Meenal Jain
653 अंक
Motivator

Technical writer and hindi writer

i am an assistant professor and article writer

किसी नगर में एक बहुत ही संदर बगीचा था। उस बगीचे में कई प्रकार के फल और फूल लगे हुए थे। प्रतिदिन सुबह और शाम को कई लोग उस बगीचे में घूमने के लिए आते थे। उस बगीचे में एक गुलाब का पौधा भी था। उस पौधे में बहुत सुंदर गुलाब लगते थे। जो भी व्यक्ति उस बगीचे में घूमने आता वह उस गुलाब की तारीफ जरूर करता। यह देखकर उस गुलाब के पौधे की पत्ती बहुत दुखी होती। वह मन में सोचती कि मैं और फूल एक ही परिवार के है लेकिन फिर भी लोग फूल को ही पसंद करते है मुझे कोई पसंद नहीं करता।

एक दिन उस नगर में बहुत तेज आंधी आई। आंधी के कारण उस बगीचे के कई फूल गिर गए जिसमे गुलाब का फूल भी था। लेकिन उस पौधे की पत्ती को कुछ भी नहीं हुआ।बल्कि एक चींटी जो तेज आंधी में मर जाती उसे पत्ती ने सहारा देकर बचा लिया। जब चींटी ने उस पत्ती को धन्यवाद दिया तो पत्ती को बहुत गर्व महसूस हुआ। उस दिन के बाद उसने कभी अपने आप को कमजोर नहीं समझा।

इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें कभी भी किसी से अपनी तुलना नहीं करना चाहिए। हर व्यक्ति की अपनी विशेषताएं होती है, जो उसकी पहचान बनाती है। यदि कोई एक काम में असफल है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह अयोग्य है। जरुरत इस बात की है कि हम अपने आप को पहचाने और उस हिसाब से कार्य करे।

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सुबह जल्दी उठने से फायदे

सुबह की नींद का अपना अलग ही मजा है लेकिन यदि सुबह की नींद को छोड़कर जल्दी उठा जाए तो यह हमारे लिए कई प्रकार से फायदेमंद हो सकता है। सुबह जल्दी उठने से कई सारी बीमारियां हमारे पास नहीं आती है और हम स्वस्थ बने रहते हैं। तो आइए जाने वे फायदे क्या है-

1) स्वास्थ्य सम्बन्धी फायदे :-

सुबह जल्दी उठना स्वास्थ्य के हिसाब से बहुत अच्छा होता है। सुबह प्रदुषण कम होता है इसलिए हम सुबह की ताजी हवा में योगा कर सकते हैं और जिम में जाकर कसरत भी कर सकते हैं। योगा और कसरत हमें कई बीमारियों से बचाते हैं इसलिए सुबह जल्दी उठना चाहिए।

2) दिनचर्या में फायदे :-

सुबह जल्दी उठना हमारी दिनचर्या के लिए बहुत अच्छा होता है। हम दिन भर के कार्यों के लिए योजना बना पाते हैं और हमें सभी कामों के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। हमारे किसी भी काम में जल्दबाजी और घबराहट नहीं होती है।

3) अन्य फायदे :-

सुबह जल्दी उठने पर हमारा मन शांत रहता है। यह समय दिमागी कार्यो के लिए बहुत अच्छा होता है। कहा भी जाता है कि सुबह का पढ़ा हुआ कभी भी नहीं भूलते है। इसलिए विद्यार्थी अपनी पढाई और कामकाजी लोग अपने दिमागी कार्यो को सुबह ही करने का प्रयास करे। इससे आपका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा और आप ख़ुशी और प्रसन्नता का अनुभव करेंगे।

उम्मीद है कि इस लेख के पढ़ने के बाद आप सुबह जल्दी उठने की कोशिश जरूर करेंगे। हो सकता है कि आपको शुरुआत में थोड़ी सी परेशानी हो लेकिन धीरे-धीरे यह आपकी आदत में आ जायेगा ।आप सुबह उठने के सभी फायदों का लाभ उठा सकेंगे और अपने आप को स्वस्थ और तंदुरुस्त महसूस करेंगे।

भावनाओं पर नियंत्रण कैसे करें

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भावना का अर्थ होता है हमारी सोच, प्रतिक्रिया और स्वभाव जो हम किसी कार्य के प्रति व्यक्त करते हैं। इस प्रकार भावना हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भावनाएं कई प्रकार की होती हैं जैसे खुशी की भावना जो हमें आनंद और उत्साह देती है जबकि तकलीफ की भावना जो हमें दुखी करती है। लेकिन कई बार कार्य करते समय हम अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाते हैं और हमारा व्यवहार हमारी भावनाओं को दर्शा देता है।

अपने व्यवहार और भावनाओं पर नियंत्रण करना मुश्किल होता है। भावनाओं को नियंत्रण करने के कई उपाय हैं इनमें से कुछ उपाय इस लेख के माध्यम से बताए गए हैं

1) अपने स्वभाव को शांत रखें :-

भावनाओं पर नियंत्रण रखने के लिए अपने स्वभाव को शांत रखने की कोशिश करना चाहिए। अति भावुक हो जाएं तो अपने आप को शांत रखने की कोशिश करें अपने मन को यह समझाएं की बहुत ज्यादा भावुकता हमारे लिए नुकसानदायक हो सकती है और हम गलत फैसले भी ले सकते हैं।

