। खुद के लिए कड़े नियम बनाएं, और उन नियमों को तोड़ने की इजाजत खुद को ना दें। मन के बहकावे में बहकने से खुद को रोकें, और मन ना होने पर भी किसी भी काम को नजरअंदाज ना करें।
नियम टूटने पर सजा के लिए तैयार रहें
खुद के बनाए नियम तोड़ना आसान है, क्योंकि आपको सजा देने वाला कोई नहीं होता। हम बड़ी आसानी से तय किए गए नियमों को नजरअंदाज कर देते हैं इसीलिए नियमों के साथ सजा भी तय करें। जब भी नियम टूटें, तो खुद को कड़ा दंड दें। इससे आपको ना चाहते हुए भी आलस को त्यागना ही होगा।
खुद को सक्रिय बनाएं
ऐसी क्रियाओं में स्वयं को संलग्न करें, जिनमें आपकी सक्रियता बढे। सुबह दौर लगाएं, शारीरिक कार्य करें, खेल खेले इत्यादि। इससे आपकी आलसी प्रवृत्ति बदलेगी और आप सक्रिय हो पाएंगे।
दृढ़ संकल्प
बिना दृढ़ संकल्प के आपके सारे प्रयास निरर्थक रह जाएंगे। इसीलिए मन में ठान लीजिए, कि आपको आलस छोड़ना है। साथ ही बीच-बीच में स्वयं को इस दिशा में बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करें।
आजकल हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी रोग का शिकार है। पहले की तुलना में अब लोग ज्यादा बीमार पड़ने लगे हैं। यहां तक कि नवजात शिशु भी जन्म के साथ ही जॉन्डिस, निमोनिया जैसे रोगों से ग्रसित हो जाते हैं। यदि आज से कुछ दशक पहले की तस्वीर देखी जाए, तो लोग अधिक स्वस्थ हुआ करते थे, और कहीं अधिक लंबा जीवन जिया करते थे। स्वास्थ्य के स्तर में इतनी गिरावट का सबसे मुख्य कारण है बदलती जीवनशैली।
आधुनिक जीवनशैली उपकरणों से घिरी हुई है। हम प्रकृति से दिन-ब-दिन दूर होते जा रहे हैं।
घर में पेड़ पौधे नहीं, बल्कि मोबाइल फ्रिज जैसे ढेरों उपकरण हैं। सूर्य एवं चंद्रमा की रोशनी छोड़ हम बनावटी लाइटों के बीच रहते हैं, पैकेट बंद खाद्य पदार्थ हमारा भोजन हैं, कच्चे फल सब्जियों की जगह हम जंक फूड खाना पसंद करते हैं, व्यायाम की जगह स्थूल जीवन शैली के हम आदी हो गए हैं, यहां तक कि जिस हवा में हम सांस लेते हैं, और जिस जल को ग्रहण करते हैं, वह भी शुद्ध नहीं है। ऐसे में कैसे स्वास्थ्य की गुणवत्ता बनाई रखी जा सकती है?
अपने आसपास देखिए। प्रकृति है?
नहीं!
जिस प्रकृति का हम हिस्सा हैं, जिसने हमें बनाया है, उससे दूर होकर हम कैसे ठीक रह सकते हैं ? अपने शरीर की संरचना को समझिये। यह मशीनों के लिए नहीं बनी है। इसीलिए स्वस्थ रहना तब तक पूरी तरह संभव नहीं है, जब तक आप खुद को प्रकृति से नहीं जोड़ेंगे।
यह सच है कि आप पूरी तरह से आधुनिकता के इस मशीनी माहौल से नहीं बच सकते हैं, लेकिन अभी भी ऐसा बहुत कुछ है जो आप कर सकते हैं। आइए जानते हैं प्रकृति की गोद में फिर से लौटने के लिए आप क्या-क्या कर सकते हैं:
आपके मन में यह प्रश्न जरूर आता होगा, कि कुछ बच्चे कम पढ़कर भी अच्छे अंक कैसे ले आते हैं?
जबकि कुछ बच्चे जी तोड़ मेहनत करते हैं, पर उनके अंक उस मेहनत के अनुरूप नहीं होते। जब बच्चे साल भर पूरी मेहनत से पढ़ाई करते हैं, और तब भी उनके अंक संतोषजनक नहीं होते, तब उनका मनोबल टूट जाता है। वह बहुत निराश हो जाते हैं। ऐसे में बच्चे तनावग्रस्त भी हो सकते हैं। बच्चों के कोमल मन पर निराशा की यह छाया नहीं पड़नी चाहिए, नहीं तो वह नन्हे फूल मुरझा जाएंगे।
इस स्थिति में फंसे बच्चों की मदद करने के लिए आज के लेख में हम बताने जा रहे हैं, कि आपको अच्छे अंक लाने के लिए कहां-कहां बदलाव करने की जरूरत है :
☸ सबसे पहली सीख, रटे नहीं, कंठस्थ करें।
रटंत विद्या बहुत हानिकारक है। बिना भावार्थ समझें केवल शब्दों या वाक्य को याद कर लेने से आपके ज्ञान में कोई वृद्धि नहीं होती। ऐसी चीजें आपको बस कुछ समय तक ही याद रहती है। इस तरह से याद करने वाले बच्चे, तब पूरी तरह ब्लॉक हो जाते हैं, जब सवाल थोड़ा भी घुमा दिया जाता है। क्योंकि आपने जो रट लिया, आपको बस उतना ही आता होता है। इसीलिए याद रखे बच्चों, आप जो भी पढ़ रहे हैं, उससे रटे नहीं, बल्कि समझे कि पाठ में आपको क्या समझाया जा रहा है। एक बार जब विषय वस्तु आपके समझ में आ जाएगी, तब आप उससे संबंधित प्रश्नों को हर तरह से हल कर पाएंगे ।