2) प्रतिक्रिया देने से बचें :-

जब आप भावुक हो तो किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने से बचना चाहिए। कई बार भावना में बहकर हम गलत उत्तर कर देते हैं इससे बात सँभालने की बजाय बात बिगड़ जाती है इसलिए बहुत सोच समझकर ही कोई प्रतिक्रिया करें और अपने व्यवहार को नियंत्रित और संयत बनाए रखें।

3) भावनाओं के प्रति जागरूक रहें :-

भावनाओं पर नियंत्रण रखने के लिए हमें जागरूक होना बहुत जरूरी है। हमें यह पता होना चाहिए कि कैसी स्थिति में हमारी कौन सी भावना अधिक प्रबल हो जाती है इसलिए हम पहले से ही अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर ने की कोशिश करे जैसे इमोशनल सीन को देखकर हमें पहले से ही पता होना चाहिए कि हम इमोशनल हो सकते है।

टाइम मैनेजमेंट कैसे करें

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टाइम मैनेजमेंट का अर्थ होता है समय का प्रबंधन करना। यदि किसी समय काम को एक निर्धारित समय सीमा के भीतर पूर्ण कर लिया जाता है तो इसे टाइम मैनेजमेंट कहते हैं। आज के समय में टाइम मैनेजमेंट का बहुत महत्व है। यदि लक्ष्य बड़ा हो तो टाइम मैनेजमेंट और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।

टाइम मैनेजमेंट करने के लिए कुछ बातों को ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है इस लेख के माध्यम से ऐसी ही कुछ बातों को बताया गया है-

अच्छी प्लानिंग करें :-

किसी भी कार्य में आपकी सफलता आपकी प्लानिंग पर निर्भर करती है। यदि आपकी प्लानिंग अच्छी होगी तो आप सरलता से सफलता प्राप्त कर सकेंगे। अच्छी प्लानिंग को समय की जरूरत होती है इसलिए टाइम मैनेजमेंट इस प्रकार करें कि आप अपने लक्ष्य को बिना कठिनाई के प्राप्त कर ले।

प्लानिंग को पूर्ण करने का प्रयास करे :-

जब आपने प्लानिंग कर ली है तो उसे पूर्ण करने की कोशिश करें। केवल प्लानिंग करने से ही कुछ नहीं होगा। किसी प्लान को पूर्ण करने में कई भाग भी बनाये जा सकते हैं। अलग-अलग भागों में कार्य को करने से कार्य सरल हो जाता है। लेकिन प्रत्येक भाग को पूर्ण करने में लगने वाले समय का विशेष ध्यान रखें यदि आप ऐसा करते हैं तो आप की प्लानिंग पूर्ण सफल हो सकती है।

मूल्यांकन करते रहे :-

किसी भी कार्य को करने के बाद उसका मूल्यांकन करना जरूरी हो जाता है। इसके द्वारा हम कमियों को जान सकते हैं और उसे दूर भी कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए टाइम मैनेजमेंट का विशेष ध्यान रखे अन्यथा काम को करने में अधिक समय लग सकता और इसका प्रभाव आपके टाइम मैनेजमेंट पर भी पड़ सकता है।

आपका व्यक्तित्व आपकी पहचान

आपका व्यक्तित्व आपके गुणों और विशेषताओं का एक ऐसा समूह है जो आपको दुसरो से अलग करता है और आपकी अलग पहचान बनाता है। आप जिस प्रकार अपने आप को दुसरो के सामने प्रस्तुत करते है उसे ही व्यक्तित्व कहते है। फिर चाहे वह आपका घर हो या समाज, कॉलेज हो या कार्यस्थल सभी जगह आप अपने व्यक्तित्व से पहचाने जाते है।

आपके व्यक्तित्व को दर्शाने वाली प्रमुख विशेषताएं है

1) बात करने का तरीका :- बात करना या बोलना ऐसे शब्दों को कहा जाता है जो आपके मन में आते है। आप किस प्रकार से बात करते है। आप बोलते और लिखते समय कैसे शब्दों का उपयोग करते है।ये सभी आपकी बोलने के तरीके को व्यक्त करते है। किसी भी व्यक्ति के धीरे, तेज, कड़वा, मीठा बोलने के तरीके से उसके व्यवहार को जाना जा सकता है।

2) बॉडी लैंग्वेज :- बॉडी लैंग्वेज आपके शरीर की एक ऐसी भाषा है जिसके द्वारा आपका शरीर आपके मन में आने वाले विचारो को न चाहते हुआ भी कह जाता है। आप किस तरह से बैठते हैं या खड़े होते हैं यह बताता है कि आपके मन में क्या चल रहा है। इंटरव्यू देते समय बॉडी लैंग्वेज का बहुत महत्व होता है। तभी हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते है।

3) कार्य करने का तरीका :- कुछ लोग अपना हर काम बहुत व्यवस्थित करते है वही दूसरी ओर कुछ लोग अपने कार्य के प्रति बहुत लापरवाह होते है। अच्छे व्यक्तित्व वाले लोग समय के बड़े पाबंद होते है और सभी कार्यो को समय पर पूर्ण करते है।

इस लेख के माध्यम से बताई गई सारी बाते और विशेषताएं व्यक्तित्व का आइना है और व्यक्तित्व को दर्शाती है। इसलिए हमें इन सभी बातो पर ध्यान अवश्य देना चाहिए और अपनी पर्सनालिटी या व्यक्तित्व अच्छा बनाने के कोशिश करना चाहिए।

रूचि के अनुसार कैरियर क्यों चुने

हर व्यक्ति के जीवन में कैरियर (पेशा) का बहुत महत्व होता है। जब कोई विद्यार्थी बाहरवीं पास करता है तो वह कैरियर के बारे में सोचने लग जाता है और ग्रेजुएशन (स्नातक) की पढ़ाई पूरी होने तक वह अपना कैरियर निश्चित कर लेता है। लेकिन सही कैरियर का चुनना बहुत कठिन होता है। इसलिए हमें कैरियर चुनते समय बहुत सारी बातो का ध्यान रखना चाहिए। जिनमे से एक है रूचि के अनुसार कैरियर चुनना।

यदि आप रूचि के अनुसार कैरियर चुनते है तो आप को कभी भी काम करते समय बोरियत नहीं होगी और आप हमेशा नई ऊर्जा और नए विचारो के साथ कार्य करेंगे। आप अपने जीवन में लगातार सफलता प्राप्त करते जायेंगे और समाज में भी आपका बहुत मान सम्मान होगा। इसके विपरीत यदि आप अपना कैरियर अपनी रूचि के अनुसार नहीं बनाते है तो कुछ ही दिनों में आप को काम बोझ लगने लगेगा। जिसका आपके जीवन में नकरात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है। आप उस क्षेत्र में कभी सफलता प्राप्त नहीं कर पाएंगे और आपको हमेशा इस बात का खेद रहेगा कि आपने अपने कैरियर का सही चुनाव नहीं किया।

कई बार लोग दुसरो की सफलता से प्रभावित होकर बिना सोचे समझे कैरियर को चुनाव कर लेते है और फिर असफल होते है। इसलिए हमेशा इस बात का ध्यान रखे कि कैरियर का चुनाव हमेशा अपने सकरात्मक और नकरात्मक विन्दुओं के आधार पर ले। इसी प्रकार किसी भी फील्ड में ट्रेंड को देखकर तुरंत निर्णय नहीं ले और सोच विचार कर कैरियर चुने अन्यथा आप भेड़ चाल के शिकार हो सकते है। यदि आप इन बातो का ध्यान रखेंगे तो अपने कैरियर का सही चुनाव कर पाएंगे और उसमे बहुत सफलता भी प्राप्त करेंगे।

कैरियर मार्गदर्शन क्यों जरुरी होता है

कैरियर मार्गदर्शन हमारे कैरियर का एक महत्वपूर्ण भाग है। शिक्षा प्राप्त करने के साथ साथ यदि हम अपने कैरियर को सही दिशा देना चाहते है तो हमारे लिए कैरियर मार्गदर्शन का महत्व बहुत अधिक हो जाता है।कई रिसर्च से यह पता चला है कि जिन लोगो ने कैरियर मार्गदर्शन को महत्व दिया उन्हें अपेक्षाकृत अधिक सफलता मिली।

कैरियर मार्गदर्शन के लिए हम इन्टरनेट, समाचार पत्र और पत्रिकायो का भी उपयोग कर सकते है कई जगहों पर कैरियर मार्गदर्शन भी दिया जाता है हम वहा जाकर जानकारी प्राप्त कर सकते है।

कैरियर मार्गदर्शन निम्नलिखित कारणों से बहुत उपयोगी है।

1) कैरियर मार्गदर्शन से हमें कई नई जानकारिया मिलती है जो हमारे कैरियर के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है।

2) आज के कड़ी प्रतिस्पर्धा वाले समय में कैरियर मार्गदर्शन हमें कई विकल्प उपलब्ध कराता है।जिससे हमें सही निर्णय लेने में आसानी होती है और हमारे सफल होने की सम्भावना और अधिक हो जाती है

3) कैरियर मार्गदर्शन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि हम कई गलतियों को करने से बच सकते है जिससे हमारे समय और पैसो की बचत होती है। जैसे कई लोग सही जानकारी के अभाव में गलत विषय चुन लेते है और फिर सफल नहीं हो पाते है

4) कैरियर मार्गदर्शन से हम अपने सकरात्मक और नकरात्मक पहलु जान सकते है और उसी के अनुसार निर्णय ले सकते है

कई लोग कैरियर में असफलता का सबसे बड़ा कारण यह बताते है कि उन्हें सही समय पर कैरियर मार्गदर्शन नहीं मिला। इसलिए हमें अपने अच्छे भविष्य के लिये अभी से ही योजना बनाना शुरू कर देना चाहिए और उस क्षेत्र से सम्बंधित सभी सफल लोगो से मार्गदर्शन लेते रहना चाहिए जिससे हमें कैरियर बनाने के लिए पर्याप्त समय भी मिलेगा और हम सफलता प्राप्त कर पाएंगे

स्वर्ग जैसी जगह

एक बार राजा कृष्णादेव राय तेनालीराम से बोले कि मैंने स्वर्ग की बहुत तारीफ सुनी है। मैं स्वर्ग देखना चाहता हूँ। क्या तुम मुझे स्वर्ग दिखा सकते हो? तेनालीराम बोला हां महाराज मैं आपको स्वर्ग दिखा सकता हूँ। लेकिन मुझे खुद उसकी खोज करना पड़ेगी। कृपया कर मुझे कुछ समय दे ताकि मैं स्वर्ग की खोज कर सकूँ। महाराज ने कहा ठीक है, तुम जल्दी से स्वर्ग की खोज कर लो।

कुछ दिनों के बाद तेनालीराम ने राजा कृष्णा देव राय से कहा कि महाराज मैंने स्वर्ग को ढूंढ लिया है। आप वहां मेरे साथ चल सकते है लेकिन आप वहां पैदल ही चलना होगा। वहां आप घोडा लेकर नहीं जा सकते। राजा कृष्णा देव राय तैयार हो गए और अगले दिन सुबह तेनालीराम और दो सैनिको के साथ स्वर्ग जाने के लिए निकल दिये।

उन दिनों बहुत गर्मी पड़ रही थी और राजा कृष्णा देव राय को पैदल चलने की बिलकुल आदत नहीं थी। वे थोड़ी देर चलने के बाद थक गए। उन्होंने पास के ही एक कुए का पानी पिया और पेड़ से तोड़कर मीठे और स्वादिष्ट फल खाये। थके होने के कारण एक छायादार पेड़ के नीचे बैठकर आराम करने लगे।

तेनालीराम ने राजा कृष्णा देव राय से पूंछा महाराज आपको कैसा लग रहा है। राजा कृष्णा देव राय खुश होते हुए बोले तेनालीराम मुझे इतना आनंद तो कभी नहीं आया। तेनालीराम बोले महाराज यही स्वर्ग है। स्वर्ग एक कलप्ना है लेकिन जहाँ हमें सच्ची ख़ुशी और आनंद मिले उसे ही स्वर्ग कहते है। राजा कृष्णा देव राय तेनालाराम के इस जबाब से बहुत खुश हुए।

इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि जहाँ हमें सच्ची खुशी मिले वहीँ जगह हमारे लिए सबसे अच्छी होती है और वहीँ हमारे लिए स्वर्ग होती है। इसलिए हमें बनावटी और दिखावटी खुशियों की जगह सच्ची खुशिया ढूंढना चाहिए।

कौन है असली हकदार

एक बार राजा कृष्णदेव राय अपने मंत्रियो के साथ राज दरवार में बैठे हुए थे। तभी एक बहुत अजीब मामला उनके सामने आया। दो महिलाये आपस में लड़ती हुई दरवार में आई। उनमे से एक महिला के पास दो साल का बालक भी था। दोनों महिलाये बोल रही थी कि यह बालक उनका है और उनकी पहचान का कोई भी नहीं था जो ये साबित कर सके कि आखिर उन दोनों में से उस बालक की असली माँ कौन है ?

सभी मंत्री अपनी-अपनी राय देने लगे लेकिन उस समस्या का हल नहीं निकल पाया। तेनालीराम ने काफी देर तक सोचा और फिर एक जल्लाद को बुलाने का आदेश दिया। तेनालीराम ने बोला महाराज ये दोनों महिलाये ही इस बच्चे की माँ होने का दावा कर रही है और इस मामले को सुलझाना संभव नहीं है। इसलिए क्यों न इस बच्चे के दो टुकड़े कर दिये जाए और दोनों को आधा-आधा दे दिया जाए। जिससे दोनों को बराबर का हिस्सा मिल जायेगा। इसलिए मैंने जल्लाद को भी बुला लिया है।

यह सुनकर एक महिला बोली महाराज आप इस बच्चे को इस महिला को दे दीजिये। मैं इस बच्चे के टुकड़े होते हुए नहीं देख सकती। मैं इस बच्चे के बिना ही रह लुंगी। यह सुनते ही तेनालीराम ने सैनिको को आदेश दिया कि दूसरी महिला को बंदी बना लिया जाये। तेनालीराम बोला महाराज कोई भी माँ अपने बच्चे का बुरा नहीं देख सकती इसलिए यह महिला उस बच्चे पर अपना हक छोड़ने को तैयार है। इसका अर्थ यह है कि यह महिला ही उस बच्चे की असली माँ है।

इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि कोई भी माँ अपनी बच्चे के बारे में कभी भी बुरा नहीं सोच सकती । वह उसके बिना रह सकता है लेकिन बुरा नहीं देख सकता है।

रास्ता बदले मंजिल नहीं

यह घटना रोम शहर की है। जब वहां राजाओ का शासन था और लोगो को गुलाम बना कर रखा जाता था। एक दिन एक गुलाम मौका मिलते ही अपने मालिक के चगुंल से भाग गया। वह भागते हुए जंगल में पहुंचा। उसने देखा कि सामने से एक शेर आ रहा है। वह अपनी जान बचाने की सोचने लगा। तभी उसने ध्यान से देखा कि शेर लंगड़ा कर चल रहा है। उसे समझ में आ गया कि शेर के पाँव में कुछ परेशानी है।

वह शेर के पास पहुंचा तो उसने देखा कि शेर के पाँव में एक बहुत बड़ा काँटा लगा हुआ है। उस कांटे के कारण वह शेर ठीक से चल नहीं पा रहा है। उसने तुरंत उस कांटे को निकाल दिया। शेर को बहुत आराम मिला और वह उस गुलाम के पाँव में बैठ कर थोड़ी देर बाद जंगल में चला गया। कुछ दिनों के बाद उस गुलाम को उसके मालिक ने पकड़ लिया। वह गुलाम अपने मालिक से आजादी मांगने लगा तो उसके मालिक ने एक शर्त रखी कि यदि तुम एक शेर से लड़ाई करके उसे हरा दोगे तो मैं तुम्हे आजाद कर दूंगा।

यह सुनकर वह गुलाम शेर से लड़ने को तैयार हो गया। जब उस गुलाम को पिंजरे में शेर के सामने छोड़ा गया तो शेर ने उस पर हमला नहीं किया और वह शेर उस गुलाम के पाँव में आकर बैठ गया। वह गुलाम समझ गया कि यह वही शेर है जिसके पाँव में से मैंने काँटा निकाला था। यह देख कर उस मालिक ने गुलाम को आजाद कर दिया।

इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि यदि हमारे सपने सच नहीं होते है तो हमें रास्ता बदल लेना चाहिए, लेकिन हमारा ध्यान हमेशा मंजिल की तरफ ही होना चाहिए। तभी सफलता मिलती है।

आदमी और डाकू

एक बार एक आदमी किसी दूसरे गांव से बैल खरीद कर लौट रहा था। अँधेरा होने वाला था इसलिए वह जल्दी गांव पहुंचना चाहता था। तभी उसे रास्ते में लठ्ठ लिए हुए एक आदमी दिखा। वह समझ गया कि यह आदमी जरूर एक डाकू है जो इस बैल को लूट कर ले जाना चाहता है। वह हिम्मत करके आगे बढ़ने लगा। तभी वह डाकू उसके पास आकर बोला कि तुम्हारे पास जो कुछ भी है वह मुझे दे दो, नहीं तो मैं तुम्हे मार डालूंगा।

यह सुनकर उस आदमी ने अपने सारे पैसे डाकू को दे दिया। डाकू बोला कि मुझे तुम्हारा यह बैल भी चाहिए। उस आदमी ने बैल को भी उस डाकू को दे दिया। वह डाकू जैसे ही जाने लगा तो उस आदमी ने बोला कि मेरे पास जो कुछ भी था। वो सब तुमने ले लिया है। क्या तुम मुझे अपना ये लठ्ठ दे सकते हो। यह सुनकर डाकू बोला कि तुम इस लठ्ठ का क्या करोगे ?

उस आदमी ने जबाब दिया कि मैं जब घर जाऊंगा तो घर पर सभी लोग मुझसे ये पूँछेगे कि तुम दूसरे गांव से क्या लाये ? तो मैं उन्हें बता तो सकूंगा कि मैं लठ्ठ लेकर आया हूँ। यह सुनते ही डाकू बोला ठीक है और उसने लठ्ठ आदमी को दे दिया। लठ्ठ हाथ में आते ही उस आदमी ने डाकू को मारना शुरू कर दिया और तब तक मारता रहा जब तक डाकू अपनी जान बचाकर वहां से भाग नहीं गया। वह आदमी बैल और लठ्ठ लेकर अपने गांव वापिस आ गया।

इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि खतरे को पहले से ही समझ लेना बुद्धिमानी है। हमें साहस रखते हुए खतरों का सामना करना चाहिए। हम तभी सफल हो सकते है।

थोड़ा सा सुख

किसी जंगल में एक बहुत बड़ा अजगर रहता था। उस जंगल में खाने की कमी होने लगी तो अजगर उस जंगल को छोड़कर दूसरे जंगल में आ गया। उसे इस जंगल में खाने के लिए कई जानवर मिलने लगे तो उसने सोचा कि क्यों न इसी जंगल में ही रहा जाये और वह रहने के लिए एक अच्छी जगह ढूढ़ने लगा।

एक दिन उसे रहने के लिए एक पेड़ बहुत पसंद आया। उस पेड़ में चीटियों का घर बना हुआ था जिसमे बहुत सारी चीटिया रहती थी। वह सभी चीटियों को आदेश देते हुए बोला कि तुम सब अब अपना घर कहीं और जाकर बनाओ अब यह पेड़ मेरा है। मैं इसमें घर बनाकर रहूँगा। चीटियों ने उस अजगर की बात का कोई जबाब नहीं दिया।

अजगर को गुस्सा आ गयी और जबरदस्ती चीटियों के बिल में घुसने लगा। यह देखकर सभी चीटियों को भी गुस्सा आ गयी और वे सभी एक साथ उस अजगर पर टूट पड़ी। उन्होंने अजगर के शरीर पर काटना शुरू कर दिया। अजगर इतनी सारी चीटियों का हमला एक साथ नहीं सहन कर पाया और तुरंत वहां से भाग गया। उसने फिर कभी उस पेड़ पर घर बनाने की नहीं सोची।

इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलते है कि हमें थोड़े से सुख के लिए अपनी जान खतरे में नहीं डालना चाहिए और बड़े सुख को ध्यान रखते हुए निर्णय लेना चाहिए।

सूरज की शादी

एक बार जंगल में धुप में बरसात हो रही थी। कई जानवरो ने कभी धुप में बरसात नहीं देखी थी इसलिए उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ। वे सभी एक दूसरे से इसका कारण पूंछने लगे। तभी एक बुजुर्ग जानवर ने जबाब दिया कि जब सूरज की शादी होती है तब धुप में बरसात होती है। यह सुनकर सभी जानवर खुशी में नाचने और झूमने लगे कि आज सूरज की शादी है।

एक समझदार और होशियार खरगोश सबकी बात ध्यान से सुन रहा था। वह सभी जानवरो के तरह न तो नाचा और न ही खुश हुआ। उसे इस प्रकार बैठा देखकर बाकी सभी जानवरो ने पूंछा कि क्या तुम्हे सूरज की शादी के खबर सुनकर खुशी नहीं हुई ?

यह सुनकर वह खरगोश बोला कि मैं ये सोच रहा हूँ कि क्या ये सही मैं खुशी मनाने वाली बात है क्योंकि जब गर्मी का मौसम आता है तो एक अकेले सूरज के कारण इतनी गर्मी पड़ती है तो सोचो दो सूरज के होने पर कितनी गर्मी पड़ेगी। हमारे पानी पीने का सारे तालाब और नदिया सुख जाएंगे तो हम पानी कहाँ पिएंगे। यह सुनकर सभी जानवर चुप हो गए और उस खरगोश के द्वारा कही गयी बात के बारे में सोचने लगे।

इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें बिना सोचे समझे किसी भी बात की खुशी नहीं मानना चाहिए। हमें पहले उसके बारे में अच्छी तरह सोच विचार कर लेना चाहिए कि कहीं हमें उससे कोई नुकसान तो नहीं है।

बुरा कौन शब्द या इशारा

एक बार एक शिकारी लोमड़ी का पीछा करने लगा। लोमड़ी अपनी जान बचाने के लिए भागने लगी। तभी उसे एक घर दिखाई दिया। उस घर में एक किसान बैठा हुआ था। लोमड़ी ने किसान के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा कि एक शेर मुझे मारना चाहता है। तुम मेरी जान बचा सकते हो। मैं तुम्हारे घर में छिप जाती हूँ। जब शिकारी तुमसे पूंछे तो बोल देना कि यहाँ कोई लोमड़ी नहीं आई।

उस किसान ने बोला कि ठीक है तुम दूसरे कमरे में छिप जाओ। वह लोमड़ी दूसरे कमरे में छिप गई। तभी वहां शिकारी आ गए और उन्होंने किसान से पूंछा कि क्या तुमने किसी लोमड़ी को यहाँ देखा है ? किसान ने जबाब दिया कि यहाँ कोई लोमड़ी नहीं आई लेकिन उसने इशारे से बोल दिया कि लोमड़ी यहाँ छिपी हुई है। शिकारी उस किसान के इशारे को समझ नहीं पाए और वापिस लौट गए।

लोमड़ी ने दूसरे कमरे से किसान को इशारे करते हुए देख लिया था। शिकारी के जाने के बाद वह बाहर निकली और जंगल में जाने लगी। यह देखकर किसान बोला कि मैंने तो तुम्हारी जान बचाई है और तो मुझे धन्यवाद भी नहीं दिया। लोमड़ी बोली कि यदि तुमने शिकारी को इशारा नहीं किया होता तो मैं तुम्हे धन्यवाद जरूर देती। किसान यह जबाब सुनकर चुप हो गया।

इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि इशारे शब्दों की तुलना में बहुत खतरनाक होते है। कहा भी जाता है कि समझदार के लिए इशारा ही काफी होता है।

बुरे लोगो से बचे

एक बार एक लोमड़ी पर एक शेर ने हमला कर दिया। लोमड़ी ने भागकर शेर से अपनी जान तो बचा ली लेकिन इस हमले में उसकी पूँछ कट गयी। लोमड़ी को वह कटी हुई पूँछ बिलकुल अच्छी नहीं लगती थी और वह हमेशा उस कटी पूँछ के बारे में सोचा करती थी।

एक दिन उसने एक योजना बनाई और उसने सभी लोमड़ियों को इकठ्ठा किया। वह अपनी कटी हुई पूँछ की बड़ा चढ़ाकर तारीफ करने लगी। वह बोली कि सभी लोमड़ियों की पूँछ बहुत बदसूरत होती है इसलिए मैंने मेरी पूँछ कटा दी है। यदि तुम लोग भी खूबसूरत और सूंदर दिखना चाहती हो तो तुम लोग भी अपनीपूणच कटवा दो। यदि लोमड़िया पूँछ नहीं रखेंगी तो भगवान भी उनसे खुश होंगे और शिकार करने के लिए बहुत सारे जानवर देंगे।

एक होशियार और समझदार लोमड़ी बहुत देर से उस पूँछ कटी हुई लोमड़ी की बात सुन रही थी। वह हँसते हुए बोली यदि मेरी पूँछ तुम्हारी पूँछ की तरह कटी हुई होती तो मैं तुम्हारी बात का समर्थन जरूर करती लेकिन मेरी पूँछ सही सलामत है तो मैं अपनी पूँछ क्यों काटूं ? यह सुनकर सभी लोमड़ियों ने भी उसकी बात का समर्थन किया और अपनी पूँछ कटवाने से मना कर दिया। पूँछ कटी हुई लोमड़ी कुछ भी नहीं बोल पाई और चुपचाप अपनी गुफा में चली गई।

इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि जिन लोगो के साथ कुछ बुरा होता है तो वे लोग दुसरो का भी बुरा करने की कोशिश करते है हमें ऐसे लोगो से बचकर रहना चाहिए और कोई भी सलाह नहीं मानना चाहिए।

बुरे लोगो पर ध्यान न दे

एक बार एक गाय जंगल में घास खा रही थी। तभी कहीं से कुछ मक्खिया उड़कर आई और उसके ऊपर उड़ने लगी। उस गाय को घास खाने में परेशानी होने लगी। उसने मक्खियों को उड़ाने के लिए अपनी पूँछ घुमाई तो सभी मक्खिया उड़ गयी। गाय फिर से आराम से घास खाने लगी लेकिन सभी मक्खिया वापिस आ गयी और फिर से गाय को परेशानी होने लगी।

उसने कई बार पूँछ से मक्खियों को उड़ाने की कोशिश की लेकिन मक्खिया फिर से वापिस आ जाती थी और उस गाय के ऊपर उड़ने लगती थी। थोड़ी देर तक पूँछ हिलाने से उसकी पूँछ भी दुखने लगी। इस बार वह मक्खियों से बचने के लिए धूल में लेटने लगी लेकिन इससे उसकी पीठ छील गयी और उसे दर्द होने लगा।

उसका यह उपाय भी बेकार गया क्योंकि उसे मक्खियों से छुटकारा नहीं मिला था और थोड़ी देर के बाद मक्खिया फिर आकर उसकी पीठ पर बैठ गयी। तभी गाय ने देखा कि सामने एक नदी है। वह तुरंत उस नदी के पानी में चली गयी। अब सभी मक्खियों को कहीं भी बैठने की जगह नहीं मिल रही थी। वे थोड़ी देर वहीँ उड़ती रही और जब कोई बैठने की जगह नहीं मिली तो वे सभी वहां से कहीं और चली गयी। थोड़ी देर के बाद गाय पानी से निकली तो उसे मक्खिया कहीं भी दिखाई नहीं दी। वह फिर से आराम से घास खाने लगी।

इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें कभी भी बुरे लोगो पर अधिक ध्यान नहीं देना चाहिए और उनसे बचने की कोशिश करना चाहिए I नहीं तो इससे हमारा ही नुकसान होता है। यदि हम ऐसे लोगो पर ध्यान नहीं देंगे तो कुछ देर बाद वे दुसरो को ढूढ़ने लग जायेंगे और हम अपनी सुरक्षा कर सकेंगे।

मुश्किलों में अवसर

किसी गांव में एक बहुत गरीब आदमी रहता था। एक दिन उसने सोचा कि किसी दूसरे नगर में जाकर धन कमाया जाए। वह नाव में बैठकर दूसरे नगर में जाने लगा तो उसकी नाव डूब गयी और उसने तैरकर बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाई। वह नदी के ऐसे किनारे पर आ गया था जहाँ बहुत सारे सांप रहते थे।

वह बिलकुल भी नहीं घबराया और सांपो से जान बचाकर एक पेड़ पर चढ़ गया। उस पेड़ पर बहुत मीठे फल लगे गए थे। उसने वह मीठे फल खाये और सांपो के चले जाने पर वह पेड़ से नीचे उतर आया। उसने देखा कि उस पेड़ के पीछे कुछ चमकता हुआ दिख रहा है। उसने ध्यान से देखा तो वहां सोने के सिक्के गड़े हुए थे।

उसने गड्डा करके सिक्को को निकाल लिया। तभी आसमान में उसे एक बहुत बड़ा पक्षी उसे दिखाई दिया। वह पक्षी उसी की तरफ आ रहा था। उसने उसे अपने पंजो में दबा लिया और उड़कर ले जाने लगा। उसने सोचा कि यदि मैं इस पक्षी के पंजो से नहीं छूटा तो यह मुझे मार डालेगा। उसने तुरंत पक्षी के पाँव पर बहुत जोर से प्रहार किया।

पक्षी उस प्रहार से घबरा गया और वह व्यक्ति उसके पंजो से छूटकर सीधे नदी के पानी में जा गिरा। तभी उसे एक नाव दिखाई दी जिसकी सहायता से उसने अपनी जान बचा ली थी। उन सोने के सिक्को के कारण उसकी गरीबी भी दूर हो गयी थी। अब वह अपना जीवन सुखपूर्वक व्यतीति करने लगा।

इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि कई बार मुश्किलों और चुनोतियो में भी अच्छे अवसर छिपे होते है। हमें अपना आत्मविश्वास नहीं खोना चाहिए और सभी मुश्किलों का सामना पुरे विश्वास के साथ करना चाहिए। कहा भी जाता है कि इस दुनिया में हिम्मत की कीमत है।

घोडा और शिकारी

किसी जंगल में एक घोडा रहता था। वह रोज चरने के लिए जंगल में जाता था। उसे रोज एक बात का ही डर लगा रहता था कि कहीं शेर उसे मारकर खा नहीं जाये। इसलिए वह घने जंगल में चरने के लिए नहीं जाता था। एक दिन उस जंगल में एक शिकारी आया और वह शेर को पकड़ने के लिए जाल बिछाने लगा।

यह देखकर वह घोडा बहुत खुश हुआ और उस शिकारी से बोला कि शेर रोज कई जानवरो का शिकार करता है। यदि आप उस शेर को पकड़ लेंगे तो इस जंगल के कई जानवरो की जान बच जाएगी। घोड़े की बात सुनकर शिकारी बोला कि यदि तुम मेरी मदद करोगे तो मुझे शेर को पकड़ने में आसानी होगी।

घोडा बोला कि मैं शेर को पकड़ने के लिए आपकी मदद करने के लिए तैयार हूँ। वह शिकारी उस घोड़े पर बैठकर अपने शहर गया और उसे अपने अस्तबल में बांध दिया। अब जब भी उस शिकारी को कहीं जाना होता तो वह उस घोड़े का उपयोग करता। नहीं तो वह उसे अपने अस्तबल में बांध देता।

घोड़े को समझ में आ गया था कि इस शिकारी पर विश्वास करके मैंने अपना ही नुकसान किया है। इससे अच्छा तो मैं जंगल में था। वहां मुझे रोज हरी घास खाने के लिए मिलते थी और मैं आजादी से कहीं भी घूम पाता था। अब घोडा बहुत पछता रहा था।

इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि थोड़ी से नुकसान से बचने के लिए हमें बड़ा नुकसान नहीं करना चाहिए। हमें कोई भी काम करने से पहले यह अच्छी तरह सोच लेना चाहिए कि यह काम हमारे लिए लाभदायक रहेगा या नहीं। तभी उस काम को करना चाहिए।

कौवा और चील

किसी जंगल में एक कौवा रहता था। एक दिन जब वह पेड़ पर बैठा हुआ था तो उसने देखा कि सामने मैदान में एक मेमना घास खा रहा है। तभी एक चील आई। उसने मेमने को अपने पंजे में पकड़ लिया और उसे लेकर उड़ गयी। वह सोचने लगा कि यदि मैं भी मेमने को इस प्रकार से पकड़ लू तो मुझे कई दिनों तक भोजन की तलाश में नहीं घूमना पड़ेगा और मैं आराम से रह सकूंगा।

उस दिन से वह मेमने को शिकार करने के लिए ढूढ़ने लगा। एक दिन उसने देखा कि पहाड़ पर एक मेमना घास खा रहा है। वह तुरंत उस मेमने के पास पहुंचा और उसने उसे अपने पंजे में पकड़ लिया। वह उसे पकड़ कर जैसे ही उड़ने के कोशिश करने लगा। वह मेमने के भारी बजन को नहीं उठा पाया और मेमने के साथ पहाड़ से नीचे गिर गया। मेमने के साथ-साथ उस कौवे को भी बहुत चोट आई और वह कई दिनों तक शिकार करने नहीं जा पाया।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि किसी कार्य को छोटा करने की कोशिश में कार्य और अधिक बड़ा हो जाता है। इसलिए हमें किसी भी कार्य को दुसरो की नक़ल नहीं करते हुए समझदारी से करना चाहिए। हम तभी सफलता प्राप्त कर सकते है।

धन का सदुपयोग करे

एक बार किसी नगर में बहुत कंजूस व्यक्ति रहता था। उसने कंजूसी से बहुत सारा धन इकठ्ठा कर लिया था। एक दिन उसने सोचा कि यदि मैं घर में सारा धन रखूँगा तो कोई इसे चुरा कर ले जा सकता है इसलिए क्यों न इस धन को जमीन के अंदर गाड़ दिया जाये। उसने अपने बगीचे में एक बहुत बड़ा गड्डा किया और उसमे अपना सारा धन गाड़ दिया। वह पंद्रह दिन में एक बार उस धन को निकालता, उसे गिनता और उसमे नए सिक्को को रख देता।

इस प्रकार वह अपने धन को सुरक्षित रखने लगा था। एक दिन उसके दोस्त ने उसे गड्डे में धन रखते हुए देख लिया। उसने मौका मिलते ही गड्डा खोदा और सारा धन निकाल कर अपने साथ ले गया। कुछ दिनों के बाद जब उस कंजूस व्यक्ति ने अपने धन को देखने के लिए गड्डा खोदा तो उसे कुछ भी नहीं मिला। वह जोर-जोर से रोने लगा।

उसकी आवाज सुनकर बहुत सारे लोग इकट्ठे हो गए और उन्होंने उससे रोने का कारण पूंछा तो उसने बताया कि मैं अपना सारा धन इस गड्डे के अंदर रखता था लेकिन कोई सारे धन को चुरा ले गया है।अब मेरे पास कोई धन नहीं बचा है। तभी एक पडोसी ने उसे समझाते हुए कहा कि तुम इस धन का उपयोग तो करते नहीं थे तो तुम रोज इस गड्डे को देख कर यह समझ लेना कि तुम्हारा सारा धन इस गड्डे के अभी भी अंदर रखा हुआ है।

इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि जिस धन का उपयोग नहीं किया जाए तो वह नष्ट हो जाता है। वह व्यर्थ चला जाता है। इसलिए हमें धन का आवश्यकता के अनुसार उपयोग करते रहना चाहिए।

कौवा और पानी की प्यास

एक बार बहुत तेज गर्मी पड़ रही थी। एक कौवा बहुत प्यासा पानी की तलाश में उड़ रहा था। तभी उसने देखा कि एक खेत में घड़ा रखा हुआ है। उसने घड़े के पास जाकर देखा तो उसमे पानी था। उसने पानी पीने की बहुत कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुआ। क्योंकि घड़े में पानी कम होने के कारण उसकी चोंच पानी तक नहीं पहुँच रही है।

तभी उसने देखा कि घड़े के पास कुछ कंकड़ रखे हुए है। उसने सोचा कि क्यों न इन कंकड़ को पानी में डाल दिया जाए तो पानी ऊपर आ जायेगा और वह पानी पी सकेगा। वह उन पत्थरो को एक-एक कर अपनी चोंच से उठा रहा था और पानी में डाल रहा था। कुछ ही देर बाद कंकड़ घड़े के अंदर जमा हो गए और पानी ऊपर आ गया। कौवे ने भरपेट पानी पी लिया और उड़ गया।

इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि आवश्यकता होने पर ही किसी कार्य को करने की योजना बनाई जाती है। जब कोई कार्य हमारे लिए बहुत आवश्यक हो जाता है तो हमारे दिमाग में उस कार्य को करने के लिए कई नयी योजनाए आती है और हम उस कार्य को करने की पूर्ण कोशिश करते है। कहा भी जाता है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है।

